अरविन्द केजरी वाल या उनकी पार्टी निर्दोष है क्या ?
नितिन गडकरी जी ने जो आरोप अरविन्द केजरी वाल या उनकी पार्टी पर लगाए हैं वे कितने सही या गलत हैं इसके प्रमाण तो उन्हीं के पास होंगे हो सकता है कि वो उन्हें समय पर उपस्थिति भी करें !
इस विषय में हमारा प्रश्न मात्र इतना है कि आखिर वो क्या कारण थे कि अरविन्द केजरी वाल जी ने चुनावी रिजल्ट आने के बाद दो टूक शब्दों में कह दिया था कि काँग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियाँ भ्रष्ट हैं हमें दोनों के ही साथ नहीं जाना है। उनके इस ईमानदार सिद्धांतवादी वक्तव्य पर न केवल भरोसा करते हुए अपितु इसका सम्मान करते हुए ही भाजपा ने अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया कि हम सरकार नहीं बनाएँगे,क्योंकि सिद्धांतवादी पार्टी भाजपा तो काँग्रेस के साथ जाने की बात स्वप्न में भी नहीं सोच सकती थी जबकि केजरीवाल ने भाजपा और काँग्रेस के साथ जाने को मना कर दिया था अब महत्त्व पूर्ण प्रश्न यह उठता है कि यदि कोई डील या कोई बड़ी मजबूरी नहीं थी तो केजरीवाल ने अपना सैद्धांतिक बचन तोड़ा क्यों ?इसीप्रकार से उनके कहे अन्य बचनों पर भरोसा कैसे और क्यों किया जाए ?
यदि भाजपा और आम आदमी पार्टी ने काँग्रेस सरकार के विरोधियों का वोट पाया है इसलिए ये लोग मिलकर सरकार बना सकते थे किन्तु आम आदमी पार्टी के वक्तव्य के बाद इसकी सम्भावनाएँ ही समाप्त हो गईं तो भाजपा ने मामले को बिना लटकाए अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया कि हम सरकार नहीं बनाएँगे फिर भाजपा के ऐसा करते ही आम आदमी पार्टी का काँग्रेस की गोद में बैठ जाना आखिर क्या सिद्ध करता है ? अर्थात अंदर जरूर कुछ ऐसा पका है कि जिसने एक ईमानदार पार्टी को एक भ्रष्ट पार्टी के साथ मिलने पर मजबूर कर दिया !
जबकि भाजपा और आम आदमी पार्टी की साझा सरकार टिकाऊ भी रहती और कम से कम कुछ सिद्धांत वाद तो बचाया ही जा सकता था !और दिल्ली वासियों को स्थिर सरकार भी मिल जाती!
एक और बड़ा प्रश्न है कि आम आदमी पार्टी ने चुनाव के पूर्व चिल्ला चिल्लाकर कहा है कि शीला सरकार के पंद्रह साल के कार्यकाल की जाँच कराएँगे और ये काँग्रेस भाजपा वाले सारे जेल जाएँगे यदि केजरीवाल ऐसा करने में सफल हो जाते हैं तो ठीक है अन्यथा संदेह होता ही है कि इनके अंदर जरूर कुछ पक रहा है !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें