'समयविज्ञान' से संबंधित शोधकार्य के विषय में-
मानसिकतनाव,शारीरिकरोग,अतिवर्षा और भूकंप जैसी शारीरिक और प्राकृतिक
घटनाओं के विषय में इनके प्रारंभ होने से पूर्व यदि इनके होने का
पूर्वानुमान लगा पाना संभव हो पाता तो यदि इसे रोका जाना संभव न ही हो पाता
तो इनके वेगों को रोकने और दुष्प्रभावों को घटाने के प्रयास किए जा सकते
हैं । प्रिवेंटिव चिकित्सा और प्रिवेंटिव प्रयासों के द्वारा इनसे होने वाले नुक्सान को घटाया जा सकता है किंतु इनमें से किसी भी विषय पर सटीक पूर्वानुमान लगा पाने में आधुनिक विज्ञान कितना सक्षम है इसका मूल्यांकन आपको स्वयं ही कर लेना चाहिए !
मौसम विभाग का वर्षा संबंधी पूर्वानुमान -
जिस मौसम विभाग को संचालित करने में भारत सरकार के करोड़ों अरबों रूपए खर्च होते होंगे सैकड़ों हजारों कर्मचारी होंगे फिर भी उनका वर्षा संबंधी पूर्वानुमान कितना सटीक हो सकता है इसका अंदाजा आप स्वयं लगा लीजिए -
"28-6-2015 एवं 16-7-2015 को मूसलाधार वारिस के कारण प्रधान मंत्री मोदी जी को वाराणसी में होने वाली दोनों सभाएँ रद्द करनी पड़ीं थीं !सुना है कि इसमें 9 करोड़ रूपए का वाटर प्रूफ टेंट लगाया गया था और वुडन फ्लोरिंग भी की गई थी !"देश के मौसम विभाग की भूमिका इस प्रकरण में क्या थी मुझे नहीं पता किंतु यदि नहीं थी तो क्यों ?ये विभाग है आखिर किसके लिए और यदि थी तो ऐसे पूर्वानुमानों पर कितना भरोसा किया जाना चाहिए और आपदा प्रबंधन विभाग को ये कितनी मदद पहुँचा पाते होंगे मुझे नहीं पता !
भूकंप संबंधी पूर्वानुमान -
भूकंप संबंधी पूर्वानुमान के लिए विश्व में अभी तक कोई कारगर प्रणाली नहीं विकसित की जा सकी है !
पूर्वानुमान लगाए बिना इन विषयों में प्राप्त परिस्थितियों का स्वागत करना ही हमारी मजबूरी है ।यद्यपि विश्व वैज्ञानिक इस ओर समर्पित भावना से लगे हुए हैं और प्रगति भी बहुत हुई है इसमें भी कोई संशय नहीं है किंतु कुछ विषय आज भी चुनौती बने हुए हैं जिनका पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है इसलिए इनके होने से पहले इन्हें रोकने की दिशा में कोई काम कर पाना संभव ही नहीं है जबकि शारीरिक और मानसिक रोगों में प्रिवेंटिव चिकित्सा एवं अतिवर्षा बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए प्रिवेंटिव प्रयास बहुत लाभ प्रद हो सकते हैं किंतु ऐसे सभी विषयों में जबतक पूर्वानुमान लगाने में सफलता नहीं मिलती तब तक प्रिवेंटिव प्रयास किए भी जाएँ तो निरर्थक ही सिद्ध होंगे इसलिए ऐसा कर पाना संभव ही नहीं है !
अवसाद (तनाव )-
इस समय भारत वर्ष में अवसाद से पीड़ित लोगों की संख्या 5.6 करोड़ और विश्व में 32. 2 करोड़ है ।विश्व में 7.5 प्रतिशत लोग अवसाद के कारण कामकाज में अक्षम हो गए हैं अवसाद की चिकित्सा के लिए दवा और कांसलिंग दो विधाएँ अपनाई जाती हैं।आधुनिक चिकित्सकों के द्वारा इस दिशा में किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं किंतु इतने सारे प्रयासों के बाद भी अवसादग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ते जाना चिंता का विषय है !
अवसाद क्या है ?
हम जिस व्यक्ति से जो अपेक्षा रखते हैं वो वैसा वो न करा पाए तो अवसाद !जिस काम के लिए हम जैसी योजना बनाते हैं वो वैसी ही पूरी न हो तो अवसाद !भविष्य से सम्बंधित भय,चिंता,आशंका प्रियजन वियोग ,विवाह विच्छेद,व्यापारिक घाटा आदि से होता है अवसाद !
अवसाद और समय - हर कोई अपने अपने जीवन में सुख शांति और सफलता पाने के लिए अच्छे से अच्छे प्रयास करता है परंतु परिणाम सबको उनके अपने अपने भाग्य के अनुशार अलग अलग मिलते हैं । विपरीत परिणाम आने पर कुछ लोग उन्हें आसानी से सह जाते हैं जबकि कुछ लोग उन्हें लेकर तनाव ग्रस्त हो जाते हैं । यहाँ एक विशेष बात ये भी है कि जिन्हें जिन विपरीत परिस्थितियों से आज तनाव हो रहा होता है वे ही उससे अधिक विपरीत परिस्थितियों को पहले कभी हँसते हँसते सह जाया करते थे !इसी प्रकार से जिन विपरीत परिस्थितियों को पाकर भी जो लोग आज आसानी से सहते देखे जाते हैं वही इनसे छोटी छोटी प्रतिकूलताओं को देखकर भी पहले कभी घबड़ा जाया करते थे !
इससे एक बात साफ हो जाती है कि हानि- लाभ, सुख- दुःख, मिलना -बिछुड़ना आदि तनाव देने वाली परिस्थितियाँ तो सबके जीवन में आती हैं कई के जीवन में तो कई कई बार आती हैं किंतु हर किसी को हर समय तनाव एक जैसा नहीं होता है जिसका जब जैसा समय होता है उसको तब तैसा तनाव होता है।तनाव का कारण सुख और सफलता मिलाना या न मिलना नहीं है अपितु हमारे तनाव का कारण हमारा अपना अपना समय होता है । हमारे जीवन में हमारा जब जो समय जितने दिन के लिए बुरा समय आता है उसमें हमें उतने दिनों के लिए तनाव रहता ही है जिसमें मुद्दे ,विषय ,लोग बातें आदि बदलते जाते हैं किंतु तनाव बढ़ता ही चला जाता है !इसका मतलब किसी के भी तनाव का कारण उसके सुख दुःख के साधन नहीं अपितु उसका अपना बुरा समय होता है तभी सब कुछ अचानक बुरा लगने लगता है समय के प्रभाव से ही स्वजनों की अच्छी अच्छी बातें भी बुरी लगने लगती हैं ।
इस प्रकार से सबके तनाव का मूल कारण सिद्ध होता है सबका अपना अपना बुरा समय !किसी व्यक्ति के बुरे समय पूर्वानुमान उसके जन्म के समय भी लगाया जा सकता है कि इसके जीवन में ऐसा समय कब कब और कितने कितने दिनों के लिए आएगा जब तनाव सहने की क्षमता समाप्त हो जाएगी और अवसाद बढ़ता चला जाएगा !भविष्य में संभावित उस तनाव को रोकने के लिए प्रिवेंटिव प्रयासों के रूप में आज क्या किया जाना चाहिए !ऐसा करने से संभव है कि तनाव कारक समय आने पर भी उसे उतना तनाव न हो !इसलिए तनाव रोकने के लिए तनावकारक समय का पूर्वानुमान लगाना बहुत आवश्यक होता है इसके बिना काउंसलिंग हो या औषधि सेवन किसी से भी तनाव ग्रस्त व्यक्ति को विशेष लाभान्वित नहीं किया जा सकता है ।
स्वास्थ्य और पूर्वानुमान - जब जिसका जैसा समय होता है तब उसका वैसा स्वास्थ्य रहता है इसलिए कब से कब तक किसका कैसा स्वास्थ्य रहेगा इसके लिए उसके समय का अध्ययन किया जाना चाहिए !यहाँ तक कि अच्छे से अच्छे चिकित्सकों के द्वारा की जाने वाली बहुत अच्छी चिकित्सा का असर भी रोगी के अपने समय के अनुशार होता है !समय अच्छा होता है तो सामान्य औषधियों से भी बड़े लाभ होते देखे जाते हैं और समय बुरा होता है तो अच्छे अच्छे चिकित्सकों के सघन प्रयास चलते रहने पर भी बीमारी बढ़ती चली जाती है और रोगी को मरते देखा जाता है ।
मौसम विभाग का वर्षा संबंधी पूर्वानुमान -
जिस मौसम विभाग को संचालित करने में भारत सरकार के करोड़ों अरबों रूपए खर्च होते होंगे सैकड़ों हजारों कर्मचारी होंगे फिर भी उनका वर्षा संबंधी पूर्वानुमान कितना सटीक हो सकता है इसका अंदाजा आप स्वयं लगा लीजिए -
"28-6-2015 एवं 16-7-2015 को मूसलाधार वारिस के कारण प्रधान मंत्री मोदी जी को वाराणसी में होने वाली दोनों सभाएँ रद्द करनी पड़ीं थीं !सुना है कि इसमें 9 करोड़ रूपए का वाटर प्रूफ टेंट लगाया गया था और वुडन फ्लोरिंग भी की गई थी !"देश के मौसम विभाग की भूमिका इस प्रकरण में क्या थी मुझे नहीं पता किंतु यदि नहीं थी तो क्यों ?ये विभाग है आखिर किसके लिए और यदि थी तो ऐसे पूर्वानुमानों पर कितना भरोसा किया जाना चाहिए और आपदा प्रबंधन विभाग को ये कितनी मदद पहुँचा पाते होंगे मुझे नहीं पता !
भूकंप संबंधी पूर्वानुमान -
भूकंप संबंधी पूर्वानुमान के लिए विश्व में अभी तक कोई कारगर प्रणाली नहीं विकसित की जा सकी है !
पूर्वानुमान लगाए बिना इन विषयों में प्राप्त परिस्थितियों का स्वागत करना ही हमारी मजबूरी है ।यद्यपि विश्व वैज्ञानिक इस ओर समर्पित भावना से लगे हुए हैं और प्रगति भी बहुत हुई है इसमें भी कोई संशय नहीं है किंतु कुछ विषय आज भी चुनौती बने हुए हैं जिनका पूर्वानुमान लगा पाना अभी तक संभव नहीं हो पाया है इसलिए इनके होने से पहले इन्हें रोकने की दिशा में कोई काम कर पाना संभव ही नहीं है जबकि शारीरिक और मानसिक रोगों में प्रिवेंटिव चिकित्सा एवं अतिवर्षा बाढ़ और भूकंप जैसी आपदाओं से निपटने के लिए प्रिवेंटिव प्रयास बहुत लाभ प्रद हो सकते हैं किंतु ऐसे सभी विषयों में जबतक पूर्वानुमान लगाने में सफलता नहीं मिलती तब तक प्रिवेंटिव प्रयास किए भी जाएँ तो निरर्थक ही सिद्ध होंगे इसलिए ऐसा कर पाना संभव ही नहीं है !
अवसाद (तनाव )-
इस समय भारत वर्ष में अवसाद से पीड़ित लोगों की संख्या 5.6 करोड़ और विश्व में 32. 2 करोड़ है ।विश्व में 7.5 प्रतिशत लोग अवसाद के कारण कामकाज में अक्षम हो गए हैं अवसाद की चिकित्सा के लिए दवा और कांसलिंग दो विधाएँ अपनाई जाती हैं।आधुनिक चिकित्सकों के द्वारा इस दिशा में किए जा रहे सभी प्रयास सराहनीय हैं किंतु इतने सारे प्रयासों के बाद भी अवसादग्रस्त लोगों की संख्या बढ़ते जाना चिंता का विषय है !
अवसाद क्या है ?
हम जिस व्यक्ति से जो अपेक्षा रखते हैं वो वैसा वो न करा पाए तो अवसाद !जिस काम के लिए हम जैसी योजना बनाते हैं वो वैसी ही पूरी न हो तो अवसाद !भविष्य से सम्बंधित भय,चिंता,आशंका प्रियजन वियोग ,विवाह विच्छेद,व्यापारिक घाटा आदि से होता है अवसाद !
अवसाद और समय - हर कोई अपने अपने जीवन में सुख शांति और सफलता पाने के लिए अच्छे से अच्छे प्रयास करता है परंतु परिणाम सबको उनके अपने अपने भाग्य के अनुशार अलग अलग मिलते हैं । विपरीत परिणाम आने पर कुछ लोग उन्हें आसानी से सह जाते हैं जबकि कुछ लोग उन्हें लेकर तनाव ग्रस्त हो जाते हैं । यहाँ एक विशेष बात ये भी है कि जिन्हें जिन विपरीत परिस्थितियों से आज तनाव हो रहा होता है वे ही उससे अधिक विपरीत परिस्थितियों को पहले कभी हँसते हँसते सह जाया करते थे !इसी प्रकार से जिन विपरीत परिस्थितियों को पाकर भी जो लोग आज आसानी से सहते देखे जाते हैं वही इनसे छोटी छोटी प्रतिकूलताओं को देखकर भी पहले कभी घबड़ा जाया करते थे !
इससे एक बात साफ हो जाती है कि हानि- लाभ, सुख- दुःख, मिलना -बिछुड़ना आदि तनाव देने वाली परिस्थितियाँ तो सबके जीवन में आती हैं कई के जीवन में तो कई कई बार आती हैं किंतु हर किसी को हर समय तनाव एक जैसा नहीं होता है जिसका जब जैसा समय होता है उसको तब तैसा तनाव होता है।तनाव का कारण सुख और सफलता मिलाना या न मिलना नहीं है अपितु हमारे तनाव का कारण हमारा अपना अपना समय होता है । हमारे जीवन में हमारा जब जो समय जितने दिन के लिए बुरा समय आता है उसमें हमें उतने दिनों के लिए तनाव रहता ही है जिसमें मुद्दे ,विषय ,लोग बातें आदि बदलते जाते हैं किंतु तनाव बढ़ता ही चला जाता है !इसका मतलब किसी के भी तनाव का कारण उसके सुख दुःख के साधन नहीं अपितु उसका अपना बुरा समय होता है तभी सब कुछ अचानक बुरा लगने लगता है समय के प्रभाव से ही स्वजनों की अच्छी अच्छी बातें भी बुरी लगने लगती हैं ।
इस प्रकार से सबके तनाव का मूल कारण सिद्ध होता है सबका अपना अपना बुरा समय !किसी व्यक्ति के बुरे समय पूर्वानुमान उसके जन्म के समय भी लगाया जा सकता है कि इसके जीवन में ऐसा समय कब कब और कितने कितने दिनों के लिए आएगा जब तनाव सहने की क्षमता समाप्त हो जाएगी और अवसाद बढ़ता चला जाएगा !भविष्य में संभावित उस तनाव को रोकने के लिए प्रिवेंटिव प्रयासों के रूप में आज क्या किया जाना चाहिए !ऐसा करने से संभव है कि तनाव कारक समय आने पर भी उसे उतना तनाव न हो !इसलिए तनाव रोकने के लिए तनावकारक समय का पूर्वानुमान लगाना बहुत आवश्यक होता है इसके बिना काउंसलिंग हो या औषधि सेवन किसी से भी तनाव ग्रस्त व्यक्ति को विशेष लाभान्वित नहीं किया जा सकता है ।
स्वास्थ्य और पूर्वानुमान - जब जिसका जैसा समय होता है तब उसका वैसा स्वास्थ्य रहता है इसलिए कब से कब तक किसका कैसा स्वास्थ्य रहेगा इसके लिए उसके समय का अध्ययन किया जाना चाहिए !यहाँ तक कि अच्छे से अच्छे चिकित्सकों के द्वारा की जाने वाली बहुत अच्छी चिकित्सा का असर भी रोगी के अपने समय के अनुशार होता है !समय अच्छा होता है तो सामान्य औषधियों से भी बड़े लाभ होते देखे जाते हैं और समय बुरा होता है तो अच्छे अच्छे चिकित्सकों के सघन प्रयास चलते रहने पर भी बीमारी बढ़ती चली जाती है और रोगी को मरते देखा जाता है ।
इस प्रकार से किसी रोगी के स्वस्थ होने का श्रेय(क्रेडिट)यदि उसकी अच्छे से अच्छे चिकित्सकों के द्वारा की जाने वाली बहुत अच्छी चिकित्सा को
दिया जाए तो जिन चिकित्सकों की जिन औषधियों से चिकित्सित रोगी मर जाते हैं
उसके लिए उन चिकित्सकों और उनके द्वारा प्रयुक्त औषधियों को जिम्मेदार मान
लिया जाना चाहिए क्या ?
कुल मिलाकर है किसी का अपना अपना स्वास्थ्य उसके अपने अच्छे बुरे समय के अनुशार ही बनते बिगड़ते रहता है !यदि ये सही है तो इसका पूर्वानुमान तो किसी व्यक्ति के उसके अपने जन्म के समय भी किया जा सकता है और उसके अनुशार प्रिवेंटिव चिकित्सा के रूप में प्रयास किये जा सकते हैं जिससे संभव है कि समय आने पर पूरी तरह नियंत्रण कर पाना भले ही संभव न हो किंतु बचाव के प्रयास तो पहले से प्रारम्भ किए जा सकते हैं ।
व्यक्तिगत
जीवन से जुड़ी या प्रकृति से संबंधित अधिकाँश बड़ी घटनाओं का घटित होना
पहले ही लगभग निश्चित हो जाता है और सब अपने अपने समय पर घट रही होती हैं
।
किसी के जीवन में होने वाले रोग और मानसिक तनाव आदि सभी कब किसको होंगे कितने समय रहेंगे ये पूर्व निर्धारित है इसी प्रकार से आँधी तूफान वर्षा बाढ़ भूकंप आदि भी समय के साथ घटित होते हैं ये भी पूर्व निर्धारित हैं इसलिए ऐसी सभी प्रकार की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए समयविज्ञान को समझना होगा !समयविज्ञान को समझे बिना इनका पूर्वानुमान लगा पाना केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है !यही कारण है कि वर्षा संबंधी लंबी अवधि की भविष्यवाणियाँ कर पाने में मौसम विभाग अभी तक सफल नहीं हुआ है इसीलिए तो बनारस में करोड़ों रूपए लगाकर आयोजित किए गए देश के प्रधानमंत्री के दो बड़े कार्यक्रम मौसम के कारण ही कैंसिल करने पड़े थे !इसीप्रकार से भूकंप का पूर्वानुमान लगाना तो दूर इसके आने न आने के विषय में विश्व वैज्ञानिक निश्चित तौर पर अभी तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं है धरती के अंदर की गैसें प्लेटें आदि कयास मात्र हैं । ऐसे ही चिकित्सा के विषय में है अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधाओं से संपन्न बहुत बड़े बड़े लोगों को भी बचाया नहीं जा सका उनकी चिकित्सा चलती रही वे मृत्यु की ओर बढ़ते रहे जब वे मर गए तब बताया गया कि समय ने साथ नहीं दिया !किंतु इसका अर्थ ये भी तो हो सकता है कि जो लोग बच जाते हैं या स्वस्थ हो जाते हैं उसे भी समय का प्रभाव ही क्यों न माना जाए !इसी प्रकार से मनोरोग में काउंसलिंग वे लोग देते हैं जिनमें कुछ लोगों पर किए गए कुछ अनुभवों के अनुशार कुछ अन्य लोगों को कुछ समझाया जाता है किंतु सबके समय स्वभाव और सोच अलग अलग होने के कारण ये प्रक्रिया कारगर नहीं हो पाई !इसीलिए इधर काउंसलिंग चला करती है और लोग उधर आत्महत्या किया करते हैं !
ऐसी सभी बातों में समय संबंधी अध्ययन की आवश्यकता साफ साफ दिखाई पड़ती है किंतु समय का अध्ययन करने के लिए अभी तक कोई व्यवस्थित क्रम नहीं है !समय संबंधी अध्ययन का आधार है ज्योतिष शास्त्र किंतु इस शास्त्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि इसमें अधिकाँश लोग ज्योतिष बिना पढ़े लिखे ही ज्योतिष पर बकवास किया करते हैं ये बात उनके ज्योतिष विषय की क्वालिफिकेशन से पता लगाई जा सकती है !दूसरी जो ज्योतिष वास्तव में पढ़े हैं उनकी नौकरी लग जाती है फिर वे इस विषय की रिसर्च में अपना मन नहीं खपाना चाहते और जो ज्योतिष पढ़े लिखे लोग नौकरी पाने में असफल रहे वे रोजी रोटी कमाने में लग जाते हैं वे इस विषय पर रिसर्च कैसे करें !
किसी के जीवन में होने वाले रोग और मानसिक तनाव आदि सभी कब किसको होंगे कितने समय रहेंगे ये पूर्व निर्धारित है इसी प्रकार से आँधी तूफान वर्षा बाढ़ भूकंप आदि भी समय के साथ घटित होते हैं ये भी पूर्व निर्धारित हैं इसलिए ऐसी सभी प्रकार की घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए समयविज्ञान को समझना होगा !समयविज्ञान को समझे बिना इनका पूर्वानुमान लगा पाना केवल कठिन ही नहीं अपितु असंभव भी है !यही कारण है कि वर्षा संबंधी लंबी अवधि की भविष्यवाणियाँ कर पाने में मौसम विभाग अभी तक सफल नहीं हुआ है इसीलिए तो बनारस में करोड़ों रूपए लगाकर आयोजित किए गए देश के प्रधानमंत्री के दो बड़े कार्यक्रम मौसम के कारण ही कैंसिल करने पड़े थे !इसीप्रकार से भूकंप का पूर्वानुमान लगाना तो दूर इसके आने न आने के विषय में विश्व वैज्ञानिक निश्चित तौर पर अभी तक कुछ भी कहने को तैयार नहीं है धरती के अंदर की गैसें प्लेटें आदि कयास मात्र हैं । ऐसे ही चिकित्सा के विषय में है अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधाओं से संपन्न बहुत बड़े बड़े लोगों को भी बचाया नहीं जा सका उनकी चिकित्सा चलती रही वे मृत्यु की ओर बढ़ते रहे जब वे मर गए तब बताया गया कि समय ने साथ नहीं दिया !किंतु इसका अर्थ ये भी तो हो सकता है कि जो लोग बच जाते हैं या स्वस्थ हो जाते हैं उसे भी समय का प्रभाव ही क्यों न माना जाए !इसी प्रकार से मनोरोग में काउंसलिंग वे लोग देते हैं जिनमें कुछ लोगों पर किए गए कुछ अनुभवों के अनुशार कुछ अन्य लोगों को कुछ समझाया जाता है किंतु सबके समय स्वभाव और सोच अलग अलग होने के कारण ये प्रक्रिया कारगर नहीं हो पाई !इसीलिए इधर काउंसलिंग चला करती है और लोग उधर आत्महत्या किया करते हैं !
ऐसी सभी बातों में समय संबंधी अध्ययन की आवश्यकता साफ साफ दिखाई पड़ती है किंतु समय का अध्ययन करने के लिए अभी तक कोई व्यवस्थित क्रम नहीं है !समय संबंधी अध्ययन का आधार है ज्योतिष शास्त्र किंतु इस शास्त्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य ये है कि इसमें अधिकाँश लोग ज्योतिष बिना पढ़े लिखे ही ज्योतिष पर बकवास किया करते हैं ये बात उनके ज्योतिष विषय की क्वालिफिकेशन से पता लगाई जा सकती है !दूसरी जो ज्योतिष वास्तव में पढ़े हैं उनकी नौकरी लग जाती है फिर वे इस विषय की रिसर्च में अपना मन नहीं खपाना चाहते और जो ज्योतिष पढ़े लिखे लोग नौकरी पाने में असफल रहे वे रोजी रोटी कमाने में लग जाते हैं वे इस विषय पर रिसर्च कैसे करें !
यही सब सोचकर समय पर शोध करने के उद्देश्य से ही मैंने ज्योतिष विषय से
संपूर्णानंदसंस्कृतविश्वविद्यालय वाराणसी से आचार्य(MA)किया और काशीहिंदूविश्वविद्यालय से
सविधि Ph.D.की है !इसके बाद समय संबंधी शोधकार्य में मैं समर्पित हो गया ! ज्योतिष
विषय दुनियाँ का अत्यंत प्राचीन
विज्ञान है या यूँ कह लें कि जब आधुनिक विज्ञान का जन्म भी नहीं हुआ था तब
भी ज्योतिषविज्ञान का महान महत्त्व था आकाश में स्थित सूर्य चंद्र के ग्रहण
भी इसी ज्योतिष से पता लगा लिए जाते थे और वो ठीक उसी समय घटित हो जाया
करते थे !इसीलिए तो हर राजदरवार में राजाओं के अपने
अपने राज ज्योतिषी हुआ करते थे!ये ज्योतिष विज्ञान की महिमा रही है ।
ज्योतिष विज्ञान का मानना है कि ज्योतिषशास्त्र के द्वारा मैं पिछले लगभग बीस वर्षों से 'समयविज्ञान' से संबंधित विषय पर रिसर्च करता आ रहा हूँ जिसमें जैसे- कई चौंकाने वाले तथ्य हाथ हाथ लगे हैं प्रकृति में घटित होने वाली आँधी तूफान वर्षा
बाढ़ यहाँ तक कि भूकंप ही क्यों न हो इनका होना न होना आदि सब कुछ 'समय' से
ही बँधा हुआ है जब जैसा समय होता है तब वैसी घटनाएँ घटित होते देखी जाती
हैं जो प्रायः एक दूसरे से जुड़ी होती हैं इसलिए एक घटना घटने के समय और
लक्षणों के आधार पर भविष्य में घटने वाली दूसरी घटनाओं का पूर्वानुमान
लगाने का प्रयास किया जा सकता है ।
ऐसा ही मानव जीवन से संबंधित विषयों में भी होते देखा जाता है किसी
भी व्यक्ति को शरीर में होने वाले बड़े रोग उसके अपने बुरे समय के कारण
होते हैं और जब तक समय बुरा रहता है तब तक अच्छे से अच्छे चिकित्सक कितनी
भी अच्छी चिकित्सा प्रक्रिया के द्वारा उस रोगी को स्वस्थ नहीं कर पाते हैं
इसीलिए तो बड़े बड़े धनवान और सभी साधनों से संपन्न लोग भी मरते देखे जाते
हैं तब उनकी मृत्यु का कारण 'समय' के प्रभाव को मान लिया जाता है इस
सिद्धांत से तो जो लोग स्वस्थ हो जाते हैं उसका श्रेय भी तो 'समय' को भी
मिलना चाहिए !समय कारण है भी ! जंगलों में रहने वाले साधन विहीन आदिवासी
या गरीब रोगी भी तो स्वस्थ होते देखे जाते हैं । इसीप्रकार जंगलों में पशु
लड़कर एक दूसरे के घाव कर देते हैं और बिना किसी औषधि के ही कुछ समय में
स्वस्थ भी होते देखे जाते हैं ये समय का ही प्रत्यक्ष प्रभाव तो है !समय
सबसे बड़ी औषधि है ।
मनोरोग या तनाव तरह तरह की समस्याओं से पैदा होते हैं और सभी प्रकार की
समस्याएँ उसके अपने बुरे 'समय' के प्रभाव से होती हैं जब तक समय बुरा रहता
है तब तक बात व्यवहार व्यापार आदि से जुड़े तमाम विषयों से संबंधित कुछ
निर्णय लेने में चूक हो ही जाती है जिसके नुक्सान सहने पड़ते हैं बुरे समय
के प्रभाव से ही कुछ नुकसान पहुँचाने वाले लोग अपने जीवन से जुड़ जाते हैं और अच्छे लोग छोड़ कर चले जाते हैं बुरे
समय के प्रभाव से ही वे लोग और बात व्यवहार आदि बुरे लगने लगते हैं जो
पहले नहीं लगा करते थे ऐसी ही परिस्थिति में तलाक जैसी दुर्घटनाएँ घटते
देखी जाती हैं!समय के कारण हुए ऐसे मानसिक बदलाव समय बदलने के साथ ही ठीक भी हो जाते हैं तब तक धैर्य रखनाहोता है !
जिसका जब जैसा समय बदलता है तब तैसा स्वभाव बनता चला जाता है उसी के
अनुशार रूचि बदलती रहती है एक ही व्यक्ति के एक ही जीवन में कई परस्पर
विरोधी विचार व्यवहार स्वभाव रूचि आदि देखने को मिलती है !
कुल मिलाकर सभी प्रकार की सफलता असफलता का मूल कारण समय ही है समय के
स्वभाव को समझे बिना तनाव ग्रस्त लोगों को दी जाने वाली काउंसलिंग आदि का
भी वो प्रभाव नहीं पड़ता है जो पड़ना चाहिए !
महोदय !इन्हीं सभी उद्देश्यों से मैंने 'समय' पर शोध करना प्रारंभ किया
!ज्योतिष और आयुर्वेद के सहयॊग से अच्छे बुरे समय को समझ पाने में जो सफलता
मिली है उसे और अधिक उँचाइयों तक ले जाने के लिए मुझे इसविषय से सम्बंधित
विद्वानों को जोड़ना होगा और फिर बड़े स्तर पर हमें प्रारम्भ करने होंगे
प्रयास !जमीन बिल्डिंग यातायात और विद्वानों की आर्थिक आवश्यकताओं की
पूर्ति आदि सब कुछ करना होगा जिसके लिए अधिक धन और संसाधनों की आवश्यकता
होना स्वाभाविक है जिसके लिए हमें सरकार से सहयोग माँगना पड़ता है किंतु
सरकार इसे विज्ञान नहीं मानती है इसलिए इसके रिसर्च कार्य में सहयोग करने
से सरकार किनारा करती है ! अब हमें समाज और सरकार दोनों से ही सहयोग की
अपेक्षा है !
आशा है कि सरकार और समाज से सहयोग पाकर मैं प्रकृति से लेकर मानव जीवन तक की वर्तमान में प्राप्त परिस्थितियों से लेकर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं तक का पूर्वानुमान लगाने संबंधी शोध कार्य में मैं सफल हो पाऊँगा !संभव है कि ये विषय समाज के लिए हितकर एवं देश के स्वाभिमान को बढ़ाने वाला हो !
आशा है कि सरकार और समाज से सहयोग पाकर मैं प्रकृति से लेकर मानव जीवन तक की वर्तमान में प्राप्त परिस्थितियों से लेकर भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं तक का पूर्वानुमान लगाने संबंधी शोध कार्य में मैं सफल हो पाऊँगा !संभव है कि ये विषय समाज के लिए हितकर एवं देश के स्वाभिमान को बढ़ाने वाला हो !
निवेदक :
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
व्याकरणाचार्य ,ज्योतिषाचार्य,PhD
Email- vajpayeesn @gmail. com \मो.9811226973 ,83
K -71, दुग्गल बिल्डिंग, छाछी बिल्डिंग चौक,दिल्ली 51
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