रविवार, 16 अप्रैल 2017

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 माननीय मुख्यमंत्री जी (उप्र)
                                      सादरप्रणाम !
               विषय : 'समयविज्ञान' संबंधी अनुसंधान के लिए सहयोग प्राप्ति हेतु निवेदन !
 महोदय      
   मैंने व्याकरण एवं ज्योतिष से आचार्य संपूर्णानंद से ,पत्रकारिता से डिप्लोमा , हिंदी से MA तथा तुलसी साहित्य और ज्योतिष से PhD ,BHU से की है कई किताबें लिखी हैं काव्य भी हैं !घूस और सोर्स के अभाव में सरकारी नौकरी नहीं लग सकी फिर भी मैं ज्योतिष आयुर्वेद योग आदि वैदिकविज्ञान के द्वारा प्रकृति से लेकर मानव जीवन के क्षेत्र में रिसर्च करता आ रहा हूँ | इस शोधकार्य से प्राप्त अनुभव कई बड़ी समस्याओं के समाधान खोजने में सहायक हो सकते हैं !प्रकृति में या जीवन में घटित होने वाली अच्छी बुरी सभी प्रकार की घटनाएँ समय से प्रेरित होती हैं इसलिए समय के अध्ययन से ही उनके घटित होने का न केवल पूर्वानुमान लगाया जा सकता है अपितु उनसे बचने के लिए प्रिवेंटिव प्रयास भी किए जा सकते हैं !
  •      मानव जीवन में और प्रकृति में अचानक घटित होने वाली घटनाओं से सुरक्षा और बचाव का समय ही नहीं मिल पाता है कई बार जब तक सुरक्षा की तैयारियाँ की जाती हैं तब तक ज्यादा देर हो चुकी होती है !
  •  भूकंप संबंधी पूर्वानुमानों के विषय में आधुनिक विज्ञान के निरंतर प्रयासरत रहने पर भी अभी तक कुछ विशेष हासिल नहीं हो पाया है |इसी प्रकार से वर्षा विज्ञान की बात करें तो मौसम बिगड़ने और अधिक वर्षा होने के कारण ही तो प्रधानमंत्री जी की बनारस की दो रैलियाँ रद्द करनी पड़ी थीं !
  • चिकित्सा के क्षेत्र में भी रोग या मनोरोग प्रारंभ होने के बाद चिकित्सा प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है तब तक रोग बढ़ चुका होता है !फिर उस पर नियंत्रण करना कठिन हो जाता है | 
  • किसी के मन में भविष्य में होने वाले मानसिक तनाव की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो तो इसे बढ़ने से तुरंत रोका जा सकता है किंतु एक बार बढ़ चुका हो तो फिर घटा पाना काफी कठिन हो जाता है !
  •  संबंधों के तनाव को सहना हर किसी के लिए कठिन होता जा रहा है किंतु कोई भी संबंध जुड़ते समय ही यदि ऐसा पूर्वानुमान लगा पाना संभव हो सके कि कौन संबंध  चलेगा !किससे सुख मिलेगा और किससे दुःख ! किस संबंध को बनाए रखने के लिए किस किस प्रकार की सावधानियाँ बरतनी आवश्यक हैं | 
      ऐसे सभी विषयों में वैदिक विज्ञान के सहयोग से पूर्वानुमान लगा पाने में एक सीमा तक सफल हुआ जा सकता है जिससे सतर्कता पूर्वक प्रिवेंटिव चिकित्सा या प्रयास करके प्राकृतिक दुर्घटनाओं से होने वाली जन धन हानि को घटाया जा सकता है रोग और मनोरोग प्रारंभ होते ही नियंत्रित किए जा सकते हैं !दुःख देने वाले संबंधों से दूर रहा जा सकता है और सुख देने वाले संबंधों को सहन शीलता पूर्वक चलाया जा सकता है ! 
      अतएव  विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि समय विज्ञान के द्वारा प्राप्त अनुभवों के आधार पर परिवारों एवं समाज में फैल रही समस्याओं को घटाया जा सकता है स्वास्थ्य सुविधाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है !अपराध एवं अपराधियों की संख्या को कम किया जा सकता है तलाक जैसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है ! 

        मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है इसलिए बहुत लोग हमसे जुड़े होते हैं और बहुतों से हम जुड़े होते हैं जो हमें अपने काम लायक समझता है वो हमसे जुड़ता है और जिसे हम अपने काम लायक समझते हैं हम उससे जुड़ते हैं किंतु कौन संबंध कितने दिन चल पाएगा !कौन संबंध सुख देगा किस संबंध से दुःख मिलेगा साथ ही किस के साथ संबंध चलाने के लिए क्या क्या सहना पड़ेगा !इन बातों का पूर्वानुमान लगाना यदि संभव हो सके तो मानसिक तनाव को होने से पहले ही एक सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है !में








वो अकेला नहीं रह सकता उसे अपने जीवन में अपने जीवन में बहुत लोगों के साथ संबंध बनाने पड़ते हैं कुछ सुख देते हैं कुछ दुःख देते हैं और कुछ सामान्य बात व्यवहार करते रहते हैं के साथ चल पते जुड़े होते हैं और बहुत लोग हमसे जुड़े होते हैं


ऐसी परिस्थिति में




इसमें मैंने पाया कि मनुष्यों को होने वाले रोग और मनोरोग हों या अन्य सभी प्रकार की तनाव आदि समस्याएँ किसके जीवन में कब कितने दिनों के लिए आएँगी और उनसे मुक्ति कैसे और मिलेगी
इसी प्रकार से प्रकृति में 'समयविज्ञान' के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं एवं  रोगों और मनोरोगों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !सामूहिक बीमारियों और लोगों के स्वभावों में होने वाले अच्छे बुरे बदलावों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है इससे हत्या आत्महत्या एवं चारित्र्यिक अपराधों को प्रयास पूर्वक घटाने में बहुत बड़ी सुविधा मिल सकती है पति पत्नी में तनाव से तलाक की घटनाएँ हों या पारिवारिक और सामाजिक उन्माद ऐसे तनावों को समय से पूर्व भी पहचाना जा सकता है और कितने दिन ऐसा रहेगा इस बात का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है उतने दिन सावधानियाँ बरत लेने से ,सहनशीलता से,धैर्य से बुरा समय मिलजुल कर पार कर लिया जाता है औरों का भी पार करा दिया जाता है पुराने समय में तभी तो संयुक्त परिवार चल पाते थे और विवाह जैसे संबंध तनाव बढ़ने पर भी टूटने से बचा लिए जाते थे !जब से हमलोगों ने अपने प्राचीन ज्ञान विज्ञान एवं परंपराओं पर भरोसा काम करना शुरू किया तब से दिनोंदिन अकेलापन बढ़ता जा रहा है !न जाने किस घमंड में एक दूसरे को छोड़ते जा रहे हैं लोग !संबंधों की समाप्ति के प्रयास प्रारंभ किए जा चुके हैं इन्हें रोक पाना अत्यंत चुनौती भरा काम है !      
      श्रीमान जी !जब ये बात हम सबको पता है कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में घट रही रोग मनोरोग और विकास या जैसी घटनाएँ हों या और प्रकृति में घट रही वर्षा बाढ़ भूकंपादि  घटनाएँ समय से प्रेरित होती हैं एवं बहुत पहले से सुनिश्चित होती हैं | प्रकृति में या जीवन में घटित होने वाली हर अच्छी बुरी घटना का विस्तार कितना होगा कितना होगा यह भी बहुत पहले सुनिश्चित हो चुका होता है तभी तो हमारी  सहमति या असहमति की प्रतीक्षा किए बिना सब कुछ होता चला जा रहा है किसी को जब तक बीमार रहना या जब मृत्यु होना सुनिश्चित होता है वो अच्छे से अच्छा इलाज चलते रहने के बाद भी सब कुछ वैसा ही होता चला जा रहा है हमारे प्रयासों और परिश्रमों से उसके अच्छे बुरे फल को कुछ घटाया बढ़ाया तो जा सकता है किंतु परिणामों को पूरी तरह बदला नहीं जा सकता है !समय के आगे सारी चिकित्सा पद्धतियाँ और सारे प्रयास बेबश हैं !अति उत्तम इलाज करने के बाद भी जब रोगी मर जाता है तो बड़े बड़े डॉक्टर कुदरत और समय को दोष देकर मौन हो जाते हैं किंतु ठीक हो जाता है तो अपनी पीठ थपथपाने लगते हैं जबकि वो भी समय के आधीन ही होता है !
    

या असहयोग जब जो जैसा जहाँ हम चाहते हैं और उसके लिए प्रयास भी कर रहे होते हैं ,भाग्यवश वैसा यदि हो भी जाता है तो हम मान लेते हैं कि ये हमने किया है किंतु यदि उसके विपरीत हो जाए तो हम कहते हैं कुदरत या समय ने कर दिया है किन्तु सच्चाई तो ये है कि हो जाए या न हो जाए दोनों ही परिस्थितियों में श्रेय(क्रेडिट) तो समय को ही देना पड़ेगा !क्योंकि कोई कितना भी प्रयास या परिश्रम क्यों न कर ले किंतु परिणाम समय के अनुशार ही होता है डॉक्टर किसी का इलाज करता है किंतु वह स्वस्थ होगा या नहीं जीवित बचेगा या नहीं इस बात का फैसला तो समय ही करता है |हर कार्य के होने न होने का यही समय सिद्धांत है |   
      इस प्रकार से 'यत्पिंडेतत्ब्रह्मांडे' के सिद्धांत से प्रकृति और स्त्रीपुरुषों में घटित होने वाली सभी प्रकार की घटनाएँ समय से ही प्रेरित एवं पूर्व निश्चित होती हैं !भीषणबाढ़ ,भूकंप या किसी व्यक्ति को होने वाले रोग और  मनोरोग (तनाव ) आदि के घटित होने का समय चूँकि सुनिश्चित होता है इसलिए उस समय की खोज की जानी चाहिए और उसी  समय के द्वारा इन सबके घटित होने का पूर्वानुमान लगा पाना कठिन तो है किंतु असंभव नहीं है बशर्ते सरकार आधुनिक विज्ञान की तरह ही वैदिक समय विज्ञान की खोज करवाने में भी उतनी ही रूचि ले !
        मैं व्यक्तिगत तौर पर इन्हीं विषयों पर निरंतर रिसर्च करता चला आ रहा हूँ जिसके द्वारा विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि रोग और अवसाद के पूर्वानुमान एवं निदान में ज्योतिष आधुनिक चिकित्सा पद्धति के लिए विशेष सहयोगी हो सकता है !वैदिक वर्षा विज्ञान आधुनिक मौसम विज्ञान का काफी सहायक सिद्ध हो सकता है !भूकंप के पहले और बाद के प्रभावों के अध्ययन के आधार पर पूर्वानुमान के सूत्र खोजे जा सकते हैं इसके साथ ही भूकंप की सूचनाओं का संग्रह एवं उनका अध्ययन वर्तमान समय में देश और समाज को कई प्रकार से सुरक्षित बना सकता है किंतु इस रिसर्च को और आगे बढ़ाने के लिए मुझे सरकार से सहयोग चाहिए जिसके लिए मैंने सम्बंधित कई मंत्रालयों में पात्र भेजे हैं मिलने का प्रयास भी किया है किंतु वे ज्योतिषादि को विज्ञान नहीं मानते इसलिए इससे सम्बंधित रिसर्च में सहयोग नहीं कर सकते हैं !अतएव मैं आपसे सहयोग प्राप्ति के लिए दिल्ली में मिलने का समय चाहता हूँ !

सफलताएँ 9811226973 !

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