आदरणीय प्रधानमंत्री जी, सादर नमस्कार !
महोदय,'मनकीबात' कार्यक्रम में गणितविज्ञान की प्रशंसा आपके मुख से सुनकर व्यक्तिगत रूप से मेरा बहुत उत्साहबर्द्धन हुआ है | मैं भारत के पारंपरिक गणित विज्ञान के माध्यम से ही पिछले तीस वर्षों से सूखा बर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान एवं महामारी आदि के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाता आ रहा हूँ |इनके आधारभूत कारण खोजने पूर्वानुमान लगाने के विषय में अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ | इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान अधिकाँश सही घटित होते हैं | कोरोना महामारी की कौन सी लहर किस तारीख को आएगी और किस तारीख़ को जाएगी! ये पूर्वानुमान मैं सरकार को मेल के माध्यम से आगे से आगे सूचित करता रहा हूँ | ये सही निकलते रहे हैं |इस अनुसंधान को और अधिक आगे बढ़ाने के लिए मुझे सरकार से आर्थिक सहयोग की अपेक्षा है |
निवेदक - डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
M.A.,Ph.D. By B.H.U.
A-7\41,शनिबाजार,लालक्वाटर,कृष्णानगर - दिल्ली -51
( 9811226983 \9811226973)
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, सादर नमस्कार !
महोदय,'मनकीबात' कार्यक्रम में गणितविज्ञान की प्रशंसा आपके मुख से सुनकर व्यक्तिगत रूप से मेरा बहुत उत्साहबर्द्धन हुआ है | मैं भारत के पारंपरिक गणित विज्ञान के माध्यम से ही पिछले तीस वर्षों से सूखा बर्षा बाढ़ आँधी तूफ़ान आदि के विषय में पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ |इसके अतिरिक्त समयजनित प्राकृतिक रोगों के होने के आधारभूत कारण खोजने एवं अनुमान पूर्वानुमान लगाने के विषय में अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ | इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान अधिकाँश सही घटित होते हैं |कोरोना महामारी के विषय में हमारे द्वारा गणितविज्ञान के आधार पर लगाए गए पूर्वानुमान पूरी तरह सही घटित होते रहे हैं | कोरोना महामारी की कौन सी लहर किस तारीख को आएगी और किस तारीख़ को जाएगी! ये पूर्वानुमान मैं सरकार को मेल के माध्यम से आगे से आगे सूचित करता रहा हूँ | ये सही निकलते रहे हैं |महामारी एवं मौसम के ऐसे पूर्वानुमानों की आज बहुत आवश्यकता है | इन्हें और अधिक आगे बढ़ाने के लिए मुझे सरकार से आर्थिक सहयोग की अपेक्षा है | सहयोग की आशा में -
निवेदक - डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
M.A.,Ph.D. By B.H.U.
A-7\41,शनिबाजार,लालक्वाटर,कृष्णानगर - दिल्ली -51
( 9811226983 \9811226973)
प्राकृतिक
बर्धन महामारी और मौसम जैसे विषयों में वैदिकविज्ञान के आधार पर मैं
विगत तीस वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ | इसके आधार पर लगाए गए
पूर्वानुमान लगभग सही निकलते अनुभव किए जाते हैं |महामारी जैसे अत्यंत
कठिन विषय में भी लगाए गए अनुमान न केवल सही निकलते रहे हैं अपितु महामारी की जितनी भी लहरें आयी हैं उनके
प्रारंभ और समाप्त होने के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान भी सच होते रहे हैं
| प्रमाण स्वरूप हमारे पास पीएमओ को भेजी गई कुछ मेलें एवं लेख हैं |
ऐसे
अनुसंधानों से महामारी एवं मौसमसंबंधी अध्ययनों को तो सहयोग मिलेगा ही
इसके साथ ही ये अनुसंधान प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के संकटपूर्ण समय
में समाज की कठिनाइयों को कम करने में सहायक हो सकते हैं| इसकी
दूसरी विशेषता यह है कि इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में महीनों पहले
पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं जो आपदा प्रबंधन की दृष्टि से बचाव कार्यों में विशेष उपयोगी हो सकते हैं |
मैं अपने सीमित संसाधनों के द्वारा प्रकृति और जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों
पर शोधकार्य करता चला आ रहा हूँ |जिनसे
इसप्रकार के सहयोगी परिणाम प्राप्त हुए हैं | भारतवर्ष के इन्हीं
प्राचीनवैज्ञानिक अनुसंधानों को यदि बृहद स्तर पर चलाया जाता है तो प्रकृति
और जीवन से संबंधित घटनाओं को समझने में उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने
में एवं जलवायु परिवर्तन जैसे रहस्यों को सुलझाने में बड़ी मदद मिल सकती
है |
श्रीमान जी !अपने द्वारा किए गए अभी तक के अनुसंधानों से प्राप्त अनुभवों
के आधार पर मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि ये अनुसंधान वैश्विक दृष्टि
से भारतवर्ष के वैज्ञानिक वैशिष्ट्य की स्वीकार्यता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं |
अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि ऐसे अनुसंधान कार्यों हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध करने में आप हमारी मदद करने की कृपा करें |
निवेदक
डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
आदरणीय प्रधान मंत्री जी,
सादर नमस्कार !
विषय : महामारी के विषय में अनुमान या पूर्वानुमान से संबंधित अनुसंधान के लिए सहयोग हेतु !
महोदय,
महामारी और मौसम जैसे विषयों में वैदिकविज्ञान के आधार पर मैं
विगत तीस वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ | इसके आधार पर लगाए गए
पूर्वानुमान लगभग सही निकलते अनुभव किए जाते हैं |महामारी जैसे अत्यंत
कठिन विषय में भी लगाए गए अनुमान न केवल सही निकलते रहे हैं अपितु महामारी की जितनी भी लहरें आयी हैं उनके
प्रारंभ और समाप्त होने के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान भी सच होते रहे हैं
| प्रमाण स्वरूप हमारे पास पीएमओ को भेजी गई कुछ मेलें एवं लेख हैं |
ऐसे
अनुसंधानों से महामारी एवं मौसमसंबंधी अध्ययनों को तो सहयोग मिलेगा ही
इसके साथ ही ये अनुसंधान प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के संकटपूर्ण समय
में समाज की कठिनाइयों को कम करने में सहायक हो सकते हैं| इसकी
दूसरी विशेषता यह है कि इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में महीनों पहले
पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं जो आपदा प्रबंधन की दृष्टि से बचाव कार्यों में विशेष उपयोगी हो सकते हैं |
मैं अपने सीमित संसाधनों के द्वारा प्रकृति और जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों
पर शोधकार्य करता चला आ रहा हूँ |जिनसे
इसप्रकार के सहयोगी परिणाम प्राप्त हुए हैं | भारतवर्ष के इन्हीं
प्राचीनवैज्ञानिक अनुसंधानों को यदि बृहद स्तर पर चलाया जाता है तो प्रकृति
और जीवन से संबंधित घटनाओं को समझने में उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने
में एवं जलवायु परिवर्तन जैसे रहस्यों को सुलझाने में बड़ी मदद मिल सकती
है |
श्रीमान जी !अपने द्वारा किए गए अभी तक के अनुसंधानों से प्राप्त अनुभवों
के आधार पर मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि ये अनुसंधान वैश्विक दृष्टि
से भारतवर्ष के वैज्ञानिक वैशिष्ट्य की स्वीकार्यता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं |
अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि ऐसे अनुसंधान कार्यों हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध करने में आप हमारी मदद करने की कृपा करें |
निवेदक
डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
वेद वैज्ञानिक अनुसंधानों की आवश्यकता !
महोदय !महामारी भूकंप आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ जैसी प्राकृतिक घटनाओं के घटित हो जाने के पहले ही इनसे संबंधित अनुसंधानों की भूमिका होती है| ऐसे अनुसंधानों की सार्थकता तभी है जब ऐसी घटनाओं के घटित होने से पहले इनके विषय में अनुमान या पूर्वानुमान लगाया जा सके| उसके अनुशार बचाव के लिए आगे से आगे प्रबंध करके रखे जा सकें जो अवसर आने पर जन धन की सुरक्षा करने में सहयोगी सिद्ध हो सकें |
ऐसे सार्थक अनुसंधानों का अभाव प्राकृतिक आपदाओं के समय अत्यंत कष्टप्रद होता है | इनके अभाव में ही कोरोना जैसी हिंसक महामारी आने के पहले इसके विषय में कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका और न ही महामारी आने का कारण पता लगाया जा सका है| महामारी(लहरों) से संक्रमितों की संख्या अपने आप से अचानक बढ़ने या घटने का कारण एवं पूर्वानुमान भी खोजे जाने की आवश्यकता थी | महामारी से भयभीत समाज अभी भी जानना चाहता है कि कोरोना महामारी की कितनी लहरें अभी और आएँगी कब कब आएँगी और यह महामारी संपूर्ण रूप से समाप्त कब होगी |जिसके आधार पर बचाव के लिए कुछ अग्रिम उपाय किए जा सकें |वर्तमान समय में चल रही कोरोना महामारी के संकट काल में सबसे अधिक आवश्यकता ऐसे अनुसंधानों की है |
ऐसी परिस्थिति में वेद वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा प्रकृति से लेकर जीवन तक को समझना संभव हो सकता है वहाँ ऐसे विषयों को समझने के लिए विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है| जिसके द्वारा प्राकृतिक घटनाओं ,आपदाओं एवं कोरोना जैसी महामारियों के स्वभाव को समझते हुए उसके विषय में अनुमान या पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |
कोरोना महामारी की तीनों लहरों के विषय में सच हुए पूर्वानुमान !
"राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान
के तत्वावधान में कोरोना महामारी के विषय में जो अनुसंधान किए गए थे वे
प्रधानमंत्री जी की मेल पर भेजे जाते रहे वे प्रायः सही होते रहे हैं |भारत में कोरोना महामारी की तीन लहरें आई हैं तीनों लहरों के विषय में मेरे द्वारा वैदिक विज्ञान के आधार पर ये पूर्वानुमान लगाए गए हैं जो सही निकलते रहे हैं |
पहली लहर:- पहली लहर के विषय में 16 जून 2020 को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा था -
"यह
महामारी 9 अगस्त से दोबारा प्रारंभ होनी शुरू हो जाएगी जो 24 सितंबर तक
रहेगी !उसके बाद यह संक्रमण स्थायी रूप से समाप्त होने लगेगा और
16 नवंबर के बाद यह स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा !"
घटना :-इस पहली लहर में सबसे अधिक संक्रमण 18 सितंबर 2020 को नापा गया था जो लगभग सही निकला था |
दूसरी लहर:- इस विषय में 19 अप्रैल 2021को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा था -
"20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा ! 23
अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !और 2 मई के
बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा | !"
घटना :- दूसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमण दिल्ली में 2 मई 2021 को एवं संपूर्ण भारत में8 मई 2021 को नापा गया था जो लगभग सही निकला था |
तीसरी लहर:- इस विषय में 18 दिसंबर 2021को पीएमओ को भेजी गई मेल में मैंने लिखा था-
"
वर्तमान समय में जिस वायरस की चर्चा की जा रही है वह महामारी से संबंधित
नहीं है वह ऋतु जनित सामान्य विकार है इससे महामारी की तरह डरने या डराने
की आवश्यकता नहीं है |वर्तमान समय में जो संक्रमितों की संख्या बढ़ती दिख
रही है वह महामारी संक्रमितों की न होकर अपितु सामान्य रोगियों की है | यह
सामान्य संक्रमण भी 20 जनवरी 2022 से पूरी तरह समाप्त होकर समाज संपूर्ण
रूप से महामारी की छाया से मुक्त हो सकेगा |"
घटना :-तीसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमण 20 जनवरी 2022 को ही संपूर्ण भारत में नापा गया था जो पूर्ण रूप से सही निकला है |
मौसम के विषय में वैदिक विज्ञान से संबंधित अनुसंधान
इसी "राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान
के तत्वावधान में मौसम के विषय में पिछले कुछ दशकों से पूर्वानुमान
लगाता आ रहा हूँ और विगत कुछ वर्षों से उन्हें पीएमओ की मेल पर भेजता भी आ रहा हूँ | वे प्रायः सही
निकलते रहे हैं | कुछ वर्ष तक मौसम विभाग के डॉयरेक्टर साहब एवं स्काईमेट
जैसी निजी संस्था को भी भेजता रहा हूँ - पीटीआई ने उन मेलों का अनुसंधान करके समाचार
पत्रों में प्रकाशित भी किया गया था |ये है अखवार का उद्धृत अंश -
अनुसंधान संबंधी सहायता की आवश्यकता
"राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान
के तत्वावधान में अभी तक इन अनुसंधानों को अपने सीमित संसाधनों से
संचालित किया जाता रहा है | उनके विषय में लगाए गए पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते रहने के कारण मुझे अब ऐसे अनुसंधानों को बृहद स्तर पर करने की आवश्यकता लगती है | जिसके लिए अधिक धन की आवश्यकता होना स्वाभाविक ही है |मेरा विश्वास है कि ऐसे अनुसंधानों के बलपर प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के स्वभाव को समझने में भी सुविधा होगी एवं इनके विषय में पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है |
इसके लिए प्रकृति और जीवन से संबंधित ऐसे वैदिक वैज्ञानिकों की आवश्यकता है जो प्राकृतिक घटनाओं आपदाओं महामारियों आदि को समझने में सक्षम हों | उनके द्वारा ऐसे विषयों पर पहले से भी ऐसे अनुसंधान किए जाते रहे हों जिनकी प्रमाणिकता घटित होती प्राकृतिक घटनाओं के साथ सिद्ध होती रही हो | जिन वैदिक वैज्ञानिकों के अपने ऐसे प्रमाणित अनुभव रहे हों जो इन
अनुसंधानों में अपना योगदान देने में सहायक हो सकें |उस प्रकार के वैदिक वैज्ञानिकों के सहयोग की अपेक्षा होगी |
इसप्रकार के वैदिकवैज्ञानिकों की संख्या बहुत कम होने के कारण पिछले कई दशकों से प्राकृतिक घटनाओं ,आपदाओं एवं कोरोना जैसी महामारी के समय में वैदिकवैज्ञानिकों की कोई प्रायोगिक भूमिका देखने को नहीं मिली है | इसीलिए ऐसे किसी शिक्षण संस्थान का सृजन करना होगा जिसमें इस प्रकार के वैदिक वैज्ञानिक विद्वानों को तैयार
किया जा सके जो वेद वेदांगों के अभिप्राय को समझ सकें एवं उसके आधार पर
वेदवैज्ञानिक दृष्टि से प्रकृति और जीवन से संबंधित अनुसंधानों में अपना
योगदान दे सकें |
इसके लिए बड़े पैमाने पर वैदिकवैज्ञानिकोंको तैयार करने की आवश्यकता है जो प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाकर समाज एवं सरकार को आगे से आगे जागरूक कर सकें | यह अतिविशाल कार्य सरकार के सहयोग के बिना संभव नहीं है |
अतएव आपसे ऐसे उपयोगी संसाधनों को जुटाने हेतु धनराशि उपलब्ध कराने की विनम्र प्रार्थना है |
19 मार्च 2020 ,16 जून 2020,19 अप्रैल 2021,18 दिसंबर 2021
___________________________________________________________________________
आदरणीय डॉ.जितेंद्र सिंह जी (राज्यमंत्री पृथ्वीविज्ञानमंत्रालय)
सादर नमस्कार !
विषय : महामारी के विषय में अनुमान या पूर्वानुमान से संबंधित अनुसंधान के लिए सहयोग हेतु !
महोदय,
महामारी और मौसम जैसे विषयों में वैदिकविज्ञान के आधार पर मैं
विगत तीस वर्षों से अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ | इसके आधार पर लगाए गए
पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते अनुभव किए जाते हैं |महामारी जैसे अत्यंत
कठिन विषय में भी लगाए गए अनुमान सही निकलते रहे हैं अपितु महामारी की जितनी भी लहरें आयी हैं उनके
प्रारंभ और समाप्त होने के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान सच होते रहे हैं
|प्रमाण स्वरूप हमारे पास पीएमओ को भेजी गई कुछ मेलें एवं लेख हैं |
ऐसे
अनुसंधानों से महामारी एवं मौसमसंबंधी अध्ययनों को तो सहयोग मिलेगा ही
इसके साथ ही ये अनुसंधान प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के संकटपूर्ण समय
में समाज की कठिनाइयों को घटा सकते हैं |इसकी
दूसरी विशेषता यह है कि इसके आधार पर प्राकृतिक घटनाओं के विषय में महीनों पहले
पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं जो आपदा प्रबंधन की दृष्टि से बचाव कार्यों में विशेष सहायक हो सकते हैं |
मैं अपने सीमित संसाधनों के द्वारा प्रकृति और जीवन से संबंधित विभिन्न विषयों
पर शोधकार्य करता चला आ रहा हूँ |जिनसे
इसप्रकार के सहयोगी परिणाम प्राप्त हुए हैं | भारतवर्ष के इन्हीं
प्राचीनवैज्ञानिक अनुसंधानों को यदि बृहद स्तर पर चलाया जाता है तो प्रकृति
और जीवन से संबंधित घटनाओं को समझने में उनके विषय में पूर्वानुमान लगाने
में एवं जलवायु परिवर्तन जैसे रहस्यों को सुलझाने में बड़ी मदद मिल सकती
है |
श्रीमान जी !अपने द्वारा किए गए अभी तक के अनुसंधानों से प्राप्त अनुभवों
के आधार पर मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि ये अनुसंधान वैश्विक दृष्टि
से भारतवर्ष के वैज्ञानिक वैशिष्ट्य की स्वीकार्यता बढ़ाने में सहायक हो सकते हैं |
अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि ऐसे अनुसंधान कार्यों हेतु आवश्यक संसाधन उपलब्ध करने में आप हमारी मदद करने की कृपा करें |
वेद वैज्ञानिक अनुसंधानों की आवश्यकता !
महोदय !महामारी भूकंप आँधी तूफ़ान वर्षा बाढ़ जैसी प्राकृतिक
घटनाओं के घटित हो जाने के बाद इनसे संबंधित अनुसंधानों की विशेष अधिक
भूमिका नहीं रह जाती है | ऐसे अनुसंधानों की सार्थकता तभी है जब ऐसी घटनाओं
के घटित होने से पहले इनके विषय में अनुमान या पूर्वानुमान लगाया जा सके |
उसके अनुशार बचाव के लिए आगे से आगे प्रबंध करके रखे जा सकें जो अवसर आने
पर जन धन की सुरक्षा करने में सहयोगी सिद्ध हो सकें |
ऐसे सार्थक अनुसंधानों का अभाव प्राकृतिक आपदाओं के समय अत्यंत कष्टप्रद
होता है | इनके अभाव में ही कोरोना जैसी हिंसक महामारी आने के पहले इसके
विषय में कोई पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका और न ही महामारी आने का कारण
पता लगाया जा सका है| महामारी(लहरों)
से संक्रमितों की संख्या अपने आप से अचानक बढ़ने या घटने का कारण एवं
पूर्वानुमान भी खोजे जाने की आवश्यकता थी | महामारी से भयभीत समाज अभी भी
जानना चाहता है कि कोरोना महामारी की कितनी लहरें अभी और आएँगी कब कब आएँगी
और यह महामारी संपूर्ण रूप से समाप्त कब होगी |जिसके आधार पर बचाव के लिए
कुछ अग्रिम उपाय किए जा सकें |वर्तमान समय में चल रही कोरोना महामारी के
संकट काल में सबसे अधिक आवश्यकता ऐसे अनुसंधानों की है |
ऐसी परिस्थिति में वेद वैज्ञानिक अनुसंधानों के द्वारा प्रकृति से लेकर
जीवन तक को समझना संभव हो सकता है वहाँ ऐसे विषयों को समझने के लिए विस्तार
पूर्वक जानकारी दी गई है| जिसके
द्वारा प्राकृतिक घटनाओं ,आपदाओं एवं कोरोना जैसी महामारियों के स्वभाव को
समझते हुए उसके विषय में अनुमान या पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | वेद
वेदांगों
का अध्ययन अध्यापन आदि जिन संस्कृत विश्व विद्यालयों में किया और कराया जा
रहा है महामारी के अत्यंत कठिन समय में उनका सहयोग अपेक्षित था| मेरा
अनुमान है कि वहाँ ऐसी घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने के लिए भी अनुसंधान किए जाते होंगे | यही तो संस्कृत विश्व विद्यालयों में ऐसे विषयों के अध्ययन अध्यापन अनुसंधान आदि की सार्थकता है |
कोरोना महामारी की लहरें
"राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान
के तत्वावधान में कोरोना महामारी के विषय में जो अनुसंधान किए गए थे वे
प्रधान मंत्री जी की मेल पर न केवल भेजे जाते रहे हैं अपितु सही भी होते देखे जाते
रहे हैं |यह प्रायः सभी को पता है कि भारत में कोरोना महामारी की तीन लहरें आई हैं तीनों लहरों के विषय में मेरे द्वारा वैदिक विज्ञान के आधार पर ये पूर्वानुमान लगाए गए हैं जो सही निकलते रहे हैं |
पहली लहर:- पहली लहर के विषय में मैंने पीएमओ भेजी गई मेल में मैंने 16 जून को लिखा था -"यह
महामारी 9 अगस्त से दोबारा प्रारंभ होनी शुरू हो जाएगी जो 24 सितंबर तक
रहेगी !उसके बाद यह संक्रमण स्थायी रूप से समाप्त होने लगेगा और
16 नवंबर के बाद यह स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा !"
घटना :-इस पहली लहर में सबसे अधिक संक्रमण 18 सितंबर 2020 को नापा गया था जो लगभग सही निकला था |
दूसरी लहर:- इस विषय में मैंने पीएमओ भेजी गई मेल में मैंने 19 अप्रैल2021को लिखा था -"20 अप्रैल 2021 से ही महामारी पर अंकुश लगना प्रारंभ हो जाएगा ! 23
अप्रैल के बाद महामारी जनित संक्रमण कम होता दिखाई भी पड़ेगा !और 2 मई के
बाद से पूरी तरह से संक्रमण समाप्त होना प्रारंभ हो जाएगा | !"
घटना :- दूसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमण दिल्ली में 2 मई 2021 को एवं संपूर्ण भारत में8 मई 2021 को नापा गया था जो लगभग सही निकला था |
तीसरी लहर:-इस विषय में मैंने पीएमओ भेजी गई मेल में मैंने 18 दिसंबर 2021को लिखा था |"
वर्तमान समय में जिस वायरस की चर्चा की जा रही है वह महामारी से संबंधित
नहीं है वह ऋतु जनित सामान्य विकार है इससे महामारी की तरह डरने या डराने
की आवश्यकता नहीं है |वर्तमान समय में जो संक्रमितों की संख्या बढ़ती दिख
रही है वह महामारी संक्रमितों की न होकर अपितु सामान्य रोगियों की है | यह
सामान्य संक्रमण भी 20 जनवरी 2022 से पूरी तरह समाप्त होकर समाज संपूर्ण
रूप से महामारी की छाया से मुक्त हो सकेगा |"
घटना :-तीसरी लहर में सबसे अधिक संक्रमण 20 जनवरी 2022 को ही संपूर्ण भारत में नापा गया था जो पूर्ण रूप से सही निकला था |
मौसम के विषय में वैदिक विज्ञान से संबंधित अनुसंधान
इसी "राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान
के तत्वावधान में मौसम के विषय में पिछले कई वर्ष से न केवल पूर्वानुमान
लगाता आ रहा हूँ अपितु उन्हें पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ वे सही
निकलते रहे हैं | कुछ वर्ष तक मौसम विभाग के डॉयरेक्टर साहब एवं स्काईमेट
जैसी निजी संस्था को भेजता रहा हूँ -उन मेलों का अनुसंधान करके समाचार
पत्रों में प्रकाशित भी किया गया था |ये है अखवार का उद्धृत अंश -
अनुसंधान संबंधी सहायता की आवश्यकता
"राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान" नामक अपने संस्थान
के तत्वावधान में अभी तक इन अनुसंधानों को अपने सीमित संसाधनों से
संचालित किया जाता रहा है | उनके प्रायः सही निकलते रहने के कारण मुझे अब ऐसे अनुसंधानों को बृहद स्तर पर करने की आवश्यकता लगती है | जिसके लिए अधिक धन की आवश्यकता होना स्वाभाविक ही है |मेरा
विश्वास है कि ऐसे अनुसंधानों के बलपर प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों के
स्वभाव को समझने में भी सुविधा होगी एवं इनके विषय में पूर्वानुमान भी
लगाया जा सकता है |
इसके लिए प्रकृति और जीवन से संबंधित ऐसे वैदिक वैज्ञानिकों की आवश्यकता है जो प्राकृतिक घटनाओं आपदाओं महामारियों आदि को संमझने में सक्षम हों | उनके द्वारा ऐसे विषयों पर पहले से भी ऐसे अनुसंधान किए जाते रहे हों जिनकी प्रमाणिकता घटित होती प्राकृतिक घटनाओं के साथ सिद्ध होती रही हो | जिन वैदिक वैज्ञानिकों के अपने ऐसे प्रमाणित अनुभव रहे हों जो इन
अनुसंधानों में अपना योगदान देने में सहायक हो सकें |उस प्रकार के वैदिक वैज्ञानिकों के सहयोग की अपेक्षा होगी |
इसप्रकार के वैदिकवैज्ञानिकों की संख्या बहुत कम होने के कारण पिछले कई
दशकों से प्राकृतिक घटनाओं ,आपदाओं एवं कोरोना जैसी महामारी के समय में वैदिकवैज्ञानिकों की कोई प्रायोगिक भूमिका देखने को नहीं मिली है | इसीलिए ऐसे किसी शिक्षण संस्थान का सृजन करना होगा जिसमें इस प्रकार के वैदिक वैज्ञानिक विद्वानों को तैयार
किया जा सके जो वेद वेदांगों के अभिप्राय को समझ सकें एवं उसके आधार पर
वेदवैज्ञानिक दृष्टि से प्रकृति और जीवन से संबंधित अनुसंधानों में अपना
योगदान दे सकें |
इसके लिए बड़े
पैमाने पर वैदिकवैज्ञानिकोंको तैयार करने की आवश्यकता है जो प्रकृति और
जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाकर समाज एवं सरकार को
आगे से आगे जागरूक कर सकें | यह अतिविशाल कार्य सरकार के सहयोग के बिना संभव नहीं है |
अतएव आपसे ऐसे उपयोगी संसाधनों को जुटाने के लिए धनराशि उपलब्ध कराने के लिए विनम्र प्रार्थना है |
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