बुधवार, 2 जुलाई 2025

कोरोनामहामारी पर वैदिकरिपोर्ट

माननीय प्रधानमंत्री जी !

                            सादर नमस्कार  

विषय : महामारी  बिषय में वैदिक विज्ञान के आधार पर विनम्र निवेदन ! 

महोदय, 

    वर्तमान समय में विज्ञान उन्नति के शिखर पर है|वैश्विक दृष्टि से देखा जाए तो एक से एक बड़े वैज्ञानिक हैं|उनके द्वारा महामारी जैसी घटनाओं के बिषय में निरंतर अनुसंधान किए जा रहे हैं किंतु कोरोना पीड़ितों को उन अनुसंधानों से ऐसी क्या मदद पहुँचाई जा सकी जो अनुसंधानों के बिना संभव न थी और उस मदद से महामारी पीड़ितों को कुछ सहयोग मिल सका हो | 

       श्रीमान जी !उन्नत विज्ञान के द्वारा जीवन की कठिनाइयों को कम करके समाज को सुख सुविधा संपन्न बनाया जा सका है किंतु यह भी सच है कि इसी उन्नत विज्ञान के युग में आई कोरोना महामारी में इतने अधिक लोगों की मृत्यु हुई है | जितने कि पड़ोसी देशों के साथ लड़े गए गए तीनों युद्धों में मिलाकर नहीं हुई है | ऐसी स्थिति में वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा हासिल की गईं सफलताएँ बाक़ी सफलताएँ किस काम की | यदि जीवन ही सुरक्षित नहीं बचाया जा सकेगा तो उन सफलताओं का क्या होगा | जो वैज्ञानिकों के द्वारा प्रयत्न पूर्वक खोजी गई हैं | 

      विद्वान् वैज्ञानिकों के द्वारा  महामारी के बिषय में विभिन्न पत्र पत्रिकाओं वेवसाइटों आदि में प्रकाशित किए गए अनुमानों पूर्वानुमानों में से एक भी अनुमान पूर्वानुमान आदि सही नहीं निकल पाया है | जिसका मतलब है कि वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा महामारी को समझने में सफल नहीं हुआ जा सका है | रोग को ठीक ठीक समझे बिना  उससे बचाव ,सुरक्षा या रोग से मुक्ति दिलाने की  प्रभावी चिकित्सा के लिए सार्थक प्रयत्न नहीं किए जा सकते हैं 

      इसीबिषय में विशेष बात यह है कि वैदिक विज्ञान के आधार पर मैं महामारियों और प्राकृतिक घटनाओं के बिषय में पिछले 35 वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा हूँ | इसके आधार पर मैनें महामारी की सभी लहरों के बिषय में जो अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाकर जो तारीखें पीएमओ की मेल पर भेजता रहा हूँ | वे बिल्कुल सही निकलती रही हैं |मेरी जानकारी के अनुसार ये विश्व में पहली बार हुआ है | मेरे अलावा यदि विश्व में किसी दूसरे व्यक्ति के द्वारा भी महामारी के बिषय में या उसकी लहरों के आने या जाने के बिषय में कोई अनुमान या पूर्वानुमान सही निकला होगा तो उससे मिलकर मुझे बहुत प्रसन्नता होगी | 

    श्रीमान जी !मेरे द्वारा भेजे  गए  सभी पूर्वानुमान अभी भी पीएमओ की मेलपर सुरक्षित पड़े हुए हैं | उनका परीक्षण करके देखा जाए यदि वे सही लगें तो हमारे अनुसंधानों को सभी प्रकार से प्रोत्साहित किया जाए !ताकि मैं अपने अनुसंधानों को और अधिक ऊर्जा के साथ करके महामारियों एवं प्राकृतिक आपदाओं से वैश्विक समाज की सुरक्षा के प्रयत्नों में सहायक बन सकूँ |इसके साथ ही अपने अनुसंधानों के द्वारा भारत को विश्वगुरुत्व के पद पर प्रतिष्ठित करने में प्रभावी भूमिका निभा सकूँ | 

                                                   निवेदक :

                                    -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                                 A-7\41  कृष्णानगर -दिल्ली - 51 

                                  मोबाईल :   9811226983

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  महामारी आगमन की आहट पहले ही लग गई थी !

     मैं पिछले लगभग तैंतीस वर्षों से ऐसे प्राकृतिक बिषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ जिसमें भूकंप आँधी तूफ़ान सूखा वर्षा बाढ़ वायु प्रदूषण एवं तापमान का घटता बढ़ता स्तर प्राकृतिक स्वास्थ्य समस्याएँ  मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं एवं महामारियों के बिषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ | प्राकृतिक परिवर्तनों के कारण पैदा होने वाली सामाजिक राजनैतिक वैश्विक आदि समस्याओं के पैदा होने एवं उनका समाधान निकलने के बिषय में भी पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ | उसी क्रम में सन 2010 के बाद सुदूर आकाश से समुद्र समेत समस्तप्रकृति में कुछ इस प्रकार के परिवर्तन दिखाई देने लगे थे जो निकट भविष्य में किसी बड़ी महामारी या अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदा या युद्ध आदि के द्वारा बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की ओर संकेत देने लगे थे | सन 2013 के बाद प्राकृतिक वातावरण पूरी तरह बदला बदला दिखाई देने लगा था आकाशीय परिस्थितियाँ सूर्य चंद्रादि ग्रहों के विंबीय आकार प्रकार वर्ण आदि परिस्थितियाँ क्रमशः बदलती जा रही थीं वायुसंचार में बदलाव वृक्ष बनस्पतियों में परिवर्तन होने लगे थे | समय जैसे जैसे बीतते जा रहा था वैसे वैसे जल वायु अन्न आदि समस्त खाद्य वस्तुएँ अपने अपने गुण स्वाद आदि से विहीन होती  जा रहीं थीं | औषधीय बनस्पतियाँ जिन गुणों के लिए जानी जाती थीं उनमें उसप्रकार के गुणों का ह्रास होता चला जा रहा था | 
      वायुतत्व दिनोंदिन अधिक चंचल एवं प्रदूषित होता जा रहा था| वायुमंडल में प्रदूषण ,बज्रपात की हिंसक घटनाएँ बार बार घटित होती देखी जा रही थीं | इसीलिए 2018 के अप्रैल मई में आँधी तूफानों की घटनाएँ बारबार घटित होने लगी थीं | चक्रवात जैसी हिंसक घटनाएँ घटित होते अक्सर देखी जाने लगी थीं | 
    पृथ्वीतत्व के स्थिरता संबंधी स्वाभाविक गुण विकृत होने लगे थे | धरती बार बार काँपने लगी थी भूकंपों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी |सुनामीजैसी घटनाओं के डरावने दृश्य दिखाई पड़ने लगे थे | महामारी काल में केवल भारत में ही एक हजार बार से अधिक भूकंप घटित हुए थे |
     प्रकुपित अग्नितत्व  हिंसक स्वरूप  धारण करता जा रहा था | कहीं भी कभी भी आग लगने की घटनाएँ घटित होती देखी जा रही थीं इसीलिए तो 2016 अप्रैल में बिहार सरकार ने दिन में हवन करने एवं चूल्हा जलाने आदि पर रोक लगा दी गई थी |
    जलतत्व में दिनोंदिन विकृति आती  देखी जा रही थी कहीं भीषण बाढ़ तो कहीं  सूखा था | जमीन के अंदर का जलस्तर  दिनों दिन कम होता जा रहा था |जल की गुणवत्ता में कमी होती जा रही थी !बादलों के फटने की घटनाएँ  देखी जाने लगी थीं | 
     आकाश अक्सर धूम्रवर्ण या लाल पीला होता दिख रहा था !नीला एवं स्वच्छ आकाश तो वर्ष के कुछ महीनों में ही दिखाई देने लगा था | इसके अतिरिक्त आकाश में और भी प्रतिसूर्य गंधर्वनगर जैसी घटनाएँ दिखने लगीं थीं |
    इस प्रकार से पंचतत्वों में बढ़ते विकार बनस्पतियों एवं खाद्यपदार्थों के स्वाद एवं गुणवत्ता में आती कमी मनुष्य समेत सभी जीव जंतुओं के स्वभाव में बढ़ते अस्वाभाविक बदलाव  किसी बड़ी विपदा की ओर संकेत करने लगे थे | ऐसी  घटनाओं का जब गणितीय पद्धति से परीक्षण किया गया तो महामारी जैसी किसी बड़ी हिंसक प्राकृतिक घटना का आभास होने लगा था | 
    इसलिए इसीप्राचीन अनुसंधान के आधार पर सन 2017 से ही वर्तमान महामारी के बिषय में मुझे संभावना दिखने लगी थी इस बिषय में मैंने संबंधित मंत्रालयों सरकारी विभागों निजीसंस्थाओं एवं विविध मीडिया माध्यमों से अपनी बात सरकार तक पहुँचाने का प्रयत्न करता रहा हूँ | इसी संदर्भ में सामाजिक स्वयं सेवी संगठनों एवं निजी संगठनों के बड़े बड़े नेताओं से संपर्क करके भारत सरकार तक अपनी बात पहुँचाने का प्रयास करता रहा कई पत्र रजिस्टर्ड डॉक से भी भेजे हैं | पीएमओ की मेल पर भेजकर प्रधानमंत्री जी से मैंने मिलने के लिए समय माँगा किंतु मुझे अपनी बात भारत के प्रधानमंत्री जी तक पहुँचाने का अवसर नहीं मिल सका ऐसे प्रयासों में भटकते भटकते काफी लंबा समय बीत गया तब तक सन 2020 प्रारंभ हो चुका था महामारी प्रारंभ हो चुकी थी उसकी चर्चा सभी जगह सुनाई देने लगी थी महामारी को लेकर तरह तरह की आशंकाएँ व्यक्त की जा रही थीं महामारी के बिषय में लोग तरह तरह की अफवाहें फैलाए जा रहे थे | मीडिया माध्यमों से भारत सरकार भी चिंतित दिखाई दे रही थी किंतु चाहकर भी मैं अपनी बात भारत के प्रधानमंत्री जी तक नहीं पहुँचा सका इसलिए अब निराश हताश होकर शांत बैठ गया था | इसी बीच अचानक एक बात मन में आई कि  बिषय में मैं अपनी बात पीएमओ की मेल पर डाल दूँगा तो भविष्य के लिए यह प्रमाण सुरक्षित बना रहेगा | इसलिए मैंने पीएमओ की मेल पर सबसे पहला पर 19 मार्च 2020 को भेजा था जिसमें महामारी के बिषय में हमारे द्वारा कुछ आवश्यक बातें लिखी गई थीं | 
      महामारी के जन्म स्वभाव प्रभाव विस्तार प्रसारमाध्यम अंतर्गम्यता आदि को ठीक ठीक जाने बिना महामारी से राहत दिलाने वाली प्रभावी तैयारियाँ करना संभव न था और न ही महामारी से मुक्ति दिलाने योग्य औषधि वैक्सीन आदि का निर्माण ही किया जा सकता था | इसीलिए महामारी से संबंधित कुछ और जरूरी जानकारियाँ 19मार्च 2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ को दी थी !ये हैं वे महत्वपूर्ण जानकारियाँ जिन्हें वैज्ञानिकों ने बहुत बाद  में स्वीकार किया था !उसी मेल के संबंधित अंश मैं यहाँ उद्धृत कर रहा हूँ -

 
प्रथम मेल समीक्षा  
 
1.  कोरोना प्राकृतिक है -" किसी महामारी पर नियंत्रण न हो पाने का कारण यह है कि  कोई भी महामारी तीन चरणों में फैलती है और तीन चरणों में ही समाप्त होती है | महामारी फैलते समय सबसे बड़ी भूमिका समय की होती है | सबसे पहले समय की गति बिगड़ती  है  ऋतुएँ समय के आधीन हैं इसलिए अच्छे या बुरे समय का प्रभाव सबसे पहले ऋतुओं पर पड़ता है ऋतुओं का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है | "
2.    कोरोनाहवा में विद्यमान है -"पर्यावरण बिगड़ने का प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर भी पड़ता है इससे वहाँ के कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषित हो जाता है | इन परिस्थितियों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है इसलिए शरीर ऐसे रोगों से पीड़ित होने लगते हैं जिनमें चिकित्सा का प्रभाव बहुत कम पड़ पाता है यहीं से महामारी फैलने लगती है |"
 3.  महामारी में होने वाले रोग को न तो पहचाना जा सकता है और न ही इसकी औषधि बनाई जा सकती है -"इसमें चिकित्सकीय प्रयासों का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा | क्योंकि महामारियों में होने वाले रोगों का न कोई लक्षण होता है न निदान और न ही कोई औषधि होती है |"
 4. महामारी में होने वाले रोगके वेग को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर घटाया जा सकता है -"ऐसी महामारियों को सदाचरण स्वच्छता उचित आहार विहार आदि धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन से जीता जा सकता है |"
5.  प्रकृति के द्वारा इस समय दवाओं की शक्ति समाप्त कर दी गई है इसलिए महामारी में होने वाले रोगों में प्रयोग की गई औषधियाँ निष्प्रभावी रहेंगी -"विशेष बात यह है जो औषधियाँ बनस्पतियाँ आदि ऐसे रोगों में लाभ पहुँचाने के लिए जानी जाती रही हैं बुरे समय का प्रभाव उन पर भी पड़ने से वे उतने समय के लिए निर्वीर्य अर्थात गुण रहित हो जाती हैं जिससे उनमें रोगनिवारण की क्षमता नष्ट हो जाती है | "
   1. कोरोना प्रथम चरण के बिषय में 19 मार्च 2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ को सूचित किया था यह है उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश :-
       "24 मार्च 2020 के बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद के समय में पूरी तरह सुधार हो जाने के कारण संपूर्ण विश्व अतिशीघ्र इस महामारी से मुक्ति पा सकेगा |"
    इसी समय से महामारी समाप्त होने भी लगी थी महामारी का वेग क्रमशः कम होता चला जा रहा था यह देखकर विश्व के कुछ देशों के वैज्ञानिक तो यहाँ तक सोचने लगे थे कि अब वैक्सीन नहीं बन पाएगी क्योंकि ट्रायल के लिए संक्रमित रोगी ही नहीं मिलेंगे तो वैक्सीन कैसे बन पाएगी | कुलमिलाकर समूचे विश्व में संक्रमण की गति धीमी पड़  चुकी थी भारत में भी लोग दिनोंदिन लापरवाह होते चले जा रहे थे | उन्हें नहीं पता था कि 9 अगस्त 2020 से कोरोना संक्रमण दोबारा बढ़ने लगेगा | तब हमने पीएमओ को दूसरा मेल 16 जून  2020 को भेजा था | 
 
 
द्वितीय मेल समीक्षा  
 दूसरे चरण के बिषय में 16 जून  2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ को सूचित किया था यह है उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश :-

        "यह महामारी 9 अगस्त 2020 से दोबारा प्रारंभ होनी शुरू हो जाएगी जो 24 सितंबर 2020 तक रहेगी !उसके बाद यह संक्रमण स्थायी रूप से समाप्त होने लगेगा और  16 नवंबर 2020 के बाद यह स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा !" 

     यह पूर्वानुमान पूरी तरह से सही हुआ था  9 अगस्त से संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगी थी सरकारी गणना के  अनुशार 17 सितंबर को सबसे अधिक संक्रमितों की संख्या आयी थी उसके बाद क्रमशः कम होते चले जा रहे थे ! समय विज्ञान की दृष्टि से  प्राकृतिक कोरोना महामारी यहाँ से संपूर्ण रूप से समाप्त हो जानी चाहिए थी और  कोरोना अब तक समाप्त हो चुका होता !ऐसा होते प्रत्यक्ष देखा भी जा रहा था !यदि वैक्सीन न लगाई जाती तो मुझे विश्वास है कि कोरोना संक्रमण यहीं से समाप्त हो जाता | इसी बीच भारत सरकार की ओर से वैक्सीन लगाने की तैयारियाँ की जाने लगीं !इस समय वैक्सीन लगाने से संक्रमितों की संख्या बढ़ने की पूरी संभावना थी | 

      भारत सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जी एवं नीतिआयोग के डॉ.वी.के.पाल साहब ने  अक्टूबर 2020 में आशंका जताई थी कि सर्दी में कोरोना संक्रमण बढ़ जाएगा | कुछ अन्य लोगों ने कहा था कि सर्दी में वायु प्रदूषण बढ़ने के कारण कोरोना संक्रमण बढ़ जाएगा | इस बिषय में भी मैंने पीएमओ को पत्र भेजकर स्थिति स्पष्ट की थी कि सर्दी के मौसम में तापमान कम होने से कोरोना नहीं बढ़ेगा |  

तृतीय मेल समीक्षा  

23 दिसंबर 2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ से वैक्सीन न लगावाने के लिए निवेदन किया था और यदि लगवाना भी हो तो बहुत सोच बिचार कर बहुत सोच बिचार कर लगाने के लिए निवेदन किया था उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश :-

4.  23 दिसंबर 2020 के मेल का अंश :-  "  आपसे मेरा विनम्र निवेदन है कि अच्छी प्रकार परीक्षण करवाकर ही कोरोना वैक्सीन लोगों को लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए |वेद वैज्ञानिक दृष्टि में मैं संपूर्ण विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि ब्रिटेन में फैल रहा कोरोना वायरस का नया स्वरूप लोगों को लगाए जा रहे कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव हो सकते हैं |"
    "महामारी से संक्रमितों की संख्या बिना किसी दवा या वैक्सीन के स्वयं ही दिनोंदिन तेजी से कम होती जा रही है |केवल श्रेय लेने की होड़ में सम्मिलित लोगों के द्वारा वैक्सीन के रूप में एक नई समस्या को जन्म दिया जा सकता है | ऐसी परिस्थिति में देश और समाज की सुरक्षा के लिए विशेष सतर्कता संयम  एवं सावधानी की आवश्यकता है | वैसे भी यदि कोरोना महामारी भारत वर्ष में लगभग समाप्त हो ही चुकी है तो किसी वैक्सीन के रूप में एक नए प्रकार की समस्या मोल लेने की आवश्यकता ही आखिर क्या है ? "
   "ऐसी परिस्थिति में यदि वैक्सीन नहीं लगाई जाती है तब तो कोरोना अतिशीघ्र समाप्त हो ही जाएगा क्योंकि वातावरण में अब कोरोना वायरस के उत्पन्न होने की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और भारत समेत समस्त विश्व को कोरोना के इस नए स्वरूप से अब डरने की आवश्यकता बिलकुल ही नहीं है | यदि वैक्सीन लगाई जाती है तो ब्रिटेन की तरह ही उसके द्वारा फैलने वाले संक्रमण विस्तार का अनुमान मुझे नहीं है |मेरे अनुसंधान के अनुसार कोरोना जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने वाली वैक्सीन निर्माण वाले दावे बहुत विश्वसनीय नहीं हैं |"      
      23 दिसंबर 2020 को मेल भेजकर पीएमओ को सूचित करने का मेरा उद्देश्य यही था कि वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम या तो रोका जाएगा और या फिर वैक्सीन लगने के बाद संभावित संक्रमण बढ़ने की आशंका को ध्यान में रखते हुए उसे नियंत्रित करने के लिए पहले आवश्यक तैयारियॉँ कर लेने के बाद वैक्सीन लगाई जाएगी किंतु मेरे पूर्वानुमान के अनुशार वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण दिनोंदिन अनियंत्रित होता चला गया !
                                                            : विशेष बात : 
     ब्रिटेन में ऐसा हो चुका था वहाँ 8 दिसंबर 2020 को वैक्सीनेशन प्रारंभ किया गया था उसके बाद एक सप्ताह के अंदर संक्रमण बढ़ने लग गया था | यही स्थिति भारत की हुई एक ओर वैक्सीनेशन होता जा रहा था तो दूसरी ओर संक्रमण बढ़ता जा रहा था | जिन जिन प्रदेशों ने वैक्सीनेशन में जितनी अधिक सक्रियता दिखाई उन प्रदेशों में उतनी तेजी से बढ़ता चला  गया | पहली लहर में कोरोना संक्रमण गाँवों तक नहीं पहुँच पाया  था किंतु वैक्सीनेशन की प्रक्रिया जैसे जैसे गाँवों की ओर बढ़ने लगी वैसे वैसे संक्रमण गाँवों में भी पैर पसारता चला जा रहा था |     
   अस्पतालों शमशानों में लाइनें लगने लगीं आक्सीजन कम पड़ गई  सरकारों एवं चिकित्सावैज्ञानिकों के प्रयास निष्फल होते चले जा रहे थे | कुंभ जैसे ऐतिहासिक महामेले का समय से पूर्व विसर्जन करना पड़ा साधू संत अपने अपने आश्रमों के लिए  रवाना होने लगे | 
        महामारी से संक्रमित लोग सरकारों से संपर्क कर रहे थे !महामारी के आगे बेवश सरकारें संसाधन विहीन थीं अस्पतालों में बेड नहीं थे बाजार में आक्सीजन दवाएँ इंजेक्शन आदि कुछ भी नहीं मिल रहे थे समस्त चिकित्सा पद्धतियाँ महामारी के सामने असहाय थीं अस्पतालों की क्या कहें शमशानों में जगह नहीं थी !धनी लोगों का धन पहली बार उनके काम नहीं आ पा रहा था |वह कितना भयावह मंजर था | सेवा भाव में लगे चिकित्सक मित्रों को मैंने रोते देखा है | सरकारों में स्वास्थ्य सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल रहे कुछ लोगों या उनके प्रतिनिधियों की लाचारी के फोन हमारे पास आ रहे थे | जिसमें कहा जा रहा था कि कई दिनों से रात रात भर हम सो नहीं पा रहे हैं सिफारिस के लिए मेरे पास फ़ोन आ रहे हैं किंतु उनकी मदद कर पाने लायक मेरे पास कुछ भी नहीं है फिर भी फोन तो उठाने ही पड़ते हैं |किसे क्या आश्वासन दूँ समझ में नहीं आ रहा है |मीडियाकर्मी संक्रमित होते जा रहे थे आशंकाओं से ग्रस्त जनता घरों में कैद थी | सभी ओर भय का वातावरण बना हुआ था |
      ऐसे भयावह वातावरण में निराश हताश होकर जनता वैज्ञानिकों के मुख की ओर देख रही थी | विवश वैज्ञानिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं वे जहाँ जब जैसा कुछ होते देखते थे वैसा ही आगे होता रहेगा जैसी कुछ बातें बोल दिया करते थे इतने दिन से होते चले आ रहे वैज्ञानिक अनुसंधानों से केवल इतनी ही मदद जनता को मिल पा रही थी | महामारी का नाम कोरोना रख दिया गया था संपूर्ण महामारी काल में वैज्ञानिक अनुसंधानों की यही एक सबसे बड़ी सफलता मानी जा सकती है | कोई यह बताने की स्थिति में नहीं था कि महामारी कितनी और बढ़ेगी कितने दिनों सप्ताहों तक और चलेगी आगे इसका स्वरूप और अधिक विकराल होगा या सामान्य होगा | इस बिषय में कोई प्रामाणिक तौर पर कुछ कहने की स्थिति में नहीं था | 

 
चतुर्थ मेल समीक्षा 
 
प्राचीन काल में महामारी समेत समस्त प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए यज्ञ किए जाते थे उन यज्ञों के माध्यम से मानवता की ओर से दैवी शक्तियों से माफी माँगी जाती थी उससे दैवी शक्तियाँ मानवता को क्षमा कर दिया करती थीं और महामारियों समेत समस्त प्राकृतिक आपदाओं को समेट लिया करती थीं | 
     इसी आशा से 15 से 19 अप्रैल के बीच मीडिया शासन एवं सरकारों से जुड़े हमारे कई भयभीत मित्रों ने हमसे फ़ोन पर संपर्क किया और अत्यंत हैरान परेशान होकर बड़ी आशा से व्यक्तिगत रूप से हमसे ऐसा कुछ उपाय करने को कहा जिससे भारत समेत समस्त विश्व वासियों को महामारी के भय पूर्ण वातावरण से मुक्ति मिल सके |दुखी मैं स्वयं भी था ही ऊपर से उन  मित्रों के दबाव में आकर मुझे उन्हीं परिस्थितियों में एक गुप्तयज्ञ करने का निर्णय लेना पड़ा | 
    हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या यह थी महामारी दैवी शक्तियों से प्रेरित थी इसलिए उसे मनुष्यकृत प्रयासों से रोका जाना संभव न था !इधर कोरोना योद्धाओं के द्वारा महामारी को पराजित करने या महामारी पर विजय प्राप्त करने की बड़ी बड़ी बातें की जा रही थीं किंतु दैवीशक्तियों को पराजित करना संभव न था | सरकारों समेत समस्त अहंकारी मनुष्यजाति का मानमर्दन करने पर उतारू दैवी शक्तियों ने मनुष्यकृत प्रयासों को कुचलना शुरू कर दिया था | ऐसी परिस्थिति में कुपित दैवी शक्तियों के सामने कौन टिकता !इसीलिए महामारी को पराजित करने के लिए जितने भी प्रयास किए जा रहे थे वे सारे न केवल निष्फल होते जा रहे थे अपितु उन प्रयासों के दुष्प्रभावों से नए नए रोग पैदा होते जा रहे थे |सरकार को मेरी बात सुनने का समय नहीं था मेरा ऐसा कोई वजूद भी नहीं था कि प्रधानमंत्री जी मुझे मिलने का समय देना जरूरी समझते !मिल भी लेते तो मेरी बात क्यों मानते मेरे जैसे बहुत लोग ऐसी बातें करते होंगे | यदि मेरी बात सुन भी लेते और वैक्सीनेशन रोकने संबंधी हमारा निवेदन मान भी लेते तो उनके लिए दूसरी बड़ी मुसीबत यह तैयार हो जाती कि उन्हें विपक्ष के सामने उत्तर देना कठिन हो जाता | खैर मैंने यथा संभव कुछ सरकारों तक अपनी बात पहुँचाई कि महामारी को पराजित करने वाली बातें बोलना बंद कर दीजिए आप महामारी की एक चपेट सहने की स्थिति में तो हैं नहीं महामारी को पराजित करन संभव नहीं है | हमारी इन बातों को अपने कुछ लोगों ने माना भी जिससे उनका भी दैवी शक्तियों  पर विश्वास बढ़ने लगा | 
      लोगों के विशेष आग्रह पर मैंने इसी उद्देश्य से एक यज्ञ करने का निश्चय किया जो गुप्त एवं व्यक्तिगत रूप से किया जा रहा था | ये यज्ञ 20 अप्रैल 2021 से मेरे द्वारा प्रारंभ किया गया था और 2 मई 2021 तक चलना  था !इसकी सूचना भी 19 अप्रैल 2021 को मैंने मेल भेजकर पीएमओ को दे दी थी यह है उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश -
5.  "प्रधानमंत्री जी !यदि अब भी मैं मौन बैठा रहा तो प्रकुपित ईश्वरीय शक्तियाँ विश्वका चेहरा बर्बाद कर देने पर आमादा दिख रही हैं | दैवी शक्तियों का मानवजाति पर इतना अधिक क्रोध !आश्चर्य !! महोदय ! ऐसी परिस्थिति में जनता की ब्यथा से ब्यथित होकर व्यक्तिगत रूप से मैं एक बड़ा निर्णय लेने जा रहा हूँ |अपने अत्यंत सीमित संसाधनों से कल अर्थात 20 अप्रैल 2021 से "श्रीविपरीतप्रत्यंगिरामहायज्ञ" अपने  ही निवास पर गुप्त रूप से प्रारंभ करने जा रहा हूँ | यह कम से कम 11 दिन चलेगा ! इसयज्ञ रूपी 'ईश्वरीयन्यायालय' में विश्व की समस्त भयभीत मानव जाति की ओर से व्यक्तिगत रूप से पेश होकर क्षमा  माँगने का मैंने  निश्चय किया है |मुझे विश्वास है कि ईश्वर क्षमा करके विश्व को महामारी से मुक्ति प्रदान कर  देगा | यज्ञ प्रभाव के विषय में मेरा अनुमान है कि ईश्वरीय कृपा से 20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा ! 23 अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !और 2 मई के बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा |" 
      भगवती से की गई प्रार्थना के प्रभाव से महामारी का वेग 20 अप्रैल से ही रुकने लगा था 23 अप्रैल के बाद दिखाई भी पड़ने लगा था और दो मई से समाप्त होने लगा था |
 
18 दिस॰ 2021को भेजे गए मेल समीक्षा 
 
29 अप्रैल 2022 की मेल की समीक्षा  
 
6 जुल॰ 2023 की मेल की समीक्षा 
 
23 मई 2024 की मेल की समीक्षा 
 
19 अग॰ 2024 की मेल की समीक्षा
 
4 मार्च 2025 की मेल की समीक्षा

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