रामायण के विद्वान हो तो दो इन प्रश्नों के उत्तर !
1. राम जी का जन्म कहाँ हुआ था ?
2. श्री राम जी की कुंडली गलत बनी थी क्या ?
3.कुंडली सही थी तो श्री राम का नाम जन्म नक्षत्र के अनुशार क्यों नहीं रखा गया
4. कुंडली गलत नहीं थी तो फलादेश क्यों गलत हुआ ?
5. सीता राम जी का विवाह गलत कुंडली मिलाकर किया गया था क्या ?
राम जी के जन्म का दिन क्या एक महीने का हुआ था ?
श्री राम जी का जन्मस्थान बताते हुए तुलसी दास जी कहते हैं कि भगवान राम जी का जन्म जहाँ हुआ था वहाँ एक महीने का एक दिन हुआ था ! यदि हाँ तो वो अयोध्या कहाँ है ?जिसमें
एक महीने का दिन हुआ करता था ! यदि नहीं तो उस एक महीने को ज्योतिष में
व्यवस्थित कैसे और कब किया गया | जो सूर्य या चंद्रग्रहण जिस जिन बताए जाते
हैं वे उसी दिन क्यों घटित होते हैं | उससे एक महीने बाद क्यों नहीं घटित
होते हैं ?आखिर उस एक महीने के अंतराल का समायोजन कैसे और कब हुआ ?
भगवान् श्री राम जी का जन्म जिस स्थान पर हुआ था वहाँ एक महीने का दिन हुआ था | ऐसा गोस्वामी जीने लिखा है -
कौतुक देखि पतंग भुलाना ! एक मास तेहि जात न जाना !!
ऐसा लगा कि लेखक से यहाँ कोई गलती तो नहीं हुई है ,लेकिन लेखक ने यही बात दुबारा कह दी -
दो. मासदिवसकर दिवस भा मरमु न जानै कोय |
रथ समेत रवि थाकेउ निशा कवन विधि होय ||
जिस ज्योतिष में एक एक मिनट का प्रभाव पड़ता है उसमें एक महीने का अंतर छोटी बात तो नहीं है | श्री राम जी के जन्म समय में एक महीने तक सूर्य क्यों रुके रहे ?ऐसा होना संभव था क्या यदि हाँ तो इसका कारण क्या है ? सूर्य भगवान के रुकने से संपूर्ण ग्रह नक्षत्रों की चाल गड़बड़ा जानी चाहिए थी |वो गड़बड़ाई क्यों नहीं और यदि गड़बड़ाई तो पुनः व्यवस्थित कैसे हुई ?यदि अभी तक ठीक नहीं हुई है तो सूर्य चंद्र ग्रहणों का गणित के द्वारा लगाया गया पूर्वानुमान सही क्यों बैठता है ?यदि राम जी की कुंडली सही है तो इसका फलादेश उनके जीवन पर घटित क्यों नहीं होता है |किसी की कुंडली बनने में जन्मस्थान और ग्रह संचार की बहुत बड़ी भूमिका होती है |यहाँ तो दोनों गड़बड़ा गए |जन्म स्थान में ,और ग्रहों नक्षत्रों में संशय हो गया |
इसका मतलब ये कतई नहीं है कि सूर्य भगवान की गलती से ऐसा हुआ था | सूर्यभगवान् समय के चक्र से बँधे हुए हैं उन्हें उस हिसाब से ही चलना पड़ेगा | सूर्य भगवान के रुकने से तो संपूर्ण ग्रह नक्षत्रों की चाल गड़बड़ा जाएगी | ऐसा होते ही ग्रह नक्षत्र आदि की गणित गड़बड़ा जाएगी|ऐसा होते ही श्रीराम जी की कुंडली सही बनाई जानी संभव ही नहीं थी | दूसरी बात एक महीने तक सूर्य के रुके रहने को ग्रहगणित में व्यवस्थित कैसे किया गया | इसलिए ये सूर्य भगवान् के भूल जाने की बात नहीं है ,अपितु बात एक महीने के दिन होने की है |
अक्षांश देशांतर के प्रभाव से दिन छोटे बड़े होते रहते हैं | कुछ स्थानों
पर तो कई कई महीनों का दिन होता है | उसी हिसाब से देखना पड़ेगा कि महीने भर
का एक दिन होना कहाँ संभव है, जो श्री राम जी का जन्म स्थान रहा होगा |यह
खोजा जाना इसलिए भी आवश्यक है ,क्योंकि मानस प्रेमियों को श्री राम जी के
जन्म स्थान का पता तो लगना चाहिए | यह पता लगाया जाना इसलिए भी आवश्यक है
क्योंकि गोस्वामी जी जिस कुंडली को देख रहे हैं उसके हिसाब से कुंडली का
फलादेश श्री राम जी के जीवन पर घटित ही नहीं हो रहा है |श्री राम जी के
जन्म समय पर गोस्वामी जीने का कि योग लग्न ग्रह दिन तिथि आदि सब कुछ
अनुकूल अर्थात अच्छे हो गए | यदि ऐसा है तो उसका अच्छा प्रभाव श्री राम जी
के जीवन पर भी तो दिखना चाहिए था !
क्या राम जी की जन्म कुंडली वास्तव में गलत थी या इसका कुछ और दूसरा रहस्य है इसकी चर्चा हम अगले वीडियों में करेंगे !
बंधुओं ! मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय
से पीएचडी
की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ
जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है | यदि आपको भी लगता है कि आपकी या
आपके घर में किसी की जो कुंडली बनी है | उसका फलादेश जीवन में घटित नहीं
होता है तो आप हमारे संस्थान में संपर्क कर सकते हैं !
राम जी की कुंडली में जब सारे ग्रह नक्षत्र अच्छे थे तो उन्हें इतनी परेशानियाँ क्यों उठानी पड़ीं !उनकी कुंडली गलत बनी है क्या ?
राम जी के जन्म के समय योग लगन ग्रह वार तिथि आदि सभी ग्रह नक्षत्र आदि अनुकूल अर्थात अच्छे हो गए थे | जब सभी ग्रह आदि अच्छे ही थे तो श्री राम जी को अपने जीवन में इतनी परेशानियाँ क्यों उठानी पड़ीं ? इसका अच्छा फल श्री राम जी को क्या मिला !और यदि नहीं मिला इसका मतलब यह कुंडली उनके जीवन पर घटित ही नहीं हो रही है |क्या श्री राम जी की कुंडली ही गलत है | यदि हाँ तो गलती कहाँ हुई है ?
दो. योग लगन ग्रह वार तिथि सकल भए अनुकूल !
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥
श्रीराम जी का जीवन तो बहुत संघर्ष पूर्ण रहा |मात्र पंद्रह वर्ष की उम्र में ही तड़का सुबाहू का बध करने के लिए घर छोड़ना पड़ा| इसके बाद बन गमन,पितामरण,सीताहरण,जटायुमरण,सीतावियोगजनित दुःख, इसके बाद रावण से युद्ध और राज्याभिषेक के बाद फिर सीता वियोग ,अपने प्रिय पुत्रों से युद्ध लड़ना पड़ा | इतने बड़े बड़े दुःख जिसने सहे हों उससे कहा जाए कि आपकी कुंडली में योग लगन ग्रह वार तिथि आदि सभी ग्रह नक्षत्र आदि अनुकूल अर्थात अच्छे हैं आपका भाग्य बहुत अच्छा है तो कौन भरोसा करेगा ऐसी कुंडली पर और ऐसी ज्योतिष पर !
जो लोग मानते हैं कि वे भगवान थे इसलिए लीला कर रहे थे !ऐसा नहीं था मानुषं देह संप्राप्य गुणाः सर्वेपि ---!
मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय से पीएचडी की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है |
किसी की कुंडली बनने में जन्मस्थान और ग्रह संचार की बहुत बड़ी भूमिका
होती है |यहाँ तो दोनों गड़बड़ा गए |जन्म स्थान में ,और ग्रहों नक्षत्रों में संशय हो गया |
यदि सूर्य एक महीने तक रुके रहने से ग्रह संचार गड़बड़ा गया अन्यथा जन्म स्थान गड़बड़ा गया !इन दोनों ही कारणों से कुंडली गलत होना स्वाभाविक है |
क्या राम जी की जन्म कुंडली वास्तव में गलत थी या इसका कुछ और दूसरा रहस्य है इसकी चर्चा हम अगले वीडियों में करेंगे !
बंधुओं ! मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय
से पीएचडी
की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ
जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है | यदि आपको भी लगता है कि आपकी या
आपके घर में किसी की जो कुंडली बनी है | उसका फलादेश जीवन में घटित नहीं
होता है तो आप हमारे संस्थान में संपर्क कर सकते हैं !
राम जी का नाम उनकी कुंडली के अनुशार क्यों नहीं रखा गया ?
कुंडली में श्री राम जी के जन्म का नाम ह अक्षर पर निकला था तो ह अक्षर पर
ही रखा जाना चाहिए था !उनका नाम र अक्षर से राम ऐसा क्यों रखा गया !
श्री राम जी का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था तो उनका नाम पुनर्वसु नक्षत्र के अनुशार ही होना चाहिए था ये चित्रा नक्षत्र के अनुशार क्यों रखा गया ?भगवान राम जी के जन्म के नक्षत्र से आठवाँ नक्षत्र था चित्रा !इतना अंतर क्यों रखा गया ?इसका रहस्य क्या है ?
ज्योतिष के अनुशार प्रत्येक नक्षत्र के चार चार चरण होते हैं और चार चार ही अक्षर होते हैं | प्रत्येक बच्चे का नाम उसके जन्म नक्षत्र के चरण से संबंधित अक्षर पर रखा जाता है |
के को हा ही -पुनर्वसु के चार और पे पो रा री चित्रा ये वशिष्ठ जी ने पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण की अपेक्षा चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण पर रखने का कारण क्या था ?
सो सुखधाम राम अस नामा | अखिल लोक दायक विश्रामा ||
जो बालक जिस समय गर्भ में आता है उससे गर्भ कुंडली बनती है | उस गर्भ
कुंडली और जन्म कुंडली का मिलान करके कुंडली सही कर ली जाती है | श्री राम
जी के जन्म में यह भी सुविधा नहीं है | यज्ञप्रसाद जब अग्नि देव ने दशरथ जी
को दिया दिया | फिर दशरथ जी के द्वारा अपनी तीनों पत्नियों को दिया गया !
इसके बाद उन तीनों ने उसे खाया होगा ! यज्ञ प्रसाद देते समय ही जन्म
निश्चित हो गया था |
इस प्रक्रिया में कई समय हो गए तो गर्भ कुंडली किस आधार पर बनाई जा सकेगी | यहाँ ऐसा किया जानाभी संभव नहीं हुआ है |
क्या
राम जी का नाम जन्म कुंडली के अनुशार रखने में वशिष्ठ जी से कोई गलती हुई
है या इसका कुछ और दूसरा रहस्य है इसकी चर्चा हम अगले वीडियों में करेंगे !
बंधुओं ! मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय
से पीएचडी
की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ
जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है | यदि आपको भी लगता है कि आपकी या
आपके घर में किसी की जो कुंडली बनी है | उसका फलादेश जीवन में घटित नहीं
होता है तो आप हमारे संस्थान में संपर्क कर सकते हैं !
राम जी के जन्म का दिन क्या एक महीने का हुआ था ?
श्री राम जी का जन्स्थान बताते हुए तुलसी दास जी कहते हैं कि भगवान राम जी का जन्म जहाँ हुआ था वहाँ एक महीने का एक दिन हुआ था ! यदि हाँ तो वो अयोध्या कहाँ है ?जिसमें एक महीने का दिन हुआ करता था ! यदि नहीं तो उस एक महीने को ज्योतिष में व्यवस्थित कैसे और कब किया गया | जो सूर्य या चंद्रग्रहण जिस जिन बताए जाते हैं वे उसी दिन क्यों घटित होते हैं | उससे एक महीने बाद क्यों नहीं घटित होते हैं ?आखिर उस एक महीने के अंतराल का समायोजन कैसे और कब हुआ ?
भगवान् श्री राम जी का जन्म जिस स्थान पर हुआ था वहाँ एक महीने का दिन हुआ था | ऐसा गोस्वामी जीने लिखा है -
कौतुक देखि पतंग भुलाना ! एक मास तेहि जात न जाना !!
ऐसा लगा कि लेखक से यहाँ कोई गलती तो नहीं हुई है ,लेकिन लेखक ने यही बात दुबारा कह दी -
दो. मासदिवसकर दिवस भा मरमु न जानै कोय |
रथ समेत रवि थाकेउ निशा कवन विधि होय ||
जिस ज्योतिष में एक एक मिनट का प्रभाव पड़ता है उसमें एक महीने का अंतर छोटी बात तो नहीं है | श्री राम जी के जन्म समय में एक महीने तक सूर्य क्यों रुके रहे ?ऐसा होना संभव था क्या यदि हाँ तो इसका कारण क्या है ? सूर्य भगवान के रुकने से संपूर्ण ग्रह नक्षत्रों की चाल गड़बड़ा जानी चाहिए थी |वो गड़बड़ाई क्यों नहीं और यदि गड़बड़ाई तो पुनः व्यवस्थित कैसे हुई ?यदि अभी तक ठीक नहीं हुई है तो सूर्य चंद्र ग्रहणों का गणित के द्वारा लगाया गया पूर्वानुमान सही क्यों बैठता है ?यदि राम जी की कुंडली सही है तो इसका फलादेश उनके जीवन पर घटित क्यों नहीं होता है |किसी की कुंडली बनने में जन्मस्थान और ग्रह संचार की बहुत बड़ी भूमिका होती है |यहाँ तो दोनों गड़बड़ा गए |जन्म स्थान में ,और ग्रहों नक्षत्रों में संशय हो गया |
इसका मतलब ये कतई नहीं है कि सूर्य भगवान की गलती से ऐसा हुआ था | सूर्यभगवान् समय के चक्र से बँधे हुए हैं उन्हें उस हिसाब से ही चलना पड़ेगा | सूर्य भगवान के रुकने से तो संपूर्ण ग्रह नक्षत्रों की चाल गड़बड़ा जाएगी | ऐसा होते ही ग्रह नक्षत्र आदि की गणित गड़बड़ा जाएगी|ऐसा होते ही श्रीराम जी की कुंडली सही बनाई जानी संभव ही नहीं थी | दूसरी बात एक महीने तक सूर्य के रुके रहने को ग्रहगणित में व्यवस्थित कैसे किया गया | इसलिए ये सूर्य भगवान् के भूल जाने की बात नहीं है ,अपितु बात एक महीने के दिन होने की है |
अक्षांश देशांतर के प्रभाव से दिन छोटे बड़े होते रहते हैं | कुछ स्थानों
पर तो कई कई महीनों का दिन होता है | उसी हिसाब से देखना पड़ेगा कि महीने भर
का एक दिन होना कहाँ संभव है, जो श्री राम जी का जन्म स्थान रहा होगा |यह
खोजा जाना इसलिए भी आवश्यक है ,क्योंकि मानस प्रेमियों को श्री राम जी के
जन्म स्थान का पता तो लगना चाहिए | यह पता लगाया जाना इसलिए भी आवश्यक है
क्योंकि गोस्वामी जी जिस कुंडली को देख रहे हैं उसके हिसाब से कुंडली का
फलादेश श्री राम जी के जीवन पर घटित ही नहीं हो रहा है |श्री राम जी के
जन्म समय पर गोस्वामी जीने का कि योग लग्न ग्रह दिन तिथि आदि सब कुछ
अनुकूल अर्थात अच्छे हो गए | यदि ऐसा है तो उसका अच्छा प्रभाव श्री राम जी
के जीवन पर भी तो दिखना चाहिए था !
क्या राम जी की जन्म कुंडली वास्तव में गलत थी या इसका कुछ और दूसरा रहस्य है इसकी चर्चा हम अगले वीडियों में करेंगे !
बंधुओं ! मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय से पीएचडी
की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ
जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है | यदि आपको भी लगता है कि आपकी या आपके घर में किसी की जो कुंडली बनी है | उसका फलादेश जीवन में घटित नहीं होता है तो आप हमारे संस्थान में संपर्क कर सकते हैं !
राम जी की कुंडली में जब सारे ग्रह नक्षत्र अच्छे थे तो उन्हें इतनी परेशानियाँ क्यों उठानी पड़ीं !उनकी कुंडली गलत बनी है क्या ?
राम जी के जन्म के समय योग लगन ग्रह वार तिथि आदि सभी ग्रह नक्षत्र आदि अनुकूल अर्थात अच्छे हो गए थे | जब सभी ग्रह आदि अच्छे ही थे तो श्री राम जी को अपने जीवन में इतनी परेशानियाँ क्यों उठानी पड़ीं ? इसका अच्छा फल श्री राम जी को क्या मिला !और यदि नहीं मिला इसका मतलब यह कुंडली उनके जीवन पर घटित ही नहीं हो रही है |क्या श्री राम जी की कुंडली ही गलत है | यदि हाँ तो गलती कहाँ हुई है ?
दो. योग लगन ग्रह वार तिथि सकल भए अनुकूल !
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल॥
श्रीराम जी का जीवन तो बहुत संघर्ष पूर्ण रहा |मात्र पंद्रह वर्ष की उम्र में ही तड़का सुबाहू का बध करने के लिए घर छोड़ना पड़ा| इसके बाद बन गमन,पितामरण,सीताहरण,जटायुमरण,सीतावियोगजनित दुःख, इसके बाद रावण से युद्ध और राज्याभिषेक के बाद फिर सीता वियोग ,अपने प्रिय पुत्रों से युद्ध लड़ना पड़ा | इतने बड़े बड़े दुःख जिसने सहे हों उससे कहा जाए कि आपकी कुंडली में योग लगन ग्रह वार तिथि आदि सभी ग्रह नक्षत्र आदि अनुकूल अर्थात अच्छे हैं आपका भाग्य बहुत अच्छा है तो कौन भरोसा करेगा ऐसी कुंडली पर और ऐसी ज्योतिष पर !
जो लोग मानते हैं कि वे भगवान थे इसलिए लीला कर रहे थे !ऐसा नहीं था मानुषं देह संप्राप्य गुणाः सर्वेपि ---!
मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय से पीएचडी की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है |
किसी की कुंडली बनने में जन्मस्थान और ग्रह संचार की बहुत बड़ी भूमिका
होती है |यहाँ तो दोनों गड़बड़ा गए |जन्म स्थान में ,और ग्रहों नक्षत्रों में संशय हो गया |
यदि सूर्य एक महीने तक रुके रहने से ग्रह संचार गड़बड़ा गया अन्यथा जन्म स्थान गड़बड़ा गया !इन दोनों ही कारणों से कुंडली गलत होना स्वाभाविक है |
क्या राम जी की जन्म कुंडली वास्तव में गलत थी या इसका कुछ और दूसरा रहस्य है इसकी चर्चा हम अगले वीडियों में करेंगे !
बंधुओं ! मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय
से पीएचडी
की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ
जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है | यदि आपको भी लगता है कि आपकी या
आपके घर में किसी की जो कुंडली बनी है | उसका फलादेश जीवन में घटित नहीं
होता है तो आप हमारे संस्थान में संपर्क कर सकते हैं !
राम जी का नाम उनकी कुंडली के अनुशार क्यों नहीं रखा गया ?
कुंडली में श्री राम जी के जन्म का नाम ह अक्षर पर निकला था तो ह अक्षर पर ही रखा जाना चाहिए था !उनका नाम र अक्षर से राम ऐसा क्यों रखा गया !
श्री राम जी का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था तो उनका नाम पुनर्वसु नक्षत्र के अनुशार ही होना चाहिए था ये चित्रा नक्षत्र के अनुशार क्यों रखा गया ?भगवान राम जी के जन्म के नक्षत्र से आठवाँ नक्षत्र था चित्रा !इतना अंतर क्यों रखा गया ?इसका रहस्य क्या है ?
ज्योतिष के अनुशार प्रत्येक नक्षत्र के चार चार चरण होते हैं और चार चार ही अक्षर होते हैं | प्रत्येक बच्चे का नाम उसके जन्म नक्षत्र के चरण से संबंधित अक्षर पर रखा जाता है |
के को हा ही -पुनर्वसु के चार और पे पो रा री चित्रा ये वशिष्ठ जी ने पुनर्वसु नक्षत्र के तीसरे चरण की अपेक्षा चित्रा नक्षत्र के तीसरे चरण पर रखने का कारण क्या था ?
सो सुखधाम राम अस नामा | अखिल लोक दायक विश्रामा ||
जो बालक जिस समय गर्भ में आता है उससे गर्भ कुंडली बनती है | उस गर्भ कुंडली और जन्म कुंडली का मिलान करके कुंडली सही कर ली जाती है | श्री राम जी के जन्म में यह भी सुविधा नहीं है | यज्ञप्रसाद जब अग्नि देव ने दशरथ जी को दिया दिया | फिर दशरथ जी के द्वारा अपनी तीनों पत्नियों को दिया गया ! इसके बाद उन तीनों ने उसे खाया होगा ! यज्ञ प्रसाद देते समय ही जन्म निश्चित हो गया था |
इस प्रक्रिया में कई समय हो गए तो गर्भ कुंडली किस आधार पर बनाई जा सकेगी | यहाँ ऐसा किया जानाभी संभव नहीं हुआ है |
क्या राम जी का नाम जन्म कुंडली के अनुशार रखने में वशिष्ठ जी से कोई गलती हुई है या इसका कुछ और दूसरा रहस्य है इसकी चर्चा हम अगले वीडियों में करेंगे !
बंधुओं ! मैंने रामचरित मानस और ज्योतिष से ही काशी हिंदू विश्व विद्यालय
से पीएचडी
की है| मैंने देखा कि किसी भी कुंडली के बनने में डेट ऑफ़ बर्थ के साथ साथ
जन्मस्थान की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है | यदि आपको भी लगता है कि आपकी या
आपके घर में किसी की जो कुंडली बनी है | उसका फलादेश जीवन में घटित नहीं
होता है तो आप हमारे संस्थान में संपर्क कर सकते हैं !
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