बाबाओं को बलात्कारी बनाने में दोषी है समाज !
उनसे बच्चे पैदा करावे समाज और सजा भुगतें बाबा !
बलात्कारियों के लक्षण शास्त्रों से
बिना पढ़े लिखे भ्रष्ट लोगों को ज्योतिषी बना देता है समाज !निंदा सहते हैं विद्वान !
ज्योतिषियों के लक्षण पराशर होरा से
नचैया गवैया भड़वों को भागवत वक्ता मानता है समाज !
जब वो बलात्कारी रंग दिखावें तो दोष भुगते या निंदा सहे भागवतपुराण और भागवत के चरित्रवानविद्वान !
ऐसे भड़ुआभक्तों को चाहिए कि वे अपने जीवन का एक निर्णय करके तब भागवत की शरण में जाएँ कि उन्हें भागवत कथा की बातें माननी हैं या नहीं माननी हैं तो उन खूसटों से सबसे पहले पूछें कि भागवत कहने और सुनने वाला कैसा होना चाहिए और उनके नियम धर्म आचार व्यवहार भागवत में क्या लिखे गए हैं वो बताओ अन्यथा गीताप्रेस की हिन्दी अर्थ वाली भागवत खरीद लावें और उसमें महात्म्य खोलें
तांत्रिकों (पाखंडियों )से लुक छिप कर पाप करावे समाज !
जब बात खुले तो महिलाएँ भोली भाली पाखंडी जेल में और गाली खाएँ तंत्र शास्त्र के विद्वान लोग और तंत्र शास्त्र !
संविधान के ढाँचे में नहीं ढाले जा सकते हैं शास्त्र !शास्त्रों का अपना संविधान है !
पाखंडी पत्रकार भी शास्त्रीय विषय जाने समझे बिना ही संविधान के ढाँचे में ढालना चाहते हैं शास्त्र की दृष्टि से
क्या हैं तों को या तो मानें या फिर न मानें
संसद में शोर मचवाने के लिए दोषी है जनता और गाली खा रहे हैं बेचारे नेता !
भ्रष्टाचार पसंद है जनता गाली खा रहे हैं अधिकारी कर्मचारी मंत्री संत्री लोग !
उनसे बच्चे पैदा करावे समाज और सजा भुगतें बाबा !
बलात्कारियों के लक्षण शास्त्रों से
बिना पढ़े लिखे भ्रष्ट लोगों को ज्योतिषी बना देता है समाज !निंदा सहते हैं विद्वान !
ज्योतिषियों के लक्षण पराशर होरा से
नचैया गवैया भड़वों को भागवत वक्ता मानता है समाज !
जब वो बलात्कारी रंग दिखावें तो दोष भुगते या निंदा सहे भागवतपुराण और भागवत के चरित्रवानविद्वान !
ऐसे भड़ुआभक्तों को चाहिए कि वे अपने जीवन का एक निर्णय करके तब भागवत की शरण में जाएँ कि उन्हें भागवत कथा की बातें माननी हैं या नहीं माननी हैं तो उन खूसटों से सबसे पहले पूछें कि भागवत कहने और सुनने वाला कैसा होना चाहिए और उनके नियम धर्म आचार व्यवहार भागवत में क्या लिखे गए हैं वो बताओ अन्यथा गीताप्रेस की हिन्दी अर्थ वाली भागवत खरीद लावें और उसमें महात्म्य खोलें
तांत्रिकों (पाखंडियों )से लुक छिप कर पाप करावे समाज !
जब बात खुले तो महिलाएँ भोली भाली पाखंडी जेल में और गाली खाएँ तंत्र शास्त्र के विद्वान लोग और तंत्र शास्त्र !
संविधान के ढाँचे में नहीं ढाले जा सकते हैं शास्त्र !शास्त्रों का अपना संविधान है !
पाखंडी पत्रकार भी शास्त्रीय विषय जाने समझे बिना ही संविधान के ढाँचे में ढालना चाहते हैं शास्त्र की दृष्टि से
क्या हैं तों को या तो मानें या फिर न मानें
संसद में शोर मचवाने के लिए दोषी है जनता और गाली खा रहे हैं बेचारे नेता !
भ्रष्टाचार पसंद है जनता गाली खा रहे हैं अधिकारी कर्मचारी मंत्री संत्री लोग !
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