समयविज्ञान
जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !यदि किसी का समय अच्छा हो तो उसके विरुद्ध किए जाने वाले हानिकर प्रयासों को भी टाला जा सकता है या फिर उनके दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है ऐसे लोगों पर सस्ती और सामान्य औषधियाँ भी बहुत अच्छा असर करती हैं बिना औषधियों के भी ऐसे लोग स्वस्थ होते देखे जाते हैं समय अधिक लगता है जहर आदि हानिकर वस्तुओं का असर भी धीरे धीरे और अपेक्षाकृत कम होता है अर्थात बचाव के लिए पूरा समय मिलता है किन्तु यदि समय विपरीत होता है तो सब कुछ उलटा होता चला जाता है अपने किए हुए अच्छे प्रयासों का परिणाम भी अच्छा नहीं होता या बहुत कम अच्छा होता है !किसी के जीवन पर होने वाले अच्छे बुरे सभी असर उसके समय से प्रभावित होते हैं |
संसार में सब कुछ समय के साथ साथ अपने आप से घटित होता जा रहा है समय के साथ साथ कुछ चीजें बढ़ती जाती हैं कुछ घटती जाती हैं कुछ बन रही हैं कुछ बिगड़ रही हैं कुछ लोग रोगी हो रहे हैं कुछ स्वस्थ हो रहे हैं कुछ पैदा हो रहे हैं कुछ नष्ट हो रहे हैं कुछ फैल रहे हैं कुछ सिमट रहे हैं कुछ का विकास हो रहा है कुछ का बिनाश होता जा रहा है कुछ फल फूल रहे हैं कुछ मिट रहे हैं कुछ लोग जुड़ते जा रहे हैं तो कुछ छूटते जा रहे हैं जन्म होता है बचपन होता है फिर युवापन आता है उसके बाद वृद्धापन आता है उसके बाद मृत्यु हो जाती है !इस प्रकार से संसार में या जीवन में होने वाले ऐसे सभी प्रकार के बदलावों का कारण समय है समय अपनी गति से चलता जा रहा है उसी की गति के साथ साथ सब जगह सभी प्रकार के परिवर्तन होते जा रहे हैं कुछ देखे सुने जा पा रहे हैं कुछ नहीं !धरती के अंदर समुद्र के अंदर या आकाश में ग्रहों में कब कहाँ कैसे बदलाव हो रहे हैं जो हम नहीं भी देख सकते हैं परिवर्तन वहाँ भी हो रहे हैं !ये सभी बदलाव समय जनित हैं !
इनमें से बहुत सारे बदलावों को बहुत लोग अपने प्रयासों का फल मान लेते हैं उन्हें लगता है कि ये मेरे प्रयास से हो रहा है या हुआ है उसका कारण है कि वो जैसा चाह रहे होते हैं वैसा हो इसी इच्छा से अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुशार प्रयास कर रहे होते हैं और जब वैसा हो जाता है जैसा वो चाहते हैं तो वो मान लेते हैं कि ये उनके प्रयासों से ही संभव हो पाया है!जैसे किसी चिकित्सक ने किसी रोगी को स्वस्थ करने की औषधि दी और वह स्वस्थ हो गया तो मान लिया जाता है कि चिकित्सक योग्य है और औषधि उत्तम है तभी वो रोगी स्वस्थ हो पाया !किंतु इसी के साथ यहाँ एक बात और याद रखी जानी चाहिए कि चिकित्सक और औषधि अच्छी होना तो आवश्यक था ही किंतु एक बात और सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण थी वो है उस रोगी का अपना 'समय' !यदि उस रोगी का अपना समय उसके अनुकूल था और उसकी आयु अभी अवशेष थी तभी वो स्वस्थ और सुरक्षित बचाया जा सका !संसार में किसी भी व्यक्ति को कोई कैसा भी सुख या दुःख देना चाहे वो देने का प्रयास तो कभी भी कर सकता है किंतु उसका परिणाम उस रोगी या उस व्यक्ति पर उसके अपने समय के अनुशार ही पड़ता है जिसका अपना समय बुरा हो उसे चाहकर भी कोई सुख नहीं पहुँचा सकता है श्री राम का अपना समय जब बुरा आया तो उन्हें बन जाना पड़ा ,सीता जी सेवा करने के लिए साथ गईं उनका हरण हुआ जटायु जी मदद करने के लिए आए तो उनका मरण हुआ किंतु श्री राम का दुःख घटाया तो नहीं जा सका !
इसका स्पष्ट तात्पर्य यह है कि किसी को भी सुख या दुःख देने का कैसा भी प्रयास क्यों न कर लिया जाए किंतु उसका उस पर असर वैसा और उतना ही होता है जैसा उसका अपना समय होता है|इसीलिए जब कोई दुर्घटना होती है उससे बहुत लोग एक जैसे प्रभावित होते हैं किन्तु सब पर असर अलग अलग होते देखा जाता है जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !लोगों से भरी कोई नाव बीच गंगा जी में डूब जाती है, लोगों से भरी बस किसी खाई में गिर जाती है ,कोई बिल्डिंग गिर जाती है और उसके नीचे बहुत सारे लोग दब जाते हैं !ऐसी सभी दुर्घटनाओं में कुछ लोग मर जाते हैं कुछ घायल हो जाते हैं और कुछ को खरोंच भी नहीं आती है !इस अंतर का एक ही कारण है जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !
कोई किसी पर जादू टोना करता है हमला करता है गोली मारता है या अन्य प्रकार से उसको नुक्सान पहुँचाने का प्रयास करता है किंतु उसका नुक्सान तभी होगा यदि उसका अपना समय खराब है अन्यथा उसका बाल भी बाँका नहीं होगा !सैनिकों की सीमा पर तैनाती करते समय या कहीं भी ऐसी जगह भेजते समय जहाँ जान का जोखिम समझ में आता हो यदि इस बात का पालन किया जाए तो अपने सैनिकों का अधिक से अधिक बचाव किया जा सकता है !जिनका जब तक अपना समय ख़राब हो तब तक उन्हें पायलट नहीं बनाया जाना चाहिए !ऐसे लोग सर्जन हों तो उनके किए हुए आपरेशन उतने समय तक कम सफल होते हैं यदि ये इंजीनियर या वैज्ञानिक हैं तो उतने समय तक इनके द्वारा किए गए प्रयासों के असफल होने की संभावनाएँ अधिक बनी रहती हैं !इसी प्रकार से बीमारियों की दृष्टि से वात पित्त और कफ प्रवृत्ति का का अनुपालन किया जा सकता है जिसकी कफ प्रवृत्ति हो या जिसके जीवन में जब तक कफ वर्धय समय चल रहा हो ऐसे सैनिकों को बर्फीले इलाकों में तैनात करने की अपेक्षा बचाया जाना चाहिए !
जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर इसी प्रकार से एक जैसे रोगों से पीड़ित बहुत सारे रोगियों पर एक ही चिकित्सक एक साथ एक जैसी दवा का प्रयोग करते हैं परिणाम स्वरूप कुछ स्वस्थ हो जाते हैं कुछ बीमार बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं जबकि डाक्टर का प्रयास तो सबको स्वस्थ करने का था और दवा भी स्वस्थ करने की ही थी फिर असर अलग अलग होने का एक मात्र कारण है जिसका जैसा समय चिकित्सकों के प्रयासों और औषधियों का भी उस पर वैसा असर !कई बार जंगलों में रहने वाले लोगों को भी बड़े बड़े रोग होते हैं वहाँ चिकित्सा की बिलकुल सुविधाएँ नहीं होती हैं फिर भी लोग स्वस्थ हो जाते हैं जिसका जैसा समय बीमारियों का उस पर वैसा असर !कई बार बहुत बड़े लोगों के बीमार होने पर चिकित्सा संबंधी आधुनिक सुख सुविधाएँ अच्छी से अच्छी चला करती हैं फिर भी बीमारी बढ़ते बढ़ते ऐसे लोग भी एक दिन मर जात्ते हैं जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर देखने को मिलता है !
कई बार जंगलों में रहने वाले पशु आपस में लड़ भिड़कर एक दूसरे को बहुत घायल कर देते हैं और बिना किसी औषधि चिकित्सा के भी उनका घाव न सड़ता है न पकता है अपितु धीरे धीरे ठीक हो जाता है | इसलिए मानना पड़ता है कि जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !
तांत्रिकों ,हकीमों या अन्य तरह के जादू टोने करने वालों के प्रति बने समाज के भरोसे को अंधविश्वास बताकर घटाया नहीं जा सका है !इसका कारण यही है कि बड़े बड़े हॉस्पिटलों के बड़े बड़े डॉक्टरों से चिकित्सा करवाकर भी विश्वास पूर्वक ये तो नहीं कहा जा सकता है कि ये सब स्वस्थ ही हो जाएँगे या इनमें से कोई मरेगा ही नहीं अर्थात उनके द्वारा चिकित्सा किए जाने पर भी कुछ रोगियों पर चिकित्सा का असर अधिक नहीं होता है इसी प्रकार से चिकित्सा चलते समय भी कुछ लोग मरते भी देखे जाते हैं !ऐसा ही तांत्रिकों हकीमों या अन्य तरह के जादू टोना करने वालों के साथ भी होता है उनके यहाँ आने के बाद और उनके प्रयासों के बाद भी बहुत लोग स्वस्थ होते देखे जाते हैं इसीलिए समाज उन पर भी भरोसा करता है जबकि आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सक आदि उन पर किए जाने वाले भरोसे को झूठ और अंध विश्वास बताते हैं किंतु समाज उनके द्वारा बार बार ऐसा समझाने पर भी उनकी इस बात पर भरोसा नहीं करता है कि ये सब अंधविश्वास है क्योंकि किसी के स्वस्थ और अस्वस्थ रहने का कारण समय है| किसी का समय यदि अच्छा होता है तो उसे तो स्वस्थ होना ही होता है कोई उपाय करे या न करे कोई औषधि ले या न ले तंत्र मन्त्र जादू टोना आदि पर भरोसा करे या न करे उसे तो स्वस्थ होना ही होता है इसलिए उस समय वो जो भी प्रयोग अपनाता है उसी को स्वस्थ होने का श्रेय(क्रेडिट) देने लग जाता है जो डाक्टर के पास जाता है वो डाक्टरों को सच मानने लग जाता है और जो जादू टोना करने वालों के पास गया होता है वो उन्हें सच मान लेता है !चूँकि बीमारी ठीक कर देने या न मरने देने की गारंटी तो बड़े बड़े हॉस्पिटल और बड़े बड़े चिकित्सक भी नहीं देते हैं फिर उन्हीं पर इतना भरोसा कोई कैसे कर ले कि उनके कहने पर तंत्र मन्त्र जादू टोना आदि करने वालों को वो अंधविश्वास फैलाने वाला मान ले !इसीलिए रोगी का भरोसा चारों ओर भटकता है और वो सभी के ऊपर विश्वास करने लगता है !जिस रोगी का जब बुरा समय चल रहा होता है तब बड़े से बड़े चिकित्सकों के द्वारा दी जाने वाली अच्छी से अच्छी औषधियाँ लाभ नहीं करती हैं कई बार तो नुक्सान पहुँचाते तक देखी जाती हैं इसलिए उनसे विश्वास टूटना स्वाभाविक है चूँकि तंत्र मन्त्र जादू टोना आदि से भी ऐसी परिस्थिति में कोई लाभ होते नहीं देखा जाता है इसलिए अविश्वास उन पर भी होता है | कुल मिलाकर जैसा जिसका समय वैसा उस पर अच्छा या बुरा असर होते देखा जाता है|अच्छे समय में अच्छाइयाँ बहुत जल्दी फैलते देखी जाती हैं और बुरे समय में बुराइयाँ बहुत जल्दी फैलती जाती हैं ऐसे समयों में किसी के थोड़ी सी खरोंच या फाँस भी लग जाए तो वो कितना बड़ा स्वरूप धारण कर लेगी पता नहीं लगता उसे बढ़ते देर नहीं लगती है !
पुराने समय में जब किसी को कुत्ता या सर्प आदि काट लिया करते थे तब लोग ज्योतिषियों के पास पूछने जाया करते थे कि समय कैसा है उनका मानना होता था कि यदि समय ठीक होगा तो सर्प के बिष से भी कोई भय नहीं होगा और यदि समय ही बुरा है तो अँधेले में रस्सी का स्पर्श भी सर्प जैसी न केवल शंका डाल जाता अपितु सर्प जैसा असर भी करते देखा जाता है आयुर्वेद में इसे शंका विष मानते हैं और सर्प डसने की तरह ही इसकी भी चिकित्सा करनी होती है |
कुल मिलाकर समय के अनुशार ही सबके साथ सब कुछ अच्छा और बुरा होता जा रहा है इसीलिए जादू टोने आदि तरह तरह की नाटक नौटंकी करने वाले लोग भी लोगों का सब कुछ ठीक कर देने की गारंटी लेते देखे जाते हैं और चिकित्सक भी जबकि असफल भी दोनों होते देखे जाते हैं ! कोई रोगी स्वस्थ हो जाता है तो इसका श्रेय औषधि और चिकित्सक दोनों को दिया जाता है किन्तु जिन रोगियों को अच्छे से अच्छे चिकित्सकों की देख रेख में सघन चिकित्सा सुविधाएँ प्राप्त हो रही होती हैं फिर भी उनका रोग बढ़ता चला जाता है उनके लिए चिकित्सक क्या कह सकेंगे !कई बार वे ऐसी परिस्थितियों में भी मरते देखे जाते हैं जबकि उन्हें मारने के विषय में न किसी ने सोचा होता है और न ही मारने की दवाएँ ही चलाई जा रही होती हैं फिर मृत्यु को चिकित्सा का फल माना जाए या नहीं ? यदि किसी की रोग मुक्ति का सम्पूर्ण श्रेय औषधि और चिकित्सक लेते हैं तो चिकित्सा चलते समय होने वाली किसी रोगी की मृत्यु को भी चिकित्सा जनित मृत्यु मानना ही होगा !ऐसे भी समस्त चिकित्सा प्रक्रिया पर ही अँगुलियाँ उठने लगेंगी और चिकित्सा पद्धति पर कोई कैसे भरोसा कर पाएगा !
इसलिए चिकित्सा प्रक्रिया के चलते समय किसी को रोग मुक्ति मिले न मिले किंतु दोनों ही परिस्थितियों श्रेय समय को ही देना उचित होगा जबकि चिकित्सा प्रक्रिया समय की मदद करती दिखाई देगी !इलाज चलने पर भी अगर रोगी मर जाता है तो ऐसे प्रकरणों में समय का प्रभाव प्रत्यक्ष दिखाई भी पड़ता है समय के इसी प्रभाव को रोगी के स्वस्थ होने में भी कारण मानना चाहिए कि जो रोगी स्वस्थ हुआ वो समय की अनुकूलता के कारण ही संभव हो पाया !
जबकि बहुत सारे वो काम भी तो होते देखे जाते हैं जो हों ऐसा कोई नहीं चाहता और न ही उनके लिए कोई प्रयास करता है बल्कि वो न हों इसके लिए जरूर प्रयास किए जा रहे होते हैं फिर भी हमारे प्रयासों की परवाह किए बिना वे होते ही हैं !
किसी के जीवन में कोई दुर्घटना हो बीमारी हो या कोई और बुरी घटना घटे ऐसा कोई नहीं चाहता है कि कुछ बुरा हो और इससे बचने के लिए हर संभव प्रयास तो सभी लोग निरंतर करते रहते हैं किंतु फिर भी हमारे प्रयासों के विरुद्ध परिणाम कई बार होते देखा जाता है |
प्रकृति में या लोगों के व्यक्तिगत जीवन में घटित होने वाली अच्छी बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं के विषय में यदि उनके घटित होने की जानकारी कुछ पहले से होने लगे तो बुरी घटनाओं के दुष्प्रभाव को कुछ घटाया जा सकता है कुछ के यथा संभव बचाव के रास्ते खोजे जा हैं और कुछ उन दुष्प्रभावों को सहने के लिए अपने को तैयार किया जा सकता है !इन सभी प्रक्रियाओं से उनके दुष्प्रभावों के वेग को कुछ कम किया जा सकता है किंतु पूर्वानुमान लगा पाना संभव है क्या यदि हाँ तो किस विषय में वो भी कितना !
समय की भूमिका बहुत बड़ी होती है समयचक्र
मानसिकतनाव,शारीरिकरोग,अतिवर्षा और भूकंप जैसी शारीरिक और प्राकृतिक घटनाओं के विषय में इनके प्रारंभ होने से पूर्व इनके घटित होने के विषय में पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो पाता तो इन्हें रोकना या कम कर पाना भले न संभव हो पाता किंतु इनके दुष्प्रभावों को घटाने के प्रयास किए जा सकते हैं साथ ही मानसिक शारीरिक आर्थिक आदि दृष्टियों से सुरक्षा संबंधी प्रिवेंटिव प्रयास किए जा सकते हैं !
अतिवर्षा या सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं का ठीक ठीक पूर्वानुमान लगा पाना यदि कुछ महीने पहले संभव हो पावे तो किसान हो या सरकार उसी हिसाब से अगली फसल की संभावना के अनुशार ही पहले से अन्न आदि खाद्य पदार्थों एवं पशुओं के चारे आदि का संग्रह करके चले !न केवल इतना अपितु ऐसे पूर्वानुमानों का पता लगाकर बाढ़ जैसी संभावित आपदाओं से निपटने की तैयारियाँ पहले से ही की जा सकती हैं !
इसी प्रकार से भविष्य में घटित होने वाले भूकंपों से संबंधित पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो पाता तो भूकम्पों से होने वाले नुक्सान को भी प्रिवेंटिव प्रयासों के द्वारा घटाया जा सकता है | बचाव के लिए और अधिक अच्छे प्रयास किए जा सकते हैं |
रोगों के विषय में पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो पाता तो प्रिवेंटिव चिकित्सा पद्धति विकसित करके रोगों के विस्तारित होने से पूर्व ही चिकित्सा पद्धति उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है एवं कई प्रकार के रोगों को होने से पूर्व ही समाप्त करने में सफलता पाई जा सकती है ।लोगों में पाए जाने वाली अवसाद जनित तनाव संबंधी समस्याओं का पूर्वानुमान लगा करके उन्हें भी समझने- समझाने एवं नियंत्रित करने में सुविधा हो सकती है !
अवसाद को घटाने में सहायक है नाम अक्षर संबंधी पूर्वानुमान !इस विधा के द्वारा किसी भी व्यक्ति के विषय में इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि इसे किस नाम के व्यक्ति से कैसा तनाव मिलने की संभावना रहती है साथ ही ये किस संगठन पार्टी गाँव शहर प्रदेश देश आदि में रहेगा तो कैसी कैसी कैसी समस्याओं को सहना पड़ेगा और किस किस नाम के स्त्री पुरुषों से सावधान रहना होगा !आदि !!
इस प्रकार से अतिवर्षा ,भूकंप ,शारीरिकरोग,मानसिकतनाव,नाम विज्ञान आदि से संबंधित पूर्वानुमानों का पता लगाकरके इन विषयों से संबंधित समस्याओं का समाधान निकालने में सुविधा हो सकती है मेरी जानकारी के अनुशार इनमें से किसी भी विषय पर सटीक पूर्वानुमान लगा पाने में आधुनिक विज्ञान की स्थिति स्पष्ट नहीं है ।
जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !यदि किसी का समय अच्छा हो तो उसके विरुद्ध किए जाने वाले हानिकर प्रयासों को भी टाला जा सकता है या फिर उनके दुष्प्रभाव को घटाया जा सकता है ऐसे लोगों पर सस्ती और सामान्य औषधियाँ भी बहुत अच्छा असर करती हैं बिना औषधियों के भी ऐसे लोग स्वस्थ होते देखे जाते हैं समय अधिक लगता है जहर आदि हानिकर वस्तुओं का असर भी धीरे धीरे और अपेक्षाकृत कम होता है अर्थात बचाव के लिए पूरा समय मिलता है किन्तु यदि समय विपरीत होता है तो सब कुछ उलटा होता चला जाता है अपने किए हुए अच्छे प्रयासों का परिणाम भी अच्छा नहीं होता या बहुत कम अच्छा होता है !किसी के जीवन पर होने वाले अच्छे बुरे सभी असर उसके समय से प्रभावित होते हैं |
संसार में सब कुछ समय के साथ साथ अपने आप से घटित होता जा रहा है समय के साथ साथ कुछ चीजें बढ़ती जाती हैं कुछ घटती जाती हैं कुछ बन रही हैं कुछ बिगड़ रही हैं कुछ लोग रोगी हो रहे हैं कुछ स्वस्थ हो रहे हैं कुछ पैदा हो रहे हैं कुछ नष्ट हो रहे हैं कुछ फैल रहे हैं कुछ सिमट रहे हैं कुछ का विकास हो रहा है कुछ का बिनाश होता जा रहा है कुछ फल फूल रहे हैं कुछ मिट रहे हैं कुछ लोग जुड़ते जा रहे हैं तो कुछ छूटते जा रहे हैं जन्म होता है बचपन होता है फिर युवापन आता है उसके बाद वृद्धापन आता है उसके बाद मृत्यु हो जाती है !इस प्रकार से संसार में या जीवन में होने वाले ऐसे सभी प्रकार के बदलावों का कारण समय है समय अपनी गति से चलता जा रहा है उसी की गति के साथ साथ सब जगह सभी प्रकार के परिवर्तन होते जा रहे हैं कुछ देखे सुने जा पा रहे हैं कुछ नहीं !धरती के अंदर समुद्र के अंदर या आकाश में ग्रहों में कब कहाँ कैसे बदलाव हो रहे हैं जो हम नहीं भी देख सकते हैं परिवर्तन वहाँ भी हो रहे हैं !ये सभी बदलाव समय जनित हैं !
इनमें से बहुत सारे बदलावों को बहुत लोग अपने प्रयासों का फल मान लेते हैं उन्हें लगता है कि ये मेरे प्रयास से हो रहा है या हुआ है उसका कारण है कि वो जैसा चाह रहे होते हैं वैसा हो इसी इच्छा से अपनी शक्ति सामर्थ्य के अनुशार प्रयास कर रहे होते हैं और जब वैसा हो जाता है जैसा वो चाहते हैं तो वो मान लेते हैं कि ये उनके प्रयासों से ही संभव हो पाया है!जैसे किसी चिकित्सक ने किसी रोगी को स्वस्थ करने की औषधि दी और वह स्वस्थ हो गया तो मान लिया जाता है कि चिकित्सक योग्य है और औषधि उत्तम है तभी वो रोगी स्वस्थ हो पाया !किंतु इसी के साथ यहाँ एक बात और याद रखी जानी चाहिए कि चिकित्सक और औषधि अच्छी होना तो आवश्यक था ही किंतु एक बात और सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण थी वो है उस रोगी का अपना 'समय' !यदि उस रोगी का अपना समय उसके अनुकूल था और उसकी आयु अभी अवशेष थी तभी वो स्वस्थ और सुरक्षित बचाया जा सका !संसार में किसी भी व्यक्ति को कोई कैसा भी सुख या दुःख देना चाहे वो देने का प्रयास तो कभी भी कर सकता है किंतु उसका परिणाम उस रोगी या उस व्यक्ति पर उसके अपने समय के अनुशार ही पड़ता है जिसका अपना समय बुरा हो उसे चाहकर भी कोई सुख नहीं पहुँचा सकता है श्री राम का अपना समय जब बुरा आया तो उन्हें बन जाना पड़ा ,सीता जी सेवा करने के लिए साथ गईं उनका हरण हुआ जटायु जी मदद करने के लिए आए तो उनका मरण हुआ किंतु श्री राम का दुःख घटाया तो नहीं जा सका !
इसका स्पष्ट तात्पर्य यह है कि किसी को भी सुख या दुःख देने का कैसा भी प्रयास क्यों न कर लिया जाए किंतु उसका उस पर असर वैसा और उतना ही होता है जैसा उसका अपना समय होता है|इसीलिए जब कोई दुर्घटना होती है उससे बहुत लोग एक जैसे प्रभावित होते हैं किन्तु सब पर असर अलग अलग होते देखा जाता है जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !लोगों से भरी कोई नाव बीच गंगा जी में डूब जाती है, लोगों से भरी बस किसी खाई में गिर जाती है ,कोई बिल्डिंग गिर जाती है और उसके नीचे बहुत सारे लोग दब जाते हैं !ऐसी सभी दुर्घटनाओं में कुछ लोग मर जाते हैं कुछ घायल हो जाते हैं और कुछ को खरोंच भी नहीं आती है !इस अंतर का एक ही कारण है जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !
कोई किसी पर जादू टोना करता है हमला करता है गोली मारता है या अन्य प्रकार से उसको नुक्सान पहुँचाने का प्रयास करता है किंतु उसका नुक्सान तभी होगा यदि उसका अपना समय खराब है अन्यथा उसका बाल भी बाँका नहीं होगा !सैनिकों की सीमा पर तैनाती करते समय या कहीं भी ऐसी जगह भेजते समय जहाँ जान का जोखिम समझ में आता हो यदि इस बात का पालन किया जाए तो अपने सैनिकों का अधिक से अधिक बचाव किया जा सकता है !जिनका जब तक अपना समय ख़राब हो तब तक उन्हें पायलट नहीं बनाया जाना चाहिए !ऐसे लोग सर्जन हों तो उनके किए हुए आपरेशन उतने समय तक कम सफल होते हैं यदि ये इंजीनियर या वैज्ञानिक हैं तो उतने समय तक इनके द्वारा किए गए प्रयासों के असफल होने की संभावनाएँ अधिक बनी रहती हैं !इसी प्रकार से बीमारियों की दृष्टि से वात पित्त और कफ प्रवृत्ति का का अनुपालन किया जा सकता है जिसकी कफ प्रवृत्ति हो या जिसके जीवन में जब तक कफ वर्धय समय चल रहा हो ऐसे सैनिकों को बर्फीले इलाकों में तैनात करने की अपेक्षा बचाया जाना चाहिए !
जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर इसी प्रकार से एक जैसे रोगों से पीड़ित बहुत सारे रोगियों पर एक ही चिकित्सक एक साथ एक जैसी दवा का प्रयोग करते हैं परिणाम स्वरूप कुछ स्वस्थ हो जाते हैं कुछ बीमार बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं जबकि डाक्टर का प्रयास तो सबको स्वस्थ करने का था और दवा भी स्वस्थ करने की ही थी फिर असर अलग अलग होने का एक मात्र कारण है जिसका जैसा समय चिकित्सकों के प्रयासों और औषधियों का भी उस पर वैसा असर !कई बार जंगलों में रहने वाले लोगों को भी बड़े बड़े रोग होते हैं वहाँ चिकित्सा की बिलकुल सुविधाएँ नहीं होती हैं फिर भी लोग स्वस्थ हो जाते हैं जिसका जैसा समय बीमारियों का उस पर वैसा असर !कई बार बहुत बड़े लोगों के बीमार होने पर चिकित्सा संबंधी आधुनिक सुख सुविधाएँ अच्छी से अच्छी चला करती हैं फिर भी बीमारी बढ़ते बढ़ते ऐसे लोग भी एक दिन मर जात्ते हैं जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर देखने को मिलता है !
कई बार जंगलों में रहने वाले पशु आपस में लड़ भिड़कर एक दूसरे को बहुत घायल कर देते हैं और बिना किसी औषधि चिकित्सा के भी उनका घाव न सड़ता है न पकता है अपितु धीरे धीरे ठीक हो जाता है | इसलिए मानना पड़ता है कि जिसका जैसा समय उस पर वैसा असर !
तांत्रिकों ,हकीमों या अन्य तरह के जादू टोने करने वालों के प्रति बने समाज के भरोसे को अंधविश्वास बताकर घटाया नहीं जा सका है !इसका कारण यही है कि बड़े बड़े हॉस्पिटलों के बड़े बड़े डॉक्टरों से चिकित्सा करवाकर भी विश्वास पूर्वक ये तो नहीं कहा जा सकता है कि ये सब स्वस्थ ही हो जाएँगे या इनमें से कोई मरेगा ही नहीं अर्थात उनके द्वारा चिकित्सा किए जाने पर भी कुछ रोगियों पर चिकित्सा का असर अधिक नहीं होता है इसी प्रकार से चिकित्सा चलते समय भी कुछ लोग मरते भी देखे जाते हैं !ऐसा ही तांत्रिकों हकीमों या अन्य तरह के जादू टोना करने वालों के साथ भी होता है उनके यहाँ आने के बाद और उनके प्रयासों के बाद भी बहुत लोग स्वस्थ होते देखे जाते हैं इसीलिए समाज उन पर भी भरोसा करता है जबकि आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सक आदि उन पर किए जाने वाले भरोसे को झूठ और अंध विश्वास बताते हैं किंतु समाज उनके द्वारा बार बार ऐसा समझाने पर भी उनकी इस बात पर भरोसा नहीं करता है कि ये सब अंधविश्वास है क्योंकि किसी के स्वस्थ और अस्वस्थ रहने का कारण समय है| किसी का समय यदि अच्छा होता है तो उसे तो स्वस्थ होना ही होता है कोई उपाय करे या न करे कोई औषधि ले या न ले तंत्र मन्त्र जादू टोना आदि पर भरोसा करे या न करे उसे तो स्वस्थ होना ही होता है इसलिए उस समय वो जो भी प्रयोग अपनाता है उसी को स्वस्थ होने का श्रेय(क्रेडिट) देने लग जाता है जो डाक्टर के पास जाता है वो डाक्टरों को सच मानने लग जाता है और जो जादू टोना करने वालों के पास गया होता है वो उन्हें सच मान लेता है !चूँकि बीमारी ठीक कर देने या न मरने देने की गारंटी तो बड़े बड़े हॉस्पिटल और बड़े बड़े चिकित्सक भी नहीं देते हैं फिर उन्हीं पर इतना भरोसा कोई कैसे कर ले कि उनके कहने पर तंत्र मन्त्र जादू टोना आदि करने वालों को वो अंधविश्वास फैलाने वाला मान ले !इसीलिए रोगी का भरोसा चारों ओर भटकता है और वो सभी के ऊपर विश्वास करने लगता है !जिस रोगी का जब बुरा समय चल रहा होता है तब बड़े से बड़े चिकित्सकों के द्वारा दी जाने वाली अच्छी से अच्छी औषधियाँ लाभ नहीं करती हैं कई बार तो नुक्सान पहुँचाते तक देखी जाती हैं इसलिए उनसे विश्वास टूटना स्वाभाविक है चूँकि तंत्र मन्त्र जादू टोना आदि से भी ऐसी परिस्थिति में कोई लाभ होते नहीं देखा जाता है इसलिए अविश्वास उन पर भी होता है | कुल मिलाकर जैसा जिसका समय वैसा उस पर अच्छा या बुरा असर होते देखा जाता है|अच्छे समय में अच्छाइयाँ बहुत जल्दी फैलते देखी जाती हैं और बुरे समय में बुराइयाँ बहुत जल्दी फैलती जाती हैं ऐसे समयों में किसी के थोड़ी सी खरोंच या फाँस भी लग जाए तो वो कितना बड़ा स्वरूप धारण कर लेगी पता नहीं लगता उसे बढ़ते देर नहीं लगती है !
पुराने समय में जब किसी को कुत्ता या सर्प आदि काट लिया करते थे तब लोग ज्योतिषियों के पास पूछने जाया करते थे कि समय कैसा है उनका मानना होता था कि यदि समय ठीक होगा तो सर्प के बिष से भी कोई भय नहीं होगा और यदि समय ही बुरा है तो अँधेले में रस्सी का स्पर्श भी सर्प जैसी न केवल शंका डाल जाता अपितु सर्प जैसा असर भी करते देखा जाता है आयुर्वेद में इसे शंका विष मानते हैं और सर्प डसने की तरह ही इसकी भी चिकित्सा करनी होती है |
कुल मिलाकर समय के अनुशार ही सबके साथ सब कुछ अच्छा और बुरा होता जा रहा है इसीलिए जादू टोने आदि तरह तरह की नाटक नौटंकी करने वाले लोग भी लोगों का सब कुछ ठीक कर देने की गारंटी लेते देखे जाते हैं और चिकित्सक भी जबकि असफल भी दोनों होते देखे जाते हैं ! कोई रोगी स्वस्थ हो जाता है तो इसका श्रेय औषधि और चिकित्सक दोनों को दिया जाता है किन्तु जिन रोगियों को अच्छे से अच्छे चिकित्सकों की देख रेख में सघन चिकित्सा सुविधाएँ प्राप्त हो रही होती हैं फिर भी उनका रोग बढ़ता चला जाता है उनके लिए चिकित्सक क्या कह सकेंगे !कई बार वे ऐसी परिस्थितियों में भी मरते देखे जाते हैं जबकि उन्हें मारने के विषय में न किसी ने सोचा होता है और न ही मारने की दवाएँ ही चलाई जा रही होती हैं फिर मृत्यु को चिकित्सा का फल माना जाए या नहीं ? यदि किसी की रोग मुक्ति का सम्पूर्ण श्रेय औषधि और चिकित्सक लेते हैं तो चिकित्सा चलते समय होने वाली किसी रोगी की मृत्यु को भी चिकित्सा जनित मृत्यु मानना ही होगा !ऐसे भी समस्त चिकित्सा प्रक्रिया पर ही अँगुलियाँ उठने लगेंगी और चिकित्सा पद्धति पर कोई कैसे भरोसा कर पाएगा !
इसलिए चिकित्सा प्रक्रिया के चलते समय किसी को रोग मुक्ति मिले न मिले किंतु दोनों ही परिस्थितियों श्रेय समय को ही देना उचित होगा जबकि चिकित्सा प्रक्रिया समय की मदद करती दिखाई देगी !इलाज चलने पर भी अगर रोगी मर जाता है तो ऐसे प्रकरणों में समय का प्रभाव प्रत्यक्ष दिखाई भी पड़ता है समय के इसी प्रभाव को रोगी के स्वस्थ होने में भी कारण मानना चाहिए कि जो रोगी स्वस्थ हुआ वो समय की अनुकूलता के कारण ही संभव हो पाया !
जबकि बहुत सारे वो काम भी तो होते देखे जाते हैं जो हों ऐसा कोई नहीं चाहता और न ही उनके लिए कोई प्रयास करता है बल्कि वो न हों इसके लिए जरूर प्रयास किए जा रहे होते हैं फिर भी हमारे प्रयासों की परवाह किए बिना वे होते ही हैं !
किसी के जीवन में कोई दुर्घटना हो बीमारी हो या कोई और बुरी घटना घटे ऐसा कोई नहीं चाहता है कि कुछ बुरा हो और इससे बचने के लिए हर संभव प्रयास तो सभी लोग निरंतर करते रहते हैं किंतु फिर भी हमारे प्रयासों के विरुद्ध परिणाम कई बार होते देखा जाता है |
प्रकृति में या लोगों के व्यक्तिगत जीवन में घटित होने वाली अच्छी बुरी दोनों प्रकार की घटनाओं के विषय में यदि उनके घटित होने की जानकारी कुछ पहले से होने लगे तो बुरी घटनाओं के दुष्प्रभाव को कुछ घटाया जा सकता है कुछ के यथा संभव बचाव के रास्ते खोजे जा हैं और कुछ उन दुष्प्रभावों को सहने के लिए अपने को तैयार किया जा सकता है !इन सभी प्रक्रियाओं से उनके दुष्प्रभावों के वेग को कुछ कम किया जा सकता है किंतु पूर्वानुमान लगा पाना संभव है क्या यदि हाँ तो किस विषय में वो भी कितना !
समय की भूमिका बहुत बड़ी होती है समयचक्र
मानसिकतनाव,शारीरिकरोग,अतिवर्षा और भूकंप जैसी शारीरिक और प्राकृतिक घटनाओं के विषय में इनके प्रारंभ होने से पूर्व इनके घटित होने के विषय में पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो पाता तो इन्हें रोकना या कम कर पाना भले न संभव हो पाता किंतु इनके दुष्प्रभावों को घटाने के प्रयास किए जा सकते हैं साथ ही मानसिक शारीरिक आर्थिक आदि दृष्टियों से सुरक्षा संबंधी प्रिवेंटिव प्रयास किए जा सकते हैं !
अतिवर्षा या सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं का ठीक ठीक पूर्वानुमान लगा पाना यदि कुछ महीने पहले संभव हो पावे तो किसान हो या सरकार उसी हिसाब से अगली फसल की संभावना के अनुशार ही पहले से अन्न आदि खाद्य पदार्थों एवं पशुओं के चारे आदि का संग्रह करके चले !न केवल इतना अपितु ऐसे पूर्वानुमानों का पता लगाकर बाढ़ जैसी संभावित आपदाओं से निपटने की तैयारियाँ पहले से ही की जा सकती हैं !
इसी प्रकार से भविष्य में घटित होने वाले भूकंपों से संबंधित पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो पाता तो भूकम्पों से होने वाले नुक्सान को भी प्रिवेंटिव प्रयासों के द्वारा घटाया जा सकता है | बचाव के लिए और अधिक अच्छे प्रयास किए जा सकते हैं |
रोगों के विषय में पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो पाता तो प्रिवेंटिव चिकित्सा पद्धति विकसित करके रोगों के विस्तारित होने से पूर्व ही चिकित्सा पद्धति उन्हें नियंत्रित किया जा सकता है एवं कई प्रकार के रोगों को होने से पूर्व ही समाप्त करने में सफलता पाई जा सकती है ।लोगों में पाए जाने वाली अवसाद जनित तनाव संबंधी समस्याओं का पूर्वानुमान लगा करके उन्हें भी समझने- समझाने एवं नियंत्रित करने में सुविधा हो सकती है !
अवसाद को घटाने में सहायक है नाम अक्षर संबंधी पूर्वानुमान !इस विधा के द्वारा किसी भी व्यक्ति के विषय में इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि इसे किस नाम के व्यक्ति से कैसा तनाव मिलने की संभावना रहती है साथ ही ये किस संगठन पार्टी गाँव शहर प्रदेश देश आदि में रहेगा तो कैसी कैसी कैसी समस्याओं को सहना पड़ेगा और किस किस नाम के स्त्री पुरुषों से सावधान रहना होगा !आदि !!
इस प्रकार से अतिवर्षा ,भूकंप ,शारीरिकरोग,मानसिकतनाव,नाम विज्ञान आदि से संबंधित पूर्वानुमानों का पता लगाकरके इन विषयों से संबंधित समस्याओं का समाधान निकालने में सुविधा हो सकती है मेरी जानकारी के अनुशार इनमें से किसी भी विषय पर सटीक पूर्वानुमान लगा पाने में आधुनिक विज्ञान की स्थिति स्पष्ट नहीं है ।
1. मौसम विभाग का वर्षा संबंधी पूर्वानुमान -
अपने भारतवर्ष में वर्षा संबंधी पूर्वानुमान जानने के उद्देश्य से मौसम विभाग को संचालित करने के लिए भारतसरकार के करोड़ों अरबों रूपए खर्च होते होंगे फिर भी देश के प्रधानमंत्री जी की दो दो सभाएँ केवल मौसम के कारण रद्द करनी पड़ी हों ये कोई छोटी घटना तो नहीं है !
"28-6-2015 एवं 16-7-2015 को वर्षा वो भी मूसलाधार इसीकारण से प्रधानमंत्री मोदी जी की वाराणसी में होने वाली दो सभाएँ रद्द करनी पड़ीं थीं !सुना है कि इसमें 9 करोड़ रूपए का वाटर प्रूफ टेंट लगाया गया था और वुडन फ्लोरिंग भी की गई थी !"देश के मौसम विभाग की भूमिका इस प्रकरण में क्या थी मुझे नहीं पता किंतु यदि नहीं थी तो क्यों ?ये विभाग देश और सरकार के लिए ही है !ऐसे पूर्वानुमानों पर भरोसा करके कृषि क्षेत्र को कैसे समृद्ध बनाया जा सकता है और आपदा प्रबंधन विभाग को कितनी मदद मिलपाती होगी मुझे नहीं पता !
भूकंप संबंधी पूर्वानुमान -
मेरी जानकारी के अनुशार भूकंप संबंधी पूर्वानुमान के लिए विश्व में अभी तक कोई कारगर प्रणाली नहीं विकसित की जा सकी है !
अतिवर्षा हो या भूकंप इन विषयों से संबंधित विश्वसनीय पूर्वानुमान लगाए बिना प्राप्त परिस्थितियों का स्वागत करने के अलावा देशवासियों के पास अभी तक कोई अन्य विकल्प है ही नहीं ।भूकंपों के विषय में जैसे धरती के अंदर भरी गैसों को ,पृथ्वी की अंदरूनी प्लेटों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है भूकंप आने का कारण यदि इन्हीं दो विन्दुओं को मान भी लिया जाए तो भी जब तक इस पद्धति के द्वारा लगाए गए भूकंप संबंधी पूर्वानुमान सही सिद्ध नहीं होने लगते तब तक भूकंप आने के यही दो प्रमुख कारण हैं इन पर पूरी तरह भरोसा कर लेना भी उचित नहीं होगा !
अवसाद (तनाव)-
भूकंपों की तरह ही अवसाद (तनाव ) संबंधी समस्याओं के चिकित्सा विज्ञान द्वारा सुझाए गए समाधानों पर तब तक पूर्ण विश्वास कर पाना कठिन होगा जब तक अवसाद ग्रस्त लोगों की दिनों दिन बढ़ती संख्या को नियंत्रित न किया जा सके !इसका कुछ मजबूत समाधान निकाला जाना चाहिए !
अवसाद के विषय में शोध करते समय पहला प्रश्न उठता है कि किसी को भी अवसाद ग्रस्त होने के लिए क्या कारण होने जरूरी हैं क्या अकारण किसी को तनाव नहीं हो सकता !यदि कारण होने पर ही तनाव होता है तो कारण का निवारण होने पर तनाव पूरी तरह समाप्त हो जाना चाहिए किन्तु ऐसा होता नहीं है !
कई बार बिना कारणों के भी तनाव होते देखा जाता है जिन प्रकरणों में कारण तो केवल बहाना होता है वस्तुतः तनाव ग्रस्त व्यक्ति तनाव करने के लिए किसी कारण का मोहताज नहीं होता वो तो अकारण भी तनाव कर बैठते हैं तनाव ग्रस्त व्यक्ति अपने तनाव कारक समय में यदि एकांत बैठकर पूजा भी करे तो भी जब पूजा से उठेगा तब उसका मन तनाव से भरा होगा जबकि वहाँ तनाव के कारण कुछ होते ही नहीं हैं और यदि हों भी और उनका निवारण उनके अनुशार भी करवा दिया जाए तो भी उनका तनाव घटता नहीं है ।
से भी पूछा जाए तो कारण वो भी नहीं गिना पाता है इसके स्पष्ट दर्शन तब होते हैं जब जिस तनाव ग्रस्त व्यक्ति की जो इच्छा जिसके द्वारा रोकी गई हो वो उसी से पूरी करवा दी जाए ऊपर से माफी भी मँगवा दी जाए तो भी उसका तनाव घटेगा नहीं वो कुछ दिन में ही किसी अन्य व्यक्ति की कोई दूसरी बात पकड़ कर अवसाद में चला जाएगा !यदि वहाँ भी उसकी जिद पूरी कर दी जाए तो फिर कुछ दिन बाद कोई अन्य व्यक्ति और कोई अन्य मुद्दा खॊज लेगा !कुल मिलाकर मुद्दे बदलते रहेंगे व्यक्ति बदलते रहेंगे किंतु अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपने लिए तनाव तैयार रखने का इंतजाम स्वयं करता रहेगा
यद्यपि विश्व वैज्ञानिक इस ओर समर्पित भावना से लगे हुए हैं और प्रगति भी बहुत हुई है इसमें भी कोई संशय नहीं है किंतु कुछ विषय आज भी चुनौती बने हुए हैं जिनका पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है इसलिए इनके होने से पहले इन्हें रोकने की दिशा में कोई काम कर पाना संभव ही नहीं है जबकि शारीरिक और मानसिक रोगों में प्रिवेंटिव चिकित्सा एवं अतिवर्षा बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए प्रिवेंटिव प्रयास बहुत लाभ प्रद हो सकते हैं किंतु ऐसे सभी विषयों में जबतक पूर्वानुमान लगाने में सफलता नहीं मिलती तब तक प्रिवेंटिव प्रयास किए भी जाएँ तो निरर्थक ही सिद्ध होंगे इसलिए ऐसा कर पाना संभव ही नहीं है !
अवसाद (तनाव ) संबंधी पूर्वानुमान -
इस समय भारत वर्ष में अवसाद से पीड़ित लोगों की संख्या 5.6 करोड़ और विश्व में 32. 2 करोड़ है ।विश्व में 7.5 प्रतिशत लोग अवसाद के कारण कामकाज में अक्षम हो गए हैं अवसाद की चिकित्सा के लिए दवा और कांसलिंग दो विधाएँ अपनाई जाती हैं।आधुनिक चिकित्सकों के द्वारा इस दिशा में किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं किंतु इतने सारे प्रयासों के बाद भी अवसादग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ते जाना चिंता का विषय है !
अवसाद के लक्षण कुछ इस प्रकार से गिनाए जाते हैं -
अवसाद में ज़िंदगी से रुचि ख़त्म होने लगती है कामकाज से मन उचट जाता है.मन में हर समय कुछ बुरा होने की आशंका बनी रहती है 'मैं तो हर चीज़ में असफल हूँ'.मैं अब कुछ नहीं कर सकता ! मुझे बहुत सारी बीमारियाँ हो गई हैं ! मैं अब कभी ठीक नहीं हो पाऊँगा !मुझे किसी ने कुछ तंत्र मन्त्र कर दिया है ! मुझे नुकसान पहुँचाने के लिए बहुत लोग प्रयास कर रहे हैं मुझसे सब लोग घृणा करने लगे हैं आदि !
अवसाद के कारण कुछ ऐसे बताए जाते हैं -
भविष्य से सम्बंधित भय,चिंता,आशंका प्रियजन वियोग ,विवाह विच्छेद,व्यापारिक घाटा आदि !किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी चले जाना ,शादी का टूट जाना, जैसी परिस्थितियाँ आम तौर पर अवसाद की वजहें मानी जाती हैं !
अवसाद के विषय में हमारी रिसर्च से संबंधित मुख्यबात -
मेरा शोध निष्कर्ष है कि तनाव पैदा होने के कारण हों ही ऐसा निश्चित नहीं होता है कई बार बिना कारणों के भी तनाव होते देखा जाता है जिन प्रकरणों में कारण तो केवल बहाना होता है तनाव ग्रस्त व्यक्ति से भी पूछा जाए तो कारण वो भी नहीं गिना पाता है इसके स्पष्ट दर्शन तब होते हैं जब जिस तनाव ग्रस्त व्यक्ति की जो इच्छा जिसके द्वारा रोकी गई हो वो उसी से पूरी करवा दी जाए ऊपर से माफी भी मँगवा दी जाए तो भी उसका तनाव घटेगा नहीं वो कुछ दिन में ही किसी अन्य व्यक्ति की कोई दूसरी बात पकड़ कर अवसाद में चला जाएगा !यदि वहाँ भी उसकी जिद पूरी कर दी जाए तो फिर कुछ दिन बाद कोई अन्य व्यक्ति और कोई अन्य मुद्दा खॊज लेगा !कुल मिलाकर मुद्दे बदलते रहेंगे व्यक्ति बदलते रहेंगे किंतु अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपने लिए तनाव तैयार रखने का इंतजाम स्वयं करता रहेगा !इसलिए बिना कारणों के तनाव नहीं हो सकता है ये कहना उचित नहीं होगा और न ही ये कहने से ही बात बनेगी कि कुछ लोगों की तनाव में रहने का स्वभाव ही होता है किन्तु ये बात भी सच नहीं है क्योंकि कई अवसाद ग्रस्त लोग बचपन से बहुत अच्छे प्रसन्न स्वभाव के होते हैं अपने प्रति लोगों के द्वारा की गई बड़ी बड़ी गलतियों को क्षमा करके भी प्रसन्न बने रहने वाले लोगों के जीवन में अचानक ऐसा समय भी आता है जब उन्हें कोई नमस्ते न करे तो भी उन्हें तनाव होने लगता है!उन्हें व्यापार में घाटा हो जाए और उसकी भरपाई उनका सगा संबंधी कोई नाते रिस्तेदार आदि कर दे तो भी उन्हें कुछ समय बाद फिर तनाव रहने लगता है। मेरे कहने का आशय यह है कि तनाव यदि किसी कारण से ही होता हो तो उस कारण के निवारण के बाद तो तनाव समाप्त हो ही जाना चाहिए किंतु ऐसा होते नहीं देखा जाता है !ऐसी परिस्थिति में विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि हर किसी को होने वाला तनाव उसके अपने समय के कारण होता है जिसका जो समय जितने महीने वर्ष आदि के लिए प्रतिकूल होता है उसे उतने समय के लिए तनाव रहता ही है उस तनाव का बहाना कुछ भी क्यों न बनाना पड़े !मुद्दे व्यक्ति विचार आदि बदलते रहते हैं किंतु तनाव बरकरार बना रहता है !
ऐसी परिस्थिति में तनाव का कारण यदि उसका अपना समय ही है तो इसका पूर्वानुमान तो उसके जन्म के साथ भी लगाया जा सकता था और यदि इस किया गया होता तो उसे डिप्रेशन में जाने से रोकने के लिए प्रिवेंटिव प्रयास किए जा सकते थे जिससे हो सकता है कि तनाव पूरी तरह समाप्त न भी हो पाए तो भी
हर कोई अपने अपने जीवन में सुख शांति और सफलता पाने के लिए अच्छे से अच्छे प्रयास करता है परंतु परिणाम सबको उनके अपने अपने भाग्य के अनुशार अलग अलग मिलते हैं । विपरीत परिणाम आने पर कुछ लोग उन्हें आसानी से सह जाते हैं जबकि कुछ लोग उन्हें लेकर तनाव ग्रस्त हो जाते हैं । यहाँ एक विशेष बात ये भी है कि जिन्हें जिन विपरीत परिस्थितियों से आज तनाव हो रहा होता है वे ही उससे अधिक विपरीत परिस्थितियों को पहले कभी हँसते हँसते सह जाया करते थे !इसी प्रकार से जिन विपरीत परिस्थितियों को पाकर भी जो लोग आज आसानी से सहते देखे जाते हैं वही इनसे छोटी छोटी प्रतिकूलताओं को देखकर भी पहले कभी घबड़ा जाया करते थे !
इससे एक बात साफ हो जाती है कि हानि- लाभ, सुख- दुःख, मिलना -बिछुड़ना आदि तनाव देने वाली परिस्थितियाँ तो सबके जीवन में आती हैं कई के जीवन में तो कई कई बार आती हैं किंतु हर किसी को हर समय तनाव एक जैसा नहीं होता है जिसका जब जैसा समय होता है उसको तब तैसा तनाव होता है।तनाव का कारण सुख और सफलता मिलाना या न मिलना नहीं है अपितु हमारे तनाव का कारण हमारा अपना अपना समय होता है । हमारे जीवन में हमारा जब जो समय जितने दिन के लिए बुरा समय आता है उसमें हमें उतने दिनों के लिए तनाव रहता ही है जिसमें मुद्दे ,विषय ,लोग बातें आदि बदलते जाते हैं किंतु तनाव बढ़ता ही चला जाता है !इसका मतलब किसी के भी तनाव का कारण उसके सुख दुःख के साधन नहीं अपितु उसका अपना बुरा समय होता है तभी सब कुछ अचानक बुरा लगने लगता है समय के प्रभाव से ही स्वजनों की अच्छी अच्छी बातें भी बुरी लगने लगती हैं ।
इस प्रकार से सबके तनाव का मूल कारण सिद्ध होता है सबका अपना अपना बुरा समय !किसी व्यक्ति के बुरे समय पूर्वानुमान उसके जन्म के समय भी लगाया जा सकता है कि इसके जीवन में ऐसा समय कब कब और कितने कितने दिनों के लिए आएगा जब तनाव सहने की क्षमता समाप्त हो जाएगी और अवसाद बढ़ता चला जाएगा !भविष्य में संभावित उस तनाव को रोकने के लिए प्रिवेंटिव प्रयासों के रूप में आज क्या किया जाना चाहिए !ऐसा करने से संभव है कि तनाव कारक समय आने पर भी उसे उतना तनाव न हो !इसलिए तनाव रोकने के लिए तनावकारक समय का पूर्वानुमान लगाना बहुत आवश्यक होता है इसके बिना काउंसलिंग हो या औषधि सेवन किसी से भी तनाव ग्रस्त व्यक्ति को विशेष लाभान्वित नहीं किया जा सकता है ।
स्वास्थ्य और पूर्वानुमान - जब जिसका जैसा समय होता है तब उसका वैसा स्वास्थ्य रहता है इसलिए कब से कब तक किसका कैसा स्वास्थ्य रहेगा इसके लिए उसके समय का अध्ययन किया जाना चाहिए !यहाँ तक कि अच्छे से अच्छे चिकित्सकों के द्वारा की जाने वाली बहुत अच्छी चिकित्सा का असर भी रोगी के अपने समय के अनुशार होता है !समय अच्छा होता है तो सामान्य औषधियों से भी बड़े लाभ होते देखे जाते हैं और समय बुरा होता है तो अच्छे अच्छे चिकित्सकों के सघन प्रयास चलते रहने पर भी बीमारी बढ़ती चली जाती है और रोगी को मरते देखा जाता है ।
अपने भारतवर्ष में वर्षा संबंधी पूर्वानुमान जानने के उद्देश्य से मौसम विभाग को संचालित करने के लिए भारतसरकार के करोड़ों अरबों रूपए खर्च होते होंगे फिर भी देश के प्रधानमंत्री जी की दो दो सभाएँ केवल मौसम के कारण रद्द करनी पड़ी हों ये कोई छोटी घटना तो नहीं है !
"28-6-2015 एवं 16-7-2015 को वर्षा वो भी मूसलाधार इसीकारण से प्रधानमंत्री मोदी जी की वाराणसी में होने वाली दो सभाएँ रद्द करनी पड़ीं थीं !सुना है कि इसमें 9 करोड़ रूपए का वाटर प्रूफ टेंट लगाया गया था और वुडन फ्लोरिंग भी की गई थी !"देश के मौसम विभाग की भूमिका इस प्रकरण में क्या थी मुझे नहीं पता किंतु यदि नहीं थी तो क्यों ?ये विभाग देश और सरकार के लिए ही है !ऐसे पूर्वानुमानों पर भरोसा करके कृषि क्षेत्र को कैसे समृद्ध बनाया जा सकता है और आपदा प्रबंधन विभाग को कितनी मदद मिलपाती होगी मुझे नहीं पता !
भूकंप संबंधी पूर्वानुमान -
मेरी जानकारी के अनुशार भूकंप संबंधी पूर्वानुमान के लिए विश्व में अभी तक कोई कारगर प्रणाली नहीं विकसित की जा सकी है !
अतिवर्षा हो या भूकंप इन विषयों से संबंधित विश्वसनीय पूर्वानुमान लगाए बिना प्राप्त परिस्थितियों का स्वागत करने के अलावा देशवासियों के पास अभी तक कोई अन्य विकल्प है ही नहीं ।भूकंपों के विषय में जैसे धरती के अंदर भरी गैसों को ,पृथ्वी की अंदरूनी प्लेटों को जिम्मेदार ठहरा दिया जाता है भूकंप आने का कारण यदि इन्हीं दो विन्दुओं को मान भी लिया जाए तो भी जब तक इस पद्धति के द्वारा लगाए गए भूकंप संबंधी पूर्वानुमान सही सिद्ध नहीं होने लगते तब तक भूकंप आने के यही दो प्रमुख कारण हैं इन पर पूरी तरह भरोसा कर लेना भी उचित नहीं होगा !
अवसाद (तनाव)-
भूकंपों की तरह ही अवसाद (तनाव ) संबंधी समस्याओं के चिकित्सा विज्ञान द्वारा सुझाए गए समाधानों पर तब तक पूर्ण विश्वास कर पाना कठिन होगा जब तक अवसाद ग्रस्त लोगों की दिनों दिन बढ़ती संख्या को नियंत्रित न किया जा सके !इसका कुछ मजबूत समाधान निकाला जाना चाहिए !
अवसाद के विषय में शोध करते समय पहला प्रश्न उठता है कि किसी को भी अवसाद ग्रस्त होने के लिए क्या कारण होने जरूरी हैं क्या अकारण किसी को तनाव नहीं हो सकता !यदि कारण होने पर ही तनाव होता है तो कारण का निवारण होने पर तनाव पूरी तरह समाप्त हो जाना चाहिए किन्तु ऐसा होता नहीं है !
कई बार बिना कारणों के भी तनाव होते देखा जाता है जिन प्रकरणों में कारण तो केवल बहाना होता है वस्तुतः तनाव ग्रस्त व्यक्ति तनाव करने के लिए किसी कारण का मोहताज नहीं होता वो तो अकारण भी तनाव कर बैठते हैं तनाव ग्रस्त व्यक्ति अपने तनाव कारक समय में यदि एकांत बैठकर पूजा भी करे तो भी जब पूजा से उठेगा तब उसका मन तनाव से भरा होगा जबकि वहाँ तनाव के कारण कुछ होते ही नहीं हैं और यदि हों भी और उनका निवारण उनके अनुशार भी करवा दिया जाए तो भी उनका तनाव घटता नहीं है ।
से भी पूछा जाए तो कारण वो भी नहीं गिना पाता है इसके स्पष्ट दर्शन तब होते हैं जब जिस तनाव ग्रस्त व्यक्ति की जो इच्छा जिसके द्वारा रोकी गई हो वो उसी से पूरी करवा दी जाए ऊपर से माफी भी मँगवा दी जाए तो भी उसका तनाव घटेगा नहीं वो कुछ दिन में ही किसी अन्य व्यक्ति की कोई दूसरी बात पकड़ कर अवसाद में चला जाएगा !यदि वहाँ भी उसकी जिद पूरी कर दी जाए तो फिर कुछ दिन बाद कोई अन्य व्यक्ति और कोई अन्य मुद्दा खॊज लेगा !कुल मिलाकर मुद्दे बदलते रहेंगे व्यक्ति बदलते रहेंगे किंतु अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपने लिए तनाव तैयार रखने का इंतजाम स्वयं करता रहेगा
यद्यपि विश्व वैज्ञानिक इस ओर समर्पित भावना से लगे हुए हैं और प्रगति भी बहुत हुई है इसमें भी कोई संशय नहीं है किंतु कुछ विषय आज भी चुनौती बने हुए हैं जिनका पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है इसलिए इनके होने से पहले इन्हें रोकने की दिशा में कोई काम कर पाना संभव ही नहीं है जबकि शारीरिक और मानसिक रोगों में प्रिवेंटिव चिकित्सा एवं अतिवर्षा बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए प्रिवेंटिव प्रयास बहुत लाभ प्रद हो सकते हैं किंतु ऐसे सभी विषयों में जबतक पूर्वानुमान लगाने में सफलता नहीं मिलती तब तक प्रिवेंटिव प्रयास किए भी जाएँ तो निरर्थक ही सिद्ध होंगे इसलिए ऐसा कर पाना संभव ही नहीं है !
अवसाद (तनाव ) संबंधी पूर्वानुमान -
इस समय भारत वर्ष में अवसाद से पीड़ित लोगों की संख्या 5.6 करोड़ और विश्व में 32. 2 करोड़ है ।विश्व में 7.5 प्रतिशत लोग अवसाद के कारण कामकाज में अक्षम हो गए हैं अवसाद की चिकित्सा के लिए दवा और कांसलिंग दो विधाएँ अपनाई जाती हैं।आधुनिक चिकित्सकों के द्वारा इस दिशा में किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं किंतु इतने सारे प्रयासों के बाद भी अवसादग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ते जाना चिंता का विषय है !
अवसाद के लक्षण कुछ इस प्रकार से गिनाए जाते हैं -
अवसाद में ज़िंदगी से रुचि ख़त्म होने लगती है कामकाज से मन उचट जाता है.मन में हर समय कुछ बुरा होने की आशंका बनी रहती है 'मैं तो हर चीज़ में असफल हूँ'.मैं अब कुछ नहीं कर सकता ! मुझे बहुत सारी बीमारियाँ हो गई हैं ! मैं अब कभी ठीक नहीं हो पाऊँगा !मुझे किसी ने कुछ तंत्र मन्त्र कर दिया है ! मुझे नुकसान पहुँचाने के लिए बहुत लोग प्रयास कर रहे हैं मुझसे सब लोग घृणा करने लगे हैं आदि !
अवसाद के कारण कुछ ऐसे बताए जाते हैं -
भविष्य से सम्बंधित भय,चिंता,आशंका प्रियजन वियोग ,विवाह विच्छेद,व्यापारिक घाटा आदि !किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी चले जाना ,शादी का टूट जाना, जैसी परिस्थितियाँ आम तौर पर अवसाद की वजहें मानी जाती हैं !
अवसाद के विषय में हमारी रिसर्च से संबंधित मुख्यबात -
मेरा शोध निष्कर्ष है कि तनाव पैदा होने के कारण हों ही ऐसा निश्चित नहीं होता है कई बार बिना कारणों के भी तनाव होते देखा जाता है जिन प्रकरणों में कारण तो केवल बहाना होता है तनाव ग्रस्त व्यक्ति से भी पूछा जाए तो कारण वो भी नहीं गिना पाता है इसके स्पष्ट दर्शन तब होते हैं जब जिस तनाव ग्रस्त व्यक्ति की जो इच्छा जिसके द्वारा रोकी गई हो वो उसी से पूरी करवा दी जाए ऊपर से माफी भी मँगवा दी जाए तो भी उसका तनाव घटेगा नहीं वो कुछ दिन में ही किसी अन्य व्यक्ति की कोई दूसरी बात पकड़ कर अवसाद में चला जाएगा !यदि वहाँ भी उसकी जिद पूरी कर दी जाए तो फिर कुछ दिन बाद कोई अन्य व्यक्ति और कोई अन्य मुद्दा खॊज लेगा !कुल मिलाकर मुद्दे बदलते रहेंगे व्यक्ति बदलते रहेंगे किंतु अवसाद ग्रस्त व्यक्ति अपने लिए तनाव तैयार रखने का इंतजाम स्वयं करता रहेगा !इसलिए बिना कारणों के तनाव नहीं हो सकता है ये कहना उचित नहीं होगा और न ही ये कहने से ही बात बनेगी कि कुछ लोगों की तनाव में रहने का स्वभाव ही होता है किन्तु ये बात भी सच नहीं है क्योंकि कई अवसाद ग्रस्त लोग बचपन से बहुत अच्छे प्रसन्न स्वभाव के होते हैं अपने प्रति लोगों के द्वारा की गई बड़ी बड़ी गलतियों को क्षमा करके भी प्रसन्न बने रहने वाले लोगों के जीवन में अचानक ऐसा समय भी आता है जब उन्हें कोई नमस्ते न करे तो भी उन्हें तनाव होने लगता है!उन्हें व्यापार में घाटा हो जाए और उसकी भरपाई उनका सगा संबंधी कोई नाते रिस्तेदार आदि कर दे तो भी उन्हें कुछ समय बाद फिर तनाव रहने लगता है। मेरे कहने का आशय यह है कि तनाव यदि किसी कारण से ही होता हो तो उस कारण के निवारण के बाद तो तनाव समाप्त हो ही जाना चाहिए किंतु ऐसा होते नहीं देखा जाता है !ऐसी परिस्थिति में विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि हर किसी को होने वाला तनाव उसके अपने समय के कारण होता है जिसका जो समय जितने महीने वर्ष आदि के लिए प्रतिकूल होता है उसे उतने समय के लिए तनाव रहता ही है उस तनाव का बहाना कुछ भी क्यों न बनाना पड़े !मुद्दे व्यक्ति विचार आदि बदलते रहते हैं किंतु तनाव बरकरार बना रहता है !
ऐसी परिस्थिति में तनाव का कारण यदि उसका अपना समय ही है तो इसका पूर्वानुमान तो उसके जन्म के साथ भी लगाया जा सकता था और यदि इस किया गया होता तो उसे डिप्रेशन में जाने से रोकने के लिए प्रिवेंटिव प्रयास किए जा सकते थे जिससे हो सकता है कि तनाव पूरी तरह समाप्त न भी हो पाए तो भी
हर कोई अपने अपने जीवन में सुख शांति और सफलता पाने के लिए अच्छे से अच्छे प्रयास करता है परंतु परिणाम सबको उनके अपने अपने भाग्य के अनुशार अलग अलग मिलते हैं । विपरीत परिणाम आने पर कुछ लोग उन्हें आसानी से सह जाते हैं जबकि कुछ लोग उन्हें लेकर तनाव ग्रस्त हो जाते हैं । यहाँ एक विशेष बात ये भी है कि जिन्हें जिन विपरीत परिस्थितियों से आज तनाव हो रहा होता है वे ही उससे अधिक विपरीत परिस्थितियों को पहले कभी हँसते हँसते सह जाया करते थे !इसी प्रकार से जिन विपरीत परिस्थितियों को पाकर भी जो लोग आज आसानी से सहते देखे जाते हैं वही इनसे छोटी छोटी प्रतिकूलताओं को देखकर भी पहले कभी घबड़ा जाया करते थे !
इससे एक बात साफ हो जाती है कि हानि- लाभ, सुख- दुःख, मिलना -बिछुड़ना आदि तनाव देने वाली परिस्थितियाँ तो सबके जीवन में आती हैं कई के जीवन में तो कई कई बार आती हैं किंतु हर किसी को हर समय तनाव एक जैसा नहीं होता है जिसका जब जैसा समय होता है उसको तब तैसा तनाव होता है।तनाव का कारण सुख और सफलता मिलाना या न मिलना नहीं है अपितु हमारे तनाव का कारण हमारा अपना अपना समय होता है । हमारे जीवन में हमारा जब जो समय जितने दिन के लिए बुरा समय आता है उसमें हमें उतने दिनों के लिए तनाव रहता ही है जिसमें मुद्दे ,विषय ,लोग बातें आदि बदलते जाते हैं किंतु तनाव बढ़ता ही चला जाता है !इसका मतलब किसी के भी तनाव का कारण उसके सुख दुःख के साधन नहीं अपितु उसका अपना बुरा समय होता है तभी सब कुछ अचानक बुरा लगने लगता है समय के प्रभाव से ही स्वजनों की अच्छी अच्छी बातें भी बुरी लगने लगती हैं ।
इस प्रकार से सबके तनाव का मूल कारण सिद्ध होता है सबका अपना अपना बुरा समय !किसी व्यक्ति के बुरे समय पूर्वानुमान उसके जन्म के समय भी लगाया जा सकता है कि इसके जीवन में ऐसा समय कब कब और कितने कितने दिनों के लिए आएगा जब तनाव सहने की क्षमता समाप्त हो जाएगी और अवसाद बढ़ता चला जाएगा !भविष्य में संभावित उस तनाव को रोकने के लिए प्रिवेंटिव प्रयासों के रूप में आज क्या किया जाना चाहिए !ऐसा करने से संभव है कि तनाव कारक समय आने पर भी उसे उतना तनाव न हो !इसलिए तनाव रोकने के लिए तनावकारक समय का पूर्वानुमान लगाना बहुत आवश्यक होता है इसके बिना काउंसलिंग हो या औषधि सेवन किसी से भी तनाव ग्रस्त व्यक्ति को विशेष लाभान्वित नहीं किया जा सकता है ।
स्वास्थ्य और पूर्वानुमान - जब जिसका जैसा समय होता है तब उसका वैसा स्वास्थ्य रहता है इसलिए कब से कब तक किसका कैसा स्वास्थ्य रहेगा इसके लिए उसके समय का अध्ययन किया जाना चाहिए !यहाँ तक कि अच्छे से अच्छे चिकित्सकों के द्वारा की जाने वाली बहुत अच्छी चिकित्सा का असर भी रोगी के अपने समय के अनुशार होता है !समय अच्छा होता है तो सामान्य औषधियों से भी बड़े लाभ होते देखे जाते हैं और समय बुरा होता है तो अच्छे अच्छे चिकित्सकों के सघन प्रयास चलते रहने पर भी बीमारी बढ़ती चली जाती है और रोगी को मरते देखा जाता है ।
इस प्रकार से किसी रोगी के स्वस्थ होने का श्रेय(क्रेडिट)यदि उसकी अच्छे से अच्छे चिकित्सकों के द्वारा की जाने वाली बहुत अच्छी चिकित्सा को
दिया जाए तो जिन चिकित्सकों की जिन औषधियों से चिकित्सित रोगी मर जाते हैं
उसके लिए उन चिकित्सकों और उनके द्वारा प्रयुक्त औषधियों को जिम्मेदार मान
लिया जाना चाहिए क्या ?
कुल मिलाकर है किसी का अपना अपना स्वास्थ्य उसके अपने अच्छे बुरे समय के अनुशार ही बनते बिगड़ते रहता है !यदि ये सही है तो इसका पूर्वानुमान तो किसी व्यक्ति के उसके अपने जन्म के समय भी किया जा सकता है और उसके अनुशार प्रिवेंटिव चिकित्सा के रूप में प्रयास किये जा सकते हैं जिससे संभव है कि समय आने पर पूरी तरह नियंत्रण कर पाना भले ही संभव न हो किंतु बचाव के प्रयास तो पहले से प्रारम्भ किए जा सकते हैं ।
व्यक्तिगत
जीवन से जुड़ी या प्रकृति से संबंधित अधिकाँश बड़ी घटनाओं का घटित होना
पहले ही लगभग निश्चित हो जाता है और सब अपने अपने समय पर घट रही होती हैं
।
किसी के जीवन में होने वाले रोग और मानसिक तनाव आदि सभी कब किसको होंगे कितने समय रहेंगे ये पूर्व निर्धारित है इसी प्रकार से आँधी तूफान वर्षा बाढ़ भूकंप आदि भी समय के साथ घटित होते हैं ये भी पूर्व निर्धारित हैं इसलिए ऐसी सभी प्रकार की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए समयविज्ञान को समझना होगा !समयविज्ञान को समझे बिना इनका पूर्वानुमान लगा पाना केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है !यही कारण है कि वर्षा संबंधी लंबी अवधि की भविष्यवाणियाँ कर पाने में मौसम विभाग अभी तक सफल नहीं हुआ है इसीलिए तो बनारस में करोड़ों रूपए लगाकर आयोजित किए गए देश के प्रधानमंत्री के दो बड़े कार्यक्रम मौसम के कारण ही कैंसिल करने पड़े थे !इसीप्रकार से भूकंप का पूर्वानुमान लगाना तो दूर इसके आने न आने के विषय में विश्व वैज्ञानिक निश्चित तौर पर अभी तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं है धरती के अंदर की गैसें प्लेटें आदि कयास मात्र हैं । ऐसे ही चिकित्सा के विषय में है अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधाओं से संपन्न बहुत बड़े बड़े लोगों को भी बचाया नहीं जा सका उनकी चिकित्सा चलती रही वे मृत्यु की ओर बढ़ते रहे जब वे मर गए तब बताया गया कि समय ने साथ नहीं दिया !किंतु इसका अर्थ ये भी तो हो सकता है कि जो लोग बच जाते हैं या स्वस्थ हो जाते हैं उसे भी समय का प्रभाव ही क्यों न माना जाए !इसी प्रकार से मनोरोग में काउंसलिंग वे लोग देते हैं जिनमें कुछ लोगों पर किए गए कुछ अनुभवों के अनुशार कुछ अन्य लोगों को कुछ समझाया जाता है किंतु सबके समय स्वभाव और सोच अलग अलग होने के कारण ये प्रक्रिया कारगर नहीं हो पाई !इसीलिए इधर काउंसलिंग चला करती है और लोग उधर आत्महत्या किया करते हैं !
ऐसी सभी बातों में समय संबंधी अध्ययन की आवश्यकता साफ साफ दिखाई पड़ती है किंतु समय का अध्ययन करने के लिए अभी तक कोई व्यवस्थित क्रम नहीं है !समय संबंधी अध्ययन का आधार है ज्योतिष शास्त्र किंतु इस शास्त्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि इसमें अधिकाँश लोग ज्योतिष बिना पढ़े लिखे ही ज्योतिष पर बकवास किया करते हैं ये बात उनके ज्योतिष विषय की क्वालिफिकेशन से पता लगाई जा सकती है !दूसरी जो ज्योतिष वास्तव में पढ़े हैं उनकी नौकरी लग जाती है फिर वे इस विषय की रिसर्च में अपना मन नहीं खपाना चाहते और जो ज्योतिष पढ़े लिखे लोग नौकरी पाने में असफल रहे वे रोजी रोटी कमाने में लग जाते हैं वे इस विषय पर रिसर्च कैसे करें !
किसी के जीवन में होने वाले रोग और मानसिक तनाव आदि सभी कब किसको होंगे कितने समय रहेंगे ये पूर्व निर्धारित है इसी प्रकार से आँधी तूफान वर्षा बाढ़ भूकंप आदि भी समय के साथ घटित होते हैं ये भी पूर्व निर्धारित हैं इसलिए ऐसी सभी प्रकार की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए समयविज्ञान को समझना होगा !समयविज्ञान को समझे बिना इनका पूर्वानुमान लगा पाना केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है !यही कारण है कि वर्षा संबंधी लंबी अवधि की भविष्यवाणियाँ कर पाने में मौसम विभाग अभी तक सफल नहीं हुआ है इसीलिए तो बनारस में करोड़ों रूपए लगाकर आयोजित किए गए देश के प्रधानमंत्री के दो बड़े कार्यक्रम मौसम के कारण ही कैंसिल करने पड़े थे !इसीप्रकार से भूकंप का पूर्वानुमान लगाना तो दूर इसके आने न आने के विषय में विश्व वैज्ञानिक निश्चित तौर पर अभी तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं है धरती के अंदर की गैसें प्लेटें आदि कयास मात्र हैं । ऐसे ही चिकित्सा के विषय में है अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधाओं से संपन्न बहुत बड़े बड़े लोगों को भी बचाया नहीं जा सका उनकी चिकित्सा चलती रही वे मृत्यु की ओर बढ़ते रहे जब वे मर गए तब बताया गया कि समय ने साथ नहीं दिया !किंतु इसका अर्थ ये भी तो हो सकता है कि जो लोग बच जाते हैं या स्वस्थ हो जाते हैं उसे भी समय का प्रभाव ही क्यों न माना जाए !इसी प्रकार से मनोरोग में काउंसलिंग वे लोग देते हैं जिनमें कुछ लोगों पर किए गए कुछ अनुभवों के अनुशार कुछ अन्य लोगों को कुछ समझाया जाता है किंतु सबके समय स्वभाव और सोच अलग अलग होने के कारण ये प्रक्रिया कारगर नहीं हो पाई !इसीलिए इधर काउंसलिंग चला करती है और लोग उधर आत्महत्या किया करते हैं !
ऐसी सभी बातों में समय संबंधी अध्ययन की आवश्यकता साफ साफ दिखाई पड़ती है किंतु समय का अध्ययन करने के लिए अभी तक कोई व्यवस्थित क्रम नहीं है !समय संबंधी अध्ययन का आधार है ज्योतिष शास्त्र किंतु इस शास्त्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि इसमें अधिकाँश लोग ज्योतिष बिना पढ़े लिखे ही ज्योतिष पर बकवास किया करते हैं ये बात उनके ज्योतिष विषय की क्वालिफिकेशन से पता लगाई जा सकती है !दूसरी जो ज्योतिष वास्तव में पढ़े हैं उनकी नौकरी लग जाती है फिर वे इस विषय की रिसर्च में अपना मन नहीं खपाना चाहते और जो ज्योतिष पढ़े लिखे लोग नौकरी पाने में असफल रहे वे रोजी रोटी कमाने में लग जाते हैं वे इस विषय पर रिसर्च कैसे करें !
यही सब सोचकर समय पर शोध करने के उद्देश्य से ही मैंने ज्योतिष विषय से
संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी से आचार्य(MA)किया और काशीहिंदूविश्वविद्यालय से
सविधि Ph.D.की है !इसके बाद समय संबंधी शोधकार्य में मैं समर्पित हो गया ! ज्योतिष
विषय दुनियाँ का अत्यंत प्राचीन
विज्ञान है या यूँ कह लें कि जब आधुनिक विज्ञान का जन्म भी नहीं हुआ था तब
भी ज्योतिषविज्ञान का महान महत्त्व था आकाश में स्थित सूर्य चंद्र के ग्रहण
भी इसी ज्योतिष से पता लगा लिए जाते थे और वो ठीक उसी समय घटित हो जाया
करते थे !इसीलिए तो हर राजदरवार में राजाओं के अपने
अपने राज ज्योतिषी हुआ करते थे!ये ज्योतिष विज्ञान की महिमा रही है ।
ज्योतिष विज्ञान का मानना है कि ज्योतिषशास्त्र के द्वारा मैं पिछले लगभग बीस वर्षों से 'समयविज्ञान' से संबंधित विषय पर रिसर्च करता आ रहा हूँ जिसमें जैसे- कई चौंकाने वाले तथ्य हाथ हाथ लगे हैं प्रकृति में घटित होने वाली आँधी तूफान वर्षा
बाढ़ यहाँ तक कि भूकंप ही क्यों न हो इनका होना न होना आदि सब कुछ 'समय' से
ही बँधा हुआ है जब जैसा समय होता है तब वैसी घटनाएँ घटित होते देखी जाती
हैं जो प्रायः एक दूसरे से जुड़ी होती हैं इसलिए एक घटना घटने के समय और
लक्षणों के आधार पर भविष्य में घटने वाली दूसरी घटनाओं का पूर्वानुमान
लगाने का प्रयास किया जा सकता है ।
ऐसा ही मानव जीवन से संबंधित विषयों में भी होते देखा जाता है किसी
भी व्यक्ति को शरीर में होने वाले बड़े रोग उसके अपने बुरे समय के कारण
होते हैं और जब तक समय बुरा रहता है तब तक अच्छे से अच्छे चिकित्सक कितनी
भी अच्छी चिकित्सा प्रक्रिया के द्वारा उस रोगी को स्वस्थ नहीं कर पाते हैं
इसीलिए तो बड़े बड़े धनवान और सभी साधनों से संपन्न लोग भी मरते देखे जाते
हैं तब उनकी मृत्यु का कारण 'समय' के प्रभाव को मान लिया जाता है इस
सिद्धांत से तो जो लोग स्वस्थ हो जाते हैं उसका श्रेय भी तो 'समय' को भी
मिलना चाहिए !समय कारण है भी ! जंगलों में रहने वाले साधन विहीन आदिवासी
या गरीब रोगी भी तो स्वस्थ होते देखे जाते हैं । इसीप्रकार जंगलों में पशु
लड़कर एक दूसरे के घाव कर देते हैं और बिना किसी औषधि के ही कुछ समय में
स्वस्थ भी होते देखे जाते हैं ये समय का ही प्रत्यक्ष प्रभाव तो है !समय
सबसे बड़ी औषधि है ।
मनोरोग या तनाव तरह तरह की समस्याओं से पैदा होते हैं और सभी प्रकार की
समस्याएँ उसके अपने बुरे 'समय' के प्रभाव से होती हैं जब तक समय बुरा रहता
है तब तक बात व्यवहार व्यापार आदि से जुड़े तमाम विषयों से संबंधित कुछ
निर्णय लेने में चूक हो ही जाती है जिसके नुक्सान सहने पड़ते हैं बुरे समय
के प्रभाव से ही कुछ नुकसान पहुँचाने वाले लोग अपने जीवन से जुड़ जाते हैं और अच्छे लोग छोड़ कर चले जाते हैं बुरे
समय के प्रभाव से ही वे लोग और बात व्यवहार आदि बुरे लगने लगते हैं जो
पहले नहीं लगा करते थे ऐसी ही परिस्थिति में तलाक जैसी दुर्घटनाएँ घटते
देखी जाती हैं!समय के कारण हुए ऐसे मानसिक बदलाव समय बदलने के साथ ही ठीक भी हो जाते हैं तब तक धैर्य रखनाहोता है !
जिसका जब जैसा समय बदलता है तब तैसा स्वभाव बनता चला जाता है उसी के
अनुशार रूचि बदलती रहती है एक ही व्यक्ति के एक ही जीवन में कई परस्पर
विरोधी विचार व्यवहार स्वभाव रूचि आदि देखने को मिलती है !
कुल मिलाकर सभी प्रकार की सफलता असफलता का मूल कारण समय ही है समय के
स्वभाव को समझे बिना तनाव ग्रस्त लोगों को दी जाने वाली काउंसलिंग आदि का
भी वो प्रभाव नहीं पड़ता है जो पड़ना चाहिए !
महोदय !इन्हीं सभी उद्देश्यों से मैंने 'समय' पर शोध करना प्रारंभ किया
!ज्योतिष और आयुर्वेद के सहयॊग से अच्छे बुरे समय को समझ पाने में जो सफलता
मिली है उसे और अधिक उँचाइयों तक ले जाने के लिए मुझे इसविषय से सम्बंधित
विद्वानों को जोड़ना होगा और फिर बड़े स्तर पर हमें प्रारम्भ करने होंगे
प्रयास !जमीन बिल्डिंग यातायात और विद्वानों की आर्थिक आवश्यकताओं की
पूर्ति आदि सब कुछ करना होगा जिसके लिए अधिक धन और संसाधनों की आवश्यकता
होना स्वाभाविक है जिसके लिए हमें सरकार से सहयोग माँगना पड़ता है किंतु
सरकार इसे विज्ञान नहीं मानती है इसलिए इसके रिसर्च कार्य में सहयोग करने
से सरकार किनारा करती है ! अब हमें समाज और सरकार दोनों से ही सहयोग की
अपेक्षा है !
आशा है कि सरकार और समाज से सहयोग पाकर मैं प्रकृति से लेकर मानव जीवन तक की वर्तमान में प्राप्त परिस्थितियों से लेकर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं तक का पूर्वानुमान लगाने संबंधी शोध कार्य में मैं सफल हो पाऊँगा !संभव है कि ये विषय समाज के लिए हितकर एवं देश के स्वाभिमान को बढ़ाने वाला हो !
आशा है कि सरकार और समाज से सहयोग पाकर मैं प्रकृति से लेकर मानव जीवन तक की वर्तमान में प्राप्त परिस्थितियों से लेकर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं तक का पूर्वानुमान लगाने संबंधी शोध कार्य में मैं सफल हो पाऊँगा !संभव है कि ये विषय समाज के लिए हितकर एवं देश के स्वाभिमान को बढ़ाने वाला हो !
निवेदक :
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
व्याकरणाचार्य ,ज्योतिषाचार्य,PhD
Email- vajpayeesn @gmail. com \मो.9811226973 ,83
K -71, दुग्गल बिल्डिंग, छाछी बिल्डिंग चौक,दिल्ली 51
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