समाज में अपराधों के बढ़ने का मुख्य कारण है शिक्षा संबंधी भ्रष्टाचार !शिक्षा से यदि संस्कार सुधरते हैं तो अशिक्षा से बिगड़ते भी तो हैं कितने दशक बीत गए सरकारी शिक्षा के प्रति दिनोंदिन बढ़ती लापरवाही के !
संस्कृत पढ़ना पढ़ाना जो लोग मजाक समझते हैं ऐसे शिक्षकों और अधिकारियों को मुक्त किया जाए उनके पदों से !उनकी सैलरी पर केवल दिखावे के लिए खर्च हो रहा पैसा बचाया जाए !किसी और काम आएगा !ऐसे गैर जिम्मेदार लोगों के चंगुल से संस्कृत शिक्षा को मुक्त करवाया जाए !कम से कम बच्चे ये तो समझेंगे कि संस्कृत हमने पढ़ी ही नहीं है ।
संस्कृत पढ़ाने वाले 99 प्रतिशत शिक्षक संस्कृत बोल नहीं पाते हैं फिर भी संस्कृत पढ़ाने की सैलरी उठा रहे हैं वो भी हजारों लाखों रूपए महीने ऐसे हो रही है संस्कृत शिक्षा के साथ गद्दारी !इसमें सरकारें और अधिकारी सब सम्मिलित हैं शिकायत किससे किसकी की जाए !संस्कृत पढ़ाने के नाम पर खाना पूर्ति कर रहे शिक्षक बड़े गर्व से कह देते हैं कि हम संस्कृत पढ़ा लेते हैं लेकिन बोल नहीं पाते हैं इसका सीधा सा अर्थ क्या ये नहीं है कि संस्कृत हमने पढ़ी ही नहीं है इसलिए पढ़ावें क्या !बस संस्कृत पढ़ाने के नाम पर बेवकूप बना लेते हैं !आखिर सरकार क्यों सह रही है ऐसे शिक्षकों को !सरकार की मजबूरी क्या है ?
जिसकी दृष्टि संस्कृतमय नहीं है जिसका मन संस्कृत में डूबा नहीं है जिसकी वाणी में संस्कृत नहीं है "संस्कृताध्ययनेन किं "ऐसे लोगों को संस्कृत पढ़ा लिखा मानना ही नहीं चाहिए !
कई स्कूलों में तो जो शिक्षक सबसे ज्यादा अनपढ़ लापरवाह कामचोर गँवार आदि होते हैं उन्हें संस्कृत पढ़ाने की ड्यूटी सौंप दी जाती है वो इतने बेशर्म होते हैं कि कक्षाओं में जाकर पढ़ाना तो दूर बच्चों के बीच बैठकर संस्कृत का उपहास खुद उड़ा रहे होते हैं !
एक शिक्षक से बच्चों ने निबंध के विषय में पूछा वो संस्कृत शिक्षक होने के नाम पर हजारों लाखों रूपए सैलरी उठाने वाले शिक्षक बच्चों से कक्षा में कह रहे थे कि उसमें क्या है हिंदी में लिख लो ऊपर से स्याही छिड़क देना संस्कृत हो जाएगी !क्या ऐसे होगा संस्कृत का विकास !
शिक्षकों के नाम पर ऐसे लोग रखे जाते हैं जिनमें 99 प्रतिशत लोग तो संस्कृत बोल ही नहीं पाते हैं संस्कृत पढ़ाएँगे क्या ख़ाक !फिर भी सरकार इतनी दयालु है कि उन्हें भी 50-60 हजार सैलरी देती है संस्कृत पढ़ाने की ! दूसरी ओर संस्कृत बोलने समझने और पढ़ने पढ़ाने वाले लोग बेरोजगार घूम रहे हैं मारे मारे ! उनके पास घूस देने के पैसे नहीं हैं !ऐसे ही अधिकारी कर्मचारी कर रहे हैं शिक्षा का सत्यानाश !वैसे तो शिक्षा विभाग क्या हर विभाग के अधिकारी कर्मचारी जिन पदों पर बैठे हैं वो उस लायक हैं भी या नहीं समय समय पर इसकी भी जाँच की व्यवस्था की जाए ताकि कम से कम काम की क्वालिटी को तो मेनटेन रखा जा सके !
परीक्षा लेना और कॉपी जाँचना जिन्हें नहीं आता है वे टॉपर बच्चों की परीक्षा रद्द करवा रहे हैं देखो तो अंधेर !गलती शिक्षकों अधिकारियों की जलील किए जाते हैं बच्चे !उलटा चोर कोतवाल को डांटे !
घूस देकर नौकरियाँ पाने वाले शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों की योग्यता का पुनः परीक्षण हो जो उसमें पास हों वे रखे जाएँ अन्यथा खदेड़ बाहर किए जाएँ !जनता के टैक्स से सैलरी पाने वाले लोग यदि जनता के काम न आ सकें जनता का भरोसा न जीत सकें तो ऐसे लोग देश के किस काम के !
सरकार निकाल बाहर करे उन्हें नौकरियों से और उनसे वसूली जाए अब तक की सारी सैलरी ऊपर से चलाया जाए धोखाधड़ी का मुक़दमा !बिहार सरकार यदि ईमानदार है तो अपनी न्याय प्रियता का परिचय दे !
वैसे तो पूरे देश में ही अधिकारियों कर्मचारियों का पुनः योग्यता परिक्षण हो क्योंकि देश के किसी विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपनी सेवाओं से समाज को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं इन की जिम्मेदारी है ये या तो जनता का विश्वास जीतें और यदि ऐसी योग्यता सेवा भावना न्यायप्रियता नहीं है तो वो जिस लायक हैं जाकर वो करें सरकारी पदों को छेककर न बैठें !सरकारी विभागों के घपले घोटाले भ्रष्टाचार घूसखोरी और बढ़ते अपराध उन विभागों से जुड़े अधिकारियों कर्मचारियों की अयोग्यता को दर्शाते हैं यदि योग्यता होती तो कंट्रोल कर लेते !
मूर्खों भ्रष्टों और बेशर्मों का समुद्र है शिक्षा विभाग !अधिकारी स्कूलों में झांकने तक नहीं जाते हैं शिक्षक पंचायतें किया करते हैं । सरकार ने आफिसों में लगवा रखे हैं AC निकलने का मन किसका होता है वैसे भी गरीबों के बच्चे यदि पढ़ भी जाएंगे तो अधिकारीयों को कौन कमाकर खिलाएंगे !
शिक्षा विभाग में घूस और सोर्स के बिना कहीं बात ही नहीं बनती है इसीलिए तो पढ़ेलिखे ईमानदार लोग आज बेरोजगार हैं! बेचारे बच्चों के लिए ईमानदारी की बातें !वैसे भी अनपढ़ गँवार लोग मंत्री बनें तो ठीक और टॉपर बनें तो गलत क्यों ?पढ़े लिखे लोग ईमानदार लोगों को राजनीति में कोई नहीं पूछता है न सरकारी नौकरियों में और व्यापार वो कर नहीं सकते सरकारों को समझ नहीं है कि उनका उपयोग कहाँ करें !
बिहारसरकारकेशिक्षास्वाभिमान |
शिक्षाबोर्ड में ही यदि पढ़े लिखे कर्तव्य निष्ठ लोग होते और उन्हें ही सैलरी लेने की थोड़ी भी शर्म होती तो ये परिस्थितियाँ पैदा
ही क्यों होतीं !आखिर इन बच्चों को टॉपरबनायाकिसने !
शिक्षकों अधिकारियों कर्मचारियों की भी योग्यता का परीक्षण क्यों न हो
!क्या वो उन पदों के लायक हैं जहाँ जमे बैठे हैं आज !हो सकता है उन्हें
परीक्षा लेना और कॉपी जाँचना ही न आता हो ! या फिर खरीद ही लिए गए हों
!क्योंकि पढ़े लिखे ईमानदार लोगों को नौकरियाँ मिलती कहाँ हैं जिनका भाग्य
बहुत अच्छा हो उनकी तो बात ही और है बाकी तो नौकरियों के लिए परीक्षा कम
नीलामी ज्यादा होती है वैसे तो सरकारी नौकरी पाने के लिए शिक्षा हो न हो
घूस और सोर्स हो तो आप हो सकते हैं सरकारी कर्मचारी !
शिक्षकों में बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है कि वो जिन कक्षाओं को पढ़ाने के लिए
स्कूलों पर थोपा गया है उन्हें खुद उन कक्षाओं की परीक्षाओं में बैठा दिया
जाए तो वो बड़े गर्व से फेल हो जाएँगे !वहीँ दूसरी ओर बहुत पढ़े लिखे होनहार
लोग जलालत की जिंदगी जी रहे हैं उनके पास घूस देने के लिए पैसे नहीं थे
सोर्स नहीं था इसलिए !मेरी बात पर यदि भरोसा न हो तो सरकार अपने नियुक्त
शिक्षकों से उन विषयों में खुली बहस करवाकर देख ले धूल चाटते फिरेंगे ये
सरकारी भ्रष्टाचार के प्रोडक्ट !
सरकार के ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों ने न जाने कितने बच्चों की जिंदगी से
खिलवाड़ किया होगा कितने अनपढ़ों को टॉपर बनाया होगा !कितने होनहार बच्चों
को फेल किया होगा !अब उनके साथ न्याय कैसे हो ! किंतु इस बीमारी को दूर
करने की जिम्मेदारी सरकारों की होती है सरकारों में शिक्षित लोग होते कितने
हैं शिक्षित लोगों को राजनीति में पसंद कौन करता है जो शिक्षित होते भी
हैं वो भी लगभग उन्हीं की भाषा बोलने लगते हैं उन्हीं के जैसा बात व्यवहार
!इसलिए नेताओं से क्या उम्मींद की जाए !
समय समय पर अधिकारियों कर्मचारियों की योग्यता का परीक्षण और इनके काम
का मूल्यांकन होता रहे तो पता लगे कि वो जिन पदों पर काम कर रहे हैं उस
लायक हैं भी क्या ? घूस और सिफारिस के नाम पर नौकरियाँ पाने वाले सरकारी
अधिकारी कर्मचारियों का बहुत बड़ा वर्ग फेल हो जाएगा ऐसी योग्यतापरीक्षण
परीक्षाओं में ! रही बात मूल्यांकन में उसमें तो वैसे भी फेल ही हैं उसमें
पास इन्हें मान कौन रहा है सारे अपराधों भ्रष्टाचारों के जनक हैं ये
!सरकारों में सम्मिलित लोगों की कमाई करवाते रहते हैं इसलिए सरकार इनकी
सैलरी बढ़ाती और पीठ थपथपाती रहती है !बाकी और पसंद कौन करता है इन्हें !
आज 10 -15 हजार रुपए देकर प्राइवेट स्कूल इतनी अच्छी शिक्षा दे रहे हैं कि
सारे
सरकारी कर्मचारी और सरकारों में सम्मिलित लोग और धनी लोग उन्हीं स्कूलों
में पढ़वा रहे हैं अपने बच्चे !फिर भी सरकारी स्कूलों में पचासों हजार
सैलरियाँ उन्हें देते हैं जिन्हें उठने बैठने बोलने चालने का भी ढंग नहीं
होता वो पढ़ाएँगे क्या ?वो तो छोटे बच्चों की तरह स्कूलों कक्षाओं से इतना
डरते हैं कि बहाने बना बना कर भाग आते हैं कक्षाओं से स्कूलों से सरकार
उन्हें सैलरी बढ़ाने का लालच दे देकर घेर घेर कर बैठाती है स्कूलों में ऐसे
कहीं होती है पढ़ाई !
वैसे भी वो पढ़े हों तो पढ़ाने में मन लगे जिस गाय के पास दूध होगा वही तो
पेन्हाएगी ठठुआ गायों से दूध की उम्मीद लगाए बैठी है सरकार !वैसे भी
प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक तो ढो रहे हैं अपनी अध्यापकी !उन्हें पढ़ने के
अलावा सबकुछ आता है ये मीटिंग बहुत अच्छी कर लेते हैं इन्हें जुकाम भी हो
गया हो और जुकाम की चर्चा करते करते गुजार देते हैं पूरा दिन !
अधिकारी इतने गैर जिम्मेदार हैं कि वो शिक्षा के प्रति अपना दायित्व ही भूल चुके हैं शिक्षा की क्वालिटी क्या सुधारेंगे !
अधिकारी इतने गैर जिम्मेदार हैं कि वो शिक्षा के प्रति अपना दायित्व ही भूल चुके हैं शिक्षा की क्वालिटी क्या सुधारेंगे !
मजे की बात ये है कि कम पैसों में प्राइवेट स्कूलों को शिक्षक आराम से मिल
जाने पर भी सरकार महँगे शिक्षक रखती है अपना अपना शौक !अन्यथा उतनी सैलरी
में एक की जगह चार शिक्षक रखकर बेरोजगारों की बेरोजगारी दूर की जा सकती है
और स्कूलों को अधिक शिक्षक उपलब्ध कराए जा सकते हैं अधिक संख्या होने पर
सरकारी शिक्षक होने के नाते शिक्षा की उम्मींद तो नही जा सकती फिर भी सुरक्षा की उम्मींद तो की ही जा सकती है ! उन्हें बातें ही तो करनी होती हैं जैसे आफिस में बैठ के करते हैं वैसे गेट के सामने बैठ के करेंगे !
बच्चों ने कर्तव्यभ्रष्ट सरकार के मुख पर तमाचा मारा है ! मेरी ओर से तो टॉपर
बच्चों को बधाई उनकी मूर्खता बिहार के काम तो आई !पढ़ लिखकर वो देश और
समाज की इतनी मदद नहीं कर सकते थे !मूर्खों को महत्त्व देती हैं सरकारें
तो टॉपर बनाने से ज्यादा खतरनाक है मूर्खों को मंत्री बनाना !मूर्ख मंत्री
कब किससे क्या बोल बैठे क्या कर बैठे क्या भरोस ! नितीश कुमार की नकलनीति
जिन्हें टॉपर बनाया उन बच्चों को जलील क्यों किया जा रहा है !
सरकारी कर्मचारी खुद काम करना नहीं चाहते सरकार उनसे काम लेना नहीं चाहती
!बच्चों का दोष देते हैं । सरकारी कर्मचारियों का एक बड़ा वर्ग समाज से कमा
कर उसका कुछ हिस्सा सरकार को देता है सरकार खुश होकर उनकी सैलरी बढ़ा देती
है !सरकार भी खुश वो भी खुश !सरकार के हर विभाग में भ्रष्टाचार है किंतु
उसे पकड़े कौन !उस पर एक्सन लेने का मतलब है सरकार और सरकारी कर्मचारियों
दोनों का नुक्सान !
कुल मिलाकर टॉपर होकर बेचारे किसी को सताते तो नहीं हैं !मूर्ख मंत्रियों
को तो कोई कुछ नहीं कहता फिर मूर्ख टॉपरों को क्यों जलील किया जा रहा है
बिहार के टॉपरों को कुछ नहीं आता इसमें उनका क्या दोष ?
शिक्षक कापियाँ ही न जाँच पाए हों उनका क्या भरोस !
या उपमुख्यमंत्री जी की अशिक्षा का इन टापरों से कोई नाता हो ।
हो सकता है कि बिहार सरकार को ही परीक्षा लेना न आता हो ॥
शिक्षक कापियाँ ही न जाँच पाए हों उनका क्या भरोस !
या उपमुख्यमंत्री जी की अशिक्षा का इन टापरों से कोई नाता हो ।
हो सकता है कि बिहार सरकार को ही परीक्षा लेना न आता हो ॥
बिहार की परीक्षाओं में नक़ल के नज़ारे !
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