योग का उद्देश्य बस पेट साफ करना ही है क्या ?इसीलिए सरकार का ध्यान जितना शौचालयों पर उतना भोजनालयों पर नहीं है कभी चर्चा तक नहीं सुनाई पड़ती है क्यों !कहीं ऐसा तो नहीं है कि जब शौचालय अच्छे बन जाएँगे तो शौचालय जाने में सबको अच्छा लगने लगेगा और जो शौचालय जाना चाहेगा वो खाने के लिए भी कुछ न कुछ तो इतंजाम करेगा ही !
ब्लैकमनी पचाने के कारण कुछ लोगों को दिन रात खाना पड़ता है महँगा महँगा खाना खाना पड़ता है गरिष्ठ चीजों से जाम हो जाता है पेट उनके पेट को साफ करने के लिए इतने सरकारी इंतजाम !और गरीबों का पेट भरने के लिए क्या है ?अरे !सरकार का ध्यान शौचालयों पर तो है किंतु भोजनालयों पर नहीं हैं उनकी तो कभी चर्चा तक नहीं होती !आखिर क्यों भोजनालय और भोजन शुद्धि जरूरी नहीं है क्या ?
ब्लैकमनी पचाने के कारण कुछ लोगों को दिन रात खाना पड़ता है महँगा महँगा खाना खाना पड़ता है गरिष्ठ चीजों से जाम हो जाता है पेट उनके पेट को साफ करने के लिए इतने सरकारी इंतजाम !और गरीबों का पेट भरने के लिए क्या है ?अरे !सरकार का ध्यान शौचालयों पर तो है किंतु भोजनालयों पर नहीं हैं उनकी तो कभी चर्चा तक नहीं होती !आखिर क्यों भोजनालय और भोजन शुद्धि जरूरी नहीं है क्या ?
शौचालयों में मलविसर्जन कराने के लिए क्या अब योगी रखे जाएँगे !इनका सारा योग केवल पेट साफ करने और वजन घटाने तक ही सीमित है इसलिए जिनका उनके लिए तो वहीँ पहुँच कर शीर्षासन सिखाने पड़ेंगे !फिर कहा जाने लगेगा कि घर घर के शौचालयों तक योग को पहुँचाने का सारा श्रेय इन्हें उन्हें जिन्हें तिन्हें दिया जाने लगेगा ! जिन आसनों शीर्षासनों को गाँवों के बच्चे खेल कूद में घंटों किया करते हैं बड़े बूढ़े लोग उनके ऐसा करने को उनकी हरकतें कहा करते हैं उन्हीं हरकतों को आजकल योग कहा जाने लगा उसमें भी रिकार्ड टूटने लगे !
योगाभ्यास करने वाले तपस्वी चरित्रवान संत जिन्हें लातों से भी न छुवें
उन्हें योगगुरु बता देता है मीडिया !टीवी चैनलों के विज्ञापन के हालात तो
इतने ज्यादा ख़राब हैं वो किसी के नाम के साथ 'महाराज जी' बोलने के पैसे अलग
से ले लेते हैं किसी के नाम के साथ 'योगगुरु ' बोलने का जो पैसा देता होगा उसके नाम के साथ लगा देते होंगे 'योगगुरु' !ऐसे कसरत व्यायाम करने करवाने का काम सरकार को किसानों मजदूरों नटो भांटों को सौंप देने चाहिए ऐसी कसरतें तो उन्हें रोज करनी पड़ती हैं दिन में कई कई बार करनी पड़ती हैं किंतु वो चरित्रवान लोग इतना झूठ नहीं बोल पाते हैं कि वे इन्हें 'योग' जैसे पवित्र नाम से जोड़ दें ! यदि कसरतों को योग कहा जाने लगेगा तो कसरत किसे कहा जाएगा !खैर सरकार ने यदि कसरतों को योग मान ही लिया है तो गाँवों के शरारती बच्चों को सौंपा जाए ये कसरत सिखाने का काम । वो रोज इतने रिकार्ड तोड़ देंगे कि सरकार का भी मनोबल
बढ़ेगा और रिकार्ड तोड़ने वालों की भी खुजली शांत होगी और गरीबों किसानों
मजदूरों को भी कुछ रूपए मिला जाया करेंगे क्योंकि ऐसे योगी तो वहाँ घर घर हैं अभी वो जिन हरकतों के कारण मार
पीट दिए जाते हैं जब उन्हें उन्हीं हरकतों के पैसे मिलने लगेंगे तो घर बाले
उन्हें पीटना बंद कर देंगे और किसानों के घर भी कुछ रूपए पहुँचाने लगेंगे
जिससे किसानों की आत्म हत्याएँ घट सकती हैं !दस पाँच प्रतिशत ब्लैकमनी वालों को छोड़कर बाकी सारे देश को दिनरात करनी पड़ती हैं ऐसी कसरतें किंतु वे बेचारे मीडिया को पैसे नहीं देते इसलिए उनकी कसरतों को मीडिया भी तवज्जो नहीं देता !दूसरी बात वो बेचारे इतना झूठ नहीं बोल पाते हैं सरकारी योगी बनने के लिए जितना बोलना पढ़ता है इसलिए कोई राजनैतिक दल उन गाँव वालों के 'कसरती योग' पर भरोसा नहीं करता है see more.... https://www.facebook.com/Yog-Udyog-Aur-Dhong-1600277586929538/
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