1. Dr. भीमराव अंबेडकर
2. N. G. आयंगर
3. B. L. मित्रा
4.K. M. मुंशी
5.कृष्णा स्वामी आयंगर
6. सय्यद मोहम्मद सादुल्लाह
7. D. P. खेतान : मारवाड़ी वैश्य थे !
बाद में - B.L.मित्रा के स्थान पर N. माधवराज व D. P. खेतान के स्थान पर T. T. कृष्णामाचारी सदस्य बने !
डॉ
भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में जिस प्रारूप की जांच की उसे बी एन. राव
ने ही तैयार किया था।इन्होंने 1945-1947बर्मा के संविधान निर्माण में भी सलाहकार की भूमिका निभाई थी। इसके लिए उस वक्त के बर्मा के प्रधानमंत्री यू आंग सान ने विशेष रूप से आमंत्रित किया था। इनको
संविधान निर्माण का अधिकारिक सलाहकार नियुक्त करने का कारण इनके पास
संविधान निर्माण का अनुभव था, जो बर्मा का संविधान बनाते हुए हासिल हुआ। कहा जाता है कि इन्होंने संविधान सभा को प्रदान की गई
सलाह और सामग्री के बदले में किसी प्रकार की राशि प्राप्त नहीं की थी। आजाद
और लोकतांत्रिक भारत में इनका और इनके परिवार का राजनीति में प्रवेश भी नहीं हुआ है |जब संविधान अंगीकार किया उस वक्त सभा के अध्यक्ष डॉ
राजेंद्र प्रसाद ने बी एन राव को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया ।संविधान सभा में
संविधान का अंतिम प्रारूप प्रस्तुत करते हुए 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा को संविधान की फाइनल कॉपी सौंपी जानी थी और 25
नवम्बर को डा. भीमराव अम्बेडकर सभा को सम्बोधित कर रहे थे। तब उन्होंने
अपनी उस ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्यों को तो धन्यवाद दिया ही, जिसके वो
चेयरमेन थे, दो और लोगों को धन्यवाद और संविधान निर्माण का श्रेय दिया,पहला नाम था बीएन राव का और
दूसरा एसएन मुखर्जी का,डा. अम्बेडकर ने बीएन राव को
ही सबसे पहले धन्यवाद दिया बल्कि उन्हें ‘सर’ भी कहा !उन्होंने संविधान निर्माण का श्रेय बीएन
राव को दिया है।भारतीय संविधान का प्रारूप बीएन
राव ने ही तैयार किया था जो कि ब्राह्मण थे।”
सुरेंद्र नाथ मुखर्जी ने भारत के संविधान सभा के मुख्य ड्राफ्ट्समैन की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।ब्राह्मण हमेशा पीछे रहता है और दूसरों
को आगे बढ़ाता है। यह राव ही थे जिन्होंने अंबेडकर को अपने से आगे रखा।
संविधान सभा की पहली बैठक ९ दिसम्बर १९४६ को नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन हाल में हुई थी। श्री सच्चिदानंद सिन्हा उस वक्त संविधान सभा के अस्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किए गए थे। लेकिन बाद में ११ दिसंबर १९४६ को डॉं. राजेन्द्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष बनाया गया।
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1. Dr. भीमराव अंबेडकर : ये महार जाति के थे !
2. N. G. आयंगर- ब्राह्मण जाति के थे !
3. B. L. मित्रा - कायस्थ जाति के थे !
4.K. M. मुंशी- इनका जन्म बॉम्बे राज्य, (वर्तमान में गुजरात) राज्य के उच्च सुशिक्षित भागर्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
5.कृष्णा स्वामी आयंगर- ब्राह्मण जाति के थे !
6. सय्यद मोहम्मद सादुल्लाह-: मुस्लिम थे !
7. D. P. खेतान- मारवाड़ी वैश्य थे !
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8. N माधव
राव : महाराष्ट्रियन ब्राह्मण थे | (B.L.मित्रा के स्थान पर)
9 . T. T. कृष्णामाचारी- ये तमिल ब्राह्मण थे |(D. P. खेतान के स्थान पर)
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1. N माधव
राव : N माधव
राव का जन्म मसुलीपट्टनम (मछलीपट्टनम, जिसे संक्षेप में मसुला या 'बंदर'
भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'बंदरगाह') में 8 जून 1887 को न्यापति
वेंकटकृष्ण राव के यहाँ हुआ था। वह मूल रूप से तेलुगु देश में बसे
महाराष्ट्र देशस्थ ब्राह्मण थे। उन्होंने तेलुगु को अपनी मातृभाषा घोषित किया। नोबेल कॉलेज, मसूलीपट्टनम और पचैयप्पा कॉलेज, मद्रास में शिक्षित, उन्होंने एलएलबी भी प्राप्त किया। मद्रास लॉ कॉलेज से डिग्री।see more... https://www-thetelugus-com.translate.goog/blog/2020/05/09/telugus-who-built-modern-bangalore/?_x_tr_sch=http&_x_tr_sl=en&_x_tr_tl=hi&_x_tr_hl=hi&_x_tr_pto=sc
2. T. T. कृष्णामाचारी- टीटी कृष्णमाचारी का जन्म 1899 में मद्रास (अब चेन्नई) शहर में एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था । उनके पिता (रंगाचारी) हाई कोर्ट में जज थे।
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पहले
पढिए डा. अम्बेकर का वो ऐतिहासिक भाषण, ‘’ “The credit that is given to
me does not really belong to me. It belongs partly to Sir B. N. Rau, the
Constitutional Adviser to the Constituent Assembly who prepared a rough
draft of the Constitution for the consideration of the Drafting
Committee. A part of the credit must go to the members of the Drafting
Committee who, as I have said, have sat for 141 days and without whose
ingenuity of devise new formulae and capacity to tolerate and to
accommodate different points of view, the task of framing the
Constitution could not have come to so successful a conclusion. Much
greater, share of the credit must go to Mr. S. N. Mukherjee, the Chief
Draftsman of the Constitution. His ability to put the most intricate
proposals in the simplest and clearest legal form can rarely be
equalled, nor his capacity for hard work.’’।
सबसे पहले बाबा साहब ने साफ कहा कि ये क्रेडिट जो मुझे दिया जा रहा है, वाकई में मुझसे ताल्लुक नहीं रखता है, इसका एक हिस्सा सर बीएन राव के हिस्से जाता है। दरअसल ड्राफ्टिंग कमेटी ने संविधान का फायनल रूप जरूर दिया था लेकिन उसको संविधान का पहला ड्राफ्ट इन्हीं सर बीएन राव ने बनाकर दिया था। आप संविधान के बारे में अगर पढ़ते होंगे कि इस देश से मूलभूत अधिकार लिए, नीति निर्देशक तत्व यहां से लिए, संसदीय व्यवस्था इस देश से ली, तो इन सभी देशों में जाकर वहां के संविधान विशेषज्ञों, जजों और राजनीतिज्ञों से मिलने का काम, वहां के संविधानों का अध्ययन करने का बेसिक काम बीएन राव ने ही किया था। जो संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बनाए गए थे। जैसा कि बाबा साहब ने अपने भाषण में बोला कि उनके ड्राफ्ट पर ड्राफ्टिंग कमेटी ने विचार किया, यही सच है। राव के संविधान के ड्राफ्ट में कुल 243 आर्टिकल्स और 8 सैक्शंस थे, जिनको बेस बनाकर ड्राफ्टिंग कमेटी उन्हें 315 आर्टिकल्स तक पहुंचाया।
सबसे पहले बाबा साहब ने साफ कहा कि ये क्रेडिट जो मुझे दिया जा रहा है, वाकई में मुझसे ताल्लुक नहीं रखता है, इसका एक हिस्सा सर बीएन राव के हिस्से जाता है। दरअसल ड्राफ्टिंग कमेटी ने संविधान का फायनल रूप जरूर दिया था लेकिन उसको संविधान का पहला ड्राफ्ट इन्हीं सर बीएन राव ने बनाकर दिया था। आप संविधान के बारे में अगर पढ़ते होंगे कि इस देश से मूलभूत अधिकार लिए, नीति निर्देशक तत्व यहां से लिए, संसदीय व्यवस्था इस देश से ली, तो इन सभी देशों में जाकर वहां के संविधान विशेषज्ञों, जजों और राजनीतिज्ञों से मिलने का काम, वहां के संविधानों का अध्ययन करने का बेसिक काम बीएन राव ने ही किया था। जो संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार बनाए गए थे। जैसा कि बाबा साहब ने अपने भाषण में बोला कि उनके ड्राफ्ट पर ड्राफ्टिंग कमेटी ने विचार किया, यही सच है। राव के संविधान के ड्राफ्ट में कुल 243 आर्टिकल्स और 8 सैक्शंस थे, जिनको बेस बनाकर ड्राफ्टिंग कमेटी उन्हें 315 आर्टिकल्स तक पहुंचाया।
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