मंगलवार, 3 नवंबर 2015

साईंव्यापारियों ने ही विवादित बना दिया साईं को !अन्यथा सनातनधर्मियों से क्या शत्रुता थी साईं की ?

  हनुमान जी के द्वारा की गई कुटाई बड़े बड़े राक्षस नहीं सह सके तो कैसे सह पाएँगे  बेचारे साईंबाबा
  विवादित साईंबाबा की सच्चाई उगलते पोस्टर ! साईं को देवता बनाने संबंधी क्रिया की प्रतिक्रिया हैं ये साईं को खदेड़ते हनुमान जी !आखिर देवता बनना इतना आसान है क्या ?वैसे भी मंदिरों में केवल देवता ही पूजे जाते हैं असुरों ने जब जब अपने को भगवान सिद्ध करने की कोशिश की तब तब उनका बध किया गया हिरण्य कशिपु हो या वेणु या अन्य राक्षस सभी अपने को ईश्वर बताकर पुजना ही तो चाहते थे जिनका संहार भगवान हमेंशा करते रहे !यदि वही अपराध साईं के साथ भी तो वही सलूक करेंगे देवी देवता !ऐसे में हनुमान जी के द्वारा साईं की कुटाई के लिए जिम्मेदार कौन !
    बंधुओ ! साईंबाबा से किसी सनातन धर्मी का कोई  विरोध नहीं है साईं बाबा हिन्दू हों मुस्लिम हों इससे भी किसी को आपत्ति नहीं है यदि मुस्लिम हों तो भी सभी धर्मों का सम्मान करने वाला हिंदू साईं से घृणा क्यों करेगा !साईं यदि कोई संत या फकीर थे तो भी क्या दिक्कत किसी रूप में भज तो ईश्वर को ही रहे थे तब भी साईं का सम्मान करने में कोई बुराई नहीं है । साईं से प्रभावित होकर कुछ लोग यदि उन्हें अपना गुरु मानें तो मानें किसी को क्या आपत्ति ! कुछ लोग उन्हें यदि अपना भगवान भी कहें तो कहें ये उनकी श्रद्धा यहाँ तक कोई बुराई नहीं है !
         बुराई शुरू होती है अब ! बंधुओ !हर धर्म के अपने धर्म ग्रंथ होते हैं कुछ मान्यताएँ मर्यादाएँ होती हैं कुछ नियम कानून होते हैं जिनका पालन करना उस धर्म के लोगों के लिए अनिवार्य होता है और उस धर्म से जुड़े जितने भी धर्म स्थल हैं मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा हों या गिरिजाघर सभी उन धर्मों के धर्म ग्रंथों के हिसाब से ही चलते हैं और यदि उस धर्म की परम्पराओं में कभी कुछ आवश्यक सुधार करने  जरूरी लगे तो उस धर्म के धर्म ग्रंथों में वर्णित धर्म संबंधी निर्धारित मर्यादा में रहकर उस धर्म के शीर्ष धर्मगुरु ,धर्माचार्य आदि लेते हैं निर्णय !हर धर्म की यही निर्विवाद पवित्र परंपरा है ।सनातनी हिन्दू भी इसी शास्त्रीय मर्यादा से बँधे हुए हैं । जैसे हर धर्म में इमाम पोप ग्रंथी आदि शीर्ष धर्मगुरु ,धर्माचार्य होते हैं ऐसे ही सनातन धर्म में जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वरूपानंद जी हैं शीर्ष प्रमाणित एवं सबसे बयोवृद्ध  शंकराचार्य होने के नाते उनके सर्व सम्मति से लिए गए धर्म संबंधी निर्णय सनातन धर्मियों के लिए मन्त्र रूप ही मान्य हैं उसमें किसी का किंतु परंतु करना ठीक नहीं है । जैसे किसी धर्म को मानने वाले अपने धर्म के शीर्ष धर्माचार्य के सम्मान से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करते हैं ठीक उसी प्रकार से सनातनधर्मी हिन्दू भी अपने शीर्ष धर्मगुरु के सम्मान के प्रति समर्पित हैं ! 
        सनातनधर्म की शास्त्रीय मान्यताओं ,तीर्थ स्थलों पूजा स्थलों पवित्र नदियों ,पूजाविधियों ,संस्कारों ,कर्तव्यों के विषय में समय समय समय पर समाज को सचेत करना श्रद्धेय शंकराचार्य जी का धार्मिक दायित्व है यदि वो ऐसा करते हैं तो यही तो उनका कर्तव्य है जिसका वो पालन कर रहे हैं 90 -92 वर्ष की उम्र में भी कर्तव्य निष्ठा उन्हें बाध्य कर रही है कि सबकी निंदा आलोचनाएँ सहते हुए भी वो दिन दिन भर समय दे रहे हैं धार्मिक भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिये !उनकी एक एक स्वाँस समर्पित है सनातन धर्म के लिए !फिर भी साईं को बदनाम करने वाले साईं धर्मी हों या साईं द्रव्य का लोभी मीडिया या हिंदुओं का कोई निजी संगठन ,शासन ,सरकार या बनावटी फर्जी बाबा लोग ही क्यों न हों जो चार अक्षर संस्कृत नहीं बोल सकते उन्होंने संस्कृत भाषा में लिखे गए शास्त्र कैसे पढ़े होंगे ऐसे लोग मीडियायी अदालतें लगा लगाकर साईं को देवता बताने और शंकराचार्य जी को विवादित बताने पर आमादा हैं !आखिर धर्मसंबंधी प्रकरणों का निर्णय सनातन धर्मी शीर्ष धर्माचार्य ही लेंगे या ऐसे ऐरे गैरे लोग टीवी चैनलों पर बैठके सुना देंगे धर्म सम्बन्धी फैसले !
   ऐसे अंधे बहरे कर्तव्य भ्रष्ट धार्मिक भ्रष्टाचारियों के द्वारा थोपे गए साईं जैसे बुड्ढों को सनातन धर्मी क्यों मान लें अपना देवता और क्यों घुस जाने दें अपने मंदिरों में क्यों उनकी मूर्तियाँ रख लेने दें अपने देवी देवताओं के बराबर ! क्यों उनकी आरती पूजा होने दें अपने देवी देवताओं की तरह !क्यों ऐसे पोस्टर छापने दें जिनमें साईं देवी देवताओं के बराबर बैठाए गए हों !भगवान  शंकर , श्री राम ,श्री कृष्ण आदि भगवानों की तरह परोसे जा रहे हों साईं उन्हीं की वेष भूषा बनाकर बैठाए गए हों !साईं को साईंराम या साईंश्याम क्यों कहने दिया जाए !

 बंधुओ !ऐसी सभी बातों से समाज को भ्रम होने लगता है जिसका शिकार हुआ है सनातन  समाज !जैसे प्रधान मंत्री के साथ किसी की फोटो हो तो लोग उसे प्रधान मंत्रीका आदमी परिचित मिलने जुलने वाला आदि समझ लेते हैं उसी प्रकार का धोखा सनातन धर्मियों को साईं वालों ने पोस्टर बना बनाकर ही तो दिया है इसलिए जहर जहर को मारता है इस विधि को ध्यान में रखते हुए ही बनाए  गए होंगे साईं को खदेड़ते हुए पोस्टर तो इसमें बुराई क्या है !
पढ़िए हमारा ये लेख भी -
साईं जैसों से करोड़ों अरबों गुना ज्यादा अच्छा था रावण!
         इतनी सारी शक्ति सामर्थ्य सभी विद्याओं का धनी  एवं भगवान शंकर का उपासक था वह !रावण ने साईं की तरह कभी भगवान बनने की कोशिश नहीं की । इतना ही नहीं रावण में और भी करोड़ों धार्मिक अच्छाइयाँ थीं साईं जैसे लोग कहाँ ठहरते हैं  उस महान तपस्वी रावण के सामने !साईं जैसों की भगवान बनने वाली बात यदि रावण भी कहीं देख रहा होगा तो बुरा उसे भी बहुत लगा होगा वह जरूर सोच रहा होगा कि कलियुग में राक्षसों में भी मिलावट होने लगी देवीदेवताओं के मंदिरों में बैठाकर देवीदेवताओं के सामने ऐरे गैरे लोग पुजवा रहे हैं अपनी प्रतिमाएँ और राक्षसों के विरुद्ध धार्मिकता की बड़ी बड़ी डींगें मारने वाले सनातनधर्मी अपने  ईश्वर का अपने मंदिरों में अपमान होता देखकर भी ज़िंदा हैं क्या किसी अन्य धर्म के लोग सह जाते अपने देवी देवताओं का ऐसा अपमान !
   जो सनातन धर्मी समाज सर्वगुण संपन्न रावण की निंदा करता रहा हो वही आज गुणविहीन साईं को पूजे तो दुनियाँ क्या कहेगी ! ऐ सनातन धर्मियों ! सिंहों की संतानें चूहे पूजें ये उन्हें शोभा नहीं देता ! अपने पवित्र पूर्वजों ने सर्वगुण सम्पन्न रावण को राक्षस मानकर उसके विरुद्ध युद्ध छेड़ा था  उसका बध हो जाने के बाद भी प्रतिवर्ष जलाते हैं उसके पुतले !ये अपनी गौरवमयी संस्कृति है!
   रावण जैसे सर्वगुण संपन्न सोने की लंका के स्वामी  के वैभव के सामने अपने पूर्वजों  की कभी आत्मा नहीं डोली उन्हीं की संतानें आज साईं के चंदे पर और चढ़ावे पर फिदा होकर साईं जैसे एक बाबाफकीर को भगवान मानने लगें !ऐ सनातन धर्मियो ! अपने पूर्वजों ने इतने बड़े बड़े मानक बनाए थे और उनकी संतानें आज साईं पूजें ! आश्चर्य !! यह देखकर दुनियाँ see more.....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/11/blog-post.html

कोई टिप्पणी नहीं: