शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

दलितों के विकास में आरक्षण सबसे बड़ा रोड़ा है " मूस मोटाइ तौ लोढ़ा होई औ का हाथी घोड़ा होई? "

जातीय राजनीति करने के लिए जातियों को जीवित रखना चाहते हैं नेता लोग   !           

      यदि जातिवाद समाप्त ही करना है तो जाति आधारित जनगणना क्यों और जाति के आधार पर क्यों बाँटी  जाती है आरक्षण समेत वो सभी सुविधाएँ !अपने को दलित मानने वाले लोग यदि जातियों की कमाई नहीं खाना चाहते तो  अपने नाम के साथ जातियाँ लगाना बंद करें और जातिगत आरक्षण का करें बहिष्कार !अपना स्वाभिमान उन्हें भी सभी की तरह स्वयं बनाना पड़ेगा ! नेता लोग जातियों के आधार पर चुनाव लड़ना बंद करें !यदि ये सब नहीं किया जा सकता तो मनुवाद की निंदा करने वाले कुंद  लोगों  को सोचना चाहिए कि वे जातियाँ रखना चाहते हैं या मिटाना ! ब्यर्थ में महर्षि मनु को गलियां क्यों दी जाती हैं ?
      एक संग नहीं होहिं भुआलू ।  हँसब ठठाइ फुलाउब गालू ॥
दलित नेताओं ने भी दलितों के साथ ही किया है विश्वास घात !आज वो भी करोड़ों अरबोंपति हो गए हैं आखिर कैसे ?सवर्ण तो षडयंत्र के तहत बदनाम किए गए हैं बाकी दलितों के हकों को नेताओं ने मिलजुलकर लूटा है !
     नेता दलित हों या कोई और किंतु नेता अक्सर गरीब नहीं होते आखिर क्यों ?इनके आयस्रोतों की जाँच ईमानदारी से हो तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा किंतु ऐसी जाँच कोई नेता कराएगा क्यों और आम जनता के पास ऐसे अधिकार नहीं होते !नेता जनता के हितों के लिए

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