ज्योतिषपढ़ी है तो दिखावें ज्योतिषक्वालीफिकेशनके डिग्री प्रमाणपत्र कि किस सरकारी विश्व विद्यालय से ज्योतिष सिलेबस पढ़कर ज्योतिष सब्जेक्ट में कौन सी डिग्री ली है और ज्योतिष में उन्हें कहाँ क्या गलत लगा उस पर चर्चा का स्वागत है लेकिन जो अनपढ़ पाखंडी बेवड़े(नशेड़ी)ज्योतिष को गलत सिद्ध करते घूम रहे हैं किंतु ऐसे नशेड़ियों के साथ ज्योतिष संबंधी चर्चा करने का क्या अर्थ !
जैसे : कुछ कसाई लोग यदि हार्टसर्जरी को चुनौती देने लगें और कहें कि हार्टसर्जरी तो लोगों को मूर्ख बनाने पैसा कमाने का धंधा है इससे किसी को स्वस्थ नहीं किया जा सकता और वो बतावें कि हार्टसर्जरी के विषय में कुछ मोचियों ने किताबें लिखी हैं और उसमें उन्होंने हार्टसर्जरी से संबंधित अपने अनुभव भी लिखे हैं ।
उन लोगों ने तो बाकायदा प्राणियों का सीना फाड़ कर सिल भी दिया किंतु हार्ट रोगी को ज़िंदा नहीं किया जा सका इसी प्रकार से कसाइयों ने पशुओं के शरीरों को काटकर बोटी बोटी कर दी उसमें उन्हें कहीं आत्मा नहीं मिली इसलिए आत्मा परमात्मा वाली बात भी गलत है और हार्टसर्जरी की बात तो है ही बकवास आदि इसलिए कसाई और मोचियों ने एक मंच बनाकर हार्टसर्जनों से संपर्क साधना शुरू कर दिया और उनसे कहते हैं कि आप सिद्ध करें कि हार्टसर्जरी करके आप किसी का जीवन बचा सकते हैं नहीं तो हम आपको डरपोक झूठा बेईमान मक्कार मूर्ख आदि सब कुछ कहेंगे !चिकित्सकों ने कहा कि तुम जैसे लोग कुछ कसाइयों और कुछ मोचियों और मूर्खों को तो बरगला सकते हैं किंतु दर्द जब उनके भी सीने में उठेगा तो जाएँगे वो भी हार्टसर्जन के ही पास !तब मोची और कसाई काम नहीं आएँगे !
ऐसे ही ज्योतिष बिना पढ़े लिखे वे लोग हैं जो ज्योतिष को बिना पढ़े ही कहते हैं कि ज्योतिष गलत है पाखंड है और ज्योतिष विद्वान् लोग पाखंडी हैं ऐसे लोग गाँव के उन कुत्तों की तरह होते हैं जो गाँव में आए हुए हाथी के आगे आगे दौड़ कर भौंकते तो हैं किंतु उसके पास नहीं जाते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि उसके पास पहुँचने से क्या क्या होगा !केवल इतना ही नहीं इससे हाथियों का एक और लाभ होता है कि हाथियों के आने की सूचना देने का काम वे पागल कुत्ते कर रहे होते हैं इससे जो लोग हाथियों को नहीं भी देख सकते थे वे भी कुत्तों की आवाज सुनकर घरों से निकल आते हैं और मजे की बात ये कि घरों से बाहर निकलते तो कुत्तों की आवाज सुनकर हैं किंतु देखते वे भी हाथियों को ही हैं !क्योंकि उन्हें कुत्तों की औकात पता होती है कि ये इतना ही कर सकते हैं बस !
ज्योतिष को न जानकर भी ज्योतिष को गलत बताने वाले अनपढ़ बेवड़े (नशेड़ी) भी ऐसा ही करते हैं फ़ोकट में ज्योतिष का खंडन! कहते हैं ज्योतिषपाखंड और ज्योतिषी पाखंडी हैं सेक्स की दवाएँ बेचने वाले भोगगुरु बाबा कामदेव जी का भी ऐसा ही बयान एक दिन सुनने को मिला था !ये टुच्चे लोग जिस विषय को जानते ही नहीं हैं जिन विषयों को पढ़ने में उनके पुरखे डरते रहे हों और उन्होंने खुद भी न पढ़ा हो उसे गलत बता देते हैं !इसका मतलब क्या है जो उनकी कुंदबुद्धि में न घुसे वो सब गलत !अरे !इस ऋषियों मुनियों के देश में शास्त्रों या शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान के प्रति इतनी घटिहा सोच !अरे !साहस है तो शास्त्रार्थ का सामना करें अन्यथा दुम दबा कर बैठें !
जैसे : कुछ कसाई लोग यदि हार्टसर्जरी को चुनौती देने लगें और कहें कि हार्टसर्जरी तो लोगों को मूर्ख बनाने पैसा कमाने का धंधा है इससे किसी को स्वस्थ नहीं किया जा सकता और वो बतावें कि हार्टसर्जरी के विषय में कुछ मोचियों ने किताबें लिखी हैं और उसमें उन्होंने हार्टसर्जरी से संबंधित अपने अनुभव भी लिखे हैं ।
उन लोगों ने तो बाकायदा प्राणियों का सीना फाड़ कर सिल भी दिया किंतु हार्ट रोगी को ज़िंदा नहीं किया जा सका इसी प्रकार से कसाइयों ने पशुओं के शरीरों को काटकर बोटी बोटी कर दी उसमें उन्हें कहीं आत्मा नहीं मिली इसलिए आत्मा परमात्मा वाली बात भी गलत है और हार्टसर्जरी की बात तो है ही बकवास आदि इसलिए कसाई और मोचियों ने एक मंच बनाकर हार्टसर्जनों से संपर्क साधना शुरू कर दिया और उनसे कहते हैं कि आप सिद्ध करें कि हार्टसर्जरी करके आप किसी का जीवन बचा सकते हैं नहीं तो हम आपको डरपोक झूठा बेईमान मक्कार मूर्ख आदि सब कुछ कहेंगे !चिकित्सकों ने कहा कि तुम जैसे लोग कुछ कसाइयों और कुछ मोचियों और मूर्खों को तो बरगला सकते हैं किंतु दर्द जब उनके भी सीने में उठेगा तो जाएँगे वो भी हार्टसर्जन के ही पास !तब मोची और कसाई काम नहीं आएँगे !
ऐसे ही ज्योतिष बिना पढ़े लिखे वे लोग हैं जो ज्योतिष को बिना पढ़े ही कहते हैं कि ज्योतिष गलत है पाखंड है और ज्योतिष विद्वान् लोग पाखंडी हैं ऐसे लोग गाँव के उन कुत्तों की तरह होते हैं जो गाँव में आए हुए हाथी के आगे आगे दौड़ कर भौंकते तो हैं किंतु उसके पास नहीं जाते हैं क्योंकि उन्हें पता होता है कि उसके पास पहुँचने से क्या क्या होगा !केवल इतना ही नहीं इससे हाथियों का एक और लाभ होता है कि हाथियों के आने की सूचना देने का काम वे पागल कुत्ते कर रहे होते हैं इससे जो लोग हाथियों को नहीं भी देख सकते थे वे भी कुत्तों की आवाज सुनकर घरों से निकल आते हैं और मजे की बात ये कि घरों से बाहर निकलते तो कुत्तों की आवाज सुनकर हैं किंतु देखते वे भी हाथियों को ही हैं !क्योंकि उन्हें कुत्तों की औकात पता होती है कि ये इतना ही कर सकते हैं बस !
ज्योतिष को न जानकर भी ज्योतिष को गलत बताने वाले अनपढ़ बेवड़े (नशेड़ी) भी ऐसा ही करते हैं फ़ोकट में ज्योतिष का खंडन! कहते हैं ज्योतिषपाखंड और ज्योतिषी पाखंडी हैं सेक्स की दवाएँ बेचने वाले भोगगुरु बाबा कामदेव जी का भी ऐसा ही बयान एक दिन सुनने को मिला था !ये टुच्चे लोग जिस विषय को जानते ही नहीं हैं जिन विषयों को पढ़ने में उनके पुरखे डरते रहे हों और उन्होंने खुद भी न पढ़ा हो उसे गलत बता देते हैं !इसका मतलब क्या है जो उनकी कुंदबुद्धि में न घुसे वो सब गलत !अरे !इस ऋषियों मुनियों के देश में शास्त्रों या शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान के प्रति इतनी घटिहा सोच !अरे !साहस है तो शास्त्रार्थ का सामना करें अन्यथा दुम दबा कर बैठें !
ज्योतिषक्वालीफिकेशन जिसके पास है किसी अच्छे सरकारी विश्व विद्यालय से ज्योतिष संबंधी कोई डिग्री ली है तब तो ऐसे लोगों से बात की सकती है किंतु जिनकी ज्योतिष क्वालिफिकेशन ही बिलकुल जीरो हो इसके बाद भी वे ज्योतिष का खंडन करते हैं तो उनका कुछ नहीं हो सकता यही तो मूर्खता की पहचान है अन्यथा जिस ग्रुप के किन्हीं दस लोगों का नाम पता और उनकी ज्योतिष डिग्री और उनका विश्व विद्यालय और डिग्री लेने का वर्ष यहाँ डालिए यदि वो सच निकले तो मुझे आपसे चर्चा करने में और आपके ग्रुप में सम्मिलित होने में कोई आपत्ति नहीं होगी कोई आपत्ति नहीं होगी बाकी हर किसी की बातों के जवाब कैसे दिए जा सकते हैं । ऐसे किसी ग्रुप से जुड़ने की मेरी कोई रूचि नहीं है ज्योतिष जगत में जिसका अपना कोई वजूद ही न हो और न ही मैं ऐसे लोगों के बीच अपना समय ही बर्बाद करना चाहता हूँ !क्योंकि यदि ऐसे कुछ लोगों को ये मना भी दिया जाए कि ज्योतिष विज्ञान है और वो मान भी लें तो उनसे हमारा क्या ऐसे लोग तो गली गली में घूम रहे हैं क्या फायदा ! रही रामदेव की बात उन्होंने कहा तो मैंने उन्हें भी शास्त्रार्थ की चुनौती बाया प्रधानमंत्री दी है ताकि ज्योतिष पढ़े लिखे शास्त्रीय विद्वानों के बीच ऐसे लोगों के पाखंड का खंडन कर सकें
किंतु उनकी हिम्मत नहीं पड़ी और पड़े भी कहाँ से शास्त्रों का अध्ययन तो है
नहीं !और शास्त्रार्थ में केवल बकवास से बात बनेगी भी नहीं !
कोई ज्योतिष या किसी अन्य विषय को भी माने या न माने इसके लिए वो स्वतंत्र हो सकता है किंतु उस सब्जेक्ट की निंदा करने या उससे जुड़े विद्वानों की निंदा करने का उसको कोई अधिकार नहीं होता है वो भी तब जबकि भारसरकार अपने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी जैसे बड़े विश्वविद्यालयों में बाकायदा एक डिपार्टमेंट बनाकर सिलेबस पूर्वक ज्योतिष को पढ़वाने में भारी भरकम धनराशि खर्च कर रही हो फिर भी उसके प्रति भ्रम पैदा करना एक बड़ा अपराध माना जाना चाहिए ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें