भूकंपों की भाषा !
भूकंपों की भाषा समझो
भूकंपों से बात करो !
भूकंपों की दहशत छोड़ो,
प्रकृति पर विश्वास करो ॥
ये सृष्टि पंचतत्वों से बनी है सारे चराचर जगत में हमेंशा इनका संचार होता रहता है संसार के सारे प्राणियों में इनका संचार है इसीलिए तो हम सभी न केवल पैदा हो पाए हैं अपितु पल बढ़ भी पा रहे हैं और जीवित भी हैं । धरती पर जहाँ हम सब हैं वो धरती ही हमारा आधार है धरती ही सारे भूकंप बहुत कुछ कहते हैं !जिसे हम केवल एक घटना या दुर्घटना मानते हैं वो केवल इतना ही नहीं है बश !
भूकंपों की भाषा समझो
भूकंपों से बात करो !
भूकंपों की दहशत छोड़ो,
प्रकृति पर विश्वास करो ॥
ये सृष्टि पंचतत्वों से बनी है सारे चराचर जगत में हमेंशा इनका संचार होता रहता है संसार के सारे प्राणियों में इनका संचार है इसीलिए तो हम सभी न केवल पैदा हो पाए हैं अपितु पल बढ़ भी पा रहे हैं और जीवित भी हैं । धरती पर जहाँ हम सब हैं वो धरती ही हमारा आधार है धरती ही सारे भूकंप बहुत कुछ कहते हैं !जिसे हम केवल एक घटना या दुर्घटना मानते हैं वो केवल इतना ही नहीं है बश !
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