ब्राह्मण साधू संतों ने धर्म का व्यापार नहीं किया जिन्होंने व्यापार किया वे ब्राह्मण नहीं थे !ऐसे ब्राह्मण साधूसंतों की संख्या कितनी है ?जो अरबोंपति हैं या हुए हों !धर्म विक्रय को व्यापार नहीं माना जा सकता ! अरबोंपति ब्राह्मण साधू संतों की संख्या कितनी है क्या वे वास्तव में व्यापारिक हथकंडे अपना कर धन नहीं कमा सकते थे किंतु उन्हें धर्म प्रिय था धन नहीं इसलिए जिसे जो प्रिय होता है ईश्वर उसे वही देता है !हो सकता है कि बाबा रामदेव धन इकठ्ठा करने के लिए ही साधू बने हों इसीलिए ईश्वर ने उन्हें वही दिया क्योंकि ईश्वर से गलती नहीं हो सकती !ऐसा मेरा अपना विश्वास है ।
व्यापार का प्राण होता है जनविश्वास ! जो जनविश्वास बनाने में व्यापारियों की कई पीढ़ियाँ लग जाती हैं जबकि चालाक व्यापारी लोग इसी जन विश्वास को कम समय और कम मेहनत में जीतने का शार्टकट रास्ता मानते हैं साधू संतों जैसी वेष भूषा धारण करके व्यापार करने को क्योंकि साधू संतों पर लोग अभी भी भरोसा करते हैं ।
साधुसंतों पर इस देश ने हमेंशा से भरोसा किया है उस भरोसे की आड़ में ही सीताहरण हुआ था और आज भी बलात्कार होने की कई घटनाएँ सुनाई पड़ा करती हैं ऐसे ही साधू संतों जैसा स्वरूप बना कर बड़े बड़े अपराधों में सम्मिलित पाए जाते हैं कई लोग !ऐसी परिस्थिति में उस वेष भूषा को धारण करके कोई धन के अम्बार लगा ले तो कौन सी बड़ी बात है !व्यापार करने के लिए भी भरोसा जीतना जरूरी होता है और साधू बनने के बाद विश्वास ज़माना नहीं पड़ता है वो जम ही जाता है !साधू संतों जैसी वेषभूषा धारण करने वालों के द्वारा दिया हुआ जहर भी अमृत मानकर पी जाते हैं लोग !फिर व्यापार चला लेना कौन सी बड़ी बात है ।
बाबा रामदेव का लक्ष्य भी यदि व्यापार करना ही था तो उसके लिए उनकी ऐसी कोई मजबूरी नहीं थी कि उन्हें साधू बनना ही अपरिहार्य हो गया हो !हमें ध्यान रखना चाहिए कि साधू बनने के लिए व्यपारोचित झूठ भी बोलना पड़ता है और एक सीमा तक ईमानदारी भी छोड़नी पड़ती है अन्यथा बिलकुल ईमानदारी और सत्य निष्ठा के व्रत का पालन करते हुए व्यापार कर भले लिया जाए किंतु चलाया नहीं जा सकता !जबकि साधू संतों का पहला लक्ष्य ही ईमानदारी और सत्य निष्ठा के व्रतका पालन ही होता है करते कितने लोग हैं ये और बातहै ।
बाबा रामदेव ने भी वो व्यापारिक समझौते किए हैं जैसे अन्य व्यापारी लोग करते हैं -
पतंजलियोग के नाम पर उन्होंने जो कुछ भी बताया सिखाया महर्षि पतंजलि उसे योग मानते ही नहीं हैं !वो तो कसरत व्यायाम मात्र है वो घेरंड संहिता को कोड कर सकते हैं जिसका कुछ अंश कई बार झलक जाता है किंतु फिर 'घेरंडयोगपीठ' क्यों नहीं 'पतंजलियोगपीठ' क्यों ?
पतंजलियोग के नाम पर उन्होंने जो कुछ भी बताया सिखाया महर्षि पतंजलि उसे योग मानते ही नहीं हैं !वो तो कसरत व्यायाम मात्र है वो घेरंड संहिता को कोड कर सकते हैं जिसका कुछ अंश कई बार झलक जाता है किंतु फिर 'घेरंडयोगपीठ' क्यों नहीं 'पतंजलियोगपीठ' क्यों ?
'पतंजलियोगपीठ' में ऐसा क्या क्या किया जाता है जिसका महर्षि पतंजलि से कोई सीधा संबंध बनता हो ?बाबा रामदेव के उस तथाकथित योग से यदि रोग ठीक हो सकते थे तो योग ही करवाकर स्वस्थ करते न उन्हें औषधियों को बेचने की जरूरत क्यों पड़ी !दूसरी बात यदि उनके योग और औषधियों में इतनी ही क्षमता थी तो उन्हें शुद्ध खाने पीने का सामान क्यों बेचना पड़ा ?क्योंकि शुद्ध खाने पीने वालों को रोग होते ही नहीं हैं तो दवाओं और योग के व्यापार पर अँगुलियाँ नहीं उठेंगी ! शुद्ध खाने पीने का सौदा सामान बेचना उनके लिए जरूरी क्यों था ! माना कि काँग्रेस सरकार में उनकी बात नहीं मानी जाती होगी किंतु मोदी सरकार में तो ऐसा कुछ था वहाँ तो बाबा रामदेव की बातों का पूरा सम्मान किया जाता था वो चाहते तो मिलावटखोरों के विरुद्ध करवा सकते थे कठोर देश के सभी लोगों के लिए सुनिश्चित करवा सकते थे शुद्ध खान पान का सामान !ऐसे तो तो जो पतंजलि इ नहीं खरीदता वो अशुद्ध खा रहा है क्या ?और यदि हाँ तो उसे भी तो शुद्ध खानपान का सामान उपलब्ध कराए जाने की जिम्मेदारी सभी की है ।
बाबा रामदेव का प्रसिद्ध चैरिटी गान - हम तो चैरिटी करते हैं किंतु चैरिटी करने वालों की संपत्ति बढ़ेगी कैसे और संपत्ति बढ़ी तो चैरिटी कैसी !
रामदेव जी कहते हैं हम एक ग्लास गाय का दूध पीकर ही रहते हैं किंतु रामलीला मैदान वाले प्रकरण में तो वो सात दिन में बहुत ढीले हो गए थे सारी दुनियाँ ने कैमरे पर देखा था उन्हें !
रामदेव जी योगगुरु हैं किंतु योगियों के शरीर और मन तो बहुत मजबूत हुआ करते हैं वो डरपोक नहीं होते फिर भी रामदेव ने भयवश सलवार सूट क्यों पहन लिया था चूँकि उस समय वे इतना अधिक टूट गए थे कि जितना अन्ना हजारे 13 दिनों में भी नहीं टूटे थे !इसका कारण आखिर क्या था ?
रामदेव जी स्वदेशी भक्त हैं -इसलिए वे स्वदेशी चीजों पर ही जोर देते हैं ये बहुत अच्छी बात है किंतु वे स्वयं तो विदेशी मशीनों और विदेशी पद्धतियों से दवाएँ बनाते हैं ऐसा मैंने सुना है और सच यदि यही है तो ये कैसा स्वदेशप्रेम सा स्वदेश प्रेम !
बाबारामदेव जी कहते हैं हम तो योगी हैं यदि ये सच है तो कोई चरित्रवान योगी प्रपंचों में फँसेगा ही क्यों वो तो सांसारिक प्रपंच छोड़ता है !कहते हैं कि हम तो संन्यासी हैं अरबों का व्यापार करने वाले भी यदि संन्यासी हैं तो संन्यास की परिभाषा क्या है वो वही समझा दें !
बाबारामदेव कहते हैं "योग से रोग ठीक होते हैं "तो दवाएँ क्यों बेचते हैं योग से ही रोग ठीक कीजिए !कहते हैं कि "दवाओं से रोग ठीक होते हैं" तो दवाओं से ठीक कीजिए फिर शुद्ध खाने पीने के सामान बेचने का मतलब क्या है जब लोग शुद्ध खाने ही लगेंगे तो बीमार क्यों होंगे शुद्ध आहार विहार पर स्वास्थ्य टिका हुआ है इन सब बातों की सच्चाई क्या ये नहीं है कि न योग न आयुर्वेद शुद्ध खाओगे तो स्वस्थ रहोगे बाकी सारी बातें बकवास हैं ! आखिर सच्चाई क्या है ये समाज को भी तो पता लगे !
वर्तमान समय योगियों ज्योतिषियों तांत्रिकों पंडितों एवं साधूसंतों का एक बहुत बड़ा वर्ग भयंकर भ्रष्टाचारी है जो इन विषयों से पाप की कमाई करके ऐय्यासी में उड़ाया करता है इसलिए इनके आचार व्यवहार योग्यता तपस्या जीवन शैली आदि को समझने का निरंतर प्रयास करे धीरे धीरे उनके विषय में हुए अनुभवों को सँजो कर रखता जाए और उनके विषय में जैसे जैसे अनुभव बढ़ते जाएँ वैसे वैसे भरोसा बढ़ाता चला जाए अन्यथा विज्ञापन आदि देखकर किसी पर अचानक भरोसा करने लगने से कई बार उनके द्वारा विश्वासघात मिलता है वो परेशान लोगों के मुख से उनके घर गृहस्थी की कच्ची पक्की सारी बातें उगलवा लेते हैं जिन्हें चुपचाप टेप कर लिया करते हैं फिर वो टेप सुना सुनाकर अपने भक्तों को ब्लैकमेल किया करते हैं जिससे सामने वाले को दबाव में लाकर उसके साथ बनाए गए सेक्सुअल संबंधों के वीडियो बनवा कर रख लिया करते हैं जिनके डर से वे स्त्री पुरुष ऐसे ज्योतिषियों तांत्रिकों पंडितों कथाबाचकों एवं साधूसंतों आदि के पीछे पीछे घूमा करते हैं उन्हें आशा होती है कि शायद वो उनके ऑडियो वीडियो लौटा दें इसके लिए ऐसे लोगों के जहाँ जो कार्यक्रम होते हैं वहाँ वहाँ भीड़ बढ़ाने पहुँचा करते हैं वीडियो वाले उनके अनुयायी !वे वहाँ जाकर उनकी प्रशंसा करते उनके कार्यक्रमों में नाचते गाते रोते गिड़गिड़ाते आदि सबकुछ करते हैं लेकिन बाबा वीडियो वापस नहीं करते हैं। ये वो अश्लील वीडियो होते हैं जिनके बल पर वो सारे सुख भोग रहे होते हैं करोड़ों अरबों खरबों की संपत्ति इकट्ठी करते चले जाते हैं इसी बल पर वे बड़े बड़े कारोबार फैला लेते हैं जिनके जिनके वीडियो बाबाओं के पास होते हैं उन्हें तो उनके प्रोडक्ट खरीदने ही होते हैं और जो जो उनके शिविरों जाते हैं उनके वीडियो तो प्रायः बनते ही हैं बिरला ही कोई भले बच जाए इसलिए धार्मिक अपराधों से दूर रहना चाहिए !see more... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/p/blog-page_5.html
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