मंगलवार, 18 सितंबर 2018

हिंदी केवल भाषा ही नहीं अपितु विज्ञान भी है ! जानिए कैसे ?

   हिंदी भाषा के अक्षर परिवारों से लेकर देशों तक में करते हैं भारी उलट फेर !आपसी संबंधों को बना या विगाड़ देते हैं राजनीति ,राजनेताओं,सरकारों गठबन्धनों का भविष्य बना या बिगाड़ देते हैं !देखिए आगामी 2019 चुनावों में क्या कहता है हिंदी का वर्णविज्ञान !
क्या क्या कर सकता है अक्षर विज्ञान
   संस्कृतसुता हिंदी भाषा होने के साथ साथ विज्ञान भी है इसके वर्णों का भगवान शंकर की डमरू के स्वरों से प्रादुर्भाव हुआ था इसलिए प्रत्येकवर्ण प्राण प्रतिष्ठित एवं सजीव है !
    विज्ञान  में प्रत्येक अक्षर का अलग अलग स्वभाव एवं प्रभाव होता है ! जिस व्यक्ति  आदि का नाम जिस अक्षर से प्रारंभ होता है उस व्यक्ति का स्वभाव उस अक्षर की  तरह ही बन जाता है !ऐसी परिस्थिति में जिस व्यक्ति से भी जिस स्त्री पुरुष  का कोई भी कैसा भी संबंध बन चुका हो या बनना हो वो निभ पाएगा  या नहीं और  नहीं तो क्यों ? कोई संबंध निर्वाह करना आवश्यक ही हो तो इस बात का  पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि ऐसे संबंधों को चलने के लिए किसको किसका  क्या  क्या सहना पड़ेगा ! इसके बाद उन संबंधों को प्रयास पूर्व आराम से  चलाया जा सकता है!भारत में प्राचीन काल में इसी वर्ण वैज्ञानक प्रक्रिया का परिपालन करते  हुए लोग  बड़े बड़े संयुक्त परिवार बनाते चले जाया करतेथे किसी का किसी से  कोई द्वेष  वैमनस्य नहीं होता था !अब तो सब सबसे असंतुष्ट हैं इसलिए  संयुक्त परिवार  की बात क्या करें अब तो पति पत्नी की नहीं पट रही है  प्रेमी प्रेमिका एक  दूसरे को मार डालने पर उतारू हैं नाते रिस्तेदारी के  संबंध निभाना तो दूर   माँ बात से संबंधों का निर्वाह होना कठिन होता जा   रहा है ऐसी परिस्थिति  में वर्ण विज्ञान विषम से विषम परिस्थितियों में  मानवता को जोड़ने और तनाव  मुक्त करने में सहायक हो सकती है !प्रत्येक अक्षर  के परस्पर एक दूसरे  अक्षर के साथ शत्रु मित्र सम आदि संबंध  होते हैं ! अक्षरों में ऐसी आश्चर्यजनक सजीवता होते हुए भी  वो अक्षरों में भले न दिखाई दे किंतु जब यही  अक्षर किसी नाम में प्रयुक्त  होते हैं तो नाम का जो पहला अक्षर होता है वो  उस  नाम वाले व्यक्ति का  स्वभाव बदलकर अपने अनुशार कर लेता है ! ये  अक्षर इतने अधिक सजीव संवेदनशील  एवं प्रभावी होते हैं कि मनुष्यों की तो  छोड़िए ये अक्षर देशों प्रदेशों  जिलों ग्रंथों पंथों काव्यों फिल्मों संगठनों  संस्थानों सरकारों एवं  राजनैतिक दलों आदि के नाम के पहले अक्षर के कारण  उनका भविष्य बना या बिगाड़  देते हैं !इन अक्षरों के कारण सरकारें गिर जाती  हैं महा गठबंधन टूट जाते  हैं राजनेताओं का भविष्य बन बिगड़ जाता है !घरों  में कलह हो जाता है परिवार  बिखर जाते हैं लोग मनोरोगी या तनाव ग्रस्त हो  जाते हैं तलाक हो जाते हैं  !कुछ नेता पार्टियों पर बोझ बन जाते हैं कुछ पर  पार्टियाँ बोझ बन जाती हैं  !प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे को धोखा देते हैं  !भाई भाई के संबंध बिगड़ जाते  हैं नाते रिस्तेदारियाँ टूट जाती हैं !
    नाम का पहला अक्षर  किसी को प्रभाववान तथा किसी को प्रभावशून्य बना देता है  !अद्भुत चमत्कार  है अक्षरों में बहुत शक्तिवान होता है नाम का पहला अक्षर !
वर्तमान राजनैतिक दृष्टि से देखा जाए तो -  
  राहुलगाँधी -  प्रधानमंत्री बनने के लिए राहुलगाँधी में वर्ण  वैज्ञानिक गुण नहीं हैं इसलिए उन्हें किसी और दूसरे को आगे करके  प्रधानमन्त्री बनाया जा सकता है किन्तु वो प्रक्रिया घुमावदार होने के कारण  उसका पालन कर पाने में कठिनाई होगी !या फिर किसी दूसरे व्यक्ति के नेतृत्व  में काँग्रेस चुनाव लड़े उसके बाद राहुल को प्रधानमन्त्री बना दे ये और बात  है !
      महागठबंधन -विपक्ष में महागठबंधन बन भी जाए तो चलेगा नहीं क्योंकि इनके  पास कोई ऐसा नेता अभीतक सामने नहीं आया है जिसका नेतृत्व सबको स्वीकार हो  सके !विपक्ष में ऐसा कोई नाम अभी तक तो सामने आया नहीं है और राहुलगाँधी का  प्रधानमन्त्री बन पाना यदि असंभव न भी मन जाए तो कठिन जरूर है !
  भाजपा -  भाजपा के नाम में वर्णाक्षर दोष  होने के कारण अपने किसी  व्यक्ति को  प्रधानमंत्री बनाने के लिए 'राजग' या कोई अन्य संगठन बनाना  ही होगा  क्योंकि भाजपा अपने नाम पर किसी को भी प्रधानमंत्री नहीं बना सकती है !आखिर  अटल आडवाणी जोशी जी कम योग्यता थी क्या ?
   नरेंद्रमोदी - अगले  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही बने रहेंगे यदि विपक्ष अपना नेता नितीशकुमार  को बना ले और सभी दल मिलकर बिना किसी किंतु परंतु के नितीश कुमार का  समर्थन करें तब  तो मोदी के लिए चुनौती तैयार हो भी सकती है इसके अलावा  वर्तमान परिस्थितियों में विपक्ष के पास प्रत्यक्ष कोई और दूसरा नाम है ही  नहीं जिसके विषय में इस पद के लिए बिचार किया जा सकता हो ! इसलिए मोदी ही  अगले प्रधानमन्त्री भी बनेंगे !बाकी डिपेंड करता है कि काँग्रेस या महा  गठबंधन का नेता कौन होगा उसके नाम के पहले अक्षर के आधार पर ही हम तो बात  कर पाएँगे !
   अमितशाह - भाजपा की वागडोर अमितशाह के हाथ में जब तक है तब तक नरेन्द्रमोदी बने रह सकते हैं प्रधानमंत्री !नरेन्द्रमोदी  को PM-CM बनाने में अमितशाह की बहुत बड़ी भूमिका है यदि नरेंद्र मोदी से भी  ज्यादा कही जाए तो अतिशयोक्ति नहीं मानी जानी चाहिए !
     भाजपा का भविष्य - नरेंद्रमोदी और अमितशाह के अलावा दूर दूर तक   प्रधानमंत्री बनने या बनाने लायक कोई व्यक्ति अभी तो दूर दूर तक नहीं दिख  रहा है जो भाजपा को भविष्य सहारा दे सकने लायक हो !वर्तमान भीड़ किसी दूसरे  की पीठ पर बैठकर किसी पद को पा लेने के अलावा अपनी व्यक्तिगत क्षमता विकसित  करने की स्थिति में नहीं है !इसलिए संगठन को इस काम में तुरंत लग जाना  चाहिए !
   दिल्ली भाजपा -  अभी तक  दिल्ली भाजपा अपना  कोई ऐसा व्यक्ति नहीं तैयार कर सकी जिसके नाम का पहला अक्षर ये सिद्ध करता  हो कि वो वर्तमान दिल्ली काँग्रेस या 'आप' का सामना करने लायक है और वो  व्यक्ति मुख्यमंत्री बनने लायक है !मैं दिल्ली के उन केंद्रीय नेताओं को भी  सम्मिलित  करके ये बात कर रहा हूँ जिन्हें कुछ लोग वरिष्ठता के आधार पर  गलती से कभी कभी भावी मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी मानने लगते हैं !
     दिल्ली प्रदेश काँग्रेस - इनके पास  मुख्यमंत्री बनने वाले इतने ज्यादा  प्रत्यासी लोग हैं कि उसी होड़ में  जो मुख्यमंत्री बन सकता है उसे पीछे किए  हुए हैं उनकी संख्या घटाए और मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य प्रत्यासी को  आगे लाए बिना काँग्रेस का कोई व्यक्ति दिल्ली का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता  !अभी तक तो यही स्थिति है !
    दिल्ली के मुख्यमंत्री - अरविंद केजरीवाल आगे भी इसीलिए मुख्यमंत्री बने  रहेंगे क्योंकि विपक्ष में अभी तक ऐसा कोई नेता सामने नहीं दिखाई पड़ा रहा  है जिसके नाम का पहला अक्षर उसे मुख्यमंत्री बनने लायक सिद्ध करता हो  !इसलिए केजरीवाल को किसी से कोई चुनौती अभी तक तो नहीं है !
अरविन्द केजरीवाल - ये आम आदमी पार्टी में तभी तक योग्य पदों पर टिके रह सकेंगे जब तक मनीष सिसोदिया चाहेंगे !
 प्रशांत  किशोर - ये जेडीयू के लिए अच्छे किंतु नितीश कुमार के लिए ठीक नहीं सिद्ध  होंगे और न ही अधिक दिन तक इन दोनों की निभ ही पाएगी !प्रशांत की कुशल  रणनीतिकारी विवाद के अलावा किसी काम नहीं आ पाएगी !
    राज ठाकरे - इनका राजनैतिक भविष्य मनसे में नहीं है और महाराष्ट्र में मनसे का कोई भविष्य है ही नहीं !
 नरेंद्रमोदी -नितीश - नरेंद्रमोदी  सरकार के साथ नितीश तब तक हैं जब तक और कहीं कुछ नहीं दिखाई पड़ा रहा है !बाकी ये बेमेल गठबंधन अमितशाह पर टिका हुआ है !
 लालू  परिवार - लालू के दोनों बेटे रह ही नहीं सकते हैं एक साथ इसलिए आरोप और  सफाई की राजनीति बंद हों कोई ठोस प्रयास प्रारम्भ करें अभिभावक !
उत्तर प्रदेश - दिनेशशर्मा जी का भविष्य भी उप्र में निर्विवाद राजनीति के लिए अच्छा है !
रामबिलास बेदांती
- राम मंदिर निर्माण आंदोलन में रामबिलास बेदांती को नहीं मिलेगा कोई श्रेय !
हिन्दुस्तान -हमारे देश का नाम यदि हिन्दुस्तान न पड़ा होता तो यह देश न इतने दिन परतंत्र रहता और न ही टुकड़े होते !सनातन  धर्मियों को हिंदू ,भारत को हिंदुस्तान ,रत्नाकर समुद्र को हिन्द महासागर  तथा पारियात्र पर्वत को हिंदूकुश एवं 'संस्कृतजा' को हिंदी  नाम से पुकारने  वाले अपने उद्देश्य में सफल होगए यदि ऐसा न हुआ होता तो भारत कभी परतंत्र  हो ही नहीं सकता था और न हिन्दू डरपोक होता न हिंदी उपेक्षित रही होती !तथा  भारत टुकड़ों में विभाजित न हुआ होता !भारतीय शास्त्रों को पढ़कर अलबरूनी  जैसे लोगों के द्वारा रचा गया यह खेल सफल हो गया !     

 इंडिया -  डा॰ एडवर्ड सी॰ सखाउ जैसे लोगों के हाथ भारतीय विद्याएँ लग जाने के  दुष्परिणाम से हमारे देश इण्डिया और हम इंडियन कहलाते हुए शौक से परतंत्र   हो गए ! इंडिया बनकर हमें उनके सामने झुकना पड़ा भारत रह कर हम जिन्हें अपने कदमों पर झुकाया करते थे !

सर और मैडम - शिक्षक  शिक्षिकाओं  को सर और मैडम कहने समाप्त हो गया शिक्षकों का सम्मान !ऐसे और  भी बहुत सारे रहस्य समेटे हुए है हमारी पुस्तक 'वर्णविज्ञान' ! 
विशेष बात-
किस अक्षर से नाम वाला कौन स्त्री या पुरुष किस नाम वाले  स्त्री या पुरुष के सामने पड़ेगा तो उसके प्रति उसकाचिंतन व्यवहार आदि किस  प्रकार से बदलने लगता हैइसकाअध्ययन ही हमारी वर्ण विज्ञान में है !  किस नाम वाला व्यक्ति किस नाम के देश या शहर में रहेगा तो उसे कैसा अनुभव होगा ? किस नाम का व्यक्ति किस नाम के व्यक्ति से मिलेगा तो उन दोनों की एक दूसरे के प्रति सोच कैसी बनेगी ? किस नाम की पार्टी में किस नाम वाला व्यक्ति नेता बनने जाएगा तो वो कितना सफल होगा ! किस लोकसभा या विधानसभा सीट पर कौन सी पार्टी किस नाम के व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाएगी  तो कैसा रहेगा ! किस राजनैतिक दल के साथ कौन सा राजनैतिक दल गठबंधन करेगा तो परिणाम क्या होंगे !  किस नाम का नेता किस नाम की पार्टी का नेतृत्व करे तो परिणाम कैसे होंगे ? किस नाम का व्यक्ति  किस नाम के देश के किस नाम के प्रतिनिधियों से बात करे तो परिणाम कैसे निकालेंगे ? किस नाम की लड़की से किस नाम के लड़के का विवाह या मित्रता हो तो परिणाम कैसे निकलेंगे ? किस नाम के मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के कार्यालय में किस नाम का अफसर किस प्रकार के परिणाम देगा ? किस मंत्रिमंडल में किस नाम का व्यक्ति किस नाम के व्यक्तियों से कैसा वर्ताव करेगा ? किस  नाम के अफसर के साथ किस नाम का जूनियर कर्मचारी काम करे तो कैसा रहेगा  ?आदि और भी बहुत सारे विषयों पर वर्ण विज्ञान देता है अपनी स्पष्ट और  प्रभावी राय ! 
     आवश्यक -अक्षर  भी प्रकाश पुंज होते हैं  अक्षरों से भी  सूर्य की तरह ही अदृश्य प्रकाश  किरणें निकल रही होती हैं जो सामने पड़ने वाले प्रत्येक व्यक्ति आदि को  प्रभावित किया करती हैं !अक्षर किरणों का प्रभाव इतनी दूर तक जाता है कि कई  बार किसी बहुत दूर बैठे बिलकुल अपरिचत व्यक्ति के विषय में चर्चा सुनकर  उससे मिलने का मन करता है इसी प्रकार से कुछ व्यक्तियों के विषय में सुनकर  अनायास ही हम उनकी निंदा आलोचना करने लगते हैं !ऐसी दोनों ही परिस्थितियों  में उनके नामों के पहले अक्षर की किरणें उस व्यक्ति से मिलने न मिलने का  निर्णय ले रही होती  हैं!
       कई बार देखा जाता है कि बाजार मेला स्टेशन या ट्रेन पर हम तमाम अपरिचितों  के बीच बैठे होते हैं !उस भीड़ के तमाम लोगों में से कुछ लोग हमें अच्छे  लगने लगते हैं कुछ लोगों को हम अच्छे लगने लगते हैं और दोनों लोग आपस में  इतने अधिक एक दूसरे से घुल मिल जाते हैं कि एक दूसरे के मित्र बन जाते हैं  !बाकी और दूसरे आस पास बैठे लोगों से हमारी बात भी नहीं हो पाती है कुछ  लोगों से तो अकारण घृणा भी होने लगती है !ये सब नाम के पहले अक्षर की एक  दूसरे पर पड़ने वाली किरणों का ही प्रभाव होता है !
       इसी प्रकार से अपने नाम के पहले अक्षर के अनुशार कुछ लोगों का कुछ  शहरों ,संगठनों,संस्थानों या कुछ राजनैतिक दलों के साथ नाम दोष हो जाता है  !ऐसे लोग अनायास ही उनसे घृणा करने लगते हैं इसी दोष के कारण कई बार दिल्ली  का आदमी कलकत्ते में और कलकत्ते का आदमी दिल्ली में जूस बेच रहा होता है  दोनों का अपने अपने शहरों के साथ नाम दोष है क्योंकि जूस तो दोनों शहरों  में बिकता है !राजनैतिक दल बदल में भी यही होता है ! 
      कुछ लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे यदि कुछ नाम वाले लोगों के साथ जितनी  देर रहते हैं उन्हें तनाव होता रहता है ऐसे लोग यदि अपने घर में ही रहते  हैं या उन्हीं से न चाहते हुए यदि किसी स्वार्थबश प्रेम मित्रता या विवाह  हो जाए तो ऐसे लोगों के साथ लगातार तनाव में रहते रहते उन्हें शुगर वीपी  आदि सब कुछ हो जाता है !ऐसे तनाव ग्रस्त स्त्रीपुरुष विवाह के अलावा अन्य  पुरुष स्त्रियों के संपर्क में आ जाते हैं क्योंकि उन्हें वहाँ वो सुख मिल  रहा होता है जो जिसके साथ विवाह हुआ उससे उन्हें नहीं मिल पाया !ऐसे लोग  अपनी समस्याएँ जिससे बताने जाते हैं उन्हीं मनोचिकित्सकों पंडितों  पुजारियों बाबाओं कथाबाचकों आदि को अपना बना लेते हैं !उन मजनुओं को लगता  है कि वो सुन्दर हैं इसलिए वे बाबा वे कथाबाचक सजाने सँवरने लगते  हैं ऐसे  जिगोलो धर्म के नाम पर अपने चेले चेलियों के घर बर्बाद करते घूम रहे होते  हैं !जिसके साथ नाम दोष होता है वो किसी स्वार्थ में जुड़ तो जाते हैं किंतु  नाम दोष के कारण बाद में ऐसे बाबाओं से घृणा करने लगते और उन्हें जेलों  में डलवा देते हैं !ये सम नामाक्षरों के कारण घटित होता है !
     कुछ लोगों पर कुछ राजनैतिक दल कुछ सरकारें कुछ संगठन आदि भारी होते हैं  उनमें सम्मिलित होकर उनका अच्छा खासा व्यक्तित्व समाप्त हो जाता है !इसी  प्रकार से कुछ लोग अपने नाम के अनुशार कुछ दलों कुछ सरकारों संगठनों कुछ  संस्थानों पर भारी होते हैं वो उनसे जुड़कर उन्हें बर्बाद कर देते हैं !
      कुछ राजनैतिक दल किसी ऐसे नाम के व्यक्ति को अपना नेता मान लेती हैं जो  उस पार्टी की छवि को ख़राब कर रहा होता है और अपना समय जीवन आदि भी बर्बाद  कर रहा होता है जिसमें उसकी कोई गलती भी नहीं होती है किंतु ऐसे नाम दोषी  लोग देश के पुराने से पुराने दलों की साख समाप्त कर देते देखे जाते हैं ! 
      कुछ सरकारों में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री जैसे पदों पर बैठे लोगों  के साथ उस कार्यालय के कुछ बड़े अफसरों का नाम दोष होता है इसलिए वो अफसर  ऐसा कोई अच्छा काम करेंगे ही नहीं जिसका यश उस मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री  की मिल जाए !  
       कुछ आफिसों में अफसरों के जूनियर कर्मचारी इसी भावना से भावित होते  हैं उन पर यदि ठीक से निगरानी नहीं की गई तो वे अच्छे खासे कर्मठ ईमानदार  अपने अफसर को भी अपने कर्मों से घूसखोर भ्रष्ट आदि सिद्ध कर दते हैं !
      कुछ अफसरों या उद्योगपतियों के अपने कार्यालयों या घरों में चाय पानी  भोजन आदि देने कुछ नौकर होते हैं उनके साथ यदि नाम दोष हुआ तो वो उनको जूठा  या गंदा खिला पिलाकर अपना बैर निकालते देखे जाते हैं ! 
     किसी कोर्ट में फैसला सुनाते समय जज लोगों के नाम का पहला अक्षर  और उन  वादी विवादियों के नाम का पहला अक्षर उस फैसले को प्रभावित कर देता है !
      किस नाम का वकील किस नाम के व्यक्ति का केस लड़ रहा है उन दोनों के नाम  का पहला अक्षर ये सिद्ध कर देता है कि यह वकील उसके लिए कैसा रहेगा !कई बार  वकील जिसका होता है उसके विरोधी के नाम का पहला अक्षर यदि उसके मित्रवर्ग  में आता है तो वकील अपने क्लाइंट का साथ छोड़कर उसका साथ देने लगता है !ऐसा  ही चिकित्सक एवं रोगी के बीच भी होते देखा जाता है !कई बार बड़े बड़े  चिकित्सक भी छोटे छोटे रोगियों पर भी अपनी चिकित्सा का असर न डाल पाने के  कारण अपयश का भाजन बनते देखे जाते हैं!और उनकी योग्यता उन रोगियों के लिए  शून्य सिद्ध होती है !
       राजनीति के लिए जो लोग जिस दल में जाते हैं  उस नाम का पहला अक्षर एवं उस  दल के प्रमुख नेता के नाम का पहला अक्षर उनके नामों के पहले अक्षर के साथ  जिस प्रकार का अपना सम्बन्ध होता है वैसा लाभ या हानि होती है !
       कोई नेता जिस नाम की पार्टी से जिस नाम की लोकसभा या विधान सभा की सीट से  चुनाव लड़ रहा होता है दूसरी पार्टी के जिन प्रत्याशियों के सामने चुनाव  लड़ना होता है उनके नाम के पहले अक्षर उसे उस सीट के लिए योग्य या अयोग्य  उम्मीदवार सिद्ध करते हैं !
         नाम के पहले अक्षर के कारण ही तो बहुत लोग संगठन संस्थान पार्टियाँ  सरकारें परिवार वैवाहिक जीवन आदि बर्बाद हो गए !राजनैतिक पार्टियों में  होने वाले गठबंधन बिगड़ गए !कुछ नेताओं को कुछ राजनैतिक पहले नहीं इस कारण  उनका जीवन बर्बाद हो गया !चुनावों में किस नाम के संसदीय दल में किस नाम के  प्रत्याशी के सामने किस नाम के प्रत्यासी को चुनाव लड़ाया जाए तो जीत  मिलेगी ये नाम के अनुशार होता है किस नाम के नेता के नेतृत्व में किस नेता  को चुनाव लड़ाया जाए तो पार्टी जीतेगी ये नाम के अक्षर के अनुशार होता है  !किस नाम का नेता किस पार्टी पर भारी है ये उन दोनों के नाम के पहले अक्षर  के आधार पर होता है !
 जिस किसी परिवार संस्थान संगठन पार्टी सरकार आदि में  अ अक्षर वाली ये स्थिति है वहाँ यही हो रहा है जब अ  अक्षर के नाम वाले व्यक्ति के सामने किसी दूसरे अक्षर वाला व्यक्ति आ जाए  तो किस अक्षर वाले के आ जाने से क्या परिस्थिति बनती है ये हर अक्षर के साथ  अलग अलग है !इसके बाद किसी दूसरे अक्षर के सामने कोई  दूसरा अक्षर आवे तो  परिणाम उस तरह का होता है !
 

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