मंगलवार, 15 जुलाई 2014

अग्निवेश जी ! जो कमी आपमें है वो भगवान में क्यों देख रहे हैं आप !

   अग्निवेश की बकवास नं 1 .

   " राम-कृष्ण "भगवान राम ईश्वर नहीं इंसान थे. अगर प्राण प्रतिष्ठा होने से मूर्ति भगवान बन जाती है, तो राम-कृष्ण की प्रतिमा बोल कर दिखाए, चल कर दिखाए और खा कर दिखाए.!"  -समय   

      अग्निवेश जी ! सारी दुनियाँ कहती है बिजली आ गई  या बिजली चली गई किन्तु विजली को आते जाते कभी आपने देखा है क्या ? 

       अग्निवेश जी ! समय के विषय में लोग पूछते हैं कितने बजे हैं किन्तु समय को बजते कभी आपने सुना  है क्या ?

     अग्निवेश जी ! एक घड़ी में चौबीस मिनट होते हैं और एक घंटे में 60 मिनट जिसे आप भी घड़ी कहते हैं उसमें घड़ी(24 मिनट ) बजते कभी आपने देखी है क्या ?

अग्निवेश जी !समुद्र बहुत गहरा होता है लोगों ने कहा आप मान गए किन्तु कभी समुद्र में थाह लेने के लिए घुसे क्या आप ?

अग्निवेश जी !जहाज ऊँचाई पर उड़ता है लोगों ने कहा आप भी मान गए कभी उस पर से कूद कर दूरी नापने की कोशिश की आप ने !

 अग्निवेश जी ! बिजली का तार पकड़ने से मौत भी हो सकती है यह सुन कर आपने तार पकड़कर परीक्षण किया कभी क्या ? 

अग्निवेश जी !जहर खाने से लोग मर जाते हैं यह सुनकर आपने भी मान लिया किन्तु कभी जहर खाकर देखा भी है आपने !

       अरे !डरपोक !जब सारी  बातें दूसरों की सुन सुन कर मान लीं तो जब सब लोग कह रहे हैं तो ये भी मान लो कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्तियों में देवत्व आ जाता है !ये  मान लेने में बुराई भी क्या है !      

       अग्निवेश जी !वैसे भी हर चीज बोलकर या चल कर दिखाए तभी जीवित मानी जाएगी यह भी स्थाई सिद्धांत नहीं है फ्रिज न बोलता है न चलता है किन्तु जब उसमें बर्फ जमने लगती है तो मान लिया जाता है कि फ्रिज चल रहा  है !

     अग्निवेश जी ! कोई चीज बहुत अच्छी है ये जरूरी नहीं है कि खाने से ही पता लगे ! कोई चीज बहुत सुन्दर है कहने को तो कह दिया जाता है किन्तु बात जब उसके परीक्षण की आती है तो खाने वाली चीज की सुंदरता का अनुभव जीभ से होता है !गाने वाली चीज की सुंदरता का अनुभव कानों से होता है !सूँघने वाली चीज की सुंदरता का अनुभव नाक से होता है ! देखने वाली चीज की सुंदरता का अनुभव आँखों से होता है !इसी प्रकार से परमात्मा का अनुभव आत्मा से होता है भले ही वह मूर्ति में ही क्यों न हो ! किन्तु सांसारिक पाप प्रपंचों में फँसे आत्मान्ध लोगों को पत्थर की प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति में परमात्मा का जीवत्व कैसे दिखाया जाए !  जैसे  किसी अंधे को कुछ दिखाया नहीं जा सकता बहरे को कुछ सुनाया नहीं जा सकता वैसे ही किसी आत्मा से अंधे को प्राणप्रतिष्ठित मूर्ति में परमात्मा नहीं दिखाया जा सकता !अग्निवेश जी !जो कमी आपमें है वो भगवान में क्यों देख रहे हैं आप !

 

अग्निवेश की बकवास -  न.1.

         "धर्म के ठेकेदार साबित करें कि श्रीराम और श्रीकृष्ण भगवान थे."-अग्निवेश -समय

अग्निवेश जी! क्या ये बात आपने पिता जी से भी कही थी कि आप साबित करें कि आप ही  हमारे पिता  जी हैं ,या आपने इसकी कोई जाँच बड़े होने पर करवाई थी,या बिना जाँच किए ही मन मार के पिता की जगह उनका नाम लिखने लगे थे जिनके विषय में सबने बताया था यह सोच के कि पिता की जगह जब किसी का नाम लिखना ही है तो इन्हीं का लिख देते हैं या आपने वास्तव में उनसे यह साबित करवाकर ही दम ली थी कि वही पिता हैं ! अरे  अग्निवेश जी !जब पिता होने का सबूत पिता से नहीं माँग पाए तो जगतपिता होने का सबूत  जगतपिता से किस मुख से माँग रहे हैं आप ?

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       अग्निवेश जी ! सभी बातें साबित नहीं की जा सकती हैं हमारे पिता के विषय में हमें बताया गया है इसलिए हम मानते  हैं कि ये हमारे पिता  हैं किन्तु जब हमारे पिता यही हैं ये साबित करना है तो कोई कैसे करेगा क्या आप कर देगें ? 

 

 अग्निवेश की बकवास -  न.3 .

अग्निवेश ने कहा "शंकराचार्य और उनके सभी साधु-संत पंडित पुरोहित अंधविश्वास को जन्म देने का काम लंबे समय से करते आ रहे हैं."  

      अग्निवेश जी !अंधविश्वास कहते किसे हैं अंधे लोग जिसका विश्वास करें या कुछ और !तो क्या इतने बड़े समुदाय को आप अंधा समझते हैं !  

श्रद्धेय शंकराचार्य जी और उनके सभी साधु-संत पंडित पुरोहित आदि ने ही धार्मिक परंपराएँ  रहैं अन्यथा आपकी की तरह ही धार्मिक कपड़ों में अपने शरीर को लपेट कर अधार्मिक बातें करता हुआ हर कोई मीडिया का चहेता  बन सकता था किन्तु हर कोई बेइज्जती नहीं करना चाहता है ये भी अपनी अपनी पसंद !अन्ना हजारे के आंदोलन में जुड़ने के बाद जैसे अलग हुए दुनिया जानती है और भी कहने से क्या फायदा !किन्तु उचित होगा कि "शंकराचार्य और उनके सभी साधु-संत पंडित पुरोहित  लोगों के प्रति आप मौन ही रहें उसी में भलाई है ! 

 

       

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