धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री का दरवार !धर्म धोखा या व्यापार !! पार्ट -1
ये कोई राक्षसी विद्या तो नहीं है क्योंकि ऐसे दरवारों का वर्णन सनातन धर्म के रामायण गीता भागवत तथा वेदों पुराणों में कहीं नहीं मिलता है ? सनातन धर्म के किसी भी ऋषि मुनि महर्षि ज्ञानी ध्यानी तपस्वी साधक या आचार्यों शंकराचार्यों जगद्गुरुओं आदि की परंपरा में किसी को कहीं ऐसे दरवार लगाए हुए नहीं देखा गया है !जो चीज सनातन धर्म ग्रंथों में नहीं है | धार्मिक महापुरुषों की परंपराओं में नहीं है |ऐसे भूत प्रेतात्मक आडंबरों को सनातन धर्म से जोड़कर कैसे देखा जा सकता है | पूरी रामायण में पढ़ने पर केवल कालनेमि राक्षस का ही ऐसा उदाहरण मिलता है जिसने किसी के मन की बात बताने के लिए ऐसा ही दरवार लगाया हुआ है | उसके अलावा ऐसे दरवारों का वर्णन सनातन धर्म के किसी भी ग्रंथ,पंथ परंपरा या देवी देवता के यहाँ दिखाई नहीं देता है |इसलिए कहीं ये राक्षसी विद्या तो नहीं है ,जिससे राक्षस लोग माया रचा करते थे !
कालनेमि और हनुमान जी के आपसी संवाद में मुख्य चार बातें सामने आती हैं ! पहली बात राम कथा सुनाने से दरवार शुरू किया जाता है |दूसरी बात बीती या वर्तमान की बातों को बताकर श्रृद्धालु के मन में अपना विश्वास जमाया जाता है |तीसरी बात भविष्य को लेकर खुश कर देने वाली भविष्यवाणी कर दी जाती है | चौथी बात धाम में पेशी लगाते रहने के लिए अपने साथ जोड़ा जाता है | कालनेमि ने ऐसा किया था !देखिए -
1.कालनेमि राक्षस है यह पोल न खुल जाए इसलिए कालनेमि ने भी दरवार की शुरुआत श्री राम कथा से ही की थी - करन लाग रघुपति गुन गाथा !(धीरेंद्र भी दरवार की शुरुआत राम कथा से करते हैं )
2. किसी के मन की बातें या बीती बातें बता देने से लोग भरोसा कर लेते हैं कि यह भविष्य भी सच ही बता लेता होगा ! इसलिए कालनेमि ने भी हनुमान जी को मन की बात बता कर ही प्रभावित किया - होत महा रण रावण रामहिं !अर्थात राम और रावण में महान युद्ध हो रहा है |उसमें राम जी की विजय होगी या नहीं, यह जानना चाहते हो ?हनुमान जी ने का हाँ यही प्रश्न है | (धीरेंद्र भी तो यही कहते हैं)
3.कालनेमि ने कहा -जाओ , राम जी ही जीतेंगे हमारा हमारा आशीर्वाद है |-जितिहहिं राम न संशय यामहिं | इस युद्ध में श्री राम जी की ही विजय होगी |धीरेंद्र भी तो ऐसा ही करते हैं |
4.हनुमान जी को आशीर्वाद पर तुरंत भरोसा नहीं हुआ तो उन्हें भरोसा दिलाने के लिए कालनेमि ने अपनी तपस्या की ताकत बताई - इहाँ भएँ मैं देखउँ भाई | ज्ञान दृष्टि मोहि बल अधिकाई !!अर्थात यहाँ बैठे बैठे मैं सबकुछ देख लेता हूँ !मेरे पास ज्ञानदृष्टि का बल अधिक है | (धीरेंद्र भी तो एक गदा दिखाकर अपने वाईफाई की चर्चा करते हुए सबकुछ जान लेने का दावा करते हैं |
5 . श्रृद्धालुओं को अपने धाम से जोड़ने के लिए उन्हें चेला बनाना या अपने धाम से जोड़े रहने के लिए दीक्षा देने का प्रयत्न किया जाता है !यथा - करि मज्जन तुम आतुर आवहु | दीक्षा देउँ ज्ञान जेहिं पावहु || (धीरेंद्र भी तो चेला बनाने के लिए अपने धाम पर बार बार पेशी लगाने के लिए लोगों को बुलाते हैं |
कुलमिलाकर सनातन धर्म के किसी ग्रंथ,पंथ परंपरा या देवी देवता के द्वारा न ऐसे दरवार लगाए जाते रहे,और न ही इनका कहीं वर्णन या समर्थन ही मिलता है |रामायण में भी ऐसा दरवार केवल कालनेमि राक्षस के द्वारा ही लगाया जाता है | इसके अलावा इसका उदाहरण और कहीं नहीं मिलता है |
ऐसे दरवारों से किसी को कोई लाभ भी नहीं होता है |अपने मन की बात और अपने जीवन की बात वो स्वयं जानता ही होता है |उससे लाभ होना होता तो वो स्वयं ही लाभ ले लेता |ऐसे दरवार लगाने वालों की भविष्य संबंधी बातें झूठी होती हैं | इसलिए उनसे किसी का कोई भला होता नहीं है |
ऐसे दरवारों में भीड़ उमड़ने का कारण इनकी सच्चाई पर भरोसा होना नहीं होता है | इसका मतलब केवल इतना ही होता है कि इन्होंने जो समाज की समस्याएँ कम करने का झूठा भरोसा दिया है | उस पर समाज ने इसलिए भरोसा कर लिया है क्योंकि उन्होंने बीते जीवन की जो बातें बताई हैं वे सच निकली हैं |इसलिए भविष्य संबंधी जो बातें बता रहे हैं वे भी सच्च ही निकलेंगी |इस विश्वास के कारण हैरान परेशान लोग भारी संख्या में एकत्र हो जाते हैं | नेता लोग अपने भाषणों में समस्याएँ घटाने का आश्वासन देते हैं तो भीड़ वहाँ भी इकट्ठी हो जाती है |भीड़ अपनी समस्याएँ घटाने के लिए इकट्ठी होती है जबकि ऐसे लोग समझते हैं कि यह भीड़ उन पर भरोसा करने लगी है |
हैरान परेशान लोगों को परेशानी से मुक्ति दिलाने के लिए जो भी आश्वासन
देता है | जनता वहाँ चली जाती है | राजनैतिक रैलियों में भी इसी की भीड़
होती है |आप संकटों से मुक्ति दिलाने का आश्वासन देते हैं तो आपके पास भीड़
चली जाती है |ऐसे लोगों का जब कार्य नहीं होगा तब इनका धर्म से भी विश्वास
उठ जाएगा उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा ?
इससे यह सिद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है कि धीरेंद्र शास्त्री ने हनुमान जी को अपना गुलाम बना रखा है वो जब जैसा कहते हैं हनुमान जी वैसा करने लगते हैं | ये वही हनुमान जी हैं जो हमेंशा श्री सीता राम जी की सेवा में रहा करते थे अब धीरेंद्रशास्त्री के आदेश की प्रतीक्षा किया करते हैं |
सनातनधर्म में देवी देवताओं को गुलाम बनाने की परंपरा नहीं है और न ही
ऐसा होता है और न ही हो सकता है | देवी देवताओं के पास इतना खाली समय नहीं
है और न ही उनकी ऐसी कोई मजबूरी है और न ही वे इतने डरपोक हैं कि
धीरेंद्रशास्त्री जैसा कोई व्यक्ति किसी के मन की बात बताने के लिए उन्हें
मजबूर करे या किसी को चमीटों
से मारने के लिए हनुमान जी को आदेश दे किसी मनुष्य की ऐसी औकात नहीं है |
जिन हनुमान जी ने सीता जी को समय देने के लिए श्री राम जी की सेवा कुछ
क्षणों के लिए न छोड़ी हो क्या उन हनुमान जी को धीरेन्द्र शास्त्री ने गुलाम
बना रखा है |
धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री का दरवार !धर्म धोखा या व्यापार !! पार्ट -2
हनुमान जी हम सभी सनातनधर्मियों के आराध्य हैं |उनका चरित्र,गांभीर्य,पवित्रता,शौर्य,समर्पण आदि प्रणम्य गुणों की खान हैं |हमेंशा श्री राम चरण चिंतन में लगे रहते हैं | उनके पास ऐसे आडंबरों में सम्मिलित होने या पाखंडियों की मदद करने के लिए समय ही कहाँ होता है | उन्हें ये सब करने की आवश्यकता ही क्या है ?ऐसा करने में वे रुचि क्यों लेंगे !उन्हें यही करना होता तो सीता जी को खोजने के लिए दसों दिशाओं में बंदर क्यों भेजने पड़ते !लंका जाकर सीता जी को घर घर क्यों खोजना पड़ता !वो खुद दरवार लगाकर रामदल में ही बैठ जाते !इसलिए यह कहना ठीक नहीं है कि जिसके विषय में हमें हनुमान जी जैसा बताते हैं हम उसे वैसा ही बता देते हैं |
धीरेंद्र शास्त्री के हनुमान जी से यदि इतने ही अच्छे संबंध हैं और उनसे इतनी बातचीत होती है तो कोरोना जैसी महामारी एवं उसकी आने वाली लहरों के विषय में हनुमान जी से पूछकर सरकार या समाज को पहले से बताने की धीरेंद्र ने आवश्यकता क्यों नहीं समझी !
आतंकी हमलों में कितने सैनिकों की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो जाती है | ऐसे हमलों की पूर्व सूचना देने या अपने सैनिकों का बचाव करने में धीरेंद्र की रुचि क्यों नहीं है ?
कई केस साक्ष्यों के अभाव में वर्षों तक पेंडिंग पड़े रहते हैं | उनके साक्ष्य उपलब्ध करवाने में सरकारी संस्थाओं की मदद क्यों नहीं करते हैं धीरेंद्र ?
प्राकृतिक आपदाओं में काफी बड़ी मात्रा में जनधन हानि हो जाती है उनका पूर्वानुमान पहले से बताकर समाज की मदद क्यों नहीं करते हैं धीरेंद्र ?
किसी के मन की बात बताने में तो भूत प्रेत पिशाच या कर्णपिशाचिनी जैसी यक्षिणियाँ भी सक्षम होती हैं |उन्हें बश में करके किसी के मन की बात या बीती बातें उनसे पूछकर बहुत लोग बताया करते हैं |इसलिए चरित्रवान सदाचारी लोग ऐसी क्रियाओं को करने वालों को अपवित्र समझते हैं |भरत जी ने स्वयं भी कहा है -
दो. जे परिहरि हरिहर चरन भजहिं भूतगन घोर !!
तिन्हकी गति मोहिं देहु विधि जाऊ जननी मत मोर इसलिए कालनेमि के संपदाय के लोग भूतों प्रेतों पिशाचों या कर्णपिशाचिनियों की कृपा से किसी के मन की बात बता कर अपने को देवी देवताओं का ही भक्त सिद्ध करते हैं और अपने दरवारों में देवी देवताओं की ही मूर्तियाँ रखकर जयकारा उन्ही का लगवाते देखे जाते हैं ,ताकि लोग उन्हें सिद्ध संत समझें |काशी में दुर्गाकुंड पर एक सदानंद जी रहते थे वे तथा वहीं गणेश मंदिर के पास एक और व्यक्ति सायंकाल में दरवार लगाकर ऐसा ही सबकुछ किया करते थे | ऐसे लोग भी किसी के मन की बात या बीती बातें तो सौ प्रतिशत सच बता ही देते हैं,किंतु भविष्य के विषय में जो मुख में आता सा सो बोल देते थे ,वो गलत निकलता था |बीती बातों को सुनकर लोग उनसे प्रभावित होते थे इसलिए उनके द्वारा बताई गई भविष्य संबंधी बातों पर भी भरोसा कर लिया करते थे | ऐसी झूठी भविष्यवाणियाँ जब गलत निकलती हैं तब लोग उन्हें तो गाली देते हैं उनके साथ साथ समस्त सनातन धर्मियों को कटघरे में खड़ा कर देते थे |
इसलिए परीक्षा तो सही सही भविष्य बताने में होती है |भूतों प्रेतों पिशाचों को जब स्वयं ही भविष्य पता नहीं होता है तो वे किसी दूसरे को भविष्य कैसे बता देंगे | भविष्य तो केवल देवी देवता ही बता सकते हैं किंतु वे ऐसे आडंबरों के लिए किसी की गुलामी क्यों करेंगे ? ज्योतिष के द्वारा भूत भविष्य दोनों जाने जा सकते हैं मैंने प्रकृति और जीवन दोनों ही विषयों में अनुसंधान किया है | पिछले कई वर्षों से सरकार को मौसम संबंधी पूर्वानुमान आगे से आगे भेजता आ रहा हूँ वे सही भी निकलते हैं |लोगों के टूटते विवाहों एवं बिखरते परिवारों तथा नष्ट होते व्यापारों संभालने में ज्योतिष से बहुत मदद मिलती है, किंतु ज्योतिषीय भविष्यवाणियों की सच्चाई अधिकतम 70 से 80 प्रतिशत के बीच ही होगी | मैंने ज्योतिष और रामचरित मानस से ही BHU से पीएचडी की है |
किसी विषय की सच्चाई समझे बिना हनुमान जी के पवित्र चरित्र को ऐसे आडंबरों में घसीटना कतई ठीक नहीं है| ऐसा किया जाना किसी भी प्रकार से सनातन धर्म के हित में नहीं है ,फिर भी यदि धीरेंद्र शास्त्री को ऐसा भ्रम है कि वे भविष्य की घटनाओं का पूर्वानुमान लगा सकते हैं तो किसी दिन वर्षा होने या भूकंप, आँधी तूफ़ान जैसी भावी घटनाओं के घटित होने के विषय में कोई सही भविष्यवाणी करके उसकी सच्चाई का स्वयं अनुभव करें और समाज को भी करावें| किसी दुर्घटना या आतंकी घटना के घटित होने,या चुनाव में हारने जीतने के विषय में कोई सही भविष्यवाणी करके देखें |
ऐसी सही भविष्यवाणियॉँ करने में यदि वे सफल हो जाते हैं इससे ये सिद्ध हो जाएगा कि उन पर हनुमान जी या किसी देवी देवता की ही कृपा है | यदि वे ऐसा करने से मना कर देते हैं तो भूतों प्रेतों पिशाचों को ही बश में किया हुआ है |ऐसा समझा जाना चाहिए |
विशेष बिचारणीय :वैसे भी हनुमान जी के पास क्या अब इतना ही काम बचा है कि प्रत्येक आदमी के बीते जीवन में हुए अच्छे बुरे कर्मों की चुगली धीरेंद्र शास्त्री के कान में करें |अरे हनुमान जी को कुछ बताना ही होगा तो वो किसी दलाल का सहारा क्यों लेंगे ! वे सीधे उसी को बता देंगे जिसकी बात है हनुमान जी उससे डरते हैं क्या ?
गलतियाँ किसी से भी हो सकती हैं होती भी हैं | किसी के बीते जीवन में हुए चारित्रिक पतन की चर्चा भरी सभा में करवाकर उसे जलील करवाना या उसके घर में कलह करवाने का कार्य ही क्या अब हनुमान जी के पास बचा है ?वे इतने खाली घूम रहे हैं | आखिर वे किस लोभ में ऐसा अधर्म करेंगे ?
धीरेंद्र शास्त्री जब जहाँ जिसका जो अच्छा या बुरा करने का आदेश हनुमान जी को दें वहाँ अपनी सेना भेजकर हनुमान जी धीरेंद्र की आज्ञा का पालन करते घूमें !ये कैसी भक्ति है |
धीरेंद्र जिसे मारने का आदेश हनुमान जी को दे | हनुमान जी उसे मारने लगें !जैसे मारने को कहे वैसे मारें,जितना मारने को कहें उतना मारें ! धीरेंद्र की आज्ञा का पालन करने की हनुमान जी की मजबूरी क्या है और धीरेंद्र जैसे लोग हनुमान जी को आदेश देने वाले होते कौन हैं !
धीरेंद्रकृष्ण शास्त्री किसी के मन की बात बताने के लिए दरवार लगाते हैं उसे हनुमान जी की प्रेरणा बताते हैं ,जबकि हनुमान जी ने अपने जीवन में कभी कोई ऐसा दरवार लगाया नहीं !हनुमान जी ऐसा करते तो दसों दिशाओं में बंदरों को क्यों भेजने पड़ते और लंका पहुँचकर सीता जी को घर घर जाकर क्यों खोजना पड़ता |
1.धीरेंद्र ने पहले क्या कोई प्राकृतिक या सामाजिक घटना के विषय में ऐसी भविष्यवाणी की है जो सच भी निकली हो ! भूकंपों आँधी तूफानों या बाढ़ के विषय में आपकी भविष्यवाणी सच निकली हो!मौसम के विषय में कोई भविष्यवाणी सच निकली हो तो बताओ ! किसी आतंकी उपद्रव के विषय में आपके द्वारा पहले कभी की गई कोई भविष्यवाणी सच निकली हो तो बताओ !
2. कोरोना महामारी के आने के विषय में आपने पहले कभी कोई भविष्यवाणी की थी क्या ?महामारी की किसी भी लहर के आने या जाने के विषय में पहले कभी कोई भविष्यवाणी की हो तो बताओ ! महामारी समाप्त हो गई या अभी फिर आएगी !इस विषय में कोई स्पष्ट भविष्यवाणी कर सकते हैं क्या ?
3. धीरेंद्र जी ! क्या आप वर्तमान वर्ष के विषय में कोई ऐसी पाँच भविष्यवाणियाँ कर सकते हैं जिनके विषय में आप विश्वास से कह सकते हों कि इन पाँच में से तीन अवश्य सच निकलेंगी !
4. धीरेंद्र जी !आप सबके मन की बात जान लेते हो !क्या आप मोदी जी के 'मन की बात' कार्यक्रम का कोई अंश पहले से लिखकर कहीं प्रकाशित कर सकते हैं | जो प्रधानमंत्री मोदी जी आने वाले मन की बात कार्यक्रम में बोलेंगे ?
विशेष बात : धीरेंद्रकृष्ण शास्त्रीजी ! आपके द्वारा पहले की हुई ऐसी कुछ भी भविष्यवाणियाँ यदि सच हुई होंगी तो ये न केवल चमत्कार है अपितु वर्तमानविश्व के लिए एक बहुत बड़ी आशा की किरण होगी |आप केवल हिंदूराष्ट्र के लिए ही आह्वान कर रहे हैं यदि आप भविष्य संबंधी पूर्वानुमान सही लगाने लगे तो हिंदूविश्व बनते देर नहीं लगेगी !इससे भारत विश्व गुरुत्व की ओर अग्रसर होगा | यदि आप ऐसा करने में सफल नहीं हैं तो आपके दरवार छलावा सिद्ध होंगे !आपके दावों से निकट भविष्य में सनातनधर्मी समाज को एक और धार्मिक उपहास सहने के लिए तैयार रहना चाहिए |
धीरेंद्र शास्त्री का बागेश्वर दरवार ! धर्म धोखा या व्यापार !!
धर्म : धीरेंद्र शास्त्री आखिर हनुमान जी को मानते क्या हैं ?"हनुमान जी उनके देवता हैं या दास" हनुमान जी को वे यदि देवता मानते हैं तो आदेश किसको देते हैं और दास मानते हैं तो जय किसकी बोलवाते हैं |
धोखा: हैरान परेशान लोगों को परेशानी से मुक्ति दिलाने का जो भी भरोसा दिलाता है जनता उसी के दरवाजे पहुँच जाती है |हैरान परेशान जनता की भीड़ देखकर नेता समझते हैं रैली सफल हो गई और बाबा समझते हैं कि उनकी कथा या दरवार में भीड़ उमड़ी है | सच्चाई ये है कि जनता न तो रैली में जाती है और न ही ऐसी कथाओं में जनता तो वहाँ भीड़ लगाती है जहाँ उन्हें उनकी परेशानी ख़त्म करने का आश्वासन दिया जाता है ,जबकि यह आश्वासन झूठा होता है |
व्यापार: धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि वे पैसे नहीं लेते हैं ? कुछ वर्ष पहले तक गरीबत भोगते रहे धीरेंद्र शास्त्री अचानक धनवान कैसे हो गए | यदि वे अपनी पवित्र आय के पवित्र स्रोत सिद्ध कर पाते हैं तो धर्म अन्यथा धंधा है ?
कालनेमि राक्षस और धीरेंद्रशास्त्री के दरवार में क्या अंतर है !
इसी प्रकार से लंका के शासन प्रशासन के द्वारा श्री राम को नुक्सान पहुँचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके कालनेमिधाम नाम का एक सुंदर आश्रम बनाया गया था !- सर मंदिर बर बाग़ बनाया ! ---तालाब मंदिर एवं बगीचा बनाया गया ताकि आश्रम जैसा लगे !उसी में कालनेमिशास्त्री का दरवार लगा हुआ था !
कालनेमि का गुरु रावण बहुत बड़ा विद्वान होते हुए भी अहंकार में इतना अंधा था कि उसे लगता था कि वो मायापति भगवान श्री राम के सेवक श्री हनुमान जी को मोहित करवा लेना चाहता था - मायापति दूतहिं चह मोहा !
दरवार लगाने वाले पाखंडी लोग अपने दरवारों की शुरुआत रामकथा से ही करते हैं ताकि उनका पाप पकड़ न लिया जाए क्योंकि राम जी पर सभी लोग भरोसा करते हैं इसीलिए कालनेमि ने भी सबसे पहले श्री राम कथा कहनी शुरू कर दी -
लाग सो कहैं राम गुन गाथा ||
ऐसे पाखंडी लोगों की समस्याओं को केस करते हैं - श्री राम रावण युद्ध चल ही रहा था लौकिक दृष्टि से हनुमान जी भी परेशान थे ही इसलिए वे भी उस आश्रम में चले गए और पापी कालनेमि को साधू समझकर उन्होंने प्रणाम किया - जाइ पवनसुत नायउ माथा !
ऐसे कपट पूर्ण दरवारों में हैरान परेशान लोगों को मूर्ख बनाने के लिए क्रमशः तीन धूर्त प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं | सबसे पहले
आने वालों को मोहित करना होता है ,दूसरे नंबर पर उनकी मनोकामना पूर्ण होने
का आशीर्वाद दिया जाता है और तीसरे नंबर पर उन्हें अपने से जोड़े रखने के
लिए शिष्य बनाकर उन्हें पेशी पर आते रहने के लिए मजबूर किया जाता है |
हनुमान जी के साथ भी कालनेमि शास्त्री जी ने यही तीनों प्रयोग किए -
1. सबसे पहले बीती बात बताकर हनुमान जी को मोहित करने का प्रयास किया गया -
कालनेमि
ने हनुमान जी की अर्जी लगाई और एक पर्चा बनाया उसमें बीती हुई बातें लिखकर
हनुमान जी से कहा ये परचा पढ़ो हनुमान जी ने पढ़ा उसमें लिखा था - "होत महा रन रावण रामहिं " अर्थात श्री राम
और रावण के बीच बहुत बड़ा युद्ध हो रहा है | हनुमान जी को लगा कि इस एकांत
आश्रम में इन्हें यह बात कैसे पता लग गई ये जरूर सिद्ध होगा |कालनेमि
शास्त्री ने पूछा पर्चे में जो लिखा है वो सही है हनुमान जी ने कहा ये तो
महाराज बिल्कुल सही है |
2. दूसरे नंबर पर कालनेमि शास्त्री जी ने हनुमान जी को मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद दिया -
कालनेमि शास्त्री जी ने कहा कि तुम्हारी मनोकामना है कि श्री राम और रावण के बीच जो युद्ध हो रहा है |उसमें विजय श्री राम जी की ही हो अर्थात वही युद्ध जीतें ! यही चाह रहे हो हनुमान जी ने कहा हाँ महाराज ! इसपर कालनेमि शास्त्री जी ने आशीर्वाद देते हुए कहा कि जाओ हमारा आशीर्वाद है - राम जी ही युद्ध जीतेंगे - जितिहहिं राम न संशय यामहिं !
इसके बाद कालनेमि शास्त्री ने हनुमान जी से कहा कि इसके लिए तुम्हें यहाँ दरवार में आकर पेशी लगाते रहनी होगी ! हनुमान जी ने पूछा महाराज पेशी के लिए मुझे क्या करना पड़ेगा -
कालनेमि शास्त्री ने कहा - आप तालाब में स्नान करके आओ फिर मैं तुम्हें बताता हूँ और दीक्षा देता हूँ |
सर मज्जन करि आतुर आवहु ! दीक्षा देहुँ ज्ञान जेहि पावहु !!
हनुमान जी सरोवर में स्नान करने चले गए वहाँ हनुमान जी को मकड़ी मिल गई उसने कालनेमि शास्त्री की सारी पोल खोल कर रख दी कि यह मुनि नहीं अपितु राक्षस है - मुनि न होइ यह निशिचर घोरा !!
हमारे
कहने का मतलब ऐसे कालनेमि शास्त्रियों की चमक तभी तक रहती है जब तक इनके
आस पास रहने वाली कोई मकड़ी इनका काला चिट्ठा नहीं खोलती !इन्हीं मकड़ियों के
पोल खोलने की सजा आज भी आशाराम राम रहीम ,रामपाल जैसे लोग भोग रहे हैं |
आखिर इनके भी तो पहले कभी ऐसे ही बड़ेबड़े शिविर या दरवार लगा करते थे |
_________________________________________________________________________
ऐसे दरवारों की विशेषता ये होती है कि जिस देवी देवता को बदनाम करना होता है उसी की जय बोलवाई जाती है | जैसे कालनेमि राम जी का बुरा करने आया इसलिए जयकारा भी राम जी का ही लगा रहा था | -
-लाग सो कहै राम गुन गाथा !!
ऐसा पाखंड फैलाने के कारण ही तो उस कालनेमि को मारा था | उस दरवार में और इस दरवार में अंतर आखिर क्या है ? वो भी अपनी तपस्या के बल पर राम रावण युद्ध के विषय में बीती बातें बता रहा था और आगे के लिए भविष्यवाणियाँ करके हनुमान जी को प्रभावित कर रहा था | जिस दरवारी संस्कृति को हनुमान जी ने उस समय कुचल दिया था वैसा दरवार लगाना अब हनुमान जी खुद क्यों शुरू कर देंगे !हनुमान जी ने अपने को ऐसे पाखंडों से दूर रखने के लिए ही तो मच्छर का स्वरूप धारण करके सीता जी को घर घर खोजा था अन्यथा उन्हें तो पता ही था कि सीता जी को कौन ले गया है और कहाँ रखा गया है उन्होंने अपनी दिव्य विद्या का उपयोग किए बिना सीता जी को आम मनुष्यों की तरह खोजा था !आज उनके नाम पर समाज में पाखंड हो रहा है उन्हें आखिर सुखेन वैद्य को लाने की आवश्यकता क्या थी ?
हनुमान जी का दरवार लगाने का स्वभाव होता तो वो सबसे पहले लंका में लगाते और लंका वालों को प्रभावित कर लेते !इसके बाद अयोध्या गए वहाँ दरवार लगाते !द्वापर युग में लगाते कलियुग में आज तक इतने साधू संत गुरु जगद्गुरु शंकराचार्य हुए उनके माध्यम से दरवार लगवाते | इनके गुरू जी अपने को इतना बड़ा विद्वान बताते नहीं थकते हैं उन्होंने इतना बड़ा विश्वविद्यालय बना रखा है उन्हें माध्यम बनाकर चित्रकूट में अपना दरवार लगवाते आखिर उनमें ऐसी कौन सी कमी लगी जो वे हनुमान जी को पसंद नहीं आए और उनके चेला धीरेंद्र शास्त्री पसंद आ गए उन्हें माध्यम बनाकर लोगों के जीवन के रहस्य खोलने शुरू कर दिए !
धीरेंद्र शास्त्री को पर्ची में क्या लिखना है ये हनुमान जी को ही बताना है और लोगों के काम हनुमान जी को ही करने हैं तो दरवार भी हनुमान जी ही लगा लेंगे ! दरवार लगाने के लिए धीरेन्द्र शास्त्री को रखने की हनुमान जी की मज़बूरी क्या है ?आखिर हनुमान जी धीरेन्द्र शास्त्री के बिना दरवार क्यों नहीं लगा सकते हैं ?हनुमान जी किसी से कोई बात कहने के लिए धीरेन्द्र शास्त्री को अपना माध्यम क्यों बनाएँगे ?हनुमान जी को जिसके विषय में जो कुछ कहना होगा वो उसी के कान में बता देंगे !
मंदिर हनुमान जी का है मूर्ति हनुमान जी की है जय भी हनुमान जी की ही बोलवाई जा रही होती है |इससे लगता है कि यह स्थान हनुमान जी का होने के कारण धर्म
स्थल है |हनुमान जी के निकट पहुँचते ही भूत पिशाच भाग जाते हैं सारे दुःख
दर्द दूर हो जाते हैं | जनता स्वयं ही बाला जी का दर्शन पूजन करेगी
!उन्हें प्रणाम करेगी और हनुमान जी कृपा करेंगे | इसमें धीरेन्द्र शास्त्री
की भूमिका क्या है ?
बागेश्वर दरवार जहाँ लगता है वहाँ बड़ी भीड़ लगती है | इस भीड़ का कारण लोगों की अपनी अपनी परेशानियाँ हैं लोगों को झूठा विश्वास दिलाया गया है कि यहाँ आने से उन्हें परेशानियों से मुक्ति दिला दी जाएगी ! प्रदीप मिश्रा ने यही कहा तो यही भीड़ उनके यहाँ रुद्राक्ष लेने पहुँच जाती है | अपनी परेशानियों से ऊभ चुके हैरान परेशान सभी बाबाओं के सभी प्रकार के आडंबरों में अपनी अपनी परेशानियाँ समाप्त करवाने के लिए पहुँच जाते हैं |नेताओं की रैलियों में भी तो इसीलिए भीड़ होती है परेशानियाँ ख़त्म करने का नारा देते हैं |जनता किसी नेता या बाबा से प्रभावित नहीं होती है वो तो अपनी परेशानियों से परेशान होकर जाती है |जो उसकी परेशानी कम या ख़त्म करने का विश्वास दिलाता है जनता उसपर भरोसा करके वहाँ चली जाती है |
चूँकि परेशान लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है उनमें से थोड़े लोग भी पहुँच जाते हैं तो वहाँ भीड़ हो ही जाती है |बाबा लोग अपने सहयोगियों से प्रचार करवाते हैं कि आपकी परेशानियाँ ख़त्म कर देंगे !उनके झूठ के झाँसे में जनता आ जाती है
इसलिए भारी भीड़ उमड़ती है ! भीड़ देखकर गदगद हुए बाबा प्रचार करते हैं जनता
हमारी भक्ति की शक्ति से प्रभावित होकर आई है |अरे भक्ति की शक्ति तो जनता तब माने जब उसकी परेशानी कुछ कम हो |भीड़ लग जाने से भक्ति की शक्ति कैसे पता लगी |नेताओं अभिनेताओं के कार्यक्रमों में भी भीड़ लग जाती है |
ऐसे दरवारों से परेशानियाँ कम होती हैं क्या ?
नेताओं ने 70 साल पहले गरीबी हटाओ का नारा दिया था उसे सुनने भी भारी भीड़
आई थी |हर चुनाव गरीबी हटाने का नारा दिया जाता है उसे सुनने भी भारी भीड़
आती है ,किंतु गरीबी हटी क्या ?ऐसे ही आशाराम रामरहीम रामपाल जैसे बाबा लोग भी तो जनता की समस्याएँ कम करने का झूठा नारा देकर अपने शिविरों ,दरवारों मेंबेचारे हैरान परेशान लोगों की भारी भीड़ें इकट्ठी करके खुश हो लिया करते थे |जनता की समस्याएँ कम करना यदि इनके बश का होता तो आज वर्षों से जेलों में न पड़े होते !
कुछ पाखंडी लोग धार्मिक वेषभूषा धारण करके पहले समाज के मन में विश्वास जगाते हैं इसके बाद हैरान परेशान समाज का दुखदर्द कम करने का नाटक करते हैं दूसरों से उसका प्रचार करवाते हैं |जिसे सुनकर ऐसे कपटपूर्ण दरवारों शिविरों भारी संख्या में हैरान परेशान लोग अपनी परेशानियाँ कम करने के लिए पहुँच जाते हैं |जिसे वे अपनी लोकप्रियता से जोड़कर प्रचारित करते हैं |दिन दुखी लोगों की समस्याओं से मुक्ति दिलाने का झूठा झाँसा देना ये बहुत बड़ा अपराध है |यदि आप उनके लिए कुछ कर नहीं सकते तो उन्हें तंग क्यों करते हैं ?
_________________________________________________________________________________________
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें