मान्यवर नमस्कार !
कोरोना महामारी के बिषय में कुछ महत्वपूर्ण निवेदन !
महामारी का संक्रमण एक बार बढ़ जाने के बाद बचाव के लिए प्रयास करने के लिए देर हो चुकी होती है इसलिए संक्रमण कब बढ़ने वाला है उसके बिषय में पूर्वानुमान यदि पहले से पता हो जिसके आधार पर पहले से सावधानी बरती जाए तब तो प्रयास पूर्वक अपना बचाव करते हुए संक्रमण विस्तार को नियंत्रित किया जा सकता है किंतु पहले से पूर्वानुमान पता न होने पर तो जब लोग बड़ी संख्या में संक्रमित हो जाते हैं तब उपाय जाते हैं तब तक बड़ा नुक्सान हो चुका होता है | इस उद्देश्य से अपने अनुसंधान के आधार पर संक्रमण बढ़ने से पूर्व पीएमओ की मेल पर मैं संक्रमण बढ़ने के बिषय में मैं आगे से आगे पूर्वानुमान भेजता रहा हूँ !सरकार ने यदि हमारे पूर्वानुमानों पर विश्वास किया होता तो संभव था कि कोरोना का भयावह स्वरूप भारत को कभी नहीं देखना पड़ता और मार्च अप्रैल 2021 में बड़े कोरोना के बढ़ने की संभावना तो थी ही नहीं |
1. कोरोना प्रथम चरण के बिषय में 19 मार्च 2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ को सूचित किया था यह है उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश :-
"24 मार्च 2020 के बाद इस महामारी का समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा जो क्रमशः 6 मई तक चलेगा | |उसके बाद के समय में पूरी तरह सुधार हो जाने के कारण संपूर्ण विश्व अतिशीघ्र इस महामारी से मुक्ति पा सकेगा |"
2. इसके बाद कोरोना दूसरे चरण के बिषय में 16 जून 2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ को सूचित किया था यह है उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश :-
"यह महामारी 9 अगस्त 2020 से दोबारा प्रारंभ होनी शुरू हो जाएगी जो 24 सितंबर 2020 तक रहेगी !उसके बाद यह संक्रमण स्थायी रूप से समाप्त होने लगेगा और 16 नवंबर 2020 के बाद यह स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा !"
वैदिक विज्ञान की दृष्टि से प्राकृतिक कोरोना महामारी यहाँ से संपूर्ण रूप से समाप्त हो जानी चाहिए थी और यदि वैक्सीन न लगाई जाती तो मुझे विश्वास है कि कोरोना अब तक समाप्त हो चुका होता !ऐसा होते प्रत्यक्ष देखा भी जा रहा था !इसी बीच भारत सरकार की ओर से वैक्सीन लगाने की तैयारियाँ की जाने लगीं !
3. वैक्सीन लगाने से "कृत्रिमकोरोना" तैयार होने का पूर्वानुमान मुझे था | इसीलिए 23 दिसंबर 2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ से वैक्सीन न लगावाने के लिए निवेदन किया था और यदि लगवाना भी हो तो बहुत सोच बिचार कर बहुत सोच बिचार कर लगाने के लिए निवेदन किया था उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश :-
4. 23 दिसंबर 2020
के मेल का अंश :- " आपसे मेरा
विनम्र निवेदन है कि अच्छी प्रकार परीक्षण करवाकर ही कोरोना वैक्सीन लोगों
को लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए |वेद वैज्ञानिक दृष्टि में मैं संपूर्ण
विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि ब्रिटेन में फैल रहा कोरोना वायरस का नया
स्वरूप लोगों को लगाए जा रहे कोरोना वायरस के दुष्प्रभाव हो सकते हैं |"
"महामारी से संक्रमितों की संख्या बिना किसी दवा या वैक्सीन के स्वयं ही दिनोंदिन तेजी से कम होती जा रही है |केवल श्रेय लेने की होड़ में सम्मिलित लोगों के द्वारा वैक्सीन के रूप में एक नई समस्या को जन्म दिया जा सकता है | ऐसी परिस्थिति में देश और समाज की सुरक्षा के लिए विशेष सतर्कता संयम एवं सावधानी की आवश्यकता है | वैसे भी यदि कोरोना महामारी भारत वर्ष में लगभग समाप्त हो ही चुकी है तो किसी वैक्सीन के रूप में एक नए प्रकार की समस्या मोल लेने की आवश्यकता ही आखिर क्या है ? "
"ऐसी परिस्थिति
में यदि वैक्सीन नहीं लगाई जाती है तब तो कोरोना
अतिशीघ्र समाप्त हो ही जाएगा क्योंकि वातावरण में अब कोरोना वायरस के
उत्पन्न होने की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है और भारत समेत समस्त विश्व को
कोरोना के इस नए स्वरूप से अब डरने की आवश्यकता बिलकुल ही नहीं है | यदि
वैक्सीन लगाई जाती है तो ब्रिटेन की तरह ही उसके द्वारा फैलने
वाले संक्रमण विस्तार का अनुमान मुझे नहीं है |मेरे अनुसंधान के अनुसार
कोरोना जैसी महामारी से मुक्ति दिलाने वाली वैक्सीन निर्माण वाले दावे बहुत
विश्वसनीय नहीं हैं |"
विशेष बात : 23 दिसंबर 2020 को मेल भेजकर पीएमओ को सूचित करने का मेरा उद्देश्य यही था कि वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम या तो रोका जाएगा और या फिर वैक्सीन लगने के बाद संभावित संक्रमण बढ़ने की आशंका को ध्यान में रखते हुए उसे नियंत्रित करने के लिए पहले आवश्यक तैयारियॉँ कर लेने के बाद वैक्सीन लगाई जाएगी किंतु मेरे पूर्वानुमान के अनुशार वैक्सीन लगने के बाद संक्रमण दिनोंदिन अनियंत्रित होता चला गया !जब अस्पतालों शमशानों में लाइनें लगने लगीं आक्सीन कम पड़ गई सरकारों एवं चिकित्सावैज्ञानिकों के प्रयास निष्फल होते चले जा रहे थे | उस समय मीडिया एवं सरकारों से जुड़े हमारे मित्रों ने अत्यंत हैरान परेशान होकर बड़ी आशा से व्यक्तिगत रूप से हमसे ऐसा कुछ उपाय करने को कहा जिससे भारत समेत समस्त विश्व वासियों को महामारी के भय पूर्ण वातावरण से मुक्ति मिल सके | उन्हीं लोगों के विशेष आग्रह पर मैंने इसी उद्देश्य से एक यज्ञ करने का निश्चय किया जो गुप्त एवं व्यक्तिगत रूप से किया जा रहा है | ये 20 अप्रैल 2021 से मेरे द्वारा प्रारंभ किया गया है और 2 मई 2021 तक चलेगा !इसकी सूचना भी 19 अप्रैल 2021 को मैंने मेल भेजकर पीएमओ को दे दी थी यह है उस मेल का इस बिषय से संबंधित अंश -
5. "प्रधानमंत्री जी !यदि अब भी मैं मौन बैठा रहा तो प्रकुपित ईश्वरीय शक्तियाँ विश्व का चेहरा बर्बाद कर देने पर आमादा दिख रही हैं | दैवी शक्तियों का मानवजाति पर इतना अधिक क्रोध !आश्चर्य !! महोदय ! ऐसी परिस्थिति में जनता की ब्यथा से ब्यथित होकर व्यक्तिगत रूप से मैं एक बड़ा निर्णय लेने जा रहा हूँ |अपने अत्यंत सीमित संसाधनों से कल अर्थात 20 अप्रैल 2021 से "श्रीविपरीतप्रत्यंगिरामहायज्ञ" अपने ही निवास पर गुप्त रूप से प्रारंभ करने जा रहा हूँ | यह कम से कम 11 दिन चलेगा ! इसयज्ञ रूपी 'ईश्वरीयन्यायालय' में विश्व की समस्त भयभीत मानव जाति की ओर से व्यक्तिगत रूप से पेश होकर क्षमा माँगने का मैंने निश्चय किया है |मुझे विश्वास है कि ईश्वर क्षमा करके विश्व को महामारी से मुक्ति प्रदान कर देगा | यज्ञ प्रभाव के विषय में मेरा अनुमान है कि ईश्वरीय कृपा से 20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा ! 23 अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !और 2 मई के बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा |"
कोरोना महामारी से संबंधित कुछ और जरूरी जानकारियाँ !
महामारी के जन्म स्वभाव प्रभाव विस्तार प्रसारमाध्यम अंतरगम्यता आदि को ठीक ठीक जाने बिना महामारी से राहत दिलाने वाली प्रभावी तैयारियाँ करना संभव न था और न ही महामारी से मुक्ति दिलाने योग्य औषधि वैक्सीन आदि का निर्माण ही किया जा सकता था | इसीलिए महामारी से संबंधित कुछ और जरूरी जानकारियाँ 19मार्च 2020 को मेल भेजकर मैंने पीएमओ को दी थी !ये हैं वे महत्वपूर्ण जानकारियाँ जिन्हें वैज्ञानिकों ने बहुत बाद में स्वीकार किया था !उसी मेल के ये अंश मैं उद्धृत कर रहा हूँ -
1. कोरोना प्राकृतिक है -"
किसी महामारी पर नियंत्रण न हो पाने का कारण यह है कि कोई भी महामारी तीन
चरणों में फैलती है और तीन चरणों में ही समाप्त होती है | महामारी फैलते
समय सबसे बड़ी भूमिका समय की होती है | सबसे पहले समय की गति बिगड़ती है
ऋतुएँ समय के आधीन हैं इसलिए अच्छे या बुरे समय का प्रभाव सबसे पहले ऋतुओं
पर पड़ता है ऋतुओं का प्रभाव पर्यावरण पर पड़ता है | "
2. कोरोनाहवा में विद्यमान है -"उसका प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों फूलों फलों फसलों आदि समस्त खाने पीने की वस्तुओं पर पड़ता है वायु और जल पर भी पड़ता है इससे वहाँ के कुओं नदियों तालाबों आदि का जल प्रदूषित हो जाता है | इन परिस्थितियों का प्रभाव जीवन पर पड़ता है इसलिए शरीर ऐसे रोगों से पीड़ित होने लगते हैं जिनमें चिकित्सा का प्रभाव बहुत कम पड़ पाता है |"
3. महामारी में होने वाले रोग को न तो पहचाना जा सकता है और न ही इसकी दवा बनाई जा सकती है -"इसमें चिकित्सकीय प्रयासों का बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा | क्योंकि महामारियों में होने वाले रोगों का न कोई लक्षण होता है न निदान और न ही कोई औषधि होती है |"
4. महामारी में होने वाले रोगके वेग को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा कर घटाया जा सकता है -"ऐसी महामारियों को सदाचरण स्वच्छता उचित आहार विहार आदि धर्म कर्म ,ईश्वर आराधन एवं ब्रह्मचर्य आदि के अनुपालन से जीता जा सकता है |"
5. प्रकृति के द्वारा इस समय दवाओं की शक्ति समाप्त कर दी गई है इसलिए महामारी में होने वाले रोगों में प्रयोग की गई औषधियाँ निष्प्रभावी रहेंगी -"विशेष बात यह है जो औषधियाँ बनस्पतियाँ आदि ऐसे रोगों में लाभ पहुँचाने के लिए जानी जाती रही हैं बुरे समय का प्रभाव उन पर भी पड़ने से वे उतने समय के लिए निर्वीर्य अर्थात गुण रहित हो जाती हैं जिससे उनमें रोगनिवारण की क्षमता नष्ट हो जाती है | "
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