विक्षनरी:हिन्दी-हिन्दी/हर
हरे हरेसंज्ञा पुं० [सं०] 'हरि' शब्द का संबोधन का रूप। उ०—(क) जय राम सदा सुखधाम हरे। रघुनायक सायक चाप धरे— मानस, ६।११०। (ख) हति नाथ अनाथन्ह पाहि हरे। बिषया बन पामर भूलि परे।—मानस, ७।१४।
⋙ हरे पु (२)
क्रि० वि० [हिं० हरुए] १. धीरे से। आहिस्ता से। तेजी के साथ नहीं। मंद मंद। उ०—लाज के साज धरेई रहे तब नैनन लै मन ही सों मिलाए। कैसी करौं अब क्यों निकसै री हरेई हरे हिय में हरि आए।—केशव (शब्द०)। २. जो ऊँचा या जोर का न हो। जो तीव्र न हो (ध्वनि, शब्द आदि)। उ०—दूरि तें दौरत, देव, गए सुनि के धुनि रोस महा चित चीन्हों। संग की औरै उठी हँसि कै तब हेरि हरे हरि जू हँसि दीन्हों।—देव (शब्द०)। ३. जो कठोर या तीव्र न हो। हलका कोमल। (आघात, स्पर्श आदि)। यौ०—हरे हरे = धीरे धीरे। उ०—रोस दरसाय बाल हरि तन हेरि हेरि फूल की छरी सों खरी मारती हरे हरे।— (शब्द०)। see more... https://hi.wiktionary.org/wiki/%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%80:%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80/%E0%A4%B9%E0%A4%B0
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