शास्त्रीय विषयों में बहस करने से उनका कुछ नुक्सान नहीं होता क्योंकि उन्होंने उस विषय को पढ़ा ही नहीं होता है और न ही उस क्षेत्र में उनकी कोई प्रतिष्ठा ही होती है यदि ऊट पटाँग दावे ठोंक कर किसी ने कुछ प्रतिष्ठा बना भी ली हो तो भी इसमें उस विषय की क्वालिफिकेशन ही चाहिए !अन्यथा "नंगा नहाए निचोड़े क्या" ?ऐसे लोगों से चर्चा करने पर शास्त्रीय योग्यता रखने वाले लोगों की प्रतिष्ठा दाँव पर लग जाती है !इसलिए ऐसे खोखले लोगों से बचने में ही भलाई है !वैसे तो शास्त्र को मानने वाले और शास्त्रीय विषयों पर काम करने वाले सभी लोग आदरणीय हैं किंतु शास्त्रीय विषयों से भी भ्रष्टाचार समाप्त करने का एक मात्र रास्ता उन विषयों से सम्बंधित क्वालिफिकेशन को अनिवार्य बनाना है !जो योग्य हैं उन्हें इसमें कोई आपत्ति भी नहीं होती है !माना की पुराने जवान में डिग्रियों का महत्त्व नहीं था इतना भ्रष्टाचार नहीं था किंतु अब है तो उसे स्वीकार करने में क्या बुराई है कुछ लोग बिना डिगरियों के भी अच्छे योग्य हैं किंतु उनकी अलग से पहचान के मानक क्या और कैसे बनाए जाएँ इसलिए उन्हें भी शिक्षा संबंधी सरकारी नियमों का स्वेच्छयापरिपालनकरना चाहिए ।
प्रायः
शास्त्रीय योग्यता के अभाव में खुद अधूरे लोग अक्सर औरों को अधूरा सिद्ध
करने की अपवित्र कोशिश करते रहते हैं दो चार किताबें देख लीं तो अपने को
पढ़ा लिखा एस्ट्रो या ज्योतिष विद्वान् एस्ट्रोगुरु ज्योतिषगुरु अल्म्युनियममेडलिस्ट या प्लास्टिक मेडलिस्ट जैसा न जानने कितना कबाड़ लादकर घूमने लगते हैं और फ़ोकट में अपने को ज्योतिष विद्वान् समझने लगते हैं !
इसलिए शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान हर किसी से बहस नहीं की जा सकती ब्यर्थ में चोंच लड़ाने से केवल अपने समय का नुक्सान होता है जिसे भी जिन विषयों में चर्चा करनी है उसे सर्व प्रथम उन विषयों में अपने क्वालीफिकेशन का परिचय देना चाहिए इसके बाद तर्कों के साथ साथ प्रमाणों को प्रस्तुत करके ही चर्चा की जाए वही उचित होगा !बिना क्वालिफिकेशन के तो हर कोई वकालत कर सकता है किन्तु अदालतें क्या उन्हें मान्यता देंगी !बहुत से झोलाछाप डॉक्टर लोग भी आपरेशन कर सकते होंगे किंतु चिकित्सक ऐसे लोगों को मुख लगाएँगे क्या ?राज मिस्त्री बढ़ी बड़ी बिल्डिंगें या पल आदि का निर्माण करते देखे जाते हैं किंतु उन्हें इंजीनियर कोई नहीं मानता !इसलिए धर्म और ज्योतिष के विषय में भी हर किसी को नहीं घुसने दिया जाना चाहिए ऐसे खोखले लोग इन विषयों में चोरी चुपके घुसकर फिर शिक्षित लोगों के लिए समस्याएँ खड़ी करने लगते हैं उनका स्तर और ज्ञान इस लायक होता नहीं है कि उन्हें वैदिक विज्ञान से जुडी बातें समझी जा सकें और चोंच लड़ाने में उनकी बराबरी नहीं की जा सकती !ऐसे खोखले लोगों के साथ समय बर्बाद करने के बाद काई बार बाद में पश्चात्ताप होता है इसलिए सभी भाइयों बहनों से निवेदन है कि ये जानकर ही मैं किसी के कुतर्कों का जवाब देना पसंद करूँगा कि उनकी उन विषयों की योग्यता समझने के बाद ही यदि समय हुआ तो मैं ऐसे लोगों की चर्चा में सम्मिलित होना पसंद करूंगा हूँ अन्यथा समय जाया करने वाली बात है !
इसलिए शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान हर किसी से बहस नहीं की जा सकती ब्यर्थ में चोंच लड़ाने से केवल अपने समय का नुक्सान होता है जिसे भी जिन विषयों में चर्चा करनी है उसे सर्व प्रथम उन विषयों में अपने क्वालीफिकेशन का परिचय देना चाहिए इसके बाद तर्कों के साथ साथ प्रमाणों को प्रस्तुत करके ही चर्चा की जाए वही उचित होगा !बिना क्वालिफिकेशन के तो हर कोई वकालत कर सकता है किन्तु अदालतें क्या उन्हें मान्यता देंगी !बहुत से झोलाछाप डॉक्टर लोग भी आपरेशन कर सकते होंगे किंतु चिकित्सक ऐसे लोगों को मुख लगाएँगे क्या ?राज मिस्त्री बढ़ी बड़ी बिल्डिंगें या पल आदि का निर्माण करते देखे जाते हैं किंतु उन्हें इंजीनियर कोई नहीं मानता !इसलिए धर्म और ज्योतिष के विषय में भी हर किसी को नहीं घुसने दिया जाना चाहिए ऐसे खोखले लोग इन विषयों में चोरी चुपके घुसकर फिर शिक्षित लोगों के लिए समस्याएँ खड़ी करने लगते हैं उनका स्तर और ज्ञान इस लायक होता नहीं है कि उन्हें वैदिक विज्ञान से जुडी बातें समझी जा सकें और चोंच लड़ाने में उनकी बराबरी नहीं की जा सकती !ऐसे खोखले लोगों के साथ समय बर्बाद करने के बाद काई बार बाद में पश्चात्ताप होता है इसलिए सभी भाइयों बहनों से निवेदन है कि ये जानकर ही मैं किसी के कुतर्कों का जवाब देना पसंद करूँगा कि उनकी उन विषयों की योग्यता समझने के बाद ही यदि समय हुआ तो मैं ऐसे लोगों की चर्चा में सम्मिलित होना पसंद करूंगा हूँ अन्यथा समय जाया करने वाली बात है !
धर्म एवं
शास्त्रीय विषयों में बहुत लोग ऐसे हैं जो प्रायः पढ़ने लिखने की जरूरत ही
नहीं समझते उनका मानना होता है कि ये तो बकवास का विषय है और बकवास करने
में उनका साथ जो न दे उसे उनका निरक्षर गिरोह अनपढ़ या अधूरा ज्ञान वाला
सिद्ध करने लगता है ऐसे लोग अपने अंदर नहीं झांकते आखिर उनकी उन विषयों में
अपनी योग्यता क्या है ! जिस विषय में जितना जो कुछ पता होता है वो उसी में
अपने को पूर्ण समझ कर औरों की शास्त्रीय चर्चाओं में बाधा उत्पन्न करना
शुरू कर देता है ऐसे टाँग फंसाने के पीछे उसका मकसद केवल इतना होता है कि
कुछ लोग इन शास्त्रीय विषयों का उसे भी जानकार समझ लें !जिससे वो समाज के
कुछ लोगों को भ्रमित कर सकें !ऐसे लोगों के साथ चर्चा में सम्मिलित होकर
अपने समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए !
वर्तमान समय में बनावटी ज्योतिषी और शास्त्रज्ञों की बाढ़ से आ गई है ऐसे
मायावी लोग नेताओं अभिनेताओं के साथ बनाई अपनी फोटो दिखाते हैं अपने बड़े
बड़े संस्थानों सभा सम्मेलनों की चर्चा करते हैं टीवी चैनलों पर बकवास करने
के चित्र दिखाते हैं बड़े बड़े दावे करते देखे जाते हैं किंतु उन्होंने इन
विषयों में सरकार से प्रमाणित किस विश्व विद्यालय से किस सं में क्या
शिक्षा हासिल की और उनके योग्यता के उनके पास कौन सी डिग्री प्रमाण पत्र
हैं उसकी चर्चा नहीं करते जबकि वही तो मुख्य है किन्तु उनकी शिक्षा में
इससे सम्बंधित कोई क्वालिफिकेशन ही नहीं झलकता इसलिए उन्हें उन विषयों में न
तो अधिकारी माना जा सकता है और नहीं उनकी बातों को इन विषयों में प्रमाण
ही माना जा सकता है !इसलिए समय नष्ट करने वाले ऐसे लोगों से दूर से ही राम
राम !see more....
http://snvajpayee.blogspot.in/2012/10/drshesh-narayan-vajpayee-drsnvajpayee.html
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