रविवार, 28 अप्रैल 2013

श्री राम मंदिर बनने के योग सन् 2014 में ---

श्री राम मंदिर निर्माण  में रूकावट क्यों ?
श्री राम की जन्म कुंडली  और श्री राम मंदिर 
 


    काशी हिन्दू विश्व विद्यालय में श्री रामचरित मानस और ज्योतिष पर ही हमारी पी.एच.डी.की थीसिस थी।जिसे पूरा करने के बाद इन विषयों पर खोज पूर्ण कई ग्रन्थ लिखे हैं।जिसका कुछ अंश यहाँ प्रस्तुत करता हूँ।

  श्री राम की जन्म कुंडली में भवन सुख भाव में शनि होने से भवन होने के बाद भी भवनसुख का योग मध्यम एवं संघर्ष पूर्ण है।इसीलिए बचपन में पहले पिता के साथ रहते रहे। 15 वर्ष की उम्र में  विश्वामित्र जी ले गए फिर विवाह के बाद राज्य मिलना था तो बनवास हो गया । वहाँ जाकर जंगल में जब कुटी बनाई तो सीता हरण हो गया।जब बन से वापस आए तो सीता जी को बनवास हो गया।इसप्रकार जब गृहणी ही चली गई तो गृह सुख की आशा ही क्या बची ?   
     ज्योतिष की दृष्टि से यहाँ एक बात अवश्य है कि भवन भाव में  शनि उच्च राशि का है एवं भवनेश शुक्र भाग्य स्थान में उच्च राशि का है इसलिए राम जी कहाँ कितने दिन रह पाए या उन्हें गृहसुख कितना मिला या नहीं मिला  ये अलग बात है किन्तु उन्हें रहने के लिए जो  भवन या राज्य मिले वो एक  से एक भव्य अर्थात सुन्दर थे।अयोध्या का राज्य तो अपना था ही लंका और किष्किन्धा भी लोग देने को तैयार थे किन्तु श्री राम ने जीते हुए देश भी लिए ही नहीं।

     यहाँ ज्योतिष की एक बात विशेष ध्यान देने लायक यह है कि 

        जैसे अयोध्या का राज्य मिलने से पहले भी गर्मी शर्दी बरसात आदि सभी ऋतुएँ श्री राम को  खुले आसमान में ही बितानी पड़ी थीं अब फिर से अस्थाई श्री राम मंदिर में गर्मी शर्दी बरसात आदि सभी ऋतुएँ खुले आसमान में ही प्रभु श्री राम  को बितानी पड़ रही हैं।

    इसी प्रकार उस समय भी श्री राम को चौदह वर्षों तक तपस्या करनी पड़ी थी अब भी सन दो हजार चौदह तक फिर से प्रभु श्री राम को खुले आसमान में ही  अस्थाई श्री राम मंदिर में तपस्या करते रहना होगा।       

     जैसे उस समय चौदह वर्ष पूर्ण होने से चौदह महीने बारह दिन  पूर्व सीता हरण हुआ था उसके बाद से ही असुरों के संहार की प्रक्रिया प्रारंभ हुई थी। असुर आतंकियों को कठोर सजा देने का काम अब भी लगभग चौदह महीने पहले ही शुरू हो सका है।           

    आतंकियों को कठोर सजा देने का चिर प्रतीक्षित काम भी सन दो हजार बारह के नवंबर मास के अंत से ही करना प्रारंभ किया जा सका  है। यहाँ से लेकर सन दो हजार चौदह प्रारंभ तक भी वही लंका वाले लगभग चौदह महीने ही हो पाएँगे।

    यही चौदह महीने पहले सीता हरण से ही  नारियों की सुरक्षा के लिए जन जागरण वहाँ प्रारंभ हुआ था। अब भी 16 दिसंबर 2012 से अर्थात चौदह महीने पहले से ही यहाँ भी नारियों की सुरक्षा के लिए उसी तरह का  जन जागरण  प्रारंभ हुआ है। 

     इसी समय में  यदि इसीप्रकार से सज्जन समाज को पीड़ा पहुँचाकर समाज को पीड़ित करने वाले किसी भी जाति, समुदाय, संप्रदाय आदि के जो भी लोग हैं ऐसे असुर आतंकियों के साथ निपटने में यदि सरकार सफल हुई तो निराश हताश समाज के मन में फिर से प्रशासकों के प्रति विश्वास बढ़ेगा।सभी प्रकार के कठोर कानूनों के सफल क्रियान्वयन से  भ्रष्टाचार आदि आपदाओं से देश मुक्त होगा। भ्रष्टाचार मिटते ही न केवल आपराधिक वारदातों में कमी  आएगी अपितु महँगाई में भी लगाम लगेगी ।सभी देश वासियों की सुरक्षा का वातावरण बनेगा।

     जैसे बिना विवाद के सम्मान पूर्वक  श्री राम का राज्याभिषेक वहाँ हुआ था उसी प्रकार बिना विवाद के सम्मान पूर्वक यहाँ भी  श्री राम का भव्य मंदिर निर्माण सभी की सहमति से होगा ।  इसलिए

     19.6.2014 से प्रारम्भ होकर 14.7.2015 तक

    यदि थोड़ी सी ज्योतिषीय सावधानी राम भक्तों के द्वारा बरती गई तो मंदिर बनने को रोका नहीं जा सकता बनेगा जरूर! और भव्य श्री राम मंदिर बनेगा यह भी निश्चित है।सर्व सम्मति से बनने के योग हैं। इसलिए रामभक्तों को निराश या हताश नहीं होना चाहिए और प्रयास करके तनाव नहीं बढ़ने देना चाहिए ।
    ज्योतिष के कुछ अन्य योगों पर भी यहाँ ध्यान देना आवश्यक है। वैसे तो धरती पर करोड़ों श्री राम मंदिर होंगे किन्तु जो भगवान श्री राम का वास्तविक भवन है जिसे हम सभी लोग श्री राम मंदिर कहते हैं उसके बनने में रुकावट का एक कारण  ज्योतिष भी हो सकता है।

     दूसरी बात यह है कि जब बाबरी मस्जिद तोड़ी गई थी उस समय क्षिप्र संज्ञक अश्वनी था।इसमें अस्थाई काम तो किए जा सकते थे जैसे दुकान करना या कोई भी कला संबंधी कार्य कर पाना संभव था।इसी प्रकार मस्जिद का भी भविष्य कुछ भी नहीं था इसलिए वह भी टूट गईयहाँ विशेष बात यह है कि उसी समय मंदिर निर्माण के लिए चबूतरा या अस्थाई मंदिर  बना दिया गया था किन्तु जो  महूर्त तोड़ने का था उसी मुहूर्त में शिलान्यास कैसे किया जा सकता था? तोड़ने के मुहूर्त में किसी चीज का जोड़ना कैसे संभव हो सकता है। मत्स्य वेध करके अर्जुन ने द्रोपदी के साथ विवाह किया था।इसीप्रकार धनुष तोड़कर श्री राम ने सीता जी से विवाह किया था। इसलिए अर्जुन और द्रोपदी एवं श्री राम और सीता जी का सम्पूर्ण जीवन भटकते हुए संघर्ष पूर्वक बीता।

   जैसे धनुष तोड़ने का काम वर्षों से चल रहा था किन्तु कोई तोड़ नहीं पा रहा था उसीप्रकार बाबरी मस्जिद भी विवादित चल रही थी। धनुष तोड़ने का काम भी अश्वनी नक्षत्र में हुआ था और बाबरी मस्जिद भी अश्वनी नक्षत्र में ही तोड़ी जा सकी थी ।अंतर इतना रहा कि वशिष्ठ आदि ऋषियों ने धनुष टूटने के बाद उसके बारहवें दिन शुभ मुहूर्त विवाह नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी  में श्री राम और सीता का विवाह करवाया गया था। इस कारण दोष कुछ टल गया था फिर भी बहुत कुछ सहना पड़ा था।उसका कारण था कि धनुष टूटने के साथ ही विवाह मान लिया गया था टूटतही धनुभयउविवाहू।सुरनरनाग विदित सब काहू

चूँकि            रहेउ विवाह चाप आधीना   

     इसीलिए 

गुरु वशिष्ठ से पंडित ग्यानी शोधि केलगन धरी ।

                             फिर भी 

सीता हरण मरण दशरथ को बन में बिपति परी ।।

 चूँकि धनुष टूटते हीश्री राम और सीता का विवाह हो गया था इसलिए वशिष्ठ जी का प्रयास विशेष कारगर सिद्ध नहीं हो सका, किन्तु बाबरी मस्जिद टूटने के साथ ऐसी कोई प्रतिज्ञा नहीं जुड़ी थी ।यहाँ तुरन्त शिलान्यास न करके यदि शुभ मुहूर्त में किया जाता तो संभव है कि मंदिर बनने का अबतक कोई समाधान निकल ही जाता।चूँकि इस्वी सन 1527 में सनातन हिंदुओं ने विजय दशमी,दीपावली और रामनवमी  पर्व बहुत बड़े जन समूह के साथ उमड़ घुमड़ कर अत्यंत धूम धाम से मनाए थे।श्रीराम प्रभु के प्रति हिन्दुओं की इतनी श्रृद्धा देखकर ये विधर्मी सह नहीं सके थे इसलिए श्रीराम  मंदिर तोड़कर उसी पर बाबरी मस्जिद बना डाली ।चूँकि उन्होंने भी मंदिर तोड़ने के साथ ही उसी पर मस्जिद का निर्माण किया था तोड़ने के साथ ही जोड़ने का अर्थ होता है कि इसका कोई स्थायित्व नहीं होगा ये कभी भी तोड़ी जा सकती है इस कारण बाबरी मस्जिद बनने के साथ ही उसका विध्वंस जुड़ा था।उसीप्रकार यदि इसी अस्थाई श्री राम चबूतरे पर ही यदि मंदिर बना दिया गया तो

बाबरी मस्जिद विध्वंस का कुयोग श्री मंदिर के साथ भी आरम्भ से ही जुड़ जाएगा।इसलिए इससे बचा जाना चाहिए । 

      चूँकि उस मस्जिद तोड़ी जा सकी थी इससे यह प्रमाणित भी होता है कि वह मुहूर्त मकान  टूटने का ही था तो ऐसे समय में मकान बनाना कैसे प्रारम्भ किया जा सकता था?
      इसलिए  श्री राम मंदिर निर्माण के लिए  कोई और मुहूर्त देख कर उसमें शिलान्यास करने से मंदिर निर्माण का स्वप्न साकार किया जा  सकता है

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