शनिवार, 20 सितंबर 2025

व्यवहारविज्ञान और महामारी

                                                                                      

                                                                     विनम्र निवेदन      

      महामारियों से लोगों को सुरक्षित बचाने के लिए जिन तीन बातों की आवश्यकता होती है | उनमें पहली बात तो  महारोग की प्रकृति की पहचान करना अर्थात सही निदान की आवश्यकता होती है |दूसरी बात चिकित्सा आदि उन उपायों की आवश्यकता होती है| जिसके द्वारा महारोग से समाज की सुरक्षा की जा सकती हो | तीसरी बात महारोग की पहचान करने एवं चिकित्सकीय तैयारियों को करने में जितने समय की आवश्यकता होती है |महामारी या उसकी लहरों के आने से  उतने पहले उनके बिषय में पूर्वानुमान लगाना होता है | 

    कुल मिलाकर  महारोग की प्रकृति की पहचान करना, महामारी से सुरक्षा के लिए चिकित्सा आदि उपायों को करना एवं महामारी एवं उसकी लहरों के बिषय में पूर्वानुमान लगाने जैसी तीन बड़ी जिम्मेदारियाँ वैज्ञानिक अनुसंधानों पर डाली गई हैं | इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए इतना उन्नत विज्ञान है | विद्वान वैज्ञानिक हैं | निरंतर अनुसंधान भी होते ही रहते हैं | इसके बाद भी समय रहते न तो महामारी की प्रकृति पहचानी जा सकी और न ही सही पूर्वानुमान लगाए जा सके | जिसके कारण महामारी से जनधन की सुरक्षा भी नहीं की जा सकी है |महामारी  में इतना अधिक जनधन का नुक्सान हुआ है | 

    विगत कुछ दशकों में पड़ोसी देशों के साथ भारत को तीन युद्ध लड़ने पड़े हैं | उन तीनों में मिलाकर जितने लोग मृत्यु को प्राप्त हुए थे | उससे कई गुना अधिक लोग केवल कोरोना महामारी में ही मृत्यु को प्राप्त हुए हैं | अनुसंधानों की यह सामान्य असफलता नहीं है !इसमें जनधन का बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है | इसमें चूक कहाँ हुई !कैसे हुई !सही पूर्वानुमान क्यों नहीं लगाए जा सके | ये सब कुछ स्वयं में  अनुसंधान का बिषय है | 

     ऐसी परिस्थिति में विज्ञान क्या है क्या नहीं है इसकी चर्चा न करके सारा ध्यान इस पर दिए जाने की   आवश्यकता है कि महामारी जैसी घटनाओं के समय में जनधन की सुरक्षा कैसे की जाए | ऐसा करने में जिस किसी भी वैज्ञानिकअनुसंधान पद्धति से मदद मिले जनहित के उद्देश्य से उसे  स्वीकार किया जाना चाहिए |आधुनिक विज्ञान से पूर्व प्राचीनविज्ञान एवं परंपराविज्ञान के आधार पर ही प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों से जनधन की सुरक्षा कैसे की जाती  रही है | 

      प्राचीनविज्ञान एवं परंपराविज्ञान के बिषय में मैं पिछले 35 वर्षों से अनुसंधान  करता आ रहा हूँ |उसी के आधार पर मैंने महामारी की सही पहचान करके इसके निर्मित होने एवं समाप्त होने की प्रक्रिया तथा इससे सुरक्षा की प्रक्रिया आदि पता लगाकर 19 मार्च 2020 को ही पीएमओ की मेल पर भेज दी थी |महामारी प्राकृतिक है | ये उसमें लिख दिया था | महामारी से व्यक्तिगत स्तर पर बचाव कैसे किया जाए वो स्वच्छता संयम आदि की प्रक्रिया भी मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दी थी | महामारी की लहर कब समाप्त होगी उसकी तारीख़ भी उसी मेल में भेज दी थी |  

      महामारी की सभी लहरों के बिषय में पूर्वानुमान लगाकर  पीएमओ की मेल पर आगे से आगे भेजता रहा हूँ | वे सही निकलते रहे हैं | जो उन मेलों पर अभी तक सुरक्षित हैं | दूसरी लहर का वेग जब बहुत अधिक बढ़ता जा रहा था तब उसे तुरंत रोके जाने की आवश्यकता थी |इसकी सूचना पीएमओ की मेल पर 19 अप्रैल 2021 को ही भेज दी थी | उसके 11 दिनों के अंदर महामारी को रोका जाना था | 11 वे दिन अर्थात 2 मई 2021 से कोरोना संक्रमण कम होना प्रारंभ हो गया था |  

 

 

ऐसा किया जाना यदि  



महामारी तथा उसकी लहरों से समाज की सुरक्षा करने की तैयारियाँ करने के लिए  बिषय में सही पूर्वानुमान लगाने की आवश्यकता होती है | तीसरी बात  वैज्ञानिक अनुसंधानों पर ये तीनों बड़ी जिम्मेदारियाँ होती हैं |

 

 

  किसी भी रोग से मुक्ति के लिए प्रभावी औषधि का निर्माण करना होता है |इसके बिना उससे सुरक्षा के लिए न  तो उपाय  किए जा सकते हैं और न ही रोगों से मुक्ति दिलाई जा सकती है |

    इसीलिए रोगों महारोगों से लोगों को सुरक्षित बचाने या पीड़ितों  को रोग मुक्त करने के लिए रोग का निदान आवश्यक होता है| इसके लिए उस रोग या महारोग की प्रकृति अर्थात स्वभाव को समझना होता है | उसी के अनुसार चिकित्सा का निर्णय लेना होता है |उसी के अनुसार औषधिनिर्माण के लिए औषधीय द्रव्यों का संग्रह करना होता है | इसलिए रोग या महारोग को जितने जल्दी समझ लिया जाए लोगों को सुरक्षित बचाने की दृष्टि से उतना ही अच्छा होता है | 

      इसप्रकार से चिकित्सा का लाभ रोगियों तक पहुँचते पहुँचते  काफी समय लग जाता है | इसके बाद उन औषधियों को जन जन तक पहुँचाने में बड़ा समय लग जाता है,तब तक काफी देर हो चुकी होती है | महामारियों की  शुरुआत ही बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने तथा मृत्यु होने से होती  है |इसलिए महामारी प्रारंभ होने के बाद प्रतीक्षा करने के लिए समय ही नहीं होता  है |इतने समय में तो बहुत बड़ा नुक्सान हो चुका होता है | इस नुक्सान से बचने के लिए  महामारी और उसकी लहरों के बिषय में पूर्वानुमान जितने पहले पता लगा लिया जाएगा |उतने पहले लोगों को महामारी संक्रमण से सुरक्षित बचाने में समय रहते मदद मिल जाएगी | इसलिए  सही पूर्वानुमान पहले से पता किया जाना सबसे पहले आवश्यक होता है |  


      वैदिक विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए तो महामारी मैंने जो  निदान निकाला था | वो बिल्कुल सही घटित हुआ है | इसी प्रकार से महामारी के बिषय में जितने भी प्रकार के पूर्वानुमान लगाकर मैंने पीएमओ की में पर भेजे थे वे सभी सही निकले हैं |वही यहाँ प्रस्तुत किए जा रहे हैं |  



   कोरोनामहामारी से भयभीत लोग अत्यंत घबड़ाए हुए थे | उन्हें लगता था  कि स्वजनों के साथ न जाने  कब क्या अप्रिय घटित होने लगे | अपने एवं अपनों को सुरक्षित बचाए रखने के लिए लोग कुछ भी खाने पहनने ओढ़ने बिछाने तथा कहीं भी कैसे भी रहने को तैयार थे |

      समाज को भयभीत देखकर कुछ लोग आपदा में अवसर खोजने लगे | उन्होंने  महामारी को व्यापार बनाना शुरू कर दिया | ऐसे लोग महामारी पीड़ितों को रोग मुक्ति दिलाने के लिए औषधियों  के  नाम पर बहुत कुछ बेचते दिखाई दे रहे थे | किसी रोग को समझे बिना उससे मुक्ति दिलाने के लिए औषधि कैसे ऐसा कैसे किया जा  सकता था | 

      ऐसे जो लोग महामारी से मुक्ति दिलाने का दावा कर रहे थे| उनमे से  अनेकों लोगों से मैंने जानने का प्रयास किया कि महामारी से सुरक्षा के लिए या मुक्ति दिलाने के लिए आप जो उत्पाद या औषधियाँ बेच रहे हैं | उन्हें बनाने से पहले  आपने महामारी को समझा होगा | 

    महामारी को समझने का मतलब आपको ये पता होना चाहिए कि कोरोना महामारी प्राकृतिक थी या मनुष्यकृत !महामारी का विस्तार कितना था ! संक्रमण प्रसार का माध्यम क्या था !अंतर्गम्यता कितनी थी | महामारी पर मौसम का प्रभाव पड़ता था या नहीं | वायुप्रदूषण का प्रभाव पड़ता था या नहीं | तापमान घटने बढ़ने का प्रभाव पड़ता था या नहीं |संक्रमितों पर चिकित्सा का प्रभाव पड़ता है या नहीं पड़ता है |यदि पड़ता है तो कितना पड़ता है ऐसी सभी जानकारी के आधार पर ही आपने औषधिनिर्माण  किया होगा |

         महामारी का वेग इतना अधिक होता है | इसके शुरू होने का पता ही तभी लग पाता है ,जब लोग पीड़ित होने शुरू हो जाते हैं |उस समय तो जान बचाने की पड़ी होती है | उस प्रक्रिया में जितना समय लगता है |उतने में तो महामारी जनधन का बहुत नुकसान कर चुकी होती है |          

     इसलिए महामारियों से मनुष्यों की सुरक्षा संबंधी तैयारियाँ करने  के लिए जो समय चाहिए | वो  तभी मिल सकता है ,जब  महामारी को समझने एवं उसके बिषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि  लगाने के लिए समय मिल सके |ऐसा तभी हो सकता है जब ऐसी घटनाओं के घटित होने से संबंधित पूर्वानुमान पहले से पता हों | पूर्वानुमान लगाने का विज्ञान न होने के कारण महामारी की किसी भी लहर के बिषय में सही पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका है | इसीलिए महामारी से मनुष्यों की  सुरक्षा संबंधी  तैयारियों के लिए समय ही नहीं मिल पाया है |इसीलिए महामारी में इतनी भारी जनधन की हानि हुई है | 

     इसप्रकार से महामारी को समझना जब संभव हो पायगा तभी वर्तमान महामारी से लोगों को सुरक्षित बचाने में कुछ मदद मिल सकती है | भावी महामारियों से लोगों की सुरक्षा के लिए उपाय भी तभी  किए जा  सकते हैं |

                                                                
   शोधशार  ( ग्रंथपरिचय ) 
    
     कोरोनामहामारी प्रारंभ कब और कैसे हुई थी | इसे यदि प्राचीनवैज्ञानिक अनुसंधानों के आधार पर देखा जाए तो समय हमेंशा बदलता रहता है | समय में  अच्छे तो कभी बुरे परिवर्तन होते देखे जाते हैं |अच्छे परिवर्तन होने पर प्रकृति और जीवन में  अच्छी अच्छी घटनाएँ घटित होने लगती हैं | समय में जब बुरे परिवर्तन होने लगते  हैं तब प्राकृतिक आपदाएँ एवं महामारी जैसी घटनाएँ घटित  लगती हैं | 
         सन  2014 के बाद से महामारी पैदा  होने के योग्य प्राकृतिक वातावरण बनना प्रारंभ हो गया  था |सन 2018 के अक्टूबर नवंबर महीनों से ही कोरोना महामारी संबंधी बिकार पृथ्वी के वातावरण को  प्रदूषित करना प्रारंभ कर चुके थे |पेड़ पौधे फल फूल शाक सब्जियों समेत समस्त खाद्य पदार्थों में यहीं से महामारी संबंधी बिकार आने प्रारंभ हो गए थे| जिन्हें खाने पीने से लोगों के शरीरों में प्रतिरोधक क्षमता दिनोंदिन क्षीण होने लगी थी | ऐसे वायुमंडल में साँस लेने के कारण लोग दिनोंदिन दुर्बल  होते जा  रहे  थे |महामारी संबंधी बिकारों से  धीरे धीरेलोग संक्रमित होने शुरू  हो गए |कोरोनामहामारी आने से पूर्व महामारी का एक सामान्य सा झोंका आया था | जिसके लक्षण प्रत्यक्ष कम दिखाई पड़े थे |  इसका पूर्वानुमान 20 अक्टूबर 2018 को ही मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | उस मेल का चित्र प्रारंभ में ही लगाया गया है |
    महामारी की कुल 11 लहरें आई थीं | इनमें से 5 पूर्ण लहरें एवं 6 अर्द्धलहरें आई थीं | इन सभी लहरों के बिषय में पूर्वानुमान लगाकर मैं आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता  रहा हूँ | मेरे पूर्वानुमान सही घटित होते रहे हैं |मेरे द्वारा भेजे गए 5 पूर्ण लहरों से संबंधित पूर्वानुमानों का मिलान कोरोना ग्राफ से करने पर यह सच्चाई प्रमाणित होती है | 
     इसीप्रकार से अर्द्धलहरों का ग्राफ न मिलने के कारण उनका मिलान उस समय के समाचार पत्रों में प्रकाशित कोरोना संबंधी समाचारों से किया गया है  |जिसमें मेरे पूर्वानुमान सही घटित होते रहे हैं |उस समय के अखवारों की हेडिंग और उनके लिंक दिए  गए हैं | जिनसे यह   पता लगता है कि इस समय कोरोना संक्रमण बढ़ा  था | उसी के  नीचे  उससे संबंधित मेरी मेल का चित्र लगाया गया है | जिससे  यह पता लगता है कि इस समय बढ़े हुए कोरोना संक्रमण का पूर्वानुमान मैंने पहले ही पीएमओ की मेल  पर काफी पहले भेज दिया था |जो सही निकला है |   
     इसके बाद महामारी का पूर्ण परिचय दिया गया है | जिसमें  महामारी के प्रत्येक पक्ष को समझने समझाने का प्रयत्न किया गया है | 
    इसके बाद "वैक्सीन लगेगी तो महामारी बढ़ेगी " नामक शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया गया है | 
   इसके बाद "यज्ञ के द्वारा रोकी गई थी कोरोना की दूसरी लहर !" नाम से एक लेख प्रकाशित करके इस ग्रंथ  को पूर्ण किया गया है | 
 
                                                                     बुक 
 

                                     कोरोनामहामारी मौसम और  महामारीविज्ञान  !

     कोरोनामहामारी को समझने में महामारीविज्ञान से क्या मदद मिल सकी है | महामारी का विस्तार कितना है !प्रसार माध्यम क्या है ! अंतर्गम्यता कितनी है ! महामारीसंक्रमितों  पर मौसम का प्रभाव पड़ता है या नहीं ! तापमान  का प्रभाव पड़ता है या नहीं | वायुप्रदूषण का प्रभाव पड़ता है या नहीं | चिकित्सा का प्रभाव पड़ता है या नहीं !आदि प्रश्नों के उत्तर खोजने में महामारीविज्ञान कितना सहायक हुआ है | 
     इसीप्रकार से लोगों के संक्रमित होने के लिए कोरोनामहामारी की भयंकरता जिम्मेदार थी या प्रतिरोधक क्षमता की कमी !महामारी संक्रमण बढ़ने का कारण प्राकृतिक था या फिर लोगों के द्वारा कोविडनियमों का पालन न किया जाना था !ऐसे ही संक्रमण कम होने का कारण प्राकृतिक होता था या फिर कोविडनियमों का पालन अथवा चिकित्सा के प्रभाव से लोग संक्रमण मुक्त होते थे | महामारी या उसकी लहरों के बिषय में सही अनुमान पूर्वानुमान लगाने में कितना सफल रहा महामारी विज्ञान !महामारी संक्रमितों को संक्रमण से मुक्ति दिलाने में महामारी विज्ञान से कितनी और किस प्रकार की मदद मिल सकी है |महामारी संबंधी अनुसंधानों के लिए  ऐसे सभी प्रश्नों के निश्चित उत्तर खोजे जाने आवश्यक हैं |
      मौसम और महामारी से जनधन की सुरक्षा करनी है तो इनके बिषय में पूर्वानुमान लगाना ही एकमात्र  उपाय है | ऐसा  कोई विज्ञान ही नहीं है | जिसके द्वारा भविष्य में झाँकना  संभव  हो | विज्ञान के बिना अनुसंधान और अनुसंधानों के बिना पूर्वानुमान कैसे लगाए जा सकते हैं | 
      महामारीविशेषज्ञों के द्वारा समय समय पर कहा जाता रहा है कि महामारी आने या महामारी संबंधी संक्रमण बढ़ने घटने का कारण मौसम संबंधी गतिविधियाँ हैं | इसलिए  महामारी को समझने के लिए मौसम को समझना होगा |मौसम को समझने का मतलब प्राकृतिक घटनाओं के स्वभाव को समझना होता है | उसी प्राकृतिक घटनाओं के स्वभाव के आधार पर महामारी के स्वभाव को समझना एवं  उसके बिषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना होता है | 
   मौसमसंबंधी पूर्वानुमान लगाने में यदि गलती रह गई तो उसके आधार पर लगाए  गए महामारी बिषयक  पूर्वानुमान भी गलत निकल जाते हैं | मौसमसंबंधी पूर्वानुमानों के गलत निकलने के लिए जलवायुपरिवर्तन को और महामारी संबंधी पूर्वानुमानों के  गलत निकलने को महामारी के स्वरूपपरिवर्तन को जिम्मेदार बताया जाता है ,जबकि इनके गलत निकलने का कारण इससे संबंधित उस वास्तविक विज्ञान का अभाव रहा होता है | जिसके द्वारा ऐसे पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं | 
    कुल मिलाकर अभी तक ऐसा कोई विज्ञान खोजा ही नहीं जा सका है |  जिसके आधार पर मौसम तथा महामारी को समझा जाना संभव हो | अभी तक  मौसम के प्रभाव से प्रभावित होने वाली महामारी को समझना एवं उसके बिषय में सही अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना संभव ही नहीं है | 
     इसीलिए महामारी  के विभिन्न विशेषज्ञों के  द्वारा महामारी की लहरों के आने और जाने  बिषय  में लगाए गए सैकड़ों पूर्वानुमान लगातार गलत निकलते चले गए !सही एक भी नहीं निकला !  इसके प्रमाण सरकारों के पास तो होंगे ही इसके साथ ही साथ मीडिया के विभिन्न माध्यमों में  विद्यमान हैं | जो मेरे पास भी संग्रहीत हैं | उन्हें ही आधार बनाकर मैं इतनी बड़ी बात कह रहा हूँ | मेरा उद्देश्य विज्ञान के गौरव को घटाना नहीं है प्रत्युत कुछ ऐसा प्रयत्न करना है | जिससे विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं एवं महामारियों के बिषय में  कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जुटाई जा सके | जिसके आधार पर  भविष्य के लिए सही दिशा में कुछ प्रभावी कदम उठाए  जा सकें | जो ऐसी घटनाओं में होने वाली जनधन हानि को कम करने में सहायक हो सकें |        
      इस बिषय में मेरा एक सुझाव यह भी है कि विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं एवं महामारियों को समझने एवं उनके बिषय में सही अनुमान पूर्वानुमान लगाने के लिए जब तक कोई दूसरा विज्ञान नहीं है ,तब तक वैदिकविज्ञान एवं व्यवहार विज्ञान के आधार पर जितने भी सही पूर्वानुमान लगाए जा सकते हों उनका जनहित में उपयोग किया जाना चाहिए |
    प्राचीनकाल में जब आधुनिक विज्ञान नहीं था तब भी तो उसी विज्ञान के आधार पर प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों से जनधन की रक्षा की जाती रही है |वर्तमान समय में भी ऐसा किया जा सकता है | व्यक्तिगत रूप से मैं उसी प्राचीनविज्ञान के आधार पर महामारी की प्रत्येक लहर के बिषय में आगे से आगे न केवल पूर्वानुमान लगाता रहा हूँ ,प्रत्युत उन्हें पीएमओ की मेल पर भेजता भी रहा हूँ |उनका कोरोनाग्राफ एवं मीडिया के विभिन्न माध्यमों में प्रकाशित समाचारों से  मिलान भी करता रहा हूँ | जो सही घटित होते रहे हैं | वे यहाँ प्रमाण पूर्वक प्रस्तुत किए जा रहे हैं | 

                                                 

 20 अक्टूबर 2018 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखित स्वास्थ्य संबंधी विशेष अंश  !

    " 10 अक्टूबर 2018 से लेकर 30 नवंबर 2018 तक लगभग 50 दिन का समय सारे विश्व के लिए ही अच्छा नहीं है !ये समय जैसे जैसे आगे बढ़ता जाएगा वैसे ही वैसे इस समय का दुष्प्रभाव उत्तरोत्तर क्रमशः और अधिक बढ़ता जाएगा !इसमें प्राकृतिक आपदाएँ हों या मनुष्यकृत लापरवाही उत्तेजना उन्माद आदि का अशुभ असर  इस समय विशेष अधिक होगा ! वायु प्रदूषण सीमा से काफी अधिक बढ़ जाएगा !स्वाँस,सूखी खाँसी की समस्याएँ काफी अधिक बढ़ जाएँगी !घबड़ाहट बेचैनी कमजोरी चक्कर आने जैसे रोगों से भय फैलेगा !इस समय थोड़ा सा विवाद भी बहुत बड़े संघर्ष का स्वरूप धारण कर सकता है !यद्यपि ऐसी घटनाएँ इस समय में सारे विश्व में घटित होंगी !"  
 ये महामारी का पूर्व रूप ही था | जो सन 2018 में थोड़े समय के लिए आया था | इस समय संक्रमण काल कम होने के कारण इसका सामान्य प्रभाव कुछ देशों प्रदेशों में ही दिखाई पड़ा था |     
     मैंने अपने समयसंबंधी अनुसंधान के द्वारा महामारी के बिषय में शुरू से समाप्ति तक वो सबकुछ पता लगाने का प्रयत्न किया है | जो जो महामारी को समझने के लिए आवश्यक था | महामारी संबंधी प्रत्येक लहर की जानकारी एवं अनुमान पूर्वानुमान आदि मेल के माध्यम से भारत के पीएमओ की मेलपर आगे से आगे भेजता रहा हूँ | 
     इसी क्रम में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने महामारी के स्वभाव प्रभाव विस्तार प्रसार माध्यम अंतर्गम्यता अनुमान पूर्वानुमान आदि के बिषय में जो जो लिखा है | वो सब सही घटित हुआ है |इनकी गणना मैंने समयविज्ञान के अनुसार ही की थी | 
     
                             20 अक्टूबर 2018 को पीएमओ को भेजी गई मेल का वह चित्र !
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                                                               संक्षिप्त परिचय 
    
  कोरोना महामारी की अभी तक कुल 11 लहरें आई हैं | 5 लहरों से प्रायः सभी लोग परिचित हैं | उनके कोरोना ग्राफ भी उपलब्ध हैं| उसके अलावा 6 लहरें और आई हैं जो सामान्य थीं | संभवतः इसीलिए उनके कोरोनाग्राफ भी नहीं मिलते हैं | उनके आने की जानकारी उससमय के समाचार पत्रों से मिलती है | 
     ऐसी 11 हों लहरों को मैं यहाँ उद्दृत करता हूँ | पहले उन 5 को जिन्हें प्रमाणित करने के लिए कोरोना ग्राफ उपलब्ध हैं | बाद में उन 6 को प्रस्तुत करता हूँ | जिनके प्रमाण उस समय के समाचार पत्रों में  मिलते हैं | उस समय के समाचार पत्रों से प्रमाणित होती हैं | मैनें पूर्वानुमान दोनों प्रकार की लहरों के लगाए हैं और सभी सही निकले हैं | 

                          कोरोनामहामारी की लहरों के ग्राफ और मेरे पूर्वानुमान !

                                   कोरोनामहामारी की विशेष लहरें और उनके पूर्वानुमान !
 
     17 सितंबर 2020 को जो लहर आई थी | उसके बिषय में पीएमओ की मेल पर मैंने 16 जून 2020 को ही लगभग 3 महीने पहले ही पूर्वानुमान भेज दिया था | जिसमें मैंने इस लहर के पीक को 24 सितंबर 2020 को आने का पूर्वानुमान व्यक्त किया था | मेरी गणना के अनुसार वो सही है |ग्राफ मिलान  करें तो 3 महीने पहले के पूर्वानुमान में मात्र 6 दिनों का अंतर है |ये बड़ा अंतर नहीं है | 
      इसी प्रकार से दूसरी लहर का पीक 6 मई 2021 को आया था | जिसका पूर्वानुमान 19 अप्रैल 2021 को पीएमओ की मेल पर मैंने भेजा था| उसमें 2 मई 2021को पीक आने के लिए दिखा था |दिल्ली  में इसी 2 मई 2021को ही पीक आया था बाक़ी संपूर्ण भारत में यह पीक 6 मई 2021 को ग्राफ में दर्शाया गया है| 
     ऐसे ही तीसरी लहर का पीक 19 जनवरी 2022 को ग्राफ में दर्शाया गया है | इसका पूर्वानुमान मैंने 18 दिसंबर 2021 को ही पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | जिसमें लिखा था कि यह संक्रमण 20 जनवरी 2022 से समाप्त होगा | 20 जनवरी से ही संक्रमण घटना प्रारंभ हो गया था | 
     इस ग्राफ में एक बार 3 जुलाई 2022 को कोरोना संक्रमण पीक पर पहुँचा था | जिसका पूर्वानुमान मैंने  29 अप्रैल 2022 को ही पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | जिसमें मैंने लिखा था -"अगली लहर 3 जुलाई 2022 से प्रारंभ होने जा रही है |जो 15  अगस्त 2022 तक रहेगी |"कोरोना ग्राफ  से मिलान करने पर ये पूर्वानुमान सही निकले हैं | 

  इसके बाद वाली लहर के कोरोना ग्राफ में 6 अप्रैल 2023 में संक्रमितों की संख्या बढ़ती दिख रही है | जिसका पूर्वानुमान मैंने 29 दिसंबर 2022  को ही पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | जिसमें मैंने लिखा था -

     "अगली लहर  10  जनवरी 2023  से प्रारंभ होगी !14 जनवरी 2023 से बढ़नी प्रारंभ होगी  और 22 जनवरी 2023 से महामारी जनित संक्रमण काफी तेजी से बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | 14 फरवरी 2023 से 20 फरवरी 2023 तक संक्रमितों की संख्या कुछ कम होनी शुरू होगी ! 21 फरवरी 2023 से संक्रमितों की संख्या फिर बढ़नी शुरू होगी जो 16 मार्च 2023 तक बढ़ेगी उसके बाद  समाप्त होनी शुरू होगी जिसमें करीब 30 दिन का समय लगेगा !"

       इसप्रकार से कोरोना ग्राफ की कसौटी पर मेरे द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान खरे उतरे हैं |मेरे द्वारा पीएमओ को भेजी गई मेलों के चित्र इसी में आगे दिए गए हैं | उन मेलों में पूर्वानुमानों की यही तारीखें लिखीं हैं |जो यहाँ उद्धृत की गई हैं | 

                                    महामारी की सामान्य लहरें और मेरे पूर्वानुमान !

     कोरोनासंक्रमण 6 मई 2020 तक कोरोना संक्रमण बढ़ता चला गया था इसके बाद उसका वेग घटने लगा था |इससे 46 दिन पहले अर्थात 19 मार्च 2020 को ही इसका पूर्वानुमान मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था |जिसमें मैंने लिखा था -" इस  महामारी के वुहान से दक्षिणी और पश्चिमी देशों प्रदेशों में फैलने का समय चल रहा है | जो  24 मार्च 2020 तक चलेगा | उसके बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा |"

    इसके बाद 8 अप्रैल 2022 के आस पास कोरोना संक्रमण बढ़ते देखा गया था | इससे 49  दिन पहले अर्थात 20 फरवरी 2022 को ही इसका पूर्वानुमान मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था |जिसमें मैंने लिखा था -"       कोरोना महामारी की चौथी लहर 27 फरवरी 2022 से प्रारंभ होगी और 8 अप्रैल 2022 तक क्रमशः बढ़ती चली जाएगी |इसके बाद 9 अप्रैल 2022 से भगवती दुर्गा जी की कृपा से महामारी की चौथी लहर समाप्त होनी प्रारंभ हो जाएगी और धीरे धीरे समाप्त होती चली जाएगी |" 

    इसके बाद 5 दिसंबर 2023 के आस पास कोरोना संक्रमण बढ़ते देखा गया था | इससे 180 दिन पहले अर्थात 6 जुलाई 2023  को ही इसका पूर्वानुमान मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था |जिसमें मैंने लिखा था -" 2-10-2023 से वातावरण में महामारी संबंधी विषाणुओं का बढ़ना एक बार फिर शुरू होगा | इसी समय से लोग संक्रमित होने शुरू हो जाएँगे |इसके बाद  20-10-2023 से संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़नी शुरू हो जाएगी | संक्रमितों की संख्या बढ़ने का यह क्रम 2-11 -2023 तक यूँ ही चलता रहेगा |इसके बाद धीरे धीरे संक्रमण रुकना शुरू होगा,किंतु संपूर्ण प्राकृतिक वातावरण में विद्यमान होने के कारण इससे मुक्ति मिलने की प्रक्रिया में लगभग 33 दिन और लग जाएँगे |लगभग  5-12-2023 तक के आस पास महामारी की इस लहर से मुक्ति मिलनी संभव हो पाएगी |

    इसके बाद अक्टूबर नवंबर 2024  के आस पास कोरोना संक्रमण बढ़ते देखा गया था | इससे लगभग 150 दिन पहले अर्थात 23  मई 2024 को ही इसका पूर्वानुमान मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था |जिसमें मैंने लिखा था -" 29 जून 2024 से प्राकृतिक वातावरण दिनोंदिन प्रदूषित होते देखा जा सकता है |इसी बीच कुछ देशों में महामारी जनित संक्रमण के बढने की प्रक्रिया प्रारंभ हो  सकती है |यद्यपि इसकी गति धीमी होगी फिर भी 14 नवंबर 2024 के पहले पहले महामारी का एक  झटका लग सकता है ||" 

    इसके बाद अप्रैल मई 2025 के आस पास कोरोना संक्रमण बढ़ते देखा गया था | इससे लगभग 365 दिन पहले अर्थात 23  मई 2024 को ही इसका पूर्वानुमान मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था |जिसमें मैंने लिखा था -"  5 अप्रैल  2025 से महामारीजनित संक्रमण अत्यंत तेजी से बढ़ता हुआ दिखाई देगा |"  

    इसके बाद सितंबर अक्टूबर 2025 के आस पास कई देशों में कोरोना संक्रमण बढ़ते देखा गया था | इससे लगभग 130 दिन पहले अर्थात 16 मई 2025 को ही इसका पूर्वानुमान मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था |जिसमें मैंने लिखा था -" 25 सितंबर 2025  से कोरोनामहामारी की आगामी लहर प्रारंभ होगी | यह क्रमशः बढ़ती चली जाएगी | इससे लोग तेजी से संक्रमित होते चले जाएँगे | ये कई महीनों तक चलेगी |

          अब विस्तार से - महामारी की लहरों के ग्राफ और पीएमओ को भेजी गईं मेरी मेलों के चित्र  

महामारी की पहली लहर का ग्राफ और  पीएमओ को भेजी गई मेरी मेल का मिलान !
 
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   पहली लहर के ग्राफ का चित्र -
                                                   पहली लहर की मेल का चित्र 
  
                         मेरी पहली लहर की मेल  में दिए गए पूर्वानुमान से ग्राफ का मिलान !
  
      कोरोनाग्राफ के अनुसार पहली लहर का पीक 17 सितंबर 2020 को आया था | मेरी मेल में दिए गए पूर्वानुमान में पहली लहर का पीक आने की तारीख 24 सितंबर 2020 लिखी गई थी | मेल और ग्राफ की तारीखों में केवल 7 दिनों का अंतर दिखाई दे रहा है | 
    इसका कारण ग्राफ भी हो सकता है |ग्राफ जिस जाँच रिपोर्ट के आधार पर बनता है | वो जाँच कभी कम तो कभी अधिक होती रहती है | उसमें भी अनुमानित आँकड़ा ही आ पाता है | इसलिए ये नहीं कहा जा सकता है कि जिस दिन जाँच में जितने लोग संक्रमित पाए गए थे | उस दिन उतने लोग ही संक्रमित हुए होंगे |इसलिए पीक 24 सितंबर 2020 को ही आया हो | ऐसा भी हो सकता है | 
     वैसे भी मैंने यह पूर्वानुमान 92 दिन पहले अर्थात 16 जून 2020 को पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | इतने पहले महामारी की किसी भी लहर का सही पूर्वानुमान लगाने में विश्व का कोई भी महामारी विशेषज्ञ सफल हुआ हो | विश्व स्तर पर मुझे छोड़कर ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है | 
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                                                   दूसरी लहर के ग्राफ का चित्र - 
   
 
 दूसरी लहर आने का पूर्वानुमान !     

      सन  2020 के दिसंबर महीने में कोरोना संक्रमण प्रायः समाप्त हो चुका था |इसी बीच मुझे जब वैक्सीन लगाए  जाने की बात मीडिया से पता लगी तो मुझे बेचैनी इस बात की होने लगी कि वैक्सीन यदि  इस समय लगाई जाती है तो संक्रमण घटने के बजाए बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा ,जैसे जैसे वैक्सीन लगती जाएगी !वैसे वैसे संक्रमण बढ़ता चला जाएगा !ऐसा न हो इसलिए 23 दिसंबर 2020 को मैंने पीएमओ की मेल पर पत्र भेज कर निवेदन किया कि यदि इस समय वैक्सीन लगाई जाएगी तो संक्रमण बढ़ सकता है  | इसलिए न लगाई जाए तो अच्छा है कोरोना प्रायः समाप्त हो ही चुका है| इसके बाद भी वैक्सीन लगाई गई और संक्रमण भी बढ़ा | वैक्सीन जैसे जैसे लगती गई !संक्रमण वैसे वैसे बढ़ता चला गया | यह लहर वैक्सीनेशन के प्रभाव पर आधारित थी |इसलिए इसके बिषय में पूर्वानुमान लगाना संभव  नहीं हो पाया |       
 
इसमें विशेष बात -दूसरी लहर समाप्त होने के बिषय में 19  अप्रैल 2021 को पीएमओ की मेल पर मैंने जो पूर्वानुमान भेजा था | उसमें पहला था -"20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा |" 
  दूसरा था -" 23 अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !"
    तीसरा था -" 2 मई के बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा |" 
       नीचे दिए गए पहले ग्राफचित्र में 23 अप्रैल 2021 को संक्रमण रुक गया है | दूसरे ग्राफ चित्र में 2 मई 2021 से संक्रमण घटना प्रारंभ हो गया है |ग्राफ एकदम नीचे गिर गया है |तीसरा ग्राफ राष्ट्रीय स्तर का है | उसमें 6 मई से संक्रमण  कम होना प्रारंभ हुआ है | कुल मिलाकर 2 मई 2021 को दिल्ली में और  6  मई 2021 को संपूर्ण भारत वर्ष में संक्रमितों की संख्या कम होनी प्रारंभ हुई थी ? (मैं दिल्ली रहकर दिल्ली के प्राकृतिक वातावरण  का अध्ययन विशेष रूप से कर पा रहा था | इसलिए दिल्ली का बिल्कुल सही निकला जबकि राष्ट्रीय स्तर के पूर्वानुमान में 4 दिनों का अंतर आया है| संभव है कि राष्ट्रीय स्तर के प्राकृतिक वातावरण में कुछ अंतर रहा हो |संसाधनों के अभाव में  मैं  राष्ट्र के सभी भागों का अध्ययन करने में असमर्थ रहा |_
   
     यह है 23 अप्रैल 2021 से संक्रमण पर अचानक अंकुश लगने संबंधी ग्राफ का  चित्र  - 
 


     यह है 2 मई 2021 से दिल्ली और उसके आस पास संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ होने वाले  ग्राफ का  चित्र  -
        यह है 
6 मई 2021 से संपूर्ण भारत में संक्रमण संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ होने वाले  


 
 दूसरी लहर की उस मेल का चित्र जो पूर्वानुमान लगाकर पीएमओ के पास भेजी गई थी !
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कोरोना महामारी की तीसरी लहर का पूर्वानुमान 
 
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 तीसरी लहर बिषयक सही निकला मेरा पूर्वानुमान !जानिए कैसे ?
    20 जनवरी 2022 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक थी |उसके बाद संक्रमण दिनोंदिन घटता चला गया था |  यह पूर्वानुमान मैंने 32 दिन पहले अर्थात 18  दिसंबर 2021  को ही पीएमओ की मेल पर भेज दिया था कि 20 जनवरी 2022 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक होगी |उसके बाद संक्रमण कम होने लगेगा | ऐसा मैंने लिखा था | इस ग्राफ में भी 20 जनवरी 2022 को ही संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक हुई थी उसके बाद संक्रमण स्वतः कम होने लगा था |  मेरे द्वारा भेजा गया यह पूर्वानुमान पूरी तरह सही निकला है | देखिए उस ग्राफ एवं उस मेल का  चित्र - 
            


       जिस मेल में लिखा था कि  20 जनवरी 2022 को संक्रमितों की संख्या सबसे अधिक होगी | यह है 18  दिसंबर 2021 को पीएमओ को भेजी गई उस मेल का चित्र -  
 

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कोरोना महामारी की चौथी लहर का पूर्वानुमान 
 
 2022 के जुलाई -अगस्त महीनों में संक्रमितों की संख्या एक बार फिर बढ़ने लगी थी ! इसके बिषय में मैंने 29 अप्रैल 2022 को ही पीएमओ की मेल पर पूर्वानुमान भेज दिया था | जिसमें लिखा था - कोरोनामहामारी की पाँचवीं लहर 3 जुलाई 2022 से प्रारंभ होने जा रही है जो 15 अगस्त 2022 तक संपूर्ण वायु मंडल में व्याप्त रहेगी | उसके संपर्क  वाले लोग संक्रमित होते जाएँगे | इसके बाद महामारी की पाँचवीं लहर नियंत्रित होनी प्रारंभ होगी ,जो प्रत्यक्ष रूप से 21 अगस्त 2022 से समाप्त होते देखी जाएगी |"यह पूर्वानुमान पूरी तरह सही निकला है !
 
    विशेष बात : वैसे तो ये चौथी लहर है | इसमें पाँचवी लहर लिखने का कारण तीसरी लहर के बाद एक अर्द्धलहर आई थी | उसे भी गणना में सम्मिलित कर लेने के कारण इस लहर को पाँचवीं लहर लिखा गया है,जबकि यह चौथी लहर ही है  |   
    यह है इससे संबंधित ग्राफ का  चित्र एवं 29 अप्रैल 2022 को पीएमओ को भेजी गई उस मेल का चित्र -  

ये है चौथी लहर के बिषय में पूर्वानुमान वाली मेल का चित्र 
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कोरोना महामारी की पाँचवीं लहर का पूर्वानुमान ! 
 
सन 2023 के मार्च-अप्रैल में संक्रमितों की संख्या एक बार फिर बढ़ने लगी थी ! 
    इसके बिषय में पूर्वानुमान लगाकर 29 दिसंबर 2022 को ही मैंने  पीएमओ  की मेल पर भेज दिया  था | उसमें मैंने लिखा था - "कोरोना महामारी की अगली लहर  10  जनवरी 2023  से प्रारंभ होगी !14 जनवरी 2023 से बढ़नी प्रारंभ होगी  और 22 जनवरी 2023 से महामारी जनित संक्रमण काफी तेजी से बढ़ना प्रारंभ हो जाएगा | 14 फरवरी 2023 से 20 फरवरी 2023 तक संक्रमितों की संख्या कुछ कम होनी शुरू होगी !" "21 फरवरी 2023 से संक्रमितों की संख्या फिर बढ़नी शुरू होगी जो 16 मार्च 2023 तक बढ़ेगी उसके बाद  समाप्त होनी शुरू होगी जिसमें करीब 30 दिन का समय लगेगा !" 
       मेरे द्वारा लगाया गया यह पूर्वानुमान पूरी तरह सही निकला है |यह है उस ग्राफ का  चित्र-   
 

यह है 29 दिसंबर 2022 को पीएमओ को भेजी गई पाँचवीं लहर के पूर्वानुमान से संबंधित मेल का चित्र -
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                                                     कोरोना महामारी की  6 अर्द्ध लहरें 
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      कोरोनाकाल में कुछ ऐसे अवसर आए जब संक्रमण बहुत अधिक बढ़ा फिर घटा | ऐसी 5 विशेष लहरों के कोरोना ग्राफ के चित्र एवं उनसे संबंधित पूर्वानुमानों की  पीएमओ को भेजी गई मेलों के चित्र ऊपर दिए जा चुके हैं |      इसी प्रकार से  कुछ अवसर ऐसे आए जब संक्रमण कम बढ़ा और घट गया | कोरोनामहामारी की ऐसी 6 अर्द्ध लहरों का ग्राफ तो नहीं है, किंतु इन अर्द्ध लहरों से संबंधित प्रमाणों के लिए उससमय के समाचार पत्रों में प्रकाशित कोरोना महामारी संबंधी समाचारों के आधार पर परीक्षण किया गया है | कोरोनामहामारी जनित संक्रमण जब बहुत  अधिक नहीं बढ़ा अर्थात कम बढ़ा तब  उसे लहर नहीं माना गया था | इस बिषय में मुझे लगा कि संक्रमण कम बढ़ा हो या अधिक किंतु ये तो पता लगना चाहिए कि उस समय संक्रमण बढ़ने का कारण क्या था और अधिक न बढ़ने का कारण क्या था |इसलिए मैं अपनी अनुसंधानप्रक्रिया के द्वारा ऐसे अवसरों का भी आगे से आगे पूर्वानुमान लगाकर पीएमओ की मेलपर भेजता रहा हूँ | मेरे द्वारा लगाए गए ऐसे पूर्वानुमान भी सही निकले हैं | इन 6 मेलों  के चित्र एवं उन्हें प्रमाणित करने वाले समाचारपत्रों के चित्र प्रमाण प्रस्तुत किए जा रहे हैं | 
  
  पहली अर्द्ध लहर !
 
   6 मई 2020 तक संक्रमितों की संख्या बढ़ रही थी | इसके बाद उतना गंभीर नहीं रह गया था !धीरे धीरे लोग स्वस्थ होते जा रहे थे | इसके प्रमाण हैं उस समय के ये समाचार पत्र -
    
दैनिकजागरण :7 अप्रैल 2020 :जब कोरोना वायरस की दवा नहीं तो कैसे ठीक हो रहे हैं मरीज ? 
सवाल यह उठता है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए अब तक कोई दवा दुनिया के किसी देश के पास उपलब्ध नहीं है तो फिर लोग ठीक कैसे हो रहे हैं?विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि अब तक कोरोना वायरस के इलाज की कोई दवा उपलब्‍ध नहीं है। दवा बनाने के लिए बहुत से देश लगातार कोशिश कर रहे हैं लेकिन  see more...https://www.jagran.com/news/national-coronavirus-treatment-how-patients-like-kanika-kapoor-recovering-when-there-is-no-medicine-for-corona-virus-20169230.html 

1 जून  2020 को ABP न्यूज़ पर प्रकाशित : इटली के टॉप डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना वायरस धीरे-धीरे अपनी क्षमता खो रहा है, इसीलिए अब उतना जानलेवा नहीं रह गया है।जेनोआ के सैन मार्टिनो अस्पताल में संक्रामक रोग प्रमुख डॉक्टर मैट्टेओ बासेट्टी ने ये जानकारी न्यूज एजेंसी ANSA को दी कि बिना वैक्सीन के ही अब कोरोना खत्म हो जाएगा |SEE .. https://www.a                bplive.com/news/world/italy-top-doctors-claim-amid-corona-crisis-covid-19-virus-is-weakening-1416069  

3 जून 2020 को दैनिक भास्कर में प्रकाशित: खत्म हो रहा कोरोना? मरीजों की कमी से वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता, वैक्सीन ट्रायल के लिए  वॉलेंटियर नहीं मिल रहे !अमेरिका और यूरोप के वैज्ञानिकों का कहना है कि सख्ती से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग लागू होने के बाद मामलों में कमी आई है। ऐसेमें अब यहां वैक्सीन ट्रायल के लिए हॉटस्पॉट की कमी होती जा रही है। बताया जा रहा है कि इस कमी की वजह से वैक्सीन का ट्रायल प्रभावित हो सकता है।वैक्सीन तैयार कर रही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है अगर ट्रायल के लिए पर्याप्त वॉलेंटियर नहीं मिले तो इसे रोकना पड़ सकता है | चीन से भी तीन दिन पहले ऐसी ही खबर मिली थी कि वहां भी पर्याप्त संख्या में वॉलेंटियर नहीं मिल रहे। https://www.bhaskar.com/happylife/news/corona-hotspots-not-available-for-vaccine-trials-now-preparing-for-testing-in-mexico-and-brazil-community-infection-centers-127370259.html

   
6 मई 2020 से कोरोना रोगी संक्रमण मुक्त होने लगेंगे | यह पूर्वानुमान मैंने 19-3-2020 को ही पीएमओ को भेज दिया था | देखें उस मेल का चित्र -  
      
विशेष बात : 19 मार्च 2020 की इस मेल में मैंने लिखा था महामारी संबंधी पूर्वानुमान !यह है उससे संबंधित अंश - 
 "महामारी बढ़ने का यह समय  24 मार्च 2020 तक चलेगा | उसके बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद समय में पूरी तरह सुधार हो जाने के कारण संपूर्ण विश्व अतिशीघ्र इस महामारी से मुक्ति पा सकेगा |" 
    इस प्रकार से  मेरे द्वारा घोषित किए गए  पूर्वानुमानों के अनुसार पहली लहर  6 मई 2020 से समाप्त हो रही थी |इसीलिए  बिना किसी औषधि चिकित्सा आदि के संक्रमित रोगी स्वतः स्वस्थ होते जा रहे थे | जिससे संक्रमितों की संख्या दिनों दिन घटती जा रही थी |इसलिए कुछ  वैज्ञानिकों को उस समय चिंता सताने लगी थी कि संक्रमण दिनोंदिन कमजोर होते जाने के कारण  अब वैक्सीन कैसे बन पाएगी | संभवतः परीक्षण के लिए गंभीर रोगी नहीं मिल पा रहे थे | इस प्रकार से 6 मई 2020 से संक्रमण  कमजोर पड़ता जा रहा था |लोग महामारी को समाप्त मानकर बिल्कुल सामान्य आचरण करने लगे थे |
   
पहली अर्द्ध और दूसरी पूर्ण लहर मिलकर बनी पहली संयुक्तलहर  :
    कोरोना महामारी के प्रारंभिक काल में संभवतः जाँच की उतनी व्यवस्था नहीं रही होगी | इसलिए जिस संक्रमित की जाँच रिपोर्ट जिस तारीख को बन पाती रही |उसे उस तारीख को संक्रमित मान लिया  जाता रहा है |इस प्रकार से जाँच प्रक्रिया 6 मई 2020 के बहुत बाद तक चलती रही | उसके बाद उनकी रिपोर्ट आती रही | इसप्रकार से 6 मई 2020 को पहली अर्द्धलहर पूरी हो जाने के बाद जाँच देर से हो पाने के कारण संक्रमितों की पहचान बहुत बाद तक की जाती रही | इसीलिए 6 मई 2020 के बाद भी लोग संक्रमित होते  रहे हैं | इस भ्रम के कारण इन दोनों लहरों को एक में मिलाकर 17 सितंबर 2020 तक इस लहर को लगातार मान लिया गया | 
 
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   दूसरी अर्द्धलहर :
 
 2022 के मार्च - अप्रैल में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही थी | इसके प्रमाण हैं उस समय के ये समाचार पत्र -
     
    बीबीसी :25-3-2022 :कोविड-19 : भारत को कोरोना वायरस की चौथी लहर के लिए कितना तैयार रहना चाहिए?see more... https://www.bbc.com/hindi/india-60851121 

 नईदुनियाँ :23 अप्रैल 2022: देश में फिर बढ़ा कोरोना संक्रमण, 24 घंटों में 2527 नए केस, 33 मौतें !see more...Corona Update 23 April 2022: देश में फिर बढ़ा कोरोना संक्रमण, 24 घंटों में 2527 नए केस, 33 मौतें - Corona Update 23 April 2022: Corona infection increased again in Country, 2527 new cases in 24 hours, 33 deaths  

आजतक : 29-अप्रैल -2022: : दिल्ली में कोरोना की सुपरस्पीड... ढाई हफ्ते में 9 गुना बढ़े एक्टिव मरीज, क्या फिर लगेगा लॉकडाउन?see ...  https://www.aajtak.in/coronavirus/story/coronavirus-in-delhi-covid-cases-in-delhi-active-cases-lockdown-satyendar-jain-ntc-1454789-2022-04-29 


  2022 के मार्च - अप्रैल में संक्रमबढ़ेगा |  इसका पूर्वानुमान मैंने 20 फरवरी 2022 को ही पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | जो सही निकला है | यह है उस  मेल का चित्र -  
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 तीसरी अर्द्धलहर : सन 2023  के नवंबर दिसंबर महीनों में  संक्रमितों की संख्या फिर बढ़ रही  थी | इसके प्रमाण हैं उस समय के ये समाचार पत्र -
 
 अमरउजाला :  11जनवरी 2024:- जिसका डर था वही हुआ, दिसंबर में कोरोना से दुनियाभर में हुईं 10 हजार से अधिक मौतें, ये रही मुख्य वजह!see more...https://www.amarujala.com/photo-gallery/lifestyle/fitness/world-health-organization-says-nearly-10-000-deaths-were-reported-in-december-due-to-gatherin

नवभारत : 11 
जनवरी 2024-कोरोना के नए वेरिएंट और भीड़-भाड़ ने बढ़ाया संक्रमण, पिछले महीने 10 हजार मौतें,seemore...https://navbharattimes.indiatimes.com/world/rest-of-europe/coronavirus-news-today-who-says-alarming-rise-nearly-10000-died-from-covid-19-new-variant-jn1-last-month/articleshow/106728936.cms 

सन 2023  के नवंबर दिसंबर महीनों में कोरोना संक्रमण बढ़ेगा | इसका पूर्वानुमान मैंने 6 जुलाई 2023को ही पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | जो सही निकला है | यह है उस  मेल का चित्र -


 
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 चौथी अर्द्धलहर : सन 2024  के सितंबर अक्टूबर  महीनों में  संक्रमितों की संख्या बढ़ी थी | इसके प्रमाण हैं उस समय के ये समाचार पत्र -
  18 सितंबर 2024 कोरोना का नया वैरिएंट दुनिया में तेजी से फैल रहा है। इस नए वैरिएंट का नाम- XEC है। जून महीने में दस्तक के साथ महज तीन महीने में यह 27 देशों तक फैल चुका है। https://www.livehindustan.com/international/corona-new-variant-xec-spreading-27-countries-in-three-months-how-effective-vaccine-201726648780181.html
 
  19 सितंबर 2024तेजी से फैल रहा कोरोना का नया XEC वेरिएंट, 27 देशों में मिले मरीज,क्या फिर दिखेगा 2020 जैसा खौफनाक नजारा?see more... https://www.dnaindia.com/hindi/health/report-new-corona-variant-covid-19-xec-variant-termed-more-contagious-spreads-to-27-countries-know-its-symptoms-4132282 
 
20 सितंबर 2024   कितना खतरनाक है Europe में तबाही मचा रहा Corona का Variant, India में भी खतरा?see...https://ndtv.in/videos/how-dangerous-is-the-corona-variant-causing-havoc-in-europe-a-threat-in-india-too-839723  
 
     सन 2024 में नवंबर से पहले कोरोना संक्रमण बढ़ेगा | इसका पूर्वानुमान मैंने 23 मई 2024 को ही पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | जो सही निकला है | यह है उस  मेल का चित्र -


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 पाँचवीं अर्द्धलहर : सन 2025 के अप्रैल मई में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही  थी | इसके प्रमाण हैं उस समय के ये समाचार पत्र -
 
 बिजिनेस स्टैण्डर्ड :-15 मई 2025 -हांगकांग और सिंगापुर में फिर बढ़े कोविड के मामले, एशिया में नई लहर की आशंका !हाल ही में कोविड पॉजिटिव टेस्ट की संख्या पिछले एक साल में सबसे अधिक देखी गई है।see ...https://hindi.business-standard.com/international/covid-19-cases-surge-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-hits-asia-id-439497
एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना

https://newstrack.com/world/corona-cases-spike-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-spreads-across-asia-512422

एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना

https://newstrack.com/world/corona-cases-spike-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-spreads-across-asia-512422
एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना

https://newstrack.com/world/corona-cases-spike-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-spreads-across-asia-512422
 
न्यूज़स्ट्रक:- 15 मई 2025 -  एशिया में फिर से बढ़ा कोविड-19 का खतरा, हांगकांग और सिंगापुर में फैला कोरोना एशिया के दो घनी आबादी वाले प्रमुख शहरों हांगकांग और सिंगापुर में कोविड-see more....https://newstrack.com/world/corona-cases-spike-in-hong-kong-and-singapore-as-new-wave-spreads-across-asia-512422 
 
द हिंदू :-  26  मई 2025 - भारत में COVID-19: सक्रिय मामले पिछले सप्ताह के 257 से बढ़कर 1,009 हुए see more...https://www-thehindu-com.translate.goog/sci-tech/health/covid-19-coronavirus-active-cases-in-india-rise-may-26-2025/article69620222.ece?_x_tr_sl=en&_x_tr_tl=hi&_x_tr_hl=hi&_x_tr_pto=tc 
    
 डीडीन्यूज़ :-  26 मई 2025:दिल्ली में कोरोना ने पकड़ी रफ्तार, एक सप्ताह में मिले 99 नए केस, अन्य राज्यों ने भी बढ़ाई चिंता !राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में बड़ा उछाल आया है। राजधानी में कोरोना के see more...   https://ddnews.gov.in/corona-gained-momentum-in-delhi-99-new-cases-found-in-a-week-other-states-also-raised-concern/
बीबीसीलंदन :- 2 जून 2025 :-पूरे देश में एक बार फिर कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आने लगे हैं. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के जारी आंकड़ों के अनुसार सोमवार तक see more...https://www.bbc.com/hindi/articles/czj4g1nrdp3o
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सन 2025 के अप्रैल  मई महीनों में कोरोना संक्रमण बढ़ेगा |यह पूर्वानुमान 23 मई 2024  को अर्थात 1 वर्ष पहले  ही मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | यह है उस  मेल का चित्र - 

 
 
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 छठीअर्द्धलहर : सन 2025 के सितंबर अक्टूबर  में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही  थी | इसके प्रमाण हैं उस समय के ये समाचार पत्र -
 
एबीपीन्यूज़ :- 27 सितंबर 2025 : अमेरिका में फिर फैल रहा कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन, ऐसे दिखते हैं लक्षण..See more.... https://www.abplive.com/lifestyle/health/new-strain-of-coronavirus-spreading-in-america-know-the-symptoms-abp-news-3019479  
 अमर उजाला :-29 सितंबर 2025 : दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रही 'कोरोना जैसे लक्षणों' वाली बीमारी, संक्रमितों में देखी जा रही ये दिक्कतें  See more....https://www.amarujala.com/photo-gallery/lifestyle/fitness/what-is-h3n2-flu-spreading-in-delhi-ncr-know-symptoms-and-prevention-of-h3n2-virus-2025-09-29 

दैनिक जागरण :- 2 अक्टूबर 2025 : अमेरिका में तेजी से पांव पसार रहा कोरोना का नया वेरिएंट स्ट्रेटस, दुनिया भर में अलर्ट, जानिये क्या हैं लक्षण?  See more.... https://www.jagran.com/world/america-new-covid-variant-stratus-alarms-us-and-global-alert-24068056.html
 एनडीटीवी  :- 3 अक्टूबर 2025 : अमेरिका और ब्रिटेन में तेजी से बढ़ा कोरोना का XFG 'स्ट्रेटस' वैरिएंट, WHO ने बताया यह कितना डरावना     See more....   https://ndtv.in/world-news/covid-19-new-xfg-stratus-variant-fuelling-cases-in-us-uk-dangerous-corona-form-symptoms-9387602  - 
न्यूज़नेशन :-3 अक्टूबर 2025 :  ठंड की दस्तक के साथ कोरोना ने पसारे पैर, XFG 'स्ट्रेटस' वैरिएंट का बढ़ा खतरा  See more.... https://www.newsnationtv.com/world/coronavirus-cases-are-rising-the-xfg-stratus-variant-poses-a-growing-threat-in-britain-10524157 -
 
नवभारतटाइम्स:- 9 अक्टूबर 2025 :जापान में क्यों घोषित हुई राष्ट्रव्यापी महामारी, स्कूल-कॉलेज बंद, सीमा पर चौकसी, लाखों लोगों की हो रही रोज स्क्रीनिंग  See more.... https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/japan-declares-nationwide-flu-epidemic-after-flu-season-hits-5-weeks-early-amid-fears-of-an-evolving-virus/articleshow/124401988.cms -   
रिपब्लिकभारत:- 9 अक्टूबर 2025 :कोरोना की तरह दुनिया आएगी इस बीमारी की चपेट में? जापान में महामारी घोषित, स्कूल-कॉलेज बंद; रोज लाखों लोगों की स्क्रीनिंग See more.... https://www.republicbharat.com/world/rest-of-the-world/coronavirus-like-disease-influenza-pandemic-declared-in-japan-schools-and-colleges-closed -  
नवभारतटाइम्स:- 11अक्टूबर 2025 : अस्पतालों में पैर रखने की जगह नहीं, स्कूलों पर लटके ताले... जापान में ताजा हुई कोरोना की खौफनाक यादें, लगेगा लॉकडाउन!seemore ..https://navbharattimes.indiatimes.com/world/asian-countries/japan-declare-statewide-flu-epidemic-after-extraordinary-early-rise-in-cases-schools-shut/articleshow/124478082.cms -
दैनिकजागरण :-  1 नवंबर 2025 : दिल्ली-एनसीआर के 75% घरों में दिख रहे कोविड-फ्लू जैसे लक्षण,see more ... https://www.jagran.com/lifestyle/health-covid-flu-symptoms-in-delhi-ncr-homes-75-percent-affected-top-prevention-tips-by-doctor-40025817.html  
 
 सन 2025 के सितंबर अक्टूबर आदि महीनों में कोरोना संक्रमण बढ़ेगा | इसका पूर्वानुमान 18 मई 2025   को अर्थात 127  दिन पहले  ही मैंने पीएमओ की मेल पर भेज दिया था | यह है उस  मेल का चित्र - 
वैक्सीन लगेगी तो महामारी बढ़ेगी !  
    
       
    2021 के मार्च अप्रैल आदि महीनों में संक्रमितों की संख्या दिनोंदिन तेजी से बढ़ती जा रही थी |इसी समय वैक्सीन लगाई गई थी | वैक्सीन लगने के बाद अस्पतालों से श्मशानों तक जाम लगा हुआ था| जैसे जैसे वैक्सीन लगती जा रही थी वैसे वैसे संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही थी |संक्रमण  दिनोंदिन बढ़ते जाने का कारण प्राकृतिक था  या मनुष्यकृत ! ये पता  नहीं लग पा रहा था | ऐसे ही संक्रमितों की संख्या बढ़ने का कारण वैक्सीन लगाया जाना था या  वैक्सीन उस समय लगाया जाना था या संक्रमण बढ़ने से वैक्सीन लगाने का कोई संबंध ही नहीं था | ऐसा कुछ भी पता नहीं लग पा रहा था | वेदवैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो इस संक्रमण के बढ़ने का कारण वैक्सीन का उस समय विशेष पर लगाया जाना था जिसका पूर्वानुमान मैंने 23 दिसंबर 2020 को ही पीएमओ की मेल पर भेज  दिया  था | उसमें स्पष्ट रूप से वैक्सीन न लगाने के लिए निवेदन किया था |
      बिचारणीय बिषय है कि  पिछले 4 महीनों से घटता जा रहा संक्रमण  8 से 11  फरवरी के बीच अचानक क्यों  बढ़ने लगा |10 फरवरी 2021 को टीकाकरण शुरू होने के अतिरिक्त दूसरा ऐसा क्या हुआ | संक्रमितों की संख्या बढ़ने का कारण यदि वैक्सीन लगाया जाना न होता तो वैक्सीन लगना प्रारंभ होते ही संक्रमितों की संख्या बढ़ने के वास्तविक कारण को खोजना होगा |  
    8 फरवरी 2021 को  संक्रमितों की संख्या सबसे कम अर्थात 8947 आ गई थी |जिसे देखकर ऐसा लगने लगा था कि कोरोना महामारी अब समाप्तप्राय है | थोड़ी बहुत जो बची है वह भी अतिशीघ्र  समाप्त हो जाएगी | इसी बीच  10 फरवरी 2021 को कोरोना वैक्सीन लगनी प्रारंभ हुई | इसके साथ ही संक्रमण बढ़ना प्रारंभ हो गया था | यह है उस कोरोना ग्राफ का  चित्र -
 
      19 सितंबर 2020 से अक्टूबर नवंबर दिसंबर आदि महीनों में तथा 2021 के जनवरी महीने में जो संक्रमण  कमजोर पड़ता जा रहा था | 8 फरवरी तक संक्रमितों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही थी |10 फरवरी 2021 से संक्रमितों की संख्या अचानक बढ़ने लगने का कारण क्या  था | उस समय ऐसा क्या हुआ कि यहीं से सबसे भयानक दूसरी लहर प्रारंभ हो गई थी |
    मैंने 23 दिसंबर 2020 को ही पीएमओ की मेल पर यह पूर्वानुमान भेजा था कि इस समय यदि वैक्सीन लगाई जाती है तो कोरोना संक्रमण बढ़ने की संभावना है | इस दृष्टि से देखा जाए तो वैक्सीन लगना प्रारंभ होते ही कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगी थी |इसका मतलब संक्रमितों की संख्या बढ़ने का कारण वैक्सीन का उस समय लगाया जाना ही रहा होगा | संक्रमितों की संख्या बढ़ना प्रारंभ होने से 47 दिन पहले यह पूर्वानुमान पीएमओ की मेल पर मैंने भेजा था |उसमें जो लिखा  वैसा हुआ | इसलिए उस पूर्वानुमान के सच होने में अब कोई संशय नहीं रह गया था ,फिर भी किसी को यदि मेरी बात पर संशय है तो वो जिस वैज्ञानिक प्रक्रिया से चाहे उससे पता लगावे कि आखिर 10 फरवरी 2021 से संक्रमितों की संख्या अचानक बढ़ने लगने का कारण क्या  था |
     10 फरवरी 2021 को ही दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (एम्स) के 34 वर्षीय सफाई कर्मी मनीष कुमार को वैक्सीन लगाई गई थी  |इसी दिन से वैक्सीन लगनी प्रारंभ हुई  थी और इसी दिन से संक्रमितों की संख्या बढ़नी प्रारंभ हुई थी | वैक्सीन लगना और संक्रमितों की संख्या बढ़ना एक ही समय से प्रारंभ होना केवल संयोग था या इसका कोई विशेष कारण भी था | यह अनुसंधान का बिषय है |  
     वैक्सीन लगाए जाने के कारण ही संक्रमण बढ़ा होगा | इसे यदि ऐसा माना जाए तो मैं वैक्सीन का विशेषज्ञ नहीं हूँ | इसलिए वैक्सीन  के गुण दोषों को पहचानना मेरे लिए संभव नहीं है | समयवैज्ञानिक होने के नाते मैं केवल इतना पता लगा सकता हूँ कि यदि इस समय वैक्सीन लगाई जाती है तो लोगों के स्वास्थ्य पर उसका प्रभाव कैसा पड़ेगा |         इसे मैंने अनुसंधान पूर्वक यह पता लगाया तो मुझे जानकारी मिली कि यदि इस समय वैक्सीन लगाई जाती है तो महामारी संबंधी संक्रमण बढ़ना प्रारंभ हो सकता है और यदि वैक्सीन नहीं लगाई जाती है तो इसी क्रम से धीरे धीरे संक्रमण से मुक्ति मिलती चली जाएगी | 
      देश और समाज के हित  में मैंने यह आवश्यक जानकारी 23 दिसंबर 2020 को पीएमओ की मेल पर भेज दी थी | यह है उस  मेल का चित्र - 
         
 

                                      यज्ञ के द्वारा रोकी गई थी कोरोना की दूसरी लहर ! 
 
     वैक्सीन लगने के बाद के समय में कोरोना संक्रमण दिनोंदिन बढ़ता जा रहा था | उससे बचाव किया जाना संभव नहीं हो पा रहा था | दिनोंदिन स्थिति इतनी भयावह होती जा रही थी कि कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा था | ऐसी स्थिति कब तक रहेगी | इस बिषय में विशेषज्ञों के द्वारा लगाए जा रहे अनुमान पूर्वानुमान आदि निरंतर गलत निकलते जा रहे थे | 
     महामारी से लोगों को  सुरक्षित बचाने के लिए जितने भी उपाय किए जा सकते थे | वे निष्प्रभावी होते जा रहे थे | उस समय केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं में लगे मेरे कुछ मित्रों ने मुझसे कहा कि प्राचीन काल में यज्ञ आदि वैदिक प्रयोगों के द्वारा महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं को नियंत्रित करने का वर्णन  मिलता है | वर्तमान समय में भी क्या कोई ऐसा यज्ञादि प्रयोग किया जा सकता है | जिससे महामारी के वेग को घटाया जा सके | ऐसा कोई प्रयोग करने के लिए और भी बहुत लोगों ने मुझसे कहा था | वर्तमान समय में इतना कठिन प्रयोग करने वाले साधक दुर्लभ हैं |अंततः 19 अप्रैल 2021 को महामारी का वेग जब बहुत अधिक बढ़ा हुआ था | उसी दिन "श्रीविपरीतप्रत्यंगिरामहायज्ञ" मैंने स्वयं करने का निर्णय लिया था | 19 अप्रैल 2021 को रात्रि 11 बजकर 57 मिनट पर मैंने यह सूचना पीएमओ की मेल पर भी भेज दी थी | उसमें यह भी लिख  दिया था कि यह यज्ञ 11 दिनों तक अर्थात 2 मई तक चलेगा | 2 मई को पूर्णाहुति होते ही महामारीजनित संक्रमण 2 मई से ही कम होना प्रारंभ हो जाएगा | 
     20 अप्रैल 2021 से मैंने "श्रीविपरीतप्रत्यंगिरामहायज्ञ" प्रारंभ कर दिया था ! जिसके प्रभाव से महामारी की वह लहर हमारी दी हुई तारीख को ही रुकनी प्रारंभ हो  गई थी | कोरोना ग्राफ में देखने पर यज्ञप्रभाव से दिल्ली में 2 मई को ही संक्रमण कम होना प्रारंभ हो गया था ,जबकि राष्ट्रीय स्तर महामारी का वेग 6 मई से कम होना प्रारंभ हुआ था |  यह है इस बिषय में मेरे द्वारा पीएमओ को भेजी गई मेल का चित्र -

       यज्ञ  के दिन जैसे जैसे बीतते गए वैसे वैसे संक्रमण घटता गया ! इसमें विशेष बात यह है कि यज्ञ प्रभाव से संक्रमण का घटना कोई संयोग नहीं था | ऐसा होना निश्चित ही था |इसीलिए मेरे द्वारा पहले से घोषित की गई तारीखें सही निकलती जा रही थीं | दूसरी लहर में इसके कोरोना ग्राफ भी दिए  गए हैं |  
 
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                                    महामारी का स्वरूप स्वभाव प्रभाव आदि का  पूर्वानुमान   ! 
 
      किसी भी रोग या महारोग से मुक्ति दिलाने के लिए सबसे पहले उस रोग या महारोग को पहचानना होता है | उसी के अनुरूप उससे मुक्ति दिलाकर स्वस्थ करने के  लिए  प्रयत्न करना होता है | इसीलिए महामारी क्या है वैदिकविज्ञान के आधार पर उसे पहचानने का प्रयत्न  किया  गया है | इसमें विशेष ध्यान देने की बात  यह है कि महामारी जब प्रारंभ ही हुई थी | उसीसमय 19 मार्च 2020 को ही पीएमओ की मेल पर वह आवश्यक जानकारी भेज दी गई थी |   
 
महामारी पर समय का प्रभाव पड़ने के बिषय में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखा गया अंश - 
     "  किसी भी महामारी की शुरुआत समय के बिगड़ने से होती है और समय के सुधरने पर ही महामारी की समाप्ति होती है | समय से पहले इस पर नियंत्रण करने के लिए अपनाए जाने वाले प्रयास उतने अधिक प्रभावी नहीं होते हैं |"  
महामारी पैदा होने की प्रक्रिया के बिषय में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखा गया अंश - 
  "  कोई भी महामारी तीन चरणों में फैलती है और तीन चरणों में ही समाप्त होती है | महामारी फैलते समय सबसे बड़ी भूमिका समय की होती है | सबसे पहले समय की गति बिगड़ती  है |  ऋतुएँ समय के आधीन हैं इसलिए अच्छे या बुरे समय का प्रभाव सबसे पहले ऋतुओं पर पड़ता है ऋतुओं का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर भी पड़ता है इससे वहाँ के कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषित हो जाता है | इन परिस्थितियों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है | इसलिए शरीर ऐसे रोगों से पीड़ित होने लगते हैं |  जिनमें चिकित्सा का प्रभाव बहुत कम पड़ पाता है |"  
  
महामारी समाप्त होने की प्रक्रिया के बिषय में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखा गया अंश - 

    " पहले समय की गति सँभलती है उस प्रभाव से ऋतुविकार नष्ट होते हैं उससे पर्यावरण सँभलता है |उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर पड़ता है |कुओं नदियों तालाबों  आदि का जल प्रदूषण मुक्त होकर जीवन के लिए हितकारी होने लग जाता है | "  
 
महामारी संक्रमितों की चिकित्सा के बिषय में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखा गया अंश -
 
 "इसमें चिकित्सकीय प्रयासों का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा | क्योंकि महामारियों में होने वाले रोगों का न कोई लक्षण होता है न निदान और न ही कोई औषधि होती है |" अर्थात इस महारोग के लक्षणों को न तो पहचाना जा सकेगा और न ही चिकित्सा के द्वारा इस महारोग से मुक्ति दिलाई जा सकेगी |  
 कोई संक्रमित व्यक्ति  स्वस्थ होने के लिए स्वयं क्या करे इस बिषय में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखा गया अंश - 
     
      " ऐसी महामारियों को सदाचरण स्वच्छता उचित आहार विहार आदि धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन से जीता जा सकता है |" अर्थात ऐसा संयमवरत कर अपने को रोगमुक्त किया जा सकता है |       
महामारी के पूर्वानुमान  के बिषय में 19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में लिखा गया अंश - 
 "महामारी बढ़ने का यह समय  24 मार्च 2020 तक चलेगा | उसके बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद समय में पूरी तरह सुधार हो जाने के कारण संपूर्ण विश्व अतिशीघ्र इस महामारी से मुक्ति पा सकेगा |"                                 
   
                                      19 मार्च 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल का चित्र 
 

                                                  प्राचीनविज्ञान और मेरे अनुसंधान 

      अनुसंधानों का उद्देश्य यदि आधुनिक विज्ञान को बड़ा सिद्ध करना नहीं है तो जनहित की भावना से उस विज्ञान अनुसंधान आदि को अपना लिया जाना चाहिए | जिससे लोगों की सुरक्षा करने में  मदद मिलती दिखे | महामारी तथा उसकी लहरों के आने जाने के बिषय में किसी ने भी यदि पहले से सही पूर्वानुमान लगाए हों ,तो उसकी सच्चाई का परीक्षण  कर लिया जाए |  उनकी प्रमाणिकता यदि सिद्ध हो जाती हो तो उनका वैज्ञानिक आधार पूछे बिना सभी पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर उन पूर्वानुमानों का जनहित में उपयोग किया जाना चाहिए ,क्योंकि अनुसंधानों का उद्देश्य जनहित खोजना ही है |     

      भारत  के प्राचीनविज्ञान के  आधार पर मैं बीते 35 वर्षों से अनुसंधान करता आ रहा  हूँ | कोरोनामहामारी संबंधी मेरी अनुसंधान प्रक्रिया के अनुसार महामारी की कुल 11 लहरें आई थीं | इन ग्यारहों लहरों  में से प्रत्येक लहर के पूर्वानुमान मैं आगे से आगे पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा  हूँ | पूर्वानुमानों में प्रत्येक लहर के आने और जाने की स्पष्ट तारीखें लिखी गई हैं | जिनका मिलान कोरोना ग्राफ तथा उस समय के समाचार पत्रों से करने पर मेरे द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान सही घटित हुए  हैं |

    पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर कहना इसलिए आवश्यक है ,क्योंकि  प्राचीन वैज्ञानिकों के द्वारा लगाए हुए पूर्वानुमान यदि गलत निकलें तो  प्राचीन विज्ञान को अंधविश्वास बढ़ाने वाला  बता दिया जाता है | दूसरी ओर मौसम तथा कोरोना महामारी के बिषय में विभिन्न वैज्ञानिकों  के द्वारा बताए जाते रहे पूर्वानुमान बार बार  गलत निकलते रहे |इस दृष्टि से तो उन विज्ञानों और अनुसंधानों को भी अंधविश्वास मानकर उनसे भी  दूरी बना  ली जानी चाहिए किंतु ऐसा नहीं किया  जाता है| अपने  विज्ञान को विज्ञान और दूसरे को अंधविश्वास बताया  जाना ही पूर्वाग्रह है | 

    मेरे अतिरिक्त विश्व में किसी के भी  द्वारा कोरोना महामारी के बिषय में सही पूर्वानुमान नहीं लगाए जा सके हैं |विश्व वैज्ञानिकों के द्वारा अभी तक ऐसे कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किए जा  सके हैं |इस प्रकार से पूर्वानुमान लगाने में जिनके अपने ही हाथ इतने तंग हैं | वे प्राचीनविज्ञान से प्राप्त हुए पूर्वानुमानों को अप्रमाणित होने की बात कैसे कह सकते हैं | 

       ऐसी परिस्थिति में  मेरा विनम्र निवेदन है कि अनुसंधानों का उद्देश्य यदि जनहित करना ही है तो जिस किसी भी विज्ञान के द्वारा जनहित से जुड़े अनुसंधानकार्यों में सफलता मिले | उन्हें अपनाया जाना चाहिए |आधुनिक विज्ञान जब आस्तित्व में नहीं  था तब भी भारत के जिस  प्राचीनविज्ञान  के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं तथा महामारियों से मनुष्यों की सुरक्षा की जाती रही है | अभी भी ऐसा किया जा सकता है  | भारत का प्राचीन विज्ञान यदि जनधन की सुरक्षा करने में सहायक  हो सकता है तो उसके आधार पर अनुसंधान करने में संकोच क्यों होता है| 

अनुसंधानों का लक्ष्य है जनधन की सुरक्षा 

     किसी भी देश के शासक के पास जो धन  होता है | वो उस  देश की प्रजा का  होता है | जो ही टैक्स रूप में शासक  को देती है | शासक उसे जनता की कठिनाइयों को कम करने तथा जनता के लिए विकास कार्यों को करवाने एवं प्राकृतिक घटनाओं आपदाओं से संबंधित अनुसंधानों को करने करवाने पर व्यय करता  है | जिससे ऐसी प्राकृतिक आपदाओं के बिषय में अनुसंधान पूर्वक  सही सही अनुमान पूर्वानुमान आदि पता लग पाते  हैं | इसमें अनुसंधानकर्ताओं को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली जनधन हानि को कम करने की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी | उसे उन्हें पूरा करना  होता था | तभी उन्हें वैज्ञानिक  के रूप में मान्यता मिल पाती थी | 

     कुलमिलाकर अनुसंधानकर्ताओं के द्वारा खोजे गए प्राकृतिक घटनाओं के कारणों अनुमानों पूर्वानुमानों से राजाओं शासकों सरकारों का संतुष्ट होना उतना आवश्यक नहीं  होता था | जितना कि उन अनुसंधानों से देश वासियों को संतुष्ट किया जाना आवश्यक माना जाता था |जनता की आवश्यकताओं अपेक्षाओं पर अनुसंधानकर्ताओं को खरा उतरना होता था | वस्तुतः जिन अनुसंधानों  पर किए जाने वाले व्यय का  वहन जनता  करती है | उन अनुसंधानों को जनता की आवश्यकताओं पर खरा उतरना होता था |  

     प्राचीनकाल में जो वैज्ञानिक जिस घटना से संबंधित होता था | उसे उसप्रकार की घटनाओं  के घटित होने के कारण अनुमान पूर्वानुमान आदि पता लगाकर पहले से घोषित  करने होते थे | जनता की दृष्टि में यदि  वे सही  निकल जाते थे तो उन्हें उस बिषय का वैज्ञानिक मान लिया जाता था |इसप्रकार से प्रत्येक वैज्ञानिक को अपनी जनता के सामने अपनी वैज्ञानिकता सिद्ध करनी होती थी | इसमें  यदि वे सफल  हो जाते थे तब उन्हें वैज्ञानिकपद प्रतिष्ठा प्रदान की जाती थी | 

   उदाहरण के रूप में  भूकंपवैज्ञानिकों का चयन करते समय भूकंप को समझने एवं उसके बिषय में सही अनुमान पूर्वानुमान  लगाने की परीक्षा में सफल होने पर उन्हें भूकंप वैज्ञानिक जैसे पदों पर प्रतिष्ठित किया  जाता था | उन्होंने भूकंपों के बिषय में अभीतक ऐसी  क्या खोज की है|  जिसके द्वारा भूकंप आने पर होने वाले जन धन के नुक्सान को कम किया जा सके |इसी के आधार पर उस व्यक्ति   को भूकंपवैज्ञानिक के रूप में पद प्रतिष्ठा पारिश्रमिक आदि प्रदान किया जाता था | 

    इसीप्रकार से वर्षाविशेषज्ञों अर्थात मौसमविशेषज्ञों को चयनित करने के लिए उन्हें प्राकृतिकघटनाओं  के  बिषय में अनुमान पूर्वानुमान  आदि लगाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती थी | सौ दो  वर्ष पहले की भविष्यवाणी करने से पहले उन्हें एक वर्ष पहले की मौसम संबंधी घटनाओं के  बिषय में  पूर्वानुमान बताने होते थे |  वे  यदि सही निकल  जाते थे, तो उन्हें 10  वर्ष पहले के मौसमसंबंधी पूर्वानुमान घोषित करने  होते थे | यदि  वे भी सही निकल जाते थे तब उनपर विश्वास किया जाता था कि ये प्रकृति के स्वभाव को  समझने में सक्षम हैं | इनके द्वारा सौ दो सौ वर्ष पहले की मौसमसंबंधी घटनाओं के बिषय में बताए जा रहे  पूर्वानुमान सच हो सकते हैं |इसी विश्वास पर  ऐसे लोगों को वर्षा(मौसम)  वैज्ञानिक  या ऋतुवैज्ञानिक  होने जैसी पद प्रतिष्ठा प्रदान की जाती  थी |       

        सनातनधर्म के प्राचीनग्रंथों में प्रकृति और जीवन के बिषय में पूर्वानुमान लगाने की अनेकों विधियाँ बताई गई हैं | ऐसा करने के लिए ही अनुसंधानों की परिकल्पना की गई  है | आयुर्वेद के शीर्षग्रंथ चरकसंहिता में  इसी का उपदेश किया गया है | यदि ऐसा हो पाता है तब तो महामारी के समय अनुसंधानों से समाज को सुरक्षित बचाया जा सकता है या संक्रमितों को रोगमुक्त किया जा सकता है ,अन्यथा उस महामारी में उन अनुसंधानों की उपयोगिता ही क्या  बचती है  |     

   शिवसंहिता, नरपतिजयचर्या, शिवस्वरोदय,ज्ञानस्वरोदय पवनस्वरोदय आदि योग के ग्रंथों में ऐसी घटनाओं के बिषय में पूर्वानुमान लगाने की विधियाँ  बताई गई हैं |निरंतर योगाभ्यास करने वाले साधकों के द्वारा महामारी  बिषय में पूर्वानुमान लगाया जाना चाहिए था | 

 दो  शब्द        

      विगत कुछ दशकों में भारत को पड़ोसी शत्रुदेशों से तीन युद्ध लड़ने पड़े | उन तीनों युद्धों में मिलाकर जितने लोगों की मृत्यु हुई होगी | उससे कई गुना अधिक लोग केवल महामारी में मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं |ये सब कुछ तब हुआ है |  जब  विज्ञान और अनुसंधान अत्यंत उन्नत हैं |उच्च कोटि के वैज्ञानिक हैं | अनुसंधान भी निरंतर होते ही रहते हैं | इतना सब कुछ होते रहने के बाद भी लोगों को इतना बड़ा संकट सहना पड़ा है | इतना सब होने  पर भी  महामारी प्रारंभ होने के बाद उससे सुरक्षा के लिए उपाय खोजे जाते रहे |उनसे लोगों  को कोई विशेष मदद नहीं पहुँचाई जा सकी है | 

     समय प्रभाव से महामारीजनित संक्रमण जब स्वयं समाप्त होने लगता है तब सभी रोगी स्वतः संक्रमण मुक्त होने लगते  हैं |ऐसे समय  जिन्होंने चिकित्सकीय उपाय किए हैं वे स्वस्थ  हुए हैं तो कुछ ने उपायों के नाम पर भिन्न भिन्न प्रकार के खानपान रहन सहन आदि अपनाए हैं | वे  भी  स्वस्थ हुए हैं | ऐसे भी बहुत लोग  हैं | जिन्होंने उपायों  के नाम पर  कुछ भी नहीं किया है |वे  भी स्वस्थ हुए हैं | 

     विशेष  बात  यह है कि भिन्न भिन्न प्रकार के उपायों को करने या न करने के परिणाम एक  जैसे नहीं निकल सकते हैं| यदि ऐसा होता है तो इसका मतलब उन  सभी के स्वस्थ होने  का कारण वे उपाय न होकर प्रत्युत वह समयसुधार है |जिसका प्रभाव सभी पर एक समान रूप से पड़ रहा होता है | वे सभी समान रूप से स्वस्थ  हो  रहे होते हैं |ऐसे समय रोग स्वतः समाप्त हो ही  रहा होता है |समय प्रभाव को न  समझने वाले लोग स्वस्थ होने का श्रेय अपने अपने उपायों को देने लगते हैं |चिकित्सा का लाभ ले रहे रोगियों के  स्वस्थ होने का  श्रेय  चिकित्सक अपनी चिकित्सा को देने  लगते हैं | ऐसे भ्रम की अवस्था में ही प्लाज्मा थैरेपी जैसे प्रयोगों को महामारी से मुक्ति दिलाने में समर्थ मान लिया जाता है | 

      इसके बाद समय प्रभाव से जब संक्रमण स्वतः बढ़ने लगता है | उस समय सभी लोगों का अपने अपने उपायों से संबंधित अपना भ्रम टूटने लगता है | रेमडिसिविर प्लाज्मा थैरेपी आदि के कोरोना महामारी से मुक्ति दिलाने संबंधी प्रभाव पर विश्वास घटने लगता है | 

     जिन लोगों ने महामारी की इतनी बड़ी वेदना सही है |उन्हीं लोगों के द्वारा सरकारों को जो भारी भरकम धनराशि टैक्स रूप में दी जाती है |जिसे सरकारें विकास कार्यों में लगाने के साथ साथ ऐसे अनुसंधानों पर भी खर्च किया करती हैं | उन अनुसंधानों  के द्वारा यदि उसी  जनता की सुरक्षा नहीं की जा सकी तो ये गंभीर चिंता की बात है | भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए प्रभावी तैयारियाँ पहले से करके रखी जानी चाहिए |

 
     विनम्र निवेदन 

       पूर्वानुमान लगाने का मतलब मानसिक दृष्टि से भविष्य में झाँकना है |कल या कुछ समय बाद कहाँ क्या घटित होगा | यह  पहले पता लगा लेना ही तो पूर्वानुमान है |भविष्य में झाँकने के लिए विश्व में जब कोई विज्ञान ही  नहीं है तो मौसम पूर्वानुमान या  महामारी संबंधी पूर्वानुमान कैसे लगाए जा सकते हैं | प्राकृतिक घटनाओं के बिषय में विज्ञान के बिना अनुसंधान किस आधार पर किए जा सकते हैं | भविष्यविज्ञान के बिना पूर्वानुमान लगाना यदि संभव होता तो कोरोना महामारी के बिषय में सही पूर्वानुमान क्यों नहीं लगाए जा सके | यदि लगाए गए तो वे कहाँ हैं और कहाँ हैं उनकी सच्चाई के प्रमाण |        

     भूकंपों के बिषय में पूर्वानुमान लगाने का कोई विज्ञान ही नहीं है |इसके बाद भी भूकंप वैज्ञानिक होते हैं |उनमें वैज्ञानिकता क्या है |उससे  क्या लाभ मिलता है |समय  समय पर  वैज्ञानिकों को यह कहते सुना जाता है कि निकट भविष्य में हिमालय में बहुत बड़ा भूकंप आएगा | कब आएगा !ये नहीं बताया जाता है| ऐसी भविष्यवाणियों का आधार क्या होता है ?इसका  विज्ञान कहाँ है ?ऐसी अफवाहें फैलाई क्यों  जाती हैं | इनकी आवश्यकता ही क्या है | ऐसा बोला जाना आवश्यक क्यों है ?

     ऐसे ही  जिस मौसमविज्ञान के आधार पर दो चार दिन पहले लगाए गए मौसमसंबंधी पूर्वानुमान सही निकलेंगे | ये विश्वास पूर्वक नहीं कहा जा सकता है| उन्हीं मौसम वैज्ञानिकों को यह कहते सुना जाता है कि जलवायुपरिवर्तन के कारण आज के सौ दो सौ वर्ष बाद सूखा पड़ेगा ! बार बार आँधी तूफ़ान आएँगे ! तरह तरह के रोग महारोग फैलेंगे !तापमान बहुत अधिक बढ़ जाएगा ! यदि भविष्य में झाँकने के लिए कोई विज्ञान ही नहीं है तो  ऐसा सब कुछ कहे  जाने का  वैज्ञानिक आधार क्या होता है |

     ऐसा विज्ञान कहाँ है जिसके आधार पर हिमालय में किसी  भूकंप के आने की  संभावना पता लगा ली जाती है | जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरूप सौ दो सौ वर्ष बाद  कैसी कैसी प्राकृतिक घटनाएँ घटित होंगी | यह कैसे पता लगा लिया जाता है | महामारी की लहरों के बिषय में विभिन्न वैज्ञानिकों के  द्वारा अनुमान पूर्वानुमान बदल बदल कर बार बार बताए जा रहे होते हैं | इन सबका विज्ञान कहाँ है |     

     आधुनिक विज्ञान संबंधी अनुसंधानों के द्वारा यदि प्राकृतिक घटनाओं महामारियों आदि के बिषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना संभव नहीं है तो भारत के प्राचीन विज्ञान का सहयोग लेकर ऐसी घटनाओं से लोगों की सुरक्षा की जानी चाहिए |                                        




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