मान्यवर
आपको सादर प्रणाम !
विषय : 'समयविज्ञान' संबंधी अनुसंधान के लिए आपसे सहयोग प्राप्ति हेतु निवेदन !
आपको सादर प्रणाम !
विषय : 'समयविज्ञान' संबंधी अनुसंधान के लिए आपसे सहयोग प्राप्ति हेतु निवेदन !
महोदय
निवेदन है कि मैंने व्याकरण एवं ज्योतिष से आचार्य(MA) संपूर्णानंद विश्व विद्यालय से ,पत्रकारिता से
डिप्लोमा UP कालेज , हिंदी से MA कानपुर विश्व विद्यालय तथा तुलसी साहित्य और ज्योतिष से PhD ,BHU से की है
कई किताबें लिखी हैं काव्य भी हैं !
घूस और सोर्स के अभाव में मेरी सरकारी नौकरी नहीं लग सकी फिर भी मैं ज्योतिष आयुर्वेद योग आदि वैदिकविज्ञान के द्वारा प्रकृति से लेकर मानव जीवन के क्षेत्र में रिसर्च करता आ रहा हूँ | इस शोधकार्य से प्राप्त अनुभव कई बड़ी समस्याओं के समाधान खोजने में सहायक हो सकते हैं !प्रकृति में या जीवन में घटित होने वाली अच्छी बुरी सभी प्रकार की घटनाएँ समय से प्रेरित होकर ही घटित होती हैं इसलिए उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए भी समयविज्ञान की पद्धति का ही अनुशरण करना होगा एवं उनसे बचाव के लिए भी प्रिवेंटिव प्रयास भी किए जा सकते हैं !ऐसा विचार करके ही मैंने इसे अपने शोध कार्य का विषय बनाया है|
इस शोध कार्य में मुझे आर्थिक सहयोग के साथ साथ संसाधनों की भी आवश्यकता है किंतु सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय हो या भूकंप और मौसम विज्ञान के मंत्रालय वहाँ हमारी वैदिक विज्ञान वाली बात इसलिए नहीं सुनी जाती है क्योंकि वो इसे विज्ञान नहीं मानते हैं ऐसी परिस्थिति में इस महत्वपूर्ण विषय पर शोध करने के लिए मुझे आपसे सहयोग की अपेक्षा है निवेदन है कि मेरी भी बात सुनी जाए !
चिकित्सा पद्धति हो या भूकंप वर्षा आदि या अन्य वैज्ञानिक रिसर्च आदि और भी सभी प्रकार के कार्यों के लिए कोई कितने भी प्रयास क्यों न कर ले किंतु परिणाम अलग अलग होते जाते हैं जिसका जैसा समय उसपर वैसा असर !अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधा पाकर भी कई रोगियों का समय उनका साथ नहीं देता है इसलिए सघन चिकित्साकाल में भी उन रोगियों को मरते देखा जाता है जिनका समय विरुद्ध है और चिकित्सा सुविधा कुछ कमजोर मिलने पर भी जिनका समय अच्छा होता है उनके लिए मिटटी भी अमृत बन जाती है !सर्प के डसने पर जितना डर के बिस का नहीं होता उससे अधिक बिषघड़ी का होते देखा जाता है !किसी भी रोगी पर औषधियों से अधिक असर उसके अपने समय का होता है !इसलिए मैंने अपने रिसर्च का विषय 'समय' को ही बनाया है मेरा विश्वास है कि समय की गुत्थी सुलझते ही देश और समाज की आधी से अधिक समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाएगा -
घूस और सोर्स के अभाव में मेरी सरकारी नौकरी नहीं लग सकी फिर भी मैं ज्योतिष आयुर्वेद योग आदि वैदिकविज्ञान के द्वारा प्रकृति से लेकर मानव जीवन के क्षेत्र में रिसर्च करता आ रहा हूँ | इस शोधकार्य से प्राप्त अनुभव कई बड़ी समस्याओं के समाधान खोजने में सहायक हो सकते हैं !प्रकृति में या जीवन में घटित होने वाली अच्छी बुरी सभी प्रकार की घटनाएँ समय से प्रेरित होकर ही घटित होती हैं इसलिए उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए भी समयविज्ञान की पद्धति का ही अनुशरण करना होगा एवं उनसे बचाव के लिए भी प्रिवेंटिव प्रयास भी किए जा सकते हैं !ऐसा विचार करके ही मैंने इसे अपने शोध कार्य का विषय बनाया है|
इस शोध कार्य में मुझे आर्थिक सहयोग के साथ साथ संसाधनों की भी आवश्यकता है किंतु सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय हो या भूकंप और मौसम विज्ञान के मंत्रालय वहाँ हमारी वैदिक विज्ञान वाली बात इसलिए नहीं सुनी जाती है क्योंकि वो इसे विज्ञान नहीं मानते हैं ऐसी परिस्थिति में इस महत्वपूर्ण विषय पर शोध करने के लिए मुझे आपसे सहयोग की अपेक्षा है निवेदन है कि मेरी भी बात सुनी जाए !
चिकित्सा पद्धति हो या भूकंप वर्षा आदि या अन्य वैज्ञानिक रिसर्च आदि और भी सभी प्रकार के कार्यों के लिए कोई कितने भी प्रयास क्यों न कर ले किंतु परिणाम अलग अलग होते जाते हैं जिसका जैसा समय उसपर वैसा असर !अच्छी से अच्छी चिकित्सा सुविधा पाकर भी कई रोगियों का समय उनका साथ नहीं देता है इसलिए सघन चिकित्साकाल में भी उन रोगियों को मरते देखा जाता है जिनका समय विरुद्ध है और चिकित्सा सुविधा कुछ कमजोर मिलने पर भी जिनका समय अच्छा होता है उनके लिए मिटटी भी अमृत बन जाती है !सर्प के डसने पर जितना डर के बिस का नहीं होता उससे अधिक बिषघड़ी का होते देखा जाता है !किसी भी रोगी पर औषधियों से अधिक असर उसके अपने समय का होता है !इसलिए मैंने अपने रिसर्च का विषय 'समय' को ही बनाया है मेरा विश्वास है कि समय की गुत्थी सुलझते ही देश और समाज की आधी से अधिक समस्याओं का समाधान स्वतः ही हो जाएगा -
- मानव जीवन में और प्रकृति में अचानक घटित होने वाली घटनाओं से सुरक्षा और बचाव का समय ही नहीं मिल पाता है कई बार जब तक सुरक्षा की तैयारियाँ की जाती हैं तब तक ज्यादा देर हो चुकी होती है !
- भूकंप संबंधी पूर्वानुमानों के विषय में आधुनिक विज्ञान के निरंतर प्रयासरत रहने पर भी अभी तक कुछ विशेष हासिल नहीं हो पाया है |इसी प्रकार से वर्षा विज्ञान की बात करें तो मौसम बिगड़ने और अधिक वर्षा होने के कारण ही तो प्रधानमंत्री जी की बनारस की दो रैलियाँ रद्द करनी पड़ी थीं !
- चिकित्सा के क्षेत्र में भी रोग या मनोरोग प्रारंभ होने के बाद चिकित्सा प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है तब तक रोग बढ़ चुका होता है !फिर उस पर नियंत्रण करना कठिन हो जाता है |
- किसी के मन में भविष्य में होने वाले मानसिक तनाव की संभावनाओं का पूर्वानुमान लगा पाना यदि संभव हो तो इसे बढ़ने से तुरंत रोका जा सकता है किंतु एक बार बढ़ चुका हो तो फिर घटा पाना काफी कठिन हो जाता है !
- संबंधों के तनाव को सहना हर किसी के लिए कठिन होता जा रहा है किंतु कोई भी संबंध जुड़ते समय ही यदि ऐसा पूर्वानुमान लगा पाना संभव हो सके कि कौन संबंध चलेगा !किससे सुख मिलेगा और किससे दुःख ! किस संबंध को बनाए रखने के लिए किस किस प्रकार की सावधानियाँ बरतनी आवश्यक हैं |
अतएव विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है कि समय विज्ञान के द्वारा प्राप्त
अनुभवों के आधार पर परिवारों एवं समाज में फैल रही समस्याओं को घटाया जा
सकता है स्वास्थ्य सुविधाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है !अपराध
एवं अपराधियों की संख्या को कम किया जा सकता है तलाक जैसी दुर्घटनाओं को
रोका जा सकता है !
नि निवेदक भवदीय -
आचार्यडॉ.शेषनारायण वाजपेयी
संस्थापक : राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)
एम. ए.(व्याकरणाचार्य) ,एम. ए.(ज्योतिषाचार्य)-संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी
एम. ए.हिंदी -कानपुर विश्वविद्यालय \ PGD पत्रकारिता -उदय प्रताप कालेज वाराणसी
पीएच.डी हिंदी (ज्योतिष)-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU )वाराणसी
K -71 ,छाछी बिल्डिंग, कृष्णा नगर, दिल्ली -110051
Tele: +91-11-22002689, +91-11-22096548
Mobile : +919811226973,
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