सोमवार, 14 जुलाई 2014

साईं के स्वधार्मिक लुटेरे सनातन धर्म में भारी घुसपैठ करने की फिराक में !

     आज शाम एक टी.वी.चैनल में आयोजित एक कार्यक्रम में बहस इस विषय पर आयोजित की गई थी कि आखिर चारों वर्णों के लोग शंकराचार्य क्यों नहीं हो सकते अर्थात चारों वर्णों के लोगों को शंकराचार्य बनाया जाना चाहिए !
        मैंने साईं बाबा को भगवान बताने वाले लोगों से भी कहा था चूँकि भगवान नाम की खोज सनातन धर्म के प्राचीन ऋषियों महर्षियों ने की जो परंपरा अनंत काल से चली आ रही है उन्होंने ही वो शास्त्रीय संविधान बनाया जिसमें वो नियम और पहचान बताई गई है कि भगवान होगा कौन कौन ?
       उसी परंपरा के अनुशार अभी तक भगवान को माना जाता रहा है चूँकि जिनके द्वारा भगवान शब्द का उपदेश किया गया है उन्हीं के द्वारा इसके नियम कानून नियम बनाए  गए । इसलिए भगवान शब्द एवं उसके लिए बनाए गए नियम धर्म में सनातन धर्म शास्त्रों का कापी राइट है उससे अलग हटकर भगवान शब्द एवं उसके नियम कानूनों पर पूजा पद्धतियों पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता उसकी कोई है कि ऐसी माँग
    
जिसके मन में शिव शंकर हों भव ताप वहाँ ठहरेगा ही क्यों । 

 

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