भूकंप -3.....https://sahjchintan.blogspot.com/2020/01/3.html
विज्ञान का अधूरापन !......https://sahjchintan.blogspot.com/2019/10/blog-post_12.html
पूर्वानुमान और समयविज्ञान -see more....https://sahjchintan.blogspot.com/2019/10/blog-post_29.html
जलवायु परिवर्तन कैसे संभव है ?.....https://sahjchintan.blogspot.com/2019/07/blog-post_6.html
शकुन/......https://sahjchintan.blogspot.com/2019/06/blog-post.html
पूर्वानुमान में प्रत्यक्ष ज्ञान के द्वारा अप्रत्यक्ष का ज्ञान करना होता है !केवल आँखों से देखी हुई वस्तु आदि ही प्रत्यक्ष होता है ऐसा नहीं माना जाना चाहिए अपितु प्रत्यक्ष का ज्ञान पाँच ज्ञानेंद्रियाँ के द्वारा होता है ! मानव शरीर में त्वचा, आँख, कान, नाक और जिह्वा आदि पाँच प्रकार की ज्ञानेंद्रियाँ होती हैं !स्पर्श का अनुभव त्वचा के द्वारा होता है, दृश्य का अनुभव आँखें करवा....https://sahjchintan.blogspot.com/2019/06/4000-645-546-variables-1.html
मौसम और विज्ञान या मौसमविज्ञान ?see ....https://sahjchintan.blogspot.com/2019/06/blog-post_14.html
ऑक्सीजन.... https://sahjchintan.blogspot.com/2019/03/79-21-0.html
समय विज्ञान...... https://sahjchintan.blogspot.com/2017/12/blog-post_23.html
prarambh (copy)समयकीशक्ति को संक्षेप में समझो -........https://sahjchintan.blogspot.com/2018/02/prarambh.html
पूर्वानुमान विज्ञानsee.....https://sahjchintan.blogspot.com/2018/09/1111111.html
क्लाइमेटचेंज ,ग्लोबलवार्मिंग,मौसम की अनियमितता से संबंधित वैदिकविज्ञान की दृष्टि से अनुसंधान के विषय में !see ...https://sahjchintan.blogspot.com/2018/10/sudhaar.html..
2800 सूर्य चंद्र और वायु अर्थात सर्दी गर्मी और हवा इन तीनों की ही इस सृष्टि के संचालन में बहुत बड़ी भूमिका हैseee........https://sahjchintan.blogspot.com/2018/10/blog-post_24.html
वस्तुतः ग्रहण सूर्य चंद्र और पृथ्वी तीनों के संयुक्त प्रभाव से घटित
होता है ये तीनों कब किधर कितना किस गति(स्पीड) से चलेंगे इसके लिए ये
तीनों स्वतंत्र नहीं होते क्योंकि इन तीनों की गति पथ इनके अपने बश में
नहीं होता है इसीलिए ये उसमें तिल भर भी परिवर्तन नहीं कर सकते हैं!इनके
गति और पथ का निर्णय समय के अनुसार है जब जैसा समय आता है इन्हें तब तैसे
चलना पड़ता है! उनके अपने अपने स्वभाव के अनुसार विचरण करने से यदि कोई
ग्रहण घटित हो ही जाता है तो उस ग्रहण के घटित होने में इन तीनों की मुख्य
भूमिका होने के बाद भी ग्रहण इन तीन में से किसी का उद्देश्य नहीं होता है
!ग्रहण की घटना लगभग उसी प्रकार घटित होती है जिस प्रकार से आकाश में उड़
रहे बादलों की छाया पृथ्वी पर पड़ रही होती है !
इसमें सूर्य बादल हवा और पृथ्वी का इस घटना के विषय में आपस में कोई
संबंध भले न रहा हो और इनका उद्देश्य भी ऐसा न रहा हो जिसकी पूर्ति के लिए
ये गमन करते रहते हों फिर भी छाया के घटित होने में इन चारों की ही
मुख्यभूमिका होती है !सूर्य अपने स्वभाव के अनुसार हमेंशा की तरह अपना तेज
प्रकट कर रहा होता है
!हवा अपने स्वभाव के अनुसार उड़ रही होती है बादल अपने स्वभाव के अनुसार
हवा की गति के साथ उड़ रहे होते हैं !पृथ्वी अपने स्वभाव के अनुसार बादलों
की छाया भी उसी भाव से सह रही होती है जैसे जैसे आकाश की ओर से आ रही सर्दी
गर्मी प्रकाश अंधकार धूप धूल छाया आदि सब कुछ सहा करती है !सूर्य चंद्र
ग्रहण भी इसी प्रकार का एक संयोग मात्र होता है!
प्रकृति में या जीवन में जितनी भी घटनाएँ घटित होती हैं उनके कारण
सूर्य चंद्र और हवा ही ! समय के प्रभाव से सूर्य चंद्र पृथ्वी हवा आदि के
विचरण करते रहते हैं घटनाएँ घटित होती चली जाती हैं !इनका गति पथ कब कैसा
होगा ये केवल समय को समझने वाले लोग ही जान सकते हैं !सिद्धांत गणित के
सूत्रों के द्वारा सूर्य चंद्र पृथ्वी हवा आदि के गति पथ एवं स्वभाव को
समझा जा सकता है इनकी संभावित परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाया जा सकता
है !इनके विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है!
सिद्धांत गणित के इसी विज्ञान के द्वारा भारतीय ऋषियों ने सृष्टि के
आरम्भ में ही सूर्य चंद्र ग्रहणों से लेकर मौसम के सभी प्रकारों का
पूर्वानुमान लगाने की खोज कर ली !इसी के बल पर वे सैकड़ों वर्ष पहले सूर्य
चंद्र ग्रहणों का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे !वर्षा बाढ़ सूखा आँधी
तूफान वायु प्रदूषण बढ़ने आदि का पूर्वानुमान लगा लिया जाता था !उसी पद्धति
से आज भी हमारे यहाँ ऐसी प्राकृतिक घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लिया जाता
है !
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