कुछ बलात्कारियों को लोगों ने साधू संत मानना शुरू कर दिया है,कुछ पाखंडियों को
और तंत्र जैसे विषय पढ़े जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही न हो और न ही इस विषय में उस
ज्योतिष भ्रष्टाचार निवारण हेतु जनहित में जारी प्रश्न नं 1 -
विद्वान ज्योतिषियों की पहचान कैसे करें -
ज्योतिष सब्जेक्ट में जिनके पास किसी भी सरकारी विश्व विद्यालय से प्राप्त ज्योतिषविषय का कोई डिग्री प्रमाण पत्र न हो इसका मतलब उन्होंने ज्योतिष नहीं पढ़ी है फिर भी आप उन्हें ज्योतिषी मानने लगे हों ये गलती आपकी है तो भोगना आपको ही पड़ेगा ! मोची लोग चमड़े को काट भी देते हैं और सिल भी लेते हैं तो उनके काटने और सिलने के गुण से खुश होकर उन मोचियों से हार्ट सर्जरी करा लोगे क्या ?
ज्योतिष भ्रष्टाचार निवारण हेतु जनहित में जारी प्रश्न नं 2 -
ज्योतिषसंबंधी क्वालीफिकेकशन के डिग्री प्रमाणपत्र सही हैं या गलत ?
यह जानने के लिए उस ज्योतिषी ने जहाँ से अपने ज्योतिष संबंधी डिग्री प्रमाण पत्र लिए हैं वो सही है या गलत तथा वो विश्वविद्यालय सही है या गलत यह जानने के लिए सरकार ने आपको RTI जैसी सुविधा उपलब्ध करवाई है आप मानव संसाधन मंत्रालय में RTI डालकर उस विश्वविद्यालय के विषय में सही गलत की जानकारी ले लें और उस ज्योतिषी का नाम पता सन आदि लिखकर एक RTI उस विश्वविद्यालय में डाल दें और ये पता कर लें कि आपके ज्योतिषी साहब की ज्योतिष संबंधी डिग्रियाँ सही हैं या फर्जी !
ज्योतिष भ्रष्टाचार निवारण हेतु जनहित में जारी प्रश्न नं 3 -
हर ज्योतिषी के विषय में इतनी तहकीकात कैसे की जाए ?
अपने जीवन और घर में बहुत ज्योतिषी नहीं घुसाने चाहिए ज्योतिषी एक दो ही बहुत हैं किंतु वे अच्छे अर्थात विद्वान ,चरित्रवान और विश्वास करने योग्य हों क्योंकि ज्योतिषियों से घर के सभी सदस्यों से जुड़ी सभी विषयों से सम्बंधित सभी सलाहें लेनी पड़ती हैं उसमें कई गुप्त से गुप्त बातें भी होती हैं जो घर के सदस्यों के अपने विषय की और घर के ही किसी अन्य सदस्य या किसी बाहरी विषय से संबंधित होती हैं जिनके प्रकट होने पर घर का वातावरण बिगड़ सकता है इसलिए हर किसी से ज्योतिष संबंधी सलाह नहीं ली जानी चाहिए । जिससे सलाह लेना हो उस पर अचानक भरोसा न करे सर्व प्रथम उसके डिग्री प्रमाण पत्रों से लेकर उसके चरित्र और आचार व्यवहार के विषय में जाने और उसके विषय में अनुभव करता हुआ धीरे धीरे ही विश्वास को बढ़ावे इससे धोखा नहीं होगा !
ज्योतिष भ्रष्टाचार निवारण हेतु जनहित में जारी प्रश्न नं 4 -
जब डिग्री और प्रमाणपत्रों की सुविधा नहीं थी तब भी तो होते थे विद्वान् ज्योतिषी !
तब डिग्रियों का प्रचलन ही नहीं था और न ही डिग्रियों की आवश्यकता ही थी । पहले आयुर्वेद भी तो ऐसे ही चलता था किंतु भ्रष्टाचार के कारण ही सरकार को वहाँ भी डिग्रियों का प्रावधान करना पड़ा पहले नैतिकता का वातावरण था वैसे भी विद्वानों को क्या वे न कभी डरपोक रहे और न ही अनैतिक ! हमेंशा से राजाओं की आज्ञा मानते रहे हैं अब सरकार की आज्ञा मानते हैं उस समय योग्यता परीक्षण करने के लिए राजाओं ने शास्त्रार्थ आदि व्यवस्थाएँ निर्धारित की थीं इसलिए विद्वान लोग शास्त्रार्थ का सामना करते थे तब लोग उसी आधार पर तो राज ज्योतिषी आदि चुने जाते थे !वर्तमान समय में राजाओं के स्थान पर सरकारें हैं सरकारों ने ज्योतिष शास्त्र के पाठ्यक्रम बना रखे हैं जो सरकारी विश्वविद्यालयों में पढ़ा कर ज्योतिष संबंधी डिग्री प्रमाणपत्र दिए जाते हैं तो अब जो पढ़े लिखे ज्योतिष विद्वान लोग हैं वे विश्वविद्यालयों में पढ़ कर ज्योतिष संबंधी डिग्री प्रमाणपत्र हासिल करते हैं उसमें किंतु परंतु क्या ?
ज्योतिष भ्रष्टाचार निवारण हेतु जनहित में जारी प्रश्न नं 5 -
लोभी ज्योतिषियों से लम्बे समय तक पटरी खा पाना कठिन होता है षी यदि लोभी हो इसलिए उससे लम्बे
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें