दिल्ली वासियों को किस पाप की सजा दे रहे हैं अरविन्द केजरीवाल ?
आज अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यदि चुनावों में सहभागी न होती तो दिल्ली में भाजपा या काँग्रेस किसी न किसी की सरकार तो बन ही जाती अब तक काम चलने लगता किन्तु आम आदमी पार्टी ने जन लोक पाल की तरह ही दिल्ली सरकार की छीछालेदर कर रखी है जैसे ये अपशकुनी लोग जन लोक पाल रोक कर खड़े हो गए थे उसी प्रकार से आज दिल्ली की सरकार रोककर खड़े हो गए हैं !
मजे की बात तो यह है कि पता नहीं क्यों इन्हें लग रहा है कि जनता की राय जानने का बहुत सुन्दर काम ये लोग कर रहे हैं और जो जनता इनसे सरकार बनाने को कह रही है तो इन्हें लग रहा है कि वो इन्हें बहुत पसंद कर रही है इसलिए इन्हें ऐसी सलाह दे रही है किन्तु सच्चाई तो यह है कि ये लोग भूल गए हैं कि इन्होंने सरकार बनाने के लिए चुनाव लड़ा था इन्हें सरकार बनानी चाहिए। ये राय तो जनता ने वोट के साथ ही इन्हें दे दे थी अब राय किस बात की ?अब जनता को लग रहा है कि जब तुम सरकार बनाने में ही डर रहे हो तो काम कैसे कर पाओगे ?यहाँ एस.एम.एस. करो, वहाँ पत्र लिखो, फोन करो तथा समाज में कहीं इकठ्ठा होकर हम बुद्धुओं को सलाह दो कि हमें वास्तव में करना क्या चाहिए! यही कहो कि ये नहीं कह देते हैं कि सब लोग हरिद्वार चलकर गंगा किनारे कसम खाकर कहो तो हम अपनी सरकार बनाएँगे ! हाँ,इनका कौन भरोसा ये तो आप पार्टी वाले हैं धीरे धीरे जनता इन्हें पाप पार्टी वाले मानने लगी है इतना तंग जो किया है! ऐसे कमजोर इच्छा शक्तिवाले लोग क्या और कैसे करेंगे सुशासन की व्यवस्था ?
दिल्ली में जब तीन पार्टियाँ हैं इसमें भाजपा और काँग्रेस दो ऐसे ध्रुव हैं जो आपस में मिल ही नहीं सकते और इस समय परिस्थिति ऐसी बन गई है कि जब तक दो पार्टियाँ नहीं मिलेंगी तब तक सरकार नहीं बनेगी काँग्रेस और आम आदमी पार्टी भाजपा को समर्थन देंगे नहीं चूँकि भाजपा की सीटें सबसे अधिक हैं तो वो किसी और को समर्थन देकर उसकी सरकार क्यों और कैसे बनवाए ?इसलिए भाजपा ने अपने को किनारे कर लिया इसके अलावा उसके पास कोई विकल्प भी नहीं था !रही बात काँग्रेस की सीटें इतनी अधिक कम हैं कि वो सरकार बनाने का दावा ही नहीं कर सकती है इसलिए भाजपा को बचाते हुए उसने आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा कर दी !उसका उद्देश्य रहा कि जनता को तुरंत चुनावों का सामना न करना पड़े इसका मतलब यह कतई नहीं है कि सरकार बनवाने की उसकी कोई मजबूरी है क्योंकि आम आदमी पार्टी के खास नेता लोग काँग्रेस को कोस रहे हैं आखिर क्यों?उसे धोखे बाज बता रहे हैं भ्रष्टाचारी कह रहे हैं आदि आदि !
ऐसी परिस्थिति में आप कार्यकर्ताओं ने यदि अपनी बाणी को संयम नहीं दिया तो आप को समर्थन देने के मुद्दे पर काँग्रेस पुनर्विचार भी कर सकती है जिसे धोखा कैसे कहा जा सकता है!
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