गुरुवार, 16 मार्च 2023

PATRA LETEST

 

 

माननीय प्रधानमंत्री  जी,

                                  सादर नमस्कार !

विषय : श्री रामोत्सव के समय में सुरक्षा संबंधी विशेष विनम्र निवेदन !

  महोदय,

     प्राचीन काल की तरह आकाशवाणियाँ अभी भी होती हैं | ये प्राकृतिक घटनाओं के माध्यम से भविष्य में घटित हुई घटनाओं के विषय में समय समय पर सूचनाएँ देती रहती हैं|भूकंप आँधी तूफ़ान जैसी घटनाओं की संकेतात्मिका भाषा समझने वाले लोग आगे से आगे ऐसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगा लिया करते हैं कि निकट भविष्य में किस स्थान पर क्या कुछ घटित होने जा रहा है | 

     श्रीमान जी !  मैं पिछले तीस वर्षों से प्राकृतिक घटनाओं के आधार पर पूर्वानुमान लगाने के विषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ | इसी क्रम में मुझे कुछ ऐसे प्राकृतिक संकेत मिले हैं जो निकट भविष्य में नेपाल सीमा से सटे बहराइच ,अयोध्या एवं उसके आस पास के क्षेत्र में किसी बड़ी हिंसक घटना के घटित होने की सूचना दे रहे हैं |यह चीन और पकिस्तान की संयुक्त साजिश का परिणाम होगा |जिसका मोहरा नेपाल बना है |

   3 -10- 2023 को नेपाल बझांग' जिले में आया भूकंप यह सूचित कर रहा था कि चीन की ओर से इस क्षेत्र में घुसपैठ हुई है | चीन की ओर से आए उन्हीं घुस पैठियों को भारत में प्रवेश करवाने के लिए इसी दिन दोपहर  में भारत और नेपाल के बॉर्डर पर  सांप्रदायिक  हिंसा करवाई गई थी |जिससे  नेपालगंज और भारत के बहराइच के बीच रुपैडीहा बॉर्डर पर हालात तनावपूर्ण हो गए थे ! पूरे इलाके में कर्फ्यू लगा दिया गया था !हिंसा में पांच पुलिसकर्मियों समेत 30 लोग घायल हो गए थे।इसके बाद से नेपालगंज में कर्फ्यू लगा दिया गया था।इसके पहले नेपाल में सांप्रदायिकतनाव होते नहीं सुना जाता था |घुस पैठ करवाने के लिए ही कृत्रिम तनाव तैयार करवाया गया था | 

  इसके बाद नेपाल के जाजरकोट जिले में रुका उपद्रवियों का दूसरा जत्था 3-11-2023 को नेपालगंज से बार्डर पार करके भारत के बहराइच में घुसपैठ कर पाने में सफल रहा | ऐसा कुछ और बार भी हुआ है | इनमें से कुछ लोग जम्मू कश्मीर की ओर निकल गए जिसके दुष्प्रभाव से वहाँ सीजफायर टूटा | कुछ उत्तराखंड में रुके हुए हैं  जबकि ऐसे कुछ हिंसक लोग नेपाल से अयोध्या   के बीच गुप्त रूप से जहाँ तहाँ मौके की तलाश में छिपे हुए हो सकते हैं | संभव है कि श्री राम जी के प्राणप्रतिष्ठा दिवस को ही ये उचित समय मानकर छिपे बैठे हों | मुझे आशंका है कि 22 जनवरी के आसपास ही ये  किसी अप्रिय वारदात को अंजाम दे सकते हैं | बचाव के के लिए सरकार को विशेष सतर्क रहने की आवश्यकता है |                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                

          निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

                   A  -7 \41,कृष्णा नगर,दिल्ली-110051,भारत 

                         मोबाईल नंबर : 9811226983 

 

 

 

 

माननीय प्रधानमंत्री  जी,

                                  सादर नमस्कार !

विषय : प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित  अनुसंधानों के विषय में विनम्र निवेदन !


     आँधी तूफान वर्षा बाढ़ चक्रवात बज्रपात आदि प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने का न तो कारण खोजा जा सका है और न ही पूर्वानुमान लगाने की कोई प्रभावी प्रक्रिया ही तलाशी जा सकी है | ऐसी आपदाओं में जो  नुक्सान होना होता है वो पहले झटके में ही हो जाता है |इनसे बचाव तभी किया जा सकता है जब इनके विषय में पूर्वानुमान लगाना संभव हो !ऐसा किया जाना तभी संभव है जब भविष्य जानने के लिए कोई विज्ञान हो | ऐसा कोई विज्ञान है ही  नहीं  | ऐसी स्थिति में महामारी पर यदि मौसम का प्रभाव पड़ भी रहा हो तो उसे समझा जाना कैसे संभव है | 

    ऐसे ही कोरोना जैसी महामारी के रहस्य को भी अभी तक सुलझाया नहीं जा सका है और न ही उसके विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सका है |उसकी लहरों के विषय में भी पूर्वानुमान लगाया जाना संभव नहीं हो पाया है |

   वैज्ञानिकों के द्वारा अभी तक यह भी नहीं बताया जा सका है कि  महामारी समाप्त कब होगी ! महामारी पैदा कैसे हुई! कहाँ हुई !उसका विस्तार कितना है! प्रसार माध्यम क्या है!अंतर्गम्यता कितनी है !ये प्राकृतिक है या मनुष्यकृत है !इस पर मौसम का प्रभाव पड़ता है या नहीं !वायु प्रदूषण का प्रभाव पड़ता है या नहीं ! तापमान बढ़ने घटने का प्रभाव पड़ता है या नहीं !आदि महामारीविषयक आवश्यक जानकारी जुटाए बिना इससे बचाव के लिए किसी औषधि का निर्माण किया जाना संभव ही नहीं है |

  महामारी विषयक  पूर्वानुमान लगाने के लिए जिस सूत्र मॉडल का गठन किया गया था वो ऐसे पूर्वानुमान लगाने में पूरी तरह असफल रहा है | उससे संबंधित वैज्ञानिक एक एक लहर के विषय में बार बार भविष्यवाणियाँ बदलते रहे हैं |ऐसी स्थिति में संपूर्ण विश्व की ही रही है |

     ऐसी परिस्थिति में भारत का प्राचीन विज्ञान बहुत उपयोगी हो सकता है !उसके द्वारा महामारियों को पहचानना तो संभव है | इसके साथ ही साथ महामारी संबंधी कई जिज्ञासाओं को शांत किया जाना भी संभव है |ऐसे वैदिक अनुसंधानों को किए जाने में सरकार यदि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की तरह ही रुचि ले और आर्थिक व्यय वहन करे तो भविष्य में घटित होने वाली लगभग दस हजार वर्ष पूर्व  तक की महामारियों के विषय में पूर्वानुमान लगाया जा सकता है |  

     विश्व वैज्ञानिकों को यह सुनकर आश्चर्य भले हो किंतु भारत अपने वैदिक विज्ञान के बलपर ऐसा करने में सक्षम है | इस विषय में मैंने अपने सीमित साधनों के द्वारा जो भी अनुसंधान किए हैं उनसे बहुत उत्साह वर्द्धक परिणाम प्राप्त हुए हैं | जिन्हें आपके सम्मुख प्रस्तुत करने के लिए आपसे कुछ समय चाहता हूँ |  मुझे मिलने का समय दें तो आपकी महती कृपा होगी |

                निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

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 माननीय प्रधानमंत्री जी,

                                  सादर नमस्कार !

विषय :  महामारी संबंधित सही पूर्वानुमान लगाने के विषय में विनम्र निवेदन !

   महोदय, 

     भारत को पडोसी देशों के साथ तीन युद्ध लड़ने पड़े ! उनमें जितने लोगों की मृत्यु हुई थी, उससे कई गुना अधिक लोग केवल कोरोना महामारी में ही मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं |जिन्हें बचाया जाना संभव नहीं हो पाया है | विज्ञान के इतनी उन्नति कर लेने के बाद भी यह स्थिति हुई है |इससे सुरक्षा को लेकर चिंता होनी स्वाभाविक ही है |

  श्रीमान जी !वैज्ञानिकों के अनुसंधानों की सार्थकता तभी है जब महामारी जैसी आपदाओं से जनता को स्वस्थ एवं सुरक्षित बचाकर रखा जा सके!जनता ही यदि सुरक्षित नहीं बचेगी तो वैज्ञानिकों के द्वारा खोजे गए उन सुख सुविधा के संसाधनों का क्या होगा ,जो जनता का जीवन आसान करने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत परिश्रम से खोजे हैं |उनका लाभ मनुष्यों को तभी मिल पाएगा ,जब कोरोना जैसी हिंसक महामारियों से मनुष्यों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके | 

     मान्यवर, महामारियों से जनता को सुरक्षित बचाया जाना तभी संभव है ,जब महामारी या उसकी आगामी लहरों के विषय में पहले से सही सही पूर्वानुमान लगाया जाना संभव हो पाएगा |वस्तुतः महामारियों का वेग बहुत अधिक होता है|  वे आते ही अत्यंत तेजी से लोगों को संक्रमित करने एवं मारने लगती हैं | उस समय उन्हें पहचानना ,उनकी औषधि खोजना,इतनी बड़ी मात्रा में औषधि का निर्माण करके जन जन तक पहुँचाना आदि इतने कम समय में कैसे संभव हो सकते हैं |तब तक तो बहुत बड़ी जनधनहानि  हो जाएगी|इसलिए महामारी आनेवाली है इसका पहले से पूर्वानुमान पता लगे बिना महामारियों से जनता को सुरक्षित बचाया जाना संभव ही नहीं है | 

     प्रधानमंत्री जी ! मैं पिछले तीस वर्षों से ऐसे ही प्राकृतिक विषयों में पूर्वानुमान लगाने के लिए अनुसंधान करता आ रहा हूँ | महामारी की सभी लहरों के विषय में मैं आगे से आगे पूर्वानुमान लगाता और पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ | जो हमारे अनुभव में सही निकलते रहे हैं | ऐसे पूर्वानुमान महामारी जैसे संकटों के समय जनसुरक्षा की दृष्टि से बहुत सहायक हो सकते हैं |इसीलिए मैं आपसे मिलकर ये तथ्य आपके सामने रखना चाहता हूँ | मुझे मिलने का समय दें महती कृपा होगी |

                निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

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 माननीय प्रधानमंत्री जी,

                                  सादर नमस्कार !

विषय :  महामारी संबंधित सही पूर्वानुमान लगाने के विषय में विनम्र निवेदन !

   महोदय, 

     भारत को पडोसी देशों के साथ तीन युद्ध लड़ने पड़े ! उनमें जितने लोगों की मृत्यु हुई थी, उससे कई गुना अधिक लोग केवल कोरोना महामारी में ही मृत्यु को प्राप्त हो चुके हैं |जिन्हें बचाया जाना संभव नहीं हो पाया है | विज्ञान के इतनी उन्नति कर लेने के बाद भी यह स्थिति हुई है |इससे सुरक्षा को लेकर चिंता होनी स्वाभाविक ही है |

  श्रीमान जी !वैज्ञानिकों के अनुसंधानों की सार्थकता तभी है जब महामारी जैसी आपदाओं से जनता को स्वस्थ एवं सुरक्षित बचाकर रखा जा सके!जनता ही यदि सुरक्षित नहीं बचेगी तो वैज्ञानिकों के द्वारा खोजे गए उन सुख सुविधा के संसाधनों का क्या होगा ,जो जनता का जीवन आसान करने के लिए वैज्ञानिकों ने बहुत परिश्रम से खोजे हैं |उनका लाभ मनुष्यों को तभी मिल पाएगा ,जब कोरोना जैसी हिंसक महामारियों से मनुष्यों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके | 

     मान्यवर, महामारियों से जनता को सुरक्षित बचाया जाना तभी संभव है ,जब महामारी या उसकी आगामी लहरों के विषय में पहले से सही सही पूर्वानुमान लगाया जाना संभव हो पाएगा |वस्तुतः महामारियों का वेग बहुत अधिक होता है|  वे आते ही अत्यंत तेजी से लोगों को संक्रमित करने एवं मारने लगती हैं | उस समय उन्हें पहचानना ,उनकी औषधि खोजना,इतनी बड़ी मात्रा में औषधि का निर्माण करके जन जन तक पहुँचाना आदि इतने कम समय में कैसे संभव हो सकते हैं |तब तक तो बहुत बड़ी जनधनहानि  हो जाएगी|इसलिए महामारी आनेवाली है इसका पहले से पूर्वानुमान पता लगे बिना महामारियों से जनता को सुरक्षित बचाया जाना संभव ही नहीं है | 

     प्रधानमंत्री जी ! मैं पिछले तीस वर्षों से ऐसे ही प्राकृतिक विषयों में पूर्वानुमान लगाने के लिए अनुसंधान करता आ रहा हूँ | महामारी की सभी लहरों के विषय में मैं आगे से आगे पूर्वानुमान लगाता और पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ | जो हमारे अनुभव में सही निकलते रहे हैं | ऐसे पूर्वानुमान महामारी जैसे संकटों के समय जनसुरक्षा की दृष्टि से बहुत सहायक हो सकते हैं |इसीलिए मैं आपसे मिलकर ये तथ्य आपके सामने रखना चाहता हूँ | मुझे मिलने का समय दें महती कृपा होगी |

                निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

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 माननीय प्रधानमंत्री जी,

                                  सादर नमस्कार !

विषय :  महामारियों में  होने वाली जनधन हानि को कम करने के विषय में सुझाव !

   महोदय,

    भारत के प्राचीन विज्ञान के अनुशार महामारियाँ आती हैं या उनसे संबंधित कोई लहर आती है तो  उसके कुछ महीने पहले से प्राकृतिक वातावरण प्रदूषित होने लगता है |वायु में बिषैलेपन की मात्रा अचानक बढ़ जाने का प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों अनाजों फूलों फलों शाक सब्जियों पर पड़ता है |इससे खाने पीने की सभी वस्तुएँ भी आंशिक रूप से विषैली होने लग जाती हैं | 

    ऐसी स्थिति में खाने पीने की वस्तुएँ तो रोगकारक हो ही जाती हैं फिर भी वे खानी पड़ती ही हैं उसी प्रदूषित वायु में साँस लेनी पड़ती है | इससे शरीर ऐसे रोगों से रोगी होने लगते हैं जिनसे मुक्ति पाने की औषधि अचानक मिल पाना आसान नहीं होता है | इसीलिए बड़ी संख्या में लोग धीरे धीरे रोगी होते चले जाते हैं |संक्रमितों की संख्या जब काफी अधिक बढ़ जाती है और लोग मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं | इस समय तक प्रभावित क्षेत्र के  लोग संक्रमित हो चुके होते हैं | 

   ऐसे समय सरकार समाज एवं वैज्ञानिक समुदाय को महामारी या उसकी लहरें आने के विषय में पता लगता है तब महामारी का पूर्वानुमान लगाने का प्रयत्न शुरू किया जाता है तब जाँच शुरू की जाती है | उस समय कोविड  नियमों के पालन के लिए प्रयत्न शुरू होता है जब महामारी प्रायः समाप्त हो चुकी होती है फिर भी जो लोग संक्रमित हो चुके होते हैं जाँच में उनकी बढ़ी हुई संख्या तो कुछ समय तक आती ही है | 

    श्रीमान जी !इस प्रकार की सतर्कता की आवश्यकता उस समय होती है जब महामारी का प्रवेश वायु मंडल में हो रहा होता है | महामारी को पहचानना यदि उस समय संभव हो जाए तो समाज को महामारी मुक्त रखा जा सकता है | मैं पिछले तीस वर्षों से इसी विषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ जिसके आधार पर महामारी की सभी लहरों के आने के पहले मैं आपको पूर्वानुमान आपकी मेल पर भेजता रहा हूँ | वर्तमान समय बढ़ती दिख रही संख्या के विषय में मैंने  "29-12-2022 को एक मेल पीएमओ को भेजी थी |जिसमें 10-1-23 से महामारी की लहर शुरू होने को लिखा गया है |" उसी समय चीन से शुरू होकर अनेकों देशों में होती हुई यह लहर भारत पहुँची है |अतः यहाँ अब संक्रमण बढ़ रहा है | ऐसे पूर्वानुमानों पर यदि उसी समय ध्यान दिया गया होता तो संभव है कि यह परिस्थिति पैदा ही न होती !जो अब दिख रही है |उस मेल का चित्र इसी में संलग्न है | 

    मान्यवर आपसे विनम्र निवेदन है कि सरकार हमारे ऐसे अनुसंधानों को और अधिक विस्तार देने के लिए हमारी मदद करे !

 

               निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

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 माननीय प्रधानमंत्री जी,

                                  सादर नमस्कार !

 विषय :  मौसम के विषय में सही पूर्वानुमान लगाने के विषय में आवश्यक सुझाव !

    महोदय,

    भारत के प्राचीन विज्ञान के अनुशार मौसम संबंधी जो घटनाएँ घटित हो रही होती हैं उनका निश्चय बहुत पहले हो चुका होता है और वे अपने अपने समय पर घटित होती रहती हैं | ऐसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए प्राचीनवैज्ञानिकों ने जो गणितीय विधा खोजी है वो उस समय तो सही निकलती ही थी !वर्तमान समय में भी वह सही निकलती देखी जा रही है |पिछले कुछ वर्षों से प्रत्येक महीना प्रारंभ होने से पूर्व संपूर्ण अगले महीने के विषय में मैं मौसम पूर्वानुमान पीएमओ की मेल पर भेजता आ रहा हूँ | जो प्रायः सही निकलते हैं | पहले कुछ वर्षों तक मैं ये पूर्वानुमान उस समय के IMD निदेशक श्री के जे रमेश जी को उनकी सहमति से भेजता रहा हूँ | जो प्रायः सही निकलते रहे हैं | अभी भी हमारी वेवसाइट पर प्रकाशित पूर्वानुमानों का उपयोग किया जा रहा है ऐसा मेरा अनुमान है |इसी विषय में पीटीआई से प्रकाशित एक लेख मैं संलग्न कर रहा हूँ | 

    मान्यवर,भारत के प्राचीन वैज्ञानिकों के पास भविष्य को देखने की अद्भुत क्षमता थी उन्होंने प्राकृतिक घटनाओं को गणितीय सूत्र में बाँध रखा है| उनके आधार पर आज भी विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं के विषय में अनुसंधानपूर्वक पूर्वानुमान लगा लिए जाते हैं | जिस  गणितविज्ञान के आधार पर हजारों वर्ष पहले सूर्य चंद्र ग्रहणों के विषय में पूर्वानुमान लगा लिए जाते हैं उसी गणितविज्ञान के आधार पर मैं वर्षा आँधी तूफ़ान आदि के विषय में प्रायः सही पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ |मुझे विश्वास है कि इन अनुसंधानों को यदि वृहद् स्तर पर किया जाए तो भूकंप आँधी तूफ़ान चक्रवात बज्रपात एवं महामारी जैसी आकस्मिक प्राकृतिक घटनाओं के विषय में सही अनुमान पूर्वानुमान आदि महीनों पहले लगा लिए जा सकते हैं |ऐसी घटनाओं के अचानक घटित होने से जो जनधन की हानि होती है | पहले से सही पूर्वानुमान पता लगाकर उसे काफी कम किया जा सकता है |  

     श्रीमान जी ! पिछले तीस वर्षों से मैं ऐसे विषयों में अनुसंधान करता आ रहा हूँ जो एक सीमा तक सही निकल भी रहे हैं | इन्हें और अधिक विस्तार देने की आवश्यकता है |संसाधनों के  अभाव में अकेले मेरे द्वारा ऐसा किया जाना संभव नहीं हो पा रहा है अस्तु सरकार से विनम्र निवेदन है कि हमारे अनुसंधानों को और अधिक विस्तार देने हेतु हमारी मदद करे !

                                    निवेदक : 

                         डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

                   A  -7 \41,कृष्णा नगर,दिल्ली-110051,भारत 

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                                       महामारी की भविष्यवाणी सच हुई !

    यह मेल  29-12-2022 को पीएमओ को भेजी गई थी |जिसमें 10-1-23 से यह लहर शुरू होने को कहा गया है तभी चीन से शुरू होकर अनेकों देशों में होती हुई यह लहर भारत पहुँची है |अतः यहाँ अब संक्रमण बढ़ रहा है | जानिए कि आगे क्या होगा ?

                              महामारी का पूर्वानुमान लगाने के लिए विज्ञान कहाँ है ?

     मौसम या महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए जब कोई विज्ञान ही नहीं है तो भविष्यवाणियों के नाम पर झूठ बोला जाना जरूरी क्यों है ?

     जो भविष्यवाणियाँ महामारी के विषय में वैज्ञानिक लोग बार बार करते  रहे हैं उनका वैज्ञानिक  आधार क्या था और वे सच क्यों नहीं निकलीं !पर कर रहे थे | भविष्यवाणियाँ करने के लिए जब कोई विज्ञान ही नहीं है तो भविष्यवाणी करने के नाम पर बार बार झूठ क्यों बोला जाता  रहा है |महामारी के जितने वैज्ञानिक उतनी भविष्यवाणियाँ  की जा रही थीं | कई बार ऐसा भी हुआ कि एक एक लहर के विषय में एक ही वैज्ञानिक ने कई बार झूठ बोला ! ये कैसे अनुसंधान हैं | तुम झूठ भी बोलो तो विज्ञान और हम सच भी बोलेन तो अंध विश्वास !ये समाज के साथ धोखा हुआ है |

     महामारी में मदद नहीं कर सके तो वैज्ञानिक अनुसंधान किस काम के ?

       कोरोना जैसी महामारियों से समाज की सुरक्षा तभी हो सकती है जब महामारी आने के विषय में या लहर बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान पहले से पता हों !यदि ऐसा न हो तो कोई भी वैज्ञानिक अपने किसी भी अनुसंधान के द्वारा समाज को कोई मदद नहीं पहुँचा सकता है | इसीलिए कोरोना महामारी के विषय में शुरू से लेकर आज तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी  है |

                           वैज्ञानिक पूर्वानुमानों से हमारे पूर्वानुमानों की तुलना !

    मैं भी पिछले तीस वर्षों से मौसम एवं महामारी जैसे  विषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ | कोरोना की वर्तमान लहर के विषय में यह मेल मैंने  29-12-2022 को पीएमओ को भेजी थी |जिसमें 10-1-23 से यह लहर शुरू होने को कहा गया है तभी चीन से शुरू होकर अनेकों देशों में होती हुई यह लहर भारत पहुँची है |अतः यहाँ अब संक्रमण बढ़ रहा है | 

     संक्रमितों की संख्या बढ़ती देखकर वैंज्ञानिकों ने  भी अब सोचना शुरू किया है जबकि अब तो महामारी समाप्त होने का समय अब शुरू हो चुका है यह मैंने अपनी मेल में लिखा भी है | अब जब महामारी स्वतः समाप्त होनी शुरू हो चुकी है तब वैज्ञानिक बोलेंगे कि मैंने कोरोना को कंट्रोल कर लिया है |जनता के साथ यह छलावा संपूर्ण कोरोना काल में देखा जाता रहा है | इसका दंड जनता भुगतती रही है | 

     यह गंभीर चिंतन करने का विषय है कि महामारी से पीड़ित समाज की मदद वैज्ञानिकों ने ऐसी क्या की है जो उनके अनुसंधानों के बिना संभव न थी या यदि वे अनुसंधान न कर रहे होते तो समाज को इससे भी अधिक नुक्सान उठाना पड़ सकता था |

     ऐसे निरर्थक अनुसंधानों पर खर्च किया जाने वाला धन सरकारें टैक्स रूप में उससमाज वसूलती हैं जिसके लिए ऐसे अनुसंधानों से कुछ निकलता ही नहीं है | महामारी आती हैं तो महामारी का स्वरूप परिवर्तन बताकर और प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं तो जलवायुपरिवर्तन बताकर वैज्ञानिक लोग तो हाथ खड़े कर दिया करते हैं | सरकारों को तो सोचना चाहिए !पाई पाई और पल पल का हिसाब देने के पवित्र संकल्प से बँधी सरकारों को ऐसे विषयों को स्वतः संज्ञान में लेकर ऐसे अनुसंधानों को स्वतः सार्थक बनाना चाहिए ! 


 

 

 

 

महामारियाँ आती हैं या उनसे संबंधित कोई लहर आती है तो  उसके कुछ महीने पहले से प्राकृतिक वातावरण प्रदूषित होने लगता है |वायु में बिषैलेपन की मात्रा अचानक बढ़ जाने का प्रभाव वृक्षों बनस्पतियों अनाजों फूलों फलों शाक सब्जियों पर पड़ता है |इससे खाने पीने की सभी वस्तुएँ भी आंशिक रूप से विषैली होने लग जाती हैं | 

    ऐसी स्थिति में खाने पीने की वस्तुएँ तो रोगकारक हो ही जाती हैं फिर भी वे खानी पड़ती ही हैं उसी प्रदूषित वायु में साँस लेनी पड़ती है | इससे शरीर ऐसे रोगों से रोगी होने लगते हैं जिनसे मुक्ति पाने की औषधि अचानक मिल पाना आसान नहीं होता है | इसीलिए बड़ी संख्या में लोग धीरे धीरे रोगी होते चले जाते हैं |संक्रमितों की संख्या जब काफी अधिक बढ़ जाती है और लोग मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं | इस समय तक प्रभावित क्षेत्र के  लोग संक्रमित हो चुके होते हैं | 

   ऐसे समय सरकार समाज एवं वैज्ञानिक समुदाय को महामारी या उसकी लहरें आने के विषय में पता लगता है तब महामारी का पूर्वानुमान लगाने का प्रयत्न शुरू किया जाता है तब जाँच शुरू की जाती है | उस समय कोविड  नियमों के पालन के लिए प्रयत्न शुरू होता है जब महामारी प्रायः समाप्त हो चुकी होती है फिर भी जो लोग संक्रमित हो चुके होते हैं जाँच में उनकी बढ़ी हुई संख्या तो कुछ समय तक आती ही है | 

    श्रीमान जी !इस प्रकार की सतर्कता की आवश्यकता उस समय होती है जब महामारी का प्रवेश वायु मंडल में हो रहा होता है | महामारी को पहचानना यदि उस समय संभव हो जाए तो समाज को महामारी मुक्त रखा जा सकता है | मैं पिछले तीस वर्षों से इसी विषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ जिसके आधार पर महामारी की सभी लहरों के आने के पहले मैं आपको पूर्वानुमान आपकी मेल पर भेजता रहा हूँ | वर्तमान समय बढ़ती दिख रही संख्या के विषय में मैंने  "29-12-2022 को एक मेल पीएमओ को भेजी थी |जिसमें 10-1-23 से महामारी की लहर शुरू होने को लिखा गया है |" उसी समय चीन से शुरू होकर अनेकों देशों में होती हुई यह लहर भारत पहुँची है |अतः यहाँ अब संक्रमण बढ़ रहा है | ऐसे पूर्वानुमानों पर यदि उसी समय ध्यान दिया गया होता तो संभव है कि यह परिस्थिति पैदा ही न होती !जो अब दिख रही है |उस मेल का चित्र इसी में संलग्न है | 

    मान्यवर आपसे विनम्र निवेदन है कि सरकार हमारे ऐसे अनुसंधानों को और अधिक विस्तार देने के लिए हमारी मदद करे !

 

               निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

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कोरोना जैसी महामारियों से समाज की सुरक्षा तभी हो सकती है जब महामारी आने के विषय में या लहर बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान पहले से पता हों !यदि ऐसा न हो तो कोई भी वैज्ञानिक अपने किसी भी अनुसंधान के द्वारा समाज को कोई मदद नहीं पहुँचा सकता है | इसीलिए कोरोना महामारी के विषय में शुरू से लेकर आज तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी  है |

   मैं भी पिछले तीस वर्षों से मौसम एवं महामारी जैसे  विषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ | कोरोना की वर्तमान लहर के विषय में यह मेल मैंने  29-12-2022 को पीएमओ को भेजी थी |जिसमें 10-1-23 से यह लहर शुरू होने को कहा गया है तभी चीन से शुरू होकर अनेकों देशों में होती हुई यह लहर भारत पहुँची है |अतः यहाँ अब संक्रमण बढ़ रहा है | 

     संक्रमितों की संख्या बढ़ती देखकर वैंज्ञानिकों ने  भी अब सोचना शुरू किया है जबकि अब तो महामारी समाप्त होने का समय अब शुरू हो चुका है यह मैंने अपनी मेल में लिखा भी है | अब जब महामारी स्वतः समाप्त होनी शुरू हो चुकी है तब वैज्ञानिक बोलेंगे कि मैंने कोरोना को कंट्रोल कर लिया है |जनता के साथ यह छलावा संपूर्ण कोरोना काल में देखा जाता रहा है | इसका दंड जनता भुगतती रही है | 

     यह गंभीर चिंतन करने का विषय है कि महामारी से पीड़ित समाज की मदद वैज्ञानिकों ने ऐसी क्या की है जो उनके अनुसंधानों के बिना संभव न थी या यदि वे अनुसंधान न कर रहे होते तो समाज को इससे भी अधिक नुक्सान उठाना पड़ सकता था |

     ऐसे निरर्थक अनुसंधानों पर खर्च किया जाने वाला धन सरकारें टैक्स रूप में उस समाज वसूलती हैं जिसके लिए ऐसे अनुसंधानों से कुछ निकलता ही नहीं है | महामारी आती हैं तो महामारी का स्वरूप परिवर्तन बताकर और प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं तो जलवायु परिवर्तन बताकर वैज्ञानिक लोग तो हाथ खड़े कर दिया करते हैं | सरकारों को तो सोचना चाहिए !पाई पाई और पल पल का हिसाब देने के पवित्र संकल्प से बँधी सरकारों को ऐसे विषयों को स्वतः संज्ञान में लेकर ऐसे अनुसंधानों को स्वतः सार्थक बनाना चाहिए ! 

 

 

 

 

 माननीय प्रधानमंत्री जी,

                                  सादर नमस्कार !

विषय :  महामारी की भविष्यवाणी सच होने के विषय में-

   महोदय,

    कोरोना जैसी महामारियों से समाज की सुरक्षा तभी हो सकती है जब महामारी आने के विषय में या लहर बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान पहले से पता हों !यदि ऐसा न हो तो कोई भी वैज्ञानिक अपने किसी भी अनुसंधान के द्वारा समाज को कोई मदद नहीं पहुँचा सकता है | इसीलिए कोरोना महामारी के विषय में शुरू से लेकर आज तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी  है |

   मैं भी पिछले तीस वर्षों से मौसम एवं महामारी जैसे  विषयों पर अनुसंधान करता आ रहा हूँ | कोरोना की वर्तमान लहर के विषय में यह मेल मैंने  29-12-2022 को पीएमओ को भेजी थी |जिसमें 10-1-23 से यह लहर शुरू होने को कहा गया है तभी चीन से शुरू होकर अनेकों देशों में होती हुई यह लहर भारत पहुँची है |अतः यहाँ अब संक्रमण बढ़ रहा है | 

     संक्रमितों की संख्या बढ़ती देखकर वैंज्ञानिकों ने  भी अब सोचना शुरू किया है जबकि अब तो महामारी समाप्त होने का समय अब शुरू हो चुका है यह मैंने अपनी मेल में लिखा भी है | अब जब महामारी स्वतः समाप्त होनी शुरू हो चुकी है तब वैज्ञानिक बोलेंगे कि मैंने कोरोना को कंट्रोल कर लिया है |जनता के साथ यह छलावा संपूर्ण कोरोना काल में देखा जाता रहा है | इसका दंड जनता भुगतती रही है | 

     यह गंभीर चिंतन करने का विषय है कि महामारी से पीड़ित समाज की मदद वैज्ञानिकों ने ऐसी क्या की है जो उनके अनुसंधानों के बिना संभव न थी या यदि वे अनुसंधान न कर रहे होते तो समाज को इससे भी अधिक नुक्सान उठाना पड़ सकता था |

     ऐसे निरर्थक अनुसंधानों पर खर्च किया जाने वाला धन सरकारें टैक्स रूप में उस समाज वसूलती हैं जिसके लिए ऐसे अनुसंधानों से कुछ निकलता ही नहीं है | महामारी आती हैं तो महामारी का स्वरूप परिवर्तन बताकर और प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं तो जलवायु परिवर्तन बताकर वैज्ञानिक लोग तो हाथ खड़े कर दिया करते हैं | सरकारों को तो सोचना चाहिए !पाई पाई और पल पल का हिसाब देने के पवित्र संकल्प से बँधी सरकारों को ऐसे विषयों को स्वतः संज्ञान में लेकर ऐसे अनुसंधानों को स्वतः सार्थक बनाना चाहिए ! 

 


 

 

 

 

 

 

 के बाद चीन आदि देशों से

 

 

 

आदरणीय सांसद गौतमगंभीर जी !                            

                                                         सादर नमस्कार 

 विषय :कोरोना महामारी पर मौसमसंबंधी  प्रभाव के विषय में अपने अनुसंधान को प्रधानमंत्री जी तक पहुँचाने के विषय में विनम्र निवेदन !

     महोदय, 

    कोरोनाकाल में विभिन्नवैज्ञानिकों के द्वारा यह बार बार कहा जाता रहा है कि महामारियों के पैदा होने का कारण प्राकृतिक हो सकता है किंतु इसका निर्णय किया जाना अभी तक संभव नहीं हो  सका है कि कोरोना महामारी  प्राकृतिक है या मनुष्यकृत ! बताया जाता है कि इसके लिए मौसमसंबंधी परिवर्तनों का सही अनुभव अनुमान एवं दीर्घावधि पूर्वानुमान पता होना आवश्यक है | उसके आधार पर अनुसंधान पूर्वक यह तो पता किया ही जा सकता है कि कोरोना महामारी  प्राकृतिक है या नहीं | इसके साथ ही साथ महामारी संबंधी संभावित परिवर्तनों के विषय में सही सही पूर्वानुमान लगाया जा सकता है | जिससे महामारीपीड़ित समुदाय की सुरक्षा के लिए आगे से आगे तैयारियाँ की जा सकती हैं | 

    मैं पिछले लगभग तीस वर्षों से वेद विज्ञान के आधार पर अनुसंधान पूर्वक मौसमसंबंधी पूर्वानुमान लगाता आ रहा हूँ |जो लगभग पिछले छै वर्षों से पीएमओ की मेल पर भी भेजता आ रहा हूँ |वे  प्रायः सही निकलते हैं |         

    मौसमसंबंधी इन्हीं पूर्वानुमानों के आधार पर कोरोना महामारी के विषय में अभी तक मैंने जो भी पूर्वानुमान लगाकर पीएमओ की मेल पर भी भेजे हैं वे गूगलग्राफ के  अनुशार लगभग सही निकलते देखे जा रहे हैं |वे मेलें यहाँ संलग्न भी की जा रही हैं |

    श्रीमान जी ! मेरा विश्वास है कि यह जानकारी महामारीसंबंधी अनुसंधानों के लिए विशेष सहायक सिद्ध हो सकती है |इसके साथ ही साथ महामारी पीड़ितों के बचाव एवं सुरक्षा के लिए यह जानकारी विशेष लाभप्रद हो सकती है |

    मैं अपना अनुसंधान विषयक यह निवेदन प्रधानमंत्री जी के समक्ष प्रस्तुत कर सकूँ इस उद्देश्य से मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप मेरी मदद करने की कृपा करें |




 

 

 

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 आदरणीय प्रधानमंत्री जी !                            

                                                              सादर नमस्कार 

 विषय :महामारी से बचाव के उद्देश्य से विनम्र निवेदन ! 

      महोदय, 

     महामारियाँ अचानक आक्रमण करती हैं जिससे लोग तुरंत संक्रमित होने एवं मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं | ऐसे समय पहले करके रखी हुई तैयारियाँ भले कुछ मदद कर दें बाकी बचाव के लिए तुरंत कुछ किया जाना संभव नहीं होता है |

     महामारी के लक्षणों को समझना, उसके स्वभाव को पहचानना, प्रभावी उपाय या औषधि खोजकर इतनी बड़ी मात्रा में उसका निर्माण करके उसे जन जन तक पहुँचाना असंभव होता है |इसके लिए काफी लंबे समय की आवश्यकता होती है| 

   ऐसी स्थिति में  महामारी आने से काफी पहले सही सटीक पूर्वानुमान पता लगे बिना जनता की सुरक्षा के लिए कोई ऐसा प्रभावी प्रयास किया जाना संभव ही नहीं है, जिससे जनता को कोई मदद वास्तव में मिल सके | 

     महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई विज्ञान नहीं है वैज्ञानिक भी नहीं हैं |इसीलिए महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान लगाने के लिए जिन वैज्ञानिकों ने प्रयत्न भी किए वे पूरी तरह निष्फल हुए हैं | 

    ऐसी परिस्थिति में महामारी एवं उसकी लहरों के आने और जाने के विषय में मेरे द्वारा आगे से जो पूर्वानुमान लगाए जाते रहे हैं वे प्रायः सही निकलते रहे हैं | मेरा अनुमान है कि महामारी जैसे कठिन संकट काल में वे काफी सहायक हो सकते हैं | महामारी जैसे संकटों की प्रवृत्ति को आगे से आगे समझने में भी ये पूर्वानुमान काफी मददगार सिद्ध हो सकते हैं | 

      ये तथ्य प्रमाण सहित आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए मुझे आपसे मिलने के लिए समय चाहिए !

                    निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

                   A  -7 \41,कृष्णा नगर,दिल्ली-110051,भारत 

                         मोबाईल नंबर : 9811226983 

 









किया जाना  मौसम संबंधी परिवर्तनों को ठीक ठीक समझे बिना इस बात का पता लगाया जाना संभव ही नहीं है कि महामारी प्राकृतिक है या नहीं |

    दूसरी बात कोरोना महामारी  प्राकृतिक है यदि यह पता लग भी जाए तो इतने मात्र से महामारी पीड़ित समाज को मदद मिलनी संभव नहीं है|इसके लिए मौसमसंबंधी दीर्घावधि पूर्वानुमान सही सही लगाए जाने की आवश्यकता है | मेरी जानकारी के अनुशार अभी तक ऐसी कोई वैज्ञानिक तकनीक विकसित ही नहीं की जा सकी है जिसके द्वारा दीर्घावधि मौसम पूर्वानुमान सही सही लगाना संभव हो | इसीलिए विभिन्न वैज्ञानिकों के द्वारा लगाए जाते रहे ऐसे पूर्वानुमान गलत निकलते रहे हैं |

 

 

 

आधुनिक विज्ञान

 

 

यह समझने के लिए मौसम संबंधी अनुसंधानों की आवश्यकता होती है | 

यदि ऐसा है तो महामारियाँ अचानक आक्रमण करती हैं जिससे लोग तुरंत संक्रमित होने एवं मृत्यु को प्राप्त होने लगते हैं | ऐसे समय पहले करके रखी हुई तैयारियाँ भले कुछ मदद कर दें बाकी बचाव के लिए तुरंत कुछ किया जाना संभव नहीं होता है |

     महामारी के लक्षणों को समझना, उसके स्वभाव को पहचानना, प्रभावी उपाय या औषधि खोजकर इतनी बड़ी मात्रा में उसका निर्माण करके उसे जन जन तक पहुँचाना असंभव होता है |इसके लिए काफी लंबे समय की आवश्यकता होती है| 

   ऐसी स्थिति में  महामारी आने से काफी पहले सही सटीक पूर्वानुमान पता लगे बिना जनता की सुरक्षा के लिए कोई ऐसा प्रभावी प्रयास किया जाना संभव ही नहीं है, जिससे जनता को कोई मदद वास्तव में मिल सके | 

     महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए अभी तक कोई विज्ञान नहीं है वैज्ञानिक भी नहीं हैं |इसीलिए महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान लगाने के लिए जिन वैज्ञानिकों ने प्रयत्न भी किए वे पूरी तरह निष्फल हुए हैं | 

    ऐसी परिस्थिति में महामारी एवं उसकी लहरों के आने और जाने के विषय में मेरे द्वारा आगे से जो पूर्वानुमान लगाए जाते रहे हैं वे प्रायः सही निकलते रहे हैं | मेरा अनुमान है कि महामारी जैसे कठिन संकट काल में वे काफी सहायक हो सकते हैं | महामारी जैसे संकटों की प्रवृत्ति को आगे से आगे समझने में भी ये पूर्वानुमान काफी मददगार सिद्ध हो सकते हैं | 

      ये तथ्य प्रमाण सहित आपके सामने प्रस्तुत करने के लिए मुझे आपसे मिलने के लिए समय चाहिए !

           निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                            Ph.D. By  BHU

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  महामारियों के  पैदा होने का कारण क्या है ?महामारी की लहरें  आने और जाने का कारण क्या है ?महामारी का प्रसार माध्यम क्या है? इसमें अंतर्गम्यता होती है या नहीं?महामारी संक्रमितों पर चिकित्सा का प्रभाव पड़ता है या नहीं ?महामारी समाप्त कैसे होती है ?महामारीमुक्त समाज की संरचना की जा सकती है क्या ?इतनी बड़ी संख्या में लोग रोगी होते या मरते हैं इसलिए इसे महामारी मान लिया जाता है या फिर महामारी आने के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग रोगी होते और मरते हैं ?

    ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए मैं पिछले तीस वर्षों से भारत की प्राचीन गणितवैज्ञानिक पद्धति के आधार पर महामारियों के विषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ |जिनसे अभी तक जो अनुभव प्राप्त हुए हैं उन्हीं अनुभवों के  आधार पर कोरोना महामारी और उसकी लहरों के विषय में अभी तक जो भी अनुमान पूर्वानुमान मेरे द्वारा लगाए गए हैं वे प्रायः सही निकलते रहे हैं | उन्हें पीएमओ की मेल पर भेजा जाता रहा है | उन मेलों के सभी प्रिंट आउट इसी पत्र के साथ संलग्न हैं |इन पूर्वानुमानों की निष्पक्षता पूर्वक जाँच की जा सकती है |

     अपने सीमित संसाधनों के आधार पर मेरे द्वारा अभी तक जो प्रयत्न किए जाते रहे हैं उनसे महामारी को समझने में काफी सफलता मिली है |जिससे जनधन हानि को रोकने में काफी मदद मिल सकती है |  ऐसे गणितीय अनुसंधानों को यदि वृहद् स्तर पर किया जाए तो महामारियों से समाज की सुरक्षा करने में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं |

    अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि समाज के लिए अत्यंत उपयोगी इस गणितीय अनुसंधान को वृहद् स्तर पर करने के लिए सरकार हमारी मदद करे !इसी संदर्भ में मुझे आपसे मिलने के लिए समय चाहिए !

                                                                  

       निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

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आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री जी 

                                      सादर नमस्कार 

 विषय : कोविड-19 की उत्पत्ति एवं पूर्वानुमान लगाने के विषय में विनम्र निवेदन ! 

      महोदय, 

      निवेदन है कि महामारियों के  पैदा होने का कारण क्या है ?महामारी की लहरें  आने और जाने का कारण क्या है ?महामारी का प्रसार माध्यम क्या है? इसमें अंतर्गम्यता होती है या नहीं?महामारी संक्रमितों पर चिकित्सा का प्रभाव पड़ता है या नहीं ?महामारी समाप्त कैसे होती है ?महामारीमुक्त समाज की संरचना की जा सकती है क्या ?इतनी बड़ी संख्या में लोग रोगी होते या मरते हैं इसलिए इसे महामारी मान लिया जाता है या फिर महामारी आने के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग रोगी होते और मरते हैं ?

    ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए मैं पिछले तीस वर्षों से भारत की प्राचीन गणितवैज्ञानिक पद्धति के आधार पर महामारियों के विषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ |जिनसे अभी तक जो अनुभव प्राप्त हुए हैं उन्हीं अनुभवों के  आधार पर कोरोना महामारी और उसकी लहरों के विषय में अभी तक जो भी अनुमान पूर्वानुमान मेरे द्वारा लगाए गए हैं वे प्रायः सही निकलते रहे हैं | उन्हें पीएमओ की मेल पर भेजा जाता रहा है | उन मेलों के सभी प्रिंट आउट इसी पत्र के साथ संलग्न हैं |इन पूर्वानुमानों की निष्पक्षता पूर्वक जाँच की जा सकती है |

     अपने सीमित संसाधनों के आधार पर मेरे द्वारा अभी तक जो प्रयत्न किए जाते रहे हैं उनसे महामारी को समझने में काफी सफलता मिली है |जिससे जनधन हानि को रोकने में काफी मदद मिल सकती है |  ऐसे गणितीय अनुसंधानों को यदि वृहद् स्तर पर किया जाए तो महामारियों से समाज की सुरक्षा करने में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं |

    अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि समाज के लिए अत्यंत उपयोगी इस गणितीय अनुसंधान को वृहद् स्तर पर करने के लिए सरकार हमारी मदद करे !इसी संदर्भ में मुझे आपसे मिलने के लिए समय चाहिए !

                                                                  

       निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

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आदरणीय प्रधानमंत्री जी 

                                      सादर नमस्कार 

 विषय : कोविड-19 की उत्पत्ति एवं पूर्वानुमान लगाने के विषय में विनम्र निवेदन ! 

      महोदय, 

      निवेदन है कि महामारियों के  पैदा होने का कारण क्या है ?महामारी की लहरें  आने और जाने का कारण क्या है ?महामारी का प्रसार माध्यम क्या है? इसमें अंतर्गम्यता होती है या नहीं?महामारी संक्रमितों पर चिकित्सा का प्रभाव पड़ता है या नहीं ?महामारी समाप्त कैसे होती है ?महामारीमुक्त समाज की संरचना की जा सकती है क्या ?इतनी बड़ी संख्या में लोग रोगी होते या मरते हैं इसलिए इसे महामारी मान लिया जाता है या फिर महामारी आने के कारण इतनी बड़ी संख्या में लोग रोगी होते और मरते हैं ?

    ऐसे सभी प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए मैं पिछले तीस वर्षों से भारत की प्राचीन गणितवैज्ञानिक पद्धति के आधार पर महामारियों के विषय में अनुसंधान करता आ रहा हूँ |जिनसे अभी तक जो अनुभव प्राप्त हुए हैं उन्हीं अनुभवों के  आधार पर कोरोना महामारी और उसकी लहरों के विषय में अभी तक जो भी अनुमान पूर्वानुमान मेरे द्वारा लगाए गए हैं वे प्रायः सही निकलते रहे हैं | उन्हें पीएमओ की मेल पर भेजा जाता रहा है | उन मेलों के सभी प्रिंट आउट इसी पत्र के साथ संलग्न हैं |इन पूर्वानुमानों की निष्पक्षता पूर्वक जाँच की जा सकती है |

     अपने सीमित संसाधनों के आधार पर मेरे द्वारा अभी तक जो प्रयत्न किए जाते रहे हैं उनसे महामारी को समझने में काफी सफलता मिली है |जिससे जनधन हानि को रोकने में काफी मदद मिल सकती है |  ऐसे गणितीय अनुसंधानों को यदि वृहद् स्तर पर किया जाए तो महामारियों से समाज की सुरक्षा करने में काफी उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं |

    अतएव आपसे विनम्र निवेदन है कि समाज के लिए अत्यंत उपयोगी इस गणितीय अनुसंधान को वृहद् स्तर पर करने के लिए सरकार हमारी मदद करे !इसी संदर्भ में मुझे आपसे मिलने के लिए समय चाहिए !                                                               

       निवेदक : डॉ.शेष नारायण वाजपेयी

                    Ph.D. By  BHU

                   A  -7 \41,कृष्णा नगर,दिल्ली-110051,भारत 

                मोबाईल नंबर : 9811226983 

 

 

 

 

 


 

उस गणितविज्ञान के आधार पर मौसम संबंधी अनुमान पूर्वानुमान प्रायः सही निकलते रहे हैं |उसी गणित विज्ञान के द्वारा कोविड-19 की उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाने का प्रयत्न करता आ रहा हूँ | 

 

 लिया गया है | कोविड-19 की सभी लहरों के आने और जाने के विषय में उसी गणित विज्ञान के आधार पर जो जो पूर्वानुमान लगाए जाते रहे हैं वे प्रायः सही निकलते रहे हैं |इसके प्रमाण हमारे पास हैं |

      श्रीमान जी ! मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि महामारी की उत्पत्ति का कारण खोजने के लिए या महामारी संबंधित लहरों के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए गणित विज्ञान के अतिरिक्त कोई दूसरा विज्ञान नहीं है | गणित विज्ञान की उपेक्षा करके महामारी के विषय में अनुमान पूर्वानुमान आदि लगाना संभव ही नहीं है | यदि ऐसा संभव होता तो कोरोना महामारी के विषय में विभिन्न वैज्ञानिकों के द्वारा लगाए जाते रहे अनुमान पूर्वानुमान आदि में से कुछ तो सही निकले होते | वर्तमान वैज्ञानिक अनुसंधान पद्धति के द्वारा भविष्य में भी ऐसा किया जाना संभव नहीं होगा जिसके द्वारा महामारियों को समझना संभव हो सके |प्रकृति के स्वभाव को समझना केवल गणित विज्ञान के द्वारा ही संभव है |इस अनुसंधान को और अधिक उपयोगी बनाने के लिए जितने बड़े स्तर पर किए जाने की आवश्यकता है वह हमारे  संसाधनों से संभव नहीं है | इसी संदर्भ में मुझे आपसे मिलने के लिए समय चाहिए !

     आपसे हमारा विनम्र निवेदन है कि मुझे मिलने का समय देने की कृपा करें !


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