अब दुर्गासप्तशती भी रामचरितमानस एवं सुंदरकांड की तरह ही हिंदी दोहा चौपाई में पढ़िए -
राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोधसंस्थान
जो लोग संस्कृत नहीं पढ़ पाते हैं वो संस्कृत भाषा में लिखी गई दुर्गा सप्तशती नहीं पढ़ पाते हैं ऐसे सभी भक्त लोगों की सुविधा के लिए उसी दुर्गा सप्तशती का प्रमाणित अनुवाद अब हिंदी भाषा की दोहा चौपाइयों में किया गया है जो पूरी तरह से रामचरितमानस और सुंदरकांड की तरह ही पढ़ा जा सकता है इसे अकेले या कुछ लोगों
के समूह में बैठ कर बिना संगीत या संगीत के द्वारा भी पढ़ा जा सकता है।सामाजिक या पारिवारिक विपदाओं से बचने के लिए दुर्गा जी की आराधना
ही एक मात्र सरल उपाय है। चंडी यज्ञ के लिए आपको दुर्गा सप्तशती के सौ पाठ करने होते हैं,सहस्र
चंडी यज्ञ में आपको दुर्गा सप्तशती के एक हजार पाठ करने होते हैं इसीप्रकार
लक्षचंडी यज्ञ
के लिए आपको दुर्गा सप्तशती के एक लाख पाठ करने होते हैं। दस पाँच या
सैकड़ों स्त्री पुरुष इस पाठ में सम्मिलित किए जा सकते हैं वो जितने भी पाठ
एक दिन में कर लें वो लिख ले इस प्रकार शत चंडी यज्ञ,सहस्र चंडी यज्ञ आदि
कुछ भी आप स्वयं संपन्न कर सकते हैं।इसके लिए यदि किसी को कोई जानकारी लेनी
तो बिना किसी हिचक के आप हमारे यहाँ फोन कर सकते हैं
कुछ लोगों ने पहले भी दुर्गा सप्तशती को अपनी अपनी भाषा शैली में
श्रृद्धापूर्वक लिखने के प्रयास किए हैं।कुछ में तो भाषा की
गलतियाँ देखी गई हैं, कुछ में सरल करने के लोभ से आवश्यक विषय छोड़
दिए गए हैं इससे ये पढ़ने में आसान ज़रूर हो गई
हैं,किन्तु खंडित होने के कारण उन्हें पढ़ने का लाभ नहीं है?कुछ पुस्तकों में अन्य कमियाँ तो हैं ही साथ ही लेखक ने हर पेज में अपनी फोटो एवं हर लाइन में
अपना नाम डाल रखा है।यह विधा इसलिए ठीक नहीं है क्योंकि कोई लेखक की
नहीं अपितु दुर्गा माता की पूजा करना चाहता है ! इससे
पाठ खंडित होता है। इस प्रकार से उनमें जो कमियाँ छूट गई हैं।उन्हें
शास्त्र प्रमाणित विधि से पूरा करने का प्रयास इस पुस्तक में किया गया है।गीता प्रेस की प्रमाणित पुस्तक
को देखकर स्वयं भी कर सकते हैं।
नवदुर्गा स्तुति
इसीप्रकार
जिनके पास समय का अभाव है उनके लिए नवरात्र के अलग अलग दिनों में पढ़ने के
लिए नव देवियों की नव स्तुतियॉं प्रमाणित रूप से हमारे श्री नवदुर्गा
स्तुति नामक ग्रंथ में लिखी गई हैं। यह हमारे संस्थान से
प्रकाशित है इसका पाठ अधिक से अधिक करना चाहिए। एक तो यह प्रमाणित है दूसरा
रामचरित मानस की तरह ही इसका भी पाठ किया जा सकता है। तीसरी सुविधा यह है
कि जिनके पास समय नहीं होता है उन्हें नवरात्र के प्रतिदिन भी दिनों के हिसाब से अर्थात नवरात्र के किस दिन में किस देवी का पाठ कितना करना होता है ?यह जानकारी भी सबिधि दी गई है।
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