शनिवार, 20 अगस्त 2016

रामदेव बाबा जी को ज्योतिष समझ में नहीं आई तो कहने लगे 'ज्योतिषपाखंड' है !मूल्यांकन का ये ढंग ठीक है क्या ?

    ज्योतिष को पाखंड या अंधविश्वास बताने वाले बाबा रामदेव जी समेत उन समस्त बुद्धिबहादुरों को मेरी खुली चर्चा बहस या शास्त्रार्थ की सीधी चुनौती है वो सिद्ध करें कि ज्योतिष पाखंड या अंधविश्वास है और मैं सिद्ध करूँगा कि ज्योतिष विज्ञान है!   
     'ज्योतिषपाखंड है या विज्ञान 'इस विषय में एक बार निर्णय कर ही क्यों न लिया जाए !ऐसे तो कभी भी  कोई भी मुख उठाकर बोल देता है कि ज्योतिषपाखंड है !आखिर वो लोग कहाँ क्या करें जिन्होंने सरकारी विश्व विद्यालयों में ज्योतिष पढ़कर डिग्री लेने के लिए अपने जीवन के बहुमूल्य 10 -15 वर्ष लगा कर ज्योतिष डिग्रियाँ हासिल की हैं आखिर अब वे क्या करें !इसलिए इसका निर्णय तो किया ही जाना चाहिए !
   यदि बाबा रामदेव जी को अपनी कही हुई 'ज्योतिषपाखंड' है वाली बात में थोड़ी भी सच्चाई लगती है तो सिद्ध करें कि कैसे पाखंड है ज्योतिष !कहीं भी किसी भी खुले मंच पर स्वागत है उनका !वो अपनी बात के समर्थन में तर्क और प्रमाण प्रस्तुत करें और मैं सिद्ध मैं खंडन करूँगा कि ज्योतिष पाखंड नहीं अपितु विज्ञान है !यदि वो अपनी बात सिद्ध करने में सफल होते हैं तो मैं उनकी बात मान लूँगा और यदि मैं ज्योतिष को विज्ञान सिद्ध करने में सफल होता हूँ तो वो अपनी कसरतों को योग कहना बंद करेंगे ऐसी घोषणा करें !सोसल साइट्स पर जुड़े सभी बुद्धिजीवियों, मीडिया कर्मियों, टीवी चैनलों ,अखवारों, राजनैतिज्ञों, सुशिक्षितों ,समाजसेवकों ,विद्वानों, साधूसंतों, अधिकारियों सरकारों से मेरी ये विनम्र प्रार्थना है कि 'ज्योतिषपाखंड है या विज्ञान !इसी बहाने सही एक बार निर्णय करवाने में मेरी मदद करें ।
    किसी को डॉक्टरी न समझ में आवे तो वो डॉक्टरी को पाखंड कहने लगे जिसे इंजीनयर वैज्ञानिक आईएएस आईपीएस आदि की कठिन पढ़ाई समझ में न आवे वो इन विषयों को पाखंड और इन विषयों के विद्वानों को पाखंडी कह सकता है क्या ?यदि नहीं तो ज्योतिष के साथ अन्याय क्यों ?
   दूसरों को दोष देने के बजाए ऐसे लोगों को अपनी मूर्खता को विनम्रता पूर्वक स्वीकार कर लेना चाहिए कि वे इस विषय को नहीं जानते हैं उन्हें इस बात की पीड़ा होनी चाहिए कि हमें इस सब्जेक्ट की जानकारी क्यों नहीं है!जिस विषय की हमें जानकारी ही न हो वो सही है या गलत उसके विषय में हम टिप्पणीकैसे कर सकतेहैं !
   योगदिवस के समय फरीदाबाद में ज्योतिष और
ज्योतिषियों की निंदा करते हुए रामदेव ने जिस ढंग से जितनी भद्दी टिप्पणी की थी वो कोई भी शिक्षित व्यक्ति नहीं कर सकता है !साधू संतों की वेषभूषा में रहने वाला कोई भी शास्त्र द्रोही व्यक्ति और कुछ भी हो किंतु सनातन हिंदू संस्कृति का पोषक तो  नहीं हो सकता है !आज नहीं कल जब यह रहस्य उद्घाटित होगा तब तक देर हो चुकी होगी !
     बाबा लोगों को ज्योतिष निंदा करते समय इतनी शर्म तो होनी चाहिए कि जब भारत सरकार बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे बड़े विश्व विद्यालयों में ज्योतिष डिपार्ट में बनाए हुए है और ज्योतिष शिक्षा पर करोड़ों अरबों रूपए खर्च करती है तो उसमें कुछ होगा तभी तो करती है !दूसरी बात जो छात्र 10 -15 वर्ष यहाँ पढ़कर बड़ी बड़ी ज्योतिष संबंधी डिग्रियाँ लेते हैं उनपर क्या बीतती होगी ऐसे लप्फाजों के शास्त्रद्रोही उद्गार सुनकर !
     योगगुरु बाबा रामदेव को आयुर्वेद की जानकारी कितनी है ये मुझे नहीं पता है किंतु इतना मैं जरूर कह सकता हूँ कि ज्योतिष नहीं यदि वे आयुर्वेद भी पढ़े होते तो भी ज्योतिष को पाखंड नहीं कह सकते थे क्योंकि आयुर्वेद के बड़े ग्रंथों में अनेकों स्थलों पर ज्योतिष का प्रत्यक्ष सहयोग लिया गया है और कई स्थल ऐसे भी हैं जिन्हें ज्योतिष के सहयोग के बिना समझा ही नहीं जा सकता है इस आयुर्वेद के उन ग्रंथों में स्वीकार भी किया गया है !बाबारामदेव आज भी यदि अपनी कही हुई बात पर कायम हैं और वो यदि ज्योतिष को पाखंड सिद्ध करना चाहें तो उन्हें आयुर्वेद के उन स्थलों पर चर्चा ,बहस और शास्त्रार्थ की मेरी खुली चुनौती स्वीकार कर लेनी चाहिए ताकि उन्होंने ज्योतिष के विषय में जो बहम डाला है उसका निराकरण हो सके ! 
      आयुर्वेद ही नहीं समस्त चिकित्सा जगत से मेरा एक प्रश्न है कि एक डॉक्टर एक जैसी दवा एक जैसे कई मरीजों को देता है किंतु उनमें कोई स्वस्थ होता है कोई अस्वस्थ रहता है कोई मर जाता है जिसका जैसा समय औषधि का उस पर वैसा असर होता है कैसा किसका  समय इसकी व्याख्या ज्योतिष के बिना और कैसे की जा सकती है और यदि ऐसा करना संभव होता ही तो बड़े से बड़े डॉक्टर अच्छा से अच्छा इलाज करने बाद भी रोगी के मर जाने पर कुदरत ईश्वर समय भाग्य आदि को दोष क्यों देते हैं ?वह कुदरत ईश्वर समय भाग्य जो कि इतना बलवान है कि बहुमूल्य औषधियों एवं बड़े बड़े विद्वान चिकित्सकों के गुणों और प्रयासों के विरुद्ध फैसला सुना देता है और सबको मानना पड़ता है ।आखिर क्या मजबूरी है उस कुदरत से क्यों नहीं लड़ पाते हैं चिकित्सक !जिसके आधीन है सारा चिकित्सा शास्त्र !योग्य से योग्य चिकित्सक प्रयास कैसा भी क्यों न कर लें किंतु परिणाम वही होगा जो कुदरत ईश्वर समय भाग्य आदि के द्वारा निश्चित किया जाएगा !
    उस कुदरत ईश्वर समय और भाग्य पर गहन रिसर्च हमने की है चूँकि ये विषय ही ज्योतिष से सम्बंधित है इसके  द्वारा किसी बच्चे के जन्म लेते समय ही पता लगाया जा सकता है कि भविष्य में किस किस वर्ष कब कब शरीर रोगी  हो सकता है कुछ अनुमान इस बात का भी लगाया जा सकता है कि कब और किस प्रकार का रोग होने की सम्भावना होगी किंतु रोगों की संख्या अधिक होने के कारण इसका निश्चित अनुमान लगाना कठिन होगा !
     'मनोरोग' के क्षेत्र में तो चिकित्सा विज्ञान की कोई विशेष भूमिका ही नहीं है इसमें अधिकांश विषय चिंता और चिंतन से सम्बंधित है जो बड़े बड़े रोगों की जड़ है जिसे नापने का चिकित्सकों के पास कोई यंत्र नहीं है । चिंता और चिंतन को बदलने की कोई दवा भी नहीं है इस विषय में पूर्वानुमान लगाने की चिकित्सा जगत के पास कोई थ्यौरी ही नहीं है कई बार सकारण चिंता होती है और कई बार अकारण होती है सकारण चिंता तो कारण मुक्त होते ही समाप्त हो जाती है किंतु अकारण चिंता तो तब भी नहीं समाप्त होती है । कुल मिलाकर अकारण या सकारण चिंताओं का सीधा संबंध समय से है जिसका जब जो समय अनुकूल होगा तब उसे सारी  परिस्थितियाँ अपने अनुकूल मिलती हैं अर्थात जैसा वो चाहता है वैसा होता जाता है और जिसका जो समय प्रतिकूल होता है उसमें अपनी इच्छा के विरुद्ध परिणाम निकलते हैं !यहीं चिंता तनाव आदि जन्म लेते हैं जिससे पेट ख़राब होता है भूख नहीं लगती नींद नहीं आती हृदय और मस्तिष्क रोग होने लगते हैं।इनके मूल में चिंता तनाव आदि ही हैं जो हर किसी के अच्छे बुरे समय के कारण ही होती है । समय का अध्ययन करने के लिए ज्योतिषशास्त्र के अलावा कोई दूसरा विकल्प है हीनहीं !ज्योतिष के बिना तो गहन चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़ पाना ही कठिन है आखिर असाध्य और साध्य रोगियों की पहचान कैसे करते हैं चिकित्सक ! 
     बाबा रामदेव ने कहा ज्योतिष पाखंड और ज्योतिषी पाखंडी हैं वास्तु को भी गलत बता दिया और नग नगीने पहनने का भी उपहास उड़ा दिया !शनि की साढ़े साती को भी गलत बता दिया !बाबा जी की खोपड़ी में ये बात घुस ही नहीं पा रही है कि आकाश में उतने ऊपर जो ग्रह हैं उनका प्रभाव धरती के किसी मनुष्य पर कैसे हो जाएगा !भूत प्रेत उन्हें समझ में नहीं आते हैं । कुल मिलाकर जो चीज समझने वाली है वो तो उन्हें समझ में नहीं आती है और जिस चीज में सीखने समझने लायक कुछ है ही नहीं !जैसी हरकतें करने पर गाँवों में बच्चे अक्सर पिट जाया करते थे उसे योग बताते हैं बाबा रामदेव उसका ढिंढोरा पीटते घूमते हैं वे इन कसरतों में योग जैसा है क्या !गरीबों किसानों मजदूरों ग्रामीणों के लिए उनके इस योग का महत्त्व क्या है ये समाज के उन मुट्ठी भर लोगों को मूर्ख बनाने के लिए कसरतें हैं जो पराई कमाई खाने के शौक़ीन हैं परिश्रम पूर्वक जीवन जीने का अभ्यास नहीं करते हैं ।

रामदेव जी ने ज्योतिष और ज्योतिषियों के विषय में कहा क्या है यह जानने के लिए खोलें ये लिंक और पढ़ें -

IBN -7
रामदेव बोले, रत्नशास्त्र-वास्तुशास्त्र पाखंड, 'कृपा' के कारोबारी ढोंगी! see more...http://khabar.ibnlive.com/news/desh/baba-ramdev-yoga-day-faridabad-nirmal-baba-gemmology-492348.html 
दैनिक जागरण -
समाज को गर्त में धकेल रहे  हैं पाखंडी !-बाबा रामदेव
see more.... http://www.jagran.com/haryana/faridabad-14187390.html

You Tube -see more... https://www.youtube.com/watch?v=lAaw9a57j9Q
 

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