आदरणीय आपको
सादर नमस्कार !
विषय :चिकित्सा के क्षेत्र में वैदिक विज्ञान के द्वारा किए जा रहे रिसर्च कार्य में सहयोग हेतु !
महोदय ,
महोदय ,
विपरीत खानपान और ऋतु विपर्यय से होने वाली बीमारियाँ तो औषधियों से ठीक
हो जाती हैं किंतु कुछ रोगियों के साथ ऐसा भी होते देखा जाता है जिन पर
औषधियों का असर बिलकुल नहीं होता है उल्टा अच्छे से अच्छे चिकित्सकों के
द्वारा चलाए जाने वाली उत्तम चिकित्सा से प्रत्यक्ष तौर पर कोई लाभ तो होता
ही नहीं है बल्कि चिकित्सा के दौरान ही मृत्यु तक होते देखी जाती है ।
कई रोगी जंगलों में या ऐसे स्थलों पर रहते हैं जहाँ चिकित्सा की सुविधाएँ
बिल्कुल नहीं होती हैं सभी प्रकार की बीमारियाँ तो उन्हें भी होती होंगी
और इसके बाद भी स्वस्थ तो वो भी होते देखे जाते हैं इसी प्रकार जंगलों में पशु भी आपस
में लड़ते भिड़ते और घायल होते एवं बिना किसी औषधि की स्वस्थ होते देखे जाते
हैं ।अत्यंत उत्तम चिकित्सा सुविधाएँ न मिलने के बाद भी यदि ये सब स्वस्थ
हो सकते हैं वहीँ दूसरी ओर बड़े बड़े राजा महाराजा आदि धन संपन्न लोगों पर अच्छी से अच्छी
अत्यंत उत्तम एवं आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ न्यौछावर कर दी जाती हैं फिर भी कई बार तो
चिकित्सा के उद्देश्य के बिल्कुल विरुद्ध परिणाम निकलते देखे जाते हैं और उनकी बीमारी बढ़ती चली जाती है ,कई बार तो मृत्यु तक होते देखी जाती है ।ऐसी परिस्थिति में बड़े बड़े विद्वान्
चिकित्सकों वैज्ञानिकों को यह कहते सुना जाता है कि कुदरत समय या भाग्य ने
साथ नहीं दिया आदि !किंतु इसका मतलब ये भी तो हो सकता है कि जो रोगी स्वस्थ हो जाते
हैं वे भी कुदरत समय और भाग्य के कारण ही स्वस्थ हो रहे
हों जिनका श्रेय(क्रेडिट) चिकित्सा और चिकित्सकों को दिया जाता है चूँकि
उस समय उस रोगी की चिकित्सा चल रही होती है इसलिए वो उसी चिकित्सा से ही
स्वस्थ हुए होंगे ये बात कितनी तर्क संगत और माने जाने योग्य है !
महोदय !मेरे निवेदन करने का उद्देश्य मात्र इतना है कि यदि किसी की
बीमारी बढ़ने और मृत्यु होने का कारण कुदरत समय और भाग्य को माना जा सकता है
तो किसी के स्वस्थ होने में कुदरत समय और भाग्य की क्या भूमिका है और
चिकित्सा की क्या भूमिका है इस पर भी रिसर्च की जानी चाहिए ।इसी उद्देश्य से मैं इससे संबंधित
वैदिक विज्ञान के अनुशार कुदरत समय और भाग्य जैसे विषयों पर लगभग 20 वर्षों
से रिसर्च कार्य कर रहा हूँ जिसके परिणाम स्वरूप स्थाई रोगों का
पूर्वानुमान लगाने में ,रोग के बढ़ने घटने में,चिकित्सा का असर होने या न होने के विषय में आयु संकट जैसे गंभीर
विषयों में वैदिक विज्ञान के द्वारा न केवल पूर्वानुमान लगाया जा सकता है
अपितु प्रिवेंटिव चिकित्सा प्रक्रिया को भी इसके सहयोग से और अधिक प्रभावी
बनाया जा सकता है !
प्राचीन काल में भी चिकित्सा पद्धति में ज्योतिषशास्त्र का उपयोग किए जाने के प्रमाण मिलते हैं आयुर्वेद के चरकसंहिता ,सुश्रुतसंहिता आदि ग्रंथों में रोगनिदान,औषधिनिर्माण,औषधिदान एवं रोगों के पूर्वानुमान आदि में ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न स्वरूपों के उपयोग का वर्णन मिलता है प्राचीन काल में आयुर्वेद के विद्वान लोग प्रायः ज्योतिष शास्त्र के भी न केवल विद्वान हुआ करते थे अपितु ज्योतिष शास्त्र का आयुर्वेदोक्त चिकित्सा प्रक्रिया में भरपूर उपयोग किया करते थे इसीलिए चिकित्सा के परिणाम कम खर्चीले होने के साथ साथ अधिक प्रभावी भी हुआ करते थे !
प्राचीन काल में भी चिकित्सा पद्धति में ज्योतिषशास्त्र का उपयोग किए जाने के प्रमाण मिलते हैं आयुर्वेद के चरकसंहिता ,सुश्रुतसंहिता आदि ग्रंथों में रोगनिदान,औषधिनिर्माण,औषधिदान एवं रोगों के पूर्वानुमान आदि में ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न स्वरूपों के उपयोग का वर्णन मिलता है प्राचीन काल में आयुर्वेद के विद्वान लोग प्रायः ज्योतिष शास्त्र के भी न केवल विद्वान हुआ करते थे अपितु ज्योतिष शास्त्र का आयुर्वेदोक्त चिकित्सा प्रक्रिया में भरपूर उपयोग किया करते थे इसीलिए चिकित्सा के परिणाम कम खर्चीले होने के साथ साथ अधिक प्रभावी भी हुआ करते थे !
इस उद्देश्य से ही मैंने इसी विषय से संबंधित वैदिक विज्ञान से जुड़े कई विषयों का अध्ययन किया एवं काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से Ph.D. की है और तब से इसी रिसर्च कार्य में लगा हूँ !इस महान कार्य में और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है जिसके लिए मुझे आर्थिक एवं संसाधनों से संबंधित सहयोग की आवश्यकता है !
अतएव आपसे निवेदन है कि चिकित्सा विज्ञान के विषय में ज्योतिषशास्त्र के द्वारा किए जाने वाले हमारे शोधकार्य में कृपा पूर्वक आप हमारी मदद करें !
विशेषनिवेदन :प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं वैदिक विज्ञान से जुड़े जनहितकारी रिसर्च कार्यों के लिए आप से सादर सहयोग की अपेक्षा -
: वैदिकविज्ञान अनुसंधान कोष :
और भी -
अतएव आपसे निवेदन है कि चिकित्सा विज्ञान के विषय में ज्योतिषशास्त्र के द्वारा किए जाने वाले हमारे शोधकार्य में कृपा पूर्वक आप हमारी मदद करें !
:प्रार्थी :
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
फ्लैट नं 3 , K-71,दुग्गल बिल्डिंग,छाछी बिल्डिंगचौक ,कृष्णा नगर दिल्ली 110051
मो नं -9811226973 \9811226983
Gmail -vajpayeesn@gmail.com
मेरा विनम्र परिचय -
मैंने वैदिक विज्ञान पर अनुसंधान करने के लिए ही ज्योतिष आयुर्वेद तंत्र योग एवं विभिन्न प्राचीन वैदिक विषयों का अध्ययन किया है मैं अपना संपूर्ण समय इसी रिसर्च कार्य में लगा रहा हूँ जो मानवता के हित के लिए बहुत बड़ा कार्य है इससे प्रकृति से लेकर मानव स्वभाव ,स्वास्थ्य, समाज एवं परिवारों से जुड़े कई बड़े रहस्य खोले जा सकते हैं !
ज्योतिष के विषय में फैलाए गए भ्रम को समझिए :
समय संबंधी जाँच पड़ताल एवं पूर्वानुमान के लिए ज्योतिष से अच्छा कोई दूसरा विज्ञान है ही नहीं किंतु कुछ अज्ञानी वे लोग ज्योतिष को अंधविश्वास बताने लगे थे जो ज्योतिषशास्त्र के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहारों के विषय में जानते नहीं हैं !सच्चाई ये है कि कोई अपने पढ़ने लिखने योग्य बुद्धमान लड़के को ज्योतिष पढ़ाना नहीं चाहता कुछ गरीबों के लड़के मजबूरी में ज्योतिष पढ़ने की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं उनमें कुछ बुद्धमान भी होते हैं जिन्होंने वर्तमान समय में धारण कर रखा है ज्योतिष शास्त्र !बाकी अपने को ज्योतिषी कहने वाले 99 प्रतिशत वे लोग हैं जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है न ही उनके पास ज्योतिष सब्जेक्ट में हासिल की गई सरकार के किसी विश्व विद्यालय का कोई डिग्री प्रमाणपत्र ही होता है ! ऐसे लोगों ने ज्योतिषशास्त्र के नाम पर झूठ बोल बोल कर ज्योतिष शास्त्र के गौरव को इतना अधिक घटा दिया है कि इससे लोगों का विश्वास उठने लगा है जबकि डॉक्टरों की तरह ही ज्योतिषियों के भी ज्योतिष विषय डिग्री प्रमाण पत्र चेक किए जाते और फर्जी या झोला छाप ज्योतिषियों पर कार्यवाही की ये समस्या ही नहीं पैदा होती !ज्योतिष के विषय में अयोग्य लोगों पर भरोसा करके पछताने वाले लोग निराश होकर ज्योतिष शास्त्र को अंध विश्वास मानने लगते हैं !
आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
Gmail -vajpayeesn@gmail.com
मेरा विनम्र परिचय -
मैंने वैदिक विज्ञान पर अनुसंधान करने के लिए ही ज्योतिष आयुर्वेद तंत्र योग एवं विभिन्न प्राचीन वैदिक विषयों का अध्ययन किया है मैं अपना संपूर्ण समय इसी रिसर्च कार्य में लगा रहा हूँ जो मानवता के हित के लिए बहुत बड़ा कार्य है इससे प्रकृति से लेकर मानव स्वभाव ,स्वास्थ्य, समाज एवं परिवारों से जुड़े कई बड़े रहस्य खोले जा सकते हैं !
ज्योतिष के विषय में फैलाए गए भ्रम को समझिए :
समय संबंधी जाँच पड़ताल एवं पूर्वानुमान के लिए ज्योतिष से अच्छा कोई दूसरा विज्ञान है ही नहीं किंतु कुछ अज्ञानी वे लोग ज्योतिष को अंधविश्वास बताने लगे थे जो ज्योतिषशास्त्र के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहारों के विषय में जानते नहीं हैं !सच्चाई ये है कि कोई अपने पढ़ने लिखने योग्य बुद्धमान लड़के को ज्योतिष पढ़ाना नहीं चाहता कुछ गरीबों के लड़के मजबूरी में ज्योतिष पढ़ने की ओर प्रवृत्त हो जाते हैं उनमें कुछ बुद्धमान भी होते हैं जिन्होंने वर्तमान समय में धारण कर रखा है ज्योतिष शास्त्र !बाकी अपने को ज्योतिषी कहने वाले 99 प्रतिशत वे लोग हैं जिन्होंने ज्योतिष पढ़ी ही नहीं है न ही उनके पास ज्योतिष सब्जेक्ट में हासिल की गई सरकार के किसी विश्व विद्यालय का कोई डिग्री प्रमाणपत्र ही होता है ! ऐसे लोगों ने ज्योतिषशास्त्र के नाम पर झूठ बोल बोल कर ज्योतिष शास्त्र के गौरव को इतना अधिक घटा दिया है कि इससे लोगों का विश्वास उठने लगा है जबकि डॉक्टरों की तरह ही ज्योतिषियों के भी ज्योतिष विषय डिग्री प्रमाण पत्र चेक किए जाते और फर्जी या झोला छाप ज्योतिषियों पर कार्यवाही की ये समस्या ही नहीं पैदा होती !ज्योतिष के विषय में अयोग्य लोगों पर भरोसा करके पछताने वाले लोग निराश होकर ज्योतिष शास्त्र को अंध विश्वास मानने लगते हैं !
आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान
तथा
दुर्गापूजाप्रचारपरिवारएवंज्योतिषजनजागरणमंच
व्याकरणाचार्य (एम.ए.)
दुर्गापूजाप्रचारपरिवारएवंज्योतिषजनजागरणमंच
व्याकरणाचार्य (एम.ए.)
संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी ज्योतिषाचार्य(एम.ए.ज्योतिष)
संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी
एम.ए. हिन्दी
कानपुर विश्व विद्यालय
पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता
उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी
पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष)
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी. एच. यू. वाराणसी
संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी
एम.ए. हिन्दी
कानपुर विश्व विद्यालय
पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता
उदय प्रताप कॉलेज वाराणसी
पी.एच.डी. हिन्दी (ज्योतिष)
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी बी. एच. यू. वाराणसी
विशेषयोग्यताः-वेद, पुराण, ज्योतिष, रामायणों तथा समस्त प्राचीनवाङ्मयएवं राष्ट्र भावना से जुड़े साहित्य का लेखन और स्वाध्याय
प्रकाशितः-पाठ्यक्रम की अत्यंत प्रचारित प्रारंभिक कक्षाओं की हिन्दी की किताबें
कारगिल विजय (काव्य )
श्री राम रावण संवाद (काव्य )
श्री दुर्गा सप्तशती (काव्य अनुवाद )
श्री नवदुर्गा पाठ (काव्य)
श्री नव दुर्गा स्तुति (काव्य )
श्री परशुराम(एक झलक)
श्री राम एवं रामसेतु
(21 लाख 15 हजार 108 वर्षप्राचीन
विशेषनिवेदन :प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं वैदिक विज्ञान से जुड़े जनहितकारी रिसर्च कार्यों के लिए आप से सादर सहयोग की अपेक्षा -
: वैदिकविज्ञान अनुसंधान कोष :
और भी -
आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी एवं श्री श्याम बिहारी मिश्र जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी |
श्रद्धेय श्री रज्जू भइया जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी |
आदरणीय डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी के साथ |
श्रीमती सुषमा स्वराज जी के साथ आचार्य डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
श्री मदनलाल खुराना जी के साथ आचार्य डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
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