गुरुवार, 28 नवंबर 2013

अब विवाह क्यों टूटने लगे हैं ?और इन्हें कैसे रोका जा सकता है ?

    पहले चर्म सौंदर्य देख कर विवाह नहीं होते थे!

      पहले चर्म सौंदर्य देख कर विवाह नहीं होते थे अब चर्म सौंदर्य की प्रधानता होती है चेहरा चमकाने का काम ब्यूटीपार्लरों  ने सँभाल रखा है वे पेंट पोताई करके गधों को घोड़ा तो बना देते हैं ये दिखावटी घोड़े विवाह के लिए पसंद भी कर लिए जाते हैं  विवाह भी हो जाते  हैं, किन्तु  ब्यूटीपार्लरों से कराई  गई पेंट पोताई जैसे जैसे धुलने लगती है वैसे खुलने लगती है इनकी पोल ! और  जब ये चीपों चीपों बोलने लगते हैं तो पूरी तरह पकड़ जाते हैं और दरकने लगते हैं वैवाहिक संबंध !

       संभवतः इसीलिए पुष्पबाटिका में जब सीताजी को पता लगा कि श्री राम प्रभु  आए हैं तो सबसे पहले तालाब में जाकर उन्होेने मुख धोया -करि  मज्जन सिय सखिन्ह समेता !! वैसे भी गिरिजा पूजन के लिए घर से बिना नहाए नहीं आती होंगी सीता जी !

     इसलिए वास्तविक  सुंदरता देख या दिखाकर विवाह किए या कराए जाएँ तो विवाह के बाद होने वाला चीपों चीपों रोका जा सकता है !

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