रामदेव ने अपने को मोदी सरकार का अघोषित मार्गदर्शक सिद्ध कर रखा है ऐसे में इनके ऊटपटाँग झूठ साँच बोलने का असर केंद्र सरकार की छवि पर पड़ता है !रामदेव यदि झूठे दावे करने बंद कर दें तो उनका व्यापार कमजोर पड़ने लगता है ! मोदी सरकार की दुविधा ये है कि वो एक और इस दुश्मन तैयार करके जग हँसाई नहीं करना चाहती !
सिक्योरिटी !व्यापार
बाबारामदेव ज्योतिष को पाखंड और ज्योतिषियों को पाखंडी कहते हैं किंतु सबसे बड़े पाखंडी हैं स्वयं बाबारामदेव ! सिक्योरिटी !व्यापार
रामदेव के योग से रोग ठीक होते हैं ये भ्रम है उनकी दवाओं से रोग ठीक होते होंगे ये भी भ्रम है उनके कलियुगी पतंजलि का राशन सबसे बड़ा भ्रम है और उन बेच जाने वाला राशन एक धोखा है !
का राशन एक छल से रोग यदि ठीक हो सकते तो वो दवाएँ क्यों बेचते और उनकी दवाओं में यदि कुछ दम होती तो लोग दवाओं से ही स्वस्थ हो जाते उसके लिए उन्हें अलग से शुद्ध आटा दाल क्यों बेचने पड़ते ! यदि उनकी पतंजलि योग पीठ में ही मिलने वाला राशन शुद्ध होता है सबकुछ शुद्ध होता है बाकी के आलावा
' योग ' का रोगों से कोई संबंध ही नहीं है ! 'योग' तो मन पर और इंद्रियों पर अंकुश लगाने का अभ्यास मात्र है ! योग से रोग का कोई संबंध नहीं है योग तो मन का विषय है
इस कसरती योग का रोग भगाने से कोई ख़ास संबंध नहीं है कसरत और व्यायाम को योग कहने लगना न केवल मूर्खता है अपितु अनपढ़ होने की निशानी भी है !
गरीबों किसानों मजदूरों ग्रामीणों के द्वारा दिन रात कठोर परिश्रम किया जाता है जिससे अकर्मण्य बाबाओं के द्वारा योग के नाम पर सिखाई जाने वाली कसरतों से कई गुणा अधिक लाभ होता है क्योंकि वो ड्रामेवाजी तो होती नहीं है उसमें तो वास्तव में परिश्रम करना होता है इसीलिए उसके परिणाम भी वास्तविक होते हैं । जो लोग परिश्रम करने वालों की नक़ल करते हुए हाथ पैर तो मटकाते हैं पेट फुलाते पिचकाते हैं किंतु वास्तविक पारिश्रम नहीं करते हैं उसके परिणाम भी वैसे ही डुब्लीकेट आते हैं से नाम
जिस चीज में सीखने समझने लायक कुछ है ही नहीं उसका ढिंढोरा पीटते घूमते हैं ऊपर से कहते हैं ये योग है !इन कसरतों में योग जैसा है क्या !और गरीबों किसानों मजदूरों ग्रामीणों के लिए उनके इस योग का महत्त्व क्या है ये समाज के उन मुट्ठी भर लोगों को मूर्ख बनाने के लिए कसरतें हैं जो गिलास उठाकर अपने हाथ से पानी नहीं पीना जानते हैं जिन्हें ड्राइवर सुबह घर से लाड कर ले जाता है शाम को घर में फ़ेंक जाता है ये कसरतें उन्हीं शारीरिक श्रम चोरों को शोभा देती हैं ।
ईश्वर ने दुनियाँ में हर किसी के लिए काम बनाया है किंतु जो अपने हिस्से का काम नहीं करेंगे हाथ पैर तो उन्हें भी हिलाने डुलाने पड़ेंगे !अन्यथा जाम हो जाएँगे शरीर के अंग हाथ पैर काम करना बंद कर देंगे !पेट ख़राब रहने लगेगा !उससे धीरे धीरे अन्य बीमारियाँ पनपने लगेंगी !इसलिए हाथ पैर चलाना बहुत जरूरी है और यदि हाथ पैर चलाना ही है तो खाली हाथ पैर चलाने का नाटक क्यों करना इनसे कुछ काम लो !जिसके लिए ये बनाए गए हैं करोगे नहीं और झूठे नाटक करने का क्या लाभ !ऊपर से कहते हैं कि हम योग सिखा रहे हैं । ऐसा योग तो गरीब
किसान मजदूर आदि लोग तो दिनभर करते हैं फिर अंतर इतना ही तो है कि
उन्होंने दाढ़ा झोटा नहीं बढ़ा रखा होता है और रंग बिरंगे लाल पीले कपड़े नहीं
पहनते हैं किंतु परिश्रम तो वो भी करते हैं और उनके परिश्रम का शरीर एवं
स्वास्थ्य पर जितना असर पड़ता है उतना बाबा रामदेव के इस तथाकथित योग का
नहीं होता है क्योंकि इसमें कोरे हाथ पैर हिलाने डुलाने का नाटक करना होता
है जबकि किसानों मजदूरों ग्रामीणों ग़रीबों को वास्तव में परिश्रम करना
होता है ये थोड़ी देर हिल डुल लेते हैं जबकि वो लोग दिन रात परिश्रम करते
हैं उनकी बराबरी ये कलियुग के नकली योगी कैसे कर सकते हैं ।महर्षि पतंजलि
ने ऐसे नाटक नौटंकियों माना भी नहीं है ।कसरत व्यायाम तो अनंत काल से लोग करते चले आ रहे हैं लग से
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