बुधवार, 21 मई 2014

Bhajapa VIP

जब से वोट खुले हैं तब से प्रकट परिस्थितियों बयानों हाव भावों बात व्यवहार आदि को देखकर ऐसा लगने लगा है कि भाजपा अपनी इतनी विराट जीत पर विश्वास ही नहीं कर पा रही है कि वह इतनी बड़ी जीत लायक है अथवा उसने इतनी बड़ी जीत पाने के लिए कोई इतना बड़ा प्रयास ही किया था जिसका परिणाम ये है कि जीत की हनक में कंधे चढ़ाए सब घूम रहे हैं भाजपा का कोई नेता इस विजय गुरूर में देश की किसी भी पार्टी या नेता को आज कुछ भी कह सकता है क्योंकि भाई चुनावों में जीत हुई है इस समय अपने नेताओं की अकर्मण्यता एवं बड़बोलेपन  की सजा भोग रहीं  अन्यपार्टियाँ एवं उनके नायक स्वयं आत्म ग्लानि से गरे जा रहे हैं फिर उन्हें और अधिक जलील किया जाना कतई उचित नहीं है क्योंकि ये जनता है जो सब कुछ एवं सबको जानती  है और इस विजय का श्रेय भी उसी को जाता है ! इन चुनावों में पहली बार कमान जनता ने अपने हाथों में पकड़ी थी और एक एक को चुन चुन कर सबक सिखाया है जिसने विनम्रता से जनता से सेवा माँगी है जनता ने उसे सेवा सेवा दी है जिसने जिसने जातिवाद क्षेत्रवाद संप्रदायवाद आदि का विवाद बढाकर चुनाव जीतने का पाप करने की कोशिश की है जनता ने उसे धक्का देकर बाहर किया है !



सच्चाई यह है कि इस विजय का सम्पूर्ण श्रेय उस जनता को जाता है जिसने इन चुनावों में पहली बार अपने हाथों में पकड़ी थी और एक एक को चुन चुन कर सबक सिखाया है जिसने विनम्रता से जनता से सेवा माँगी है जनता ने उसे तो सेवा सेवा दी है जिसने जिसने जातिवाद क्षेत्रवाद संप्रदायवाद आदि का विवाद बढाकर चुनाव जीतने का पाप करने की कोशिश की है इन चुनावों में जनता ने उसे धक्का देकर बाहर किया है ! अब जनता ब्यर्थ का आश्वासन दे कर केजरीवाल बनने वालों का बिलकुल बहिष्कार कर रही है या बात किसी भी दल या नेतृत्व को याद रखनी चाहिए !

   इन चुनावों में जनता ने बहुतों को सबक सिखाया है !जातियों की राजनीति करने वाले जिन पापियों को भूखी जनता की थाली से गायब दाल रोटी की याद नहीं आई और पार्कों में अपनी मूर्तियाँ लगवाने पर करोडों रूपए खर्च करते रहे, अपने ऐशो आराम पर खर्च करते रहे ,ऐसे पापियों को धक्का देकर जनता ने बाहर किया है ऐसे धोखे बाजों का खाता भी नहीं खुलने दिया है।जिसने जनता को पशु समझकर व्यवहार करने की कोशिश की है जनता ने उनका बहिष्कार किया है !यह निर्णय जनता का है इसमें किसी भाजपा या किसी और का क्या योगदान ?see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html

        इसी प्रकार से जो राजनेता वोट माँगते हैं जनता की गरीबी दूर करने को ,समाज का विकास करने को एवं कानून व्यवस्था चुस्त दुरुस्त करने को और जब सत्ता हाथ में आती है तब जनता के उसी हक़ को अपने ऐशो आराम में खर्च करते हैं अपनी जन्मभूमि में महोत्सव मनाकर नाच गाने में खर्च करते हैं मोटा मोटा खर्च देकर जहाजों से एक्टर बुलाए जाते हैं नाच गाना किया जाता है। 

         इनकी सरकार में गरीब जनता के बच्चे खो जाएँ तो रिपोर्ट न लिखी जाए अपनी भैंसों को खोजने के लिए अधिकारियों के अमले लगा दिए जाएँ !केवल अपने घरखानदान नाते रिश्तेदारों हेती व्यवहारियों के स्वार्थ साधन एवं अपना झाम बनाने के लिए सारी सरकार को भोगने की भावना रखने वाले मक्कारों को जनता ने अबकी बार बुरी तरह खदेड़ा है जिन निकम्मों को जनता के दुःख दर्द की परवाह न रही हो वो पाखंडी प्रधान मंत्री बनने के सपने देखने लगे थे ये जनता को बर्दाश्त ही नहीं हुआ !इसलिए जनता ने इन घमण्डियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है । यह निर्णय जनता का है इसमें भाजपा का क्या योगदान है ?see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html

  
अरे नितीश कुमार छोडूराम जी ! अब क्या छोड़ेंगे ? नरेंद्र मोदी जी तो कल बनने जा रहे हैं प्रधान मंत्री !
  बिहार में एक छोडूराम हैं जिनका पूरा नाम नितीश कुमार छोडूराम !      मोदी जी की सरकार बनने  पर उन्होंने गिफ्ट में गद्दी छोड़ दी है पहले एकबार मोदी जी ने राहत वाले पैसे भेजे थे वो इन्होंने छोड़ दिए थे अर्थात वापस लौटा दिए थे,फिर मोदी जी से हाथ मिलाना छोड़ दिया था ,मोदी जी के साथ लंच में सम्मिलित होना छोड़ दिया था , मोदी जी को प्रधानमंत्री प्रत्याशी बनाए जाने पर भाजपा को छोड़ दिया था ,मोदी जी का नाम लेना छोड़ दिया था , और अब मोदी जी के चुनाव जीत जाने पर बिहार सरकार  को छोड़ दिया है !और अब जब मोदी जी प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं तो छोडूराम  बेचारे देश छोड़ कर कहाँ जाएँ !जब छोडूराम ने सब कुछ छोड़ दिया इतना घमंड देखकर छोडूराम को जनता ने भी छोड़ दिया इसलिए त्यागपत्र देने का नाटक नौटंकी कर रहे हैं !जनता ने भी सोचा जब छोड़ू राम को हमारी परवाह नहीं तो जनता ने उन्हें छोड़कर  इन्हें चुनावों में  सबक सिखा दिया ! अब आप स्वयं सोचिए ये निर्णय जनता का है इसमें किसी का क्या योगदान ? see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html

          देश के कुछ कबाड़ी दल सी. बी. आई. रूपी सर्पिणी से भयभीत होकर चार साल तक काँग्रेसी केंद्र सरकार के सीने में चिपक कर अपनी जान बचाते और जनता का खून चूसते थे और चुनावों के एक वर्ष पहले काँग्रेस जनता का सत्ता विरोधी आक्रोश अपने पक्ष में कैस  करने के लिए उन कबाड़ी दलों को अपने से अलग हटाकर समाज में फ़ेंक देती थी और कहती थी जाओ हमारी बुराई करके वोट माँग लाओ ये सपा बसपा राजद आदि काँग्रेस की इसी सेवा में लगे  रहते थे और जो सीटें मिलतीं वो काँग्रेस की झोली में डालकर फिर काँग्रेस सरकार के सीने में चिपक कर पाँच वर्ष निश्चिन्त होकर ऐश आराम करते थे ! इस प्रकार से काँग्रेस की कृत्रिम विपक्ष रचना की चाल को जनता समझ गई थी और जनता ने उन  सबको अबकी बार मुख ही नहीं लगाया और सपा बसपा राजद आदि कबाड़ियों को सरकार बनाने लायक तो रखा ही नहीं अपितु सरकार के विषय में सोचने लायक भी नहीं रखा बेचारों को जनता ने ऐसा सबक सिखाया है कि मिलजुलकर खड़े होने का प्रयास कर रहे हैं ये जनता का ही करिश्मा है । इसमें और किसी का क्या योगदान ?see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html

     
     कांग्रेसियों ने अंधेर भी तो ऐसी की कि आश्चर्य ! ये सरकार और जनता के बीच की तकरार थी इसलिए यह निर्णय जनता का है अब इसके लिए भी विजयी पार्टी भाजपा का बहादुर नेतृत्व या समर्थक कोई बाबा विजय दिलाने के लिए यदि अपना सीना फुलावै तो ये कोरे घमंड के अलावा और कुछ है ही नहीं !ये जाता का निर्णय है इसमें और किसी का कोई योगदान है ही नहीं !
              यहाँ केंद्र में इससे अधिक सरकार चली और दूसरी किस पार्टी की अर्थात किसी की नहीं !फिर इस सरकार के हटने में किसी नेता या किसी दल या किसी बाबा की पहलवानी किस बात की !आखिर क्यों कन्धे  ठोंके जा रहे हैं बेकार में ?
       इस प्रकार से काँग्रेस के नेतृत्व से जनता पिछले दस वर्षों में निराश हो चुकी थी, इस समय भी कोई सक्षम नेतृत्व नहीं था, हो भी दस वर्ष गए थे इसलिए उसे तो अब हटाना ही था तो जनता ने उसे हटा दिया !जनता ही सर्वोपरि है !
       काँग्रेस को हटाने के साथ साथ सपा बसपा राजद आदि चूँकि काँग्रेसी थैले के ही चट्टे बट्टे हैं इसलिए जनता उन्हें भी मुख नहीं लगाना चाहती थी ! क्योंकि जनता का आक्रोश किसी पार्टी पर न होकर केंद्र सरकार पर था जिसमें सपा बसपा राजद आदि सभी पार्टियाँ सम्मिलित रहती थीं । इसलिए जनता ने इन सबको सबक सिखा दिया इसमें किसी का क्या योगदान ?ये निर्णय जनता का है!
                     वैसे पाँच वर्ष में चुनाव होने पर यदि काँग्रेस हार जाती तो उसकी हार भी सिंगल होती और भाजपा की जीत भी सिंगल होती किन्तु जब डबल समय अर्थात दस वर्ष में काँग्रेस हारी तो वो हारी भी डबल और भाजपा जीती भी डबल !अर्थात सब काम डबल डबल हो गया !अब इसमें आश्चर्य किस बात का कि भाजपा इतने भारी बहुमत से जीती !अरे !आखिर दस वर्ष चुप चाप धैर्य पूर्वक बैठी भी तो रही भाजपा !तो डबल जीत अर्थात भारी बहुमत से  तो जीतना ही था !इसमें आश्चर्य किस बात का ? 



 उत्तर प्रदेश में भाजपा जीती क्यों ? क्या वास्तव में इस जीत का श्रेय श्री अमित शाह जी को जाता है ?

   बंधुओं ! हारी हुई पार्टियों को यदि आत्म मंथन करते सुना जाता है तो जीती हुई पार्टियों को क्यों नहीं करना चाहिए आत्म मंथन ?  भाजपा को मिली प्रचंड विजय में किसका कितना योगदान ?और किसकी कितनी कृपा ?
   भाजपा की विजय का श्रेय आखिर दिया किसे जाए ? मोदी जी को , राजनाथ सिंह जी को ,अमित शाह जी को ,या सम्पूर्ण भाजपा को या कल्पित जेपीगाँधी बाबा जी को , या आम जनता को ?
    आज आडवाणी जी ने कृपा शब्द  का प्रयोग जिस सन्दर्भ में किया भले  ही मोदी जी see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html


आखिर उत्तर प्रदेश में भाजपा  हारना चाहती भी तो हारती किससे ?
      विपक्षी दल सपा ,बसपा ,काँग्रेस तीनों तो U.P.A.सरकार के अंग हैं और जनता का गुस्सा U.P.A.सरकार के विरुद्ध था, यदि U.P.A.सरकार में सम्मिलित दलों के विरुद्ध जनता वोट देना  चाहती तो वहाँ N.D.A.के नाम पर वहाँ थी ही केवल भाजपा ! इसलिए जनता ने भाजपा को वोट दे दिया !इसमें आश्चर्य किस बात का ?और किसी की पहलवानी किस बात की ? भाजपा के अलावा उत्तर प्रदेश में जनता के पास और कोई  विकल्प ही नहीं था ?       फिर भी भाजपा या N.D.A. की इस प्रचंड विजय का श्रेय यदि भाजपा या उसका कोई भी योद्धा लेना चाहे तो उसे स्पष्ट करना चाहिए कि उसने U.P.A.सरकार के कुशासन से दुखी जनता के हित  में कौन सा प्रभावी , आंदोलन या प्रभावी कार्य किया है या जनहित के किस कार्य में जनता के साथ कभी मजबूती से खडी हुई है ऐसा है तो बताए नहीं तो किसी को श्रेय किस बात का ?   यहाँ सीधी सी बात है कि जनता ने U.P.A. को हराया है उसी से N.D.A. जीत गया है इसमें विजय में N.D.A. या भाजपा के अपने किसी प्रयास का कोई विशेष परिणाम नहीं दिखाई पड़ता ! थोड़ी बहुत  भागदौड़ तो चुनाव जीतने के लिए हर राजनैतिक पार्टी करती ही है इससे इतना प्रचंड जन समर्थन नहीं मिला करता - see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html




       चुनावों में भाजपा को मिली प्रचंड विजय का श्रेय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को  जाता है क्या ?
       भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी की कार्यकुशलता को ही भाजपा की महान विजय का श्रेय दिया जाए तो वो अपने गृह प्रदेश जहाँ के वो मुख्य मंत्री भी रह चुके हैं हमारे अनुमान के अनुशार वहाँ भी वे अपने बल  पर पार्टी का वजूद प्रभावी रूप से उतना बना और बढ़ा नहीं पाए जो वो अपने बल पर आत्म विश्वास के साथ उत्तर प्रदेश के विषय में किसी को कोई बचन दे सकें दूसरी बात केंद्र में इसके पहले भी वे अध्यक्ष रह चुके हैं तब कुछ ऐसा चमत्कार नहीं हुआ तो ये कैसे मान लिया जाए कि आज अचानक उन्होंने चमत्कार कर दिया ! और उनकी अध्यक्षता में U.P.A. सरकार की अलोक प्रिय नीतियों के विरुद्ध कोई जनांदोलन या योजना बद्ध ढंग से जनहित का कोई काम ही करते या करवाते दिखाई दिए हों संघ और भाजपा नेताओं से कानाफूसी मात्र से जनता इतनी खुश तो नहीं हो जाती कि इतना प्रचंड बहुमत दे दे !इसलिए मानना पड़ेगा कि U.P.A. सरकार को हटाने का जनता ने स्वयं निर्णय लिया था उसी के फलस्वरूप हुई है यह प्रचंड विजय !see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html 


     नरेंद्र मोदी जी को दिया जाना चाहिए क्या N.D.A. या भाजपा की प्रचंड विजय का  यह श्रेय ?
   
     जहाँ तक बात मोदी जी की है तो ये सच है कि पिछले दस वर्षों में U.P.A. सरकार के शासन से त्रस्त जनता की समस्याएँ तो दिनोंदिन बढ़ती जा रहीं थीं ये बात मोदी जी अपने भाषणों में बोलते भी रहे इसका मतलब वो उस समय भी देश की जन समस्याओं से सुपरिचित थे किन्तु उन समस्याओं को कम करने का राष्ट्रीय स्तर पर कोई कार्य या आंदोलन मोदी जी ने स्वयं तो किया ही नहीं और प्रभाव पूर्वक  सम्पूर्ण देश का दौरा  करके जनता को कभी कोई धीरज भी नहीं बँधाया ! ऐसा भी नहीं हुआ कि उन्हें अपनी पार्टी को ही जनता के साथ प्रभावी रूप से खड़े होने के लिए प्रत्यक्ष रूप से प्रेरित करते सुना गया हो ! कुल मिलाकर राष्ट्रीय स्तर पर न तो मोदी जी ही दिखाई पड़े और न ही मोदी जी का कोई विश्वास पात्र  पार्टी योद्धा ही उत्तर प्रदेश या सम्पूर्ण देश में दौरा करके जनता का हौसला बढ़ाने  के लिए ही भेजा गया ! इसप्रकार से U.P.A. सरकार के कुशासन से त्रस्त जनता  NDA  के सहयोग के बिना अकेले जूझते रही !                
     माना जा सकता है कि मोदी जी ने इन  चुनावों में परिश्रम बहुत किया है किन्तु किसके लिए ?अपनी पार्टी के प्रचार के लिए न कि जनहित के किसी आंदोलन के लिए !ऐसा हर राजनैतिक पार्टी या राजनेता अपना जनाधार बढ़ाने के लिए करता है वही मोदी जी ने भी किया है !चूँकि गुजरात की जनता के विकास के अलावा पूरे देश की जनता के हित में उन्होंने ऐसा कभी कुछ खास किया भी नहीं था जिसकी वो जनता को याद दिला पाते इसलिए अपने भाषणों में अधिकाँश समय में वो U.P.A. सरकार एवं उनके परिवार की आलोचना ही करते रहे जिससे जनता बीते दस वर्षों से भोगने के कारण सुपरिचित थी इसलिए  जनता  इन बातों से प्रभावित होकर उन्हें इतना प्रचंड बहुमत क्यों दे देती? 
       जब मोदी जी को प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में प्रस्तुत करने की भाजपा ने घोषणा की  तब मोदी जी ने सारे देश में विशेष भागदौड़ की किन्तु गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के साथ साथ ! अर्थात देश की जनता ने यदि प्रधानमंत्री बनाने का बहुमत दिया तब तो देश के साथ अन्यथा हम गुजरात के गुजरात हमारा ,क्या जनता तक यह भावना जाने  से रोकी जा सकी है ? अर्थात बीते दस वर्षों में जनता को इस बात का खुला एहसास खूब कराया गया कि यदि वोट नहीं तो सेवा नहीं ! इसप्रकार से U.P.A. सरकार के कुशासन से त्रस्त जनता बेचारी  अकेले जूझते रही !और जनता ने ही अपनी रूचि से किया है सत्ता परिवर्तन ! इसमें किसी और को कोई विशेष श्रेय कैसे दिया जा सकता है- see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html 




 क्या भाजपा की इस प्रचंड विजय का श्रेय भाजपा के जेपीगाँधी बाबा जी को जाता है ?

आप भी मंथन कीजिए कि कितनी सच्चाई है इस बयान में !शीशे में अपना चेहरा देखते समय हर कोई अपने को विश्वसुन्दरा ही समझता है किन्तु  समाज की सामने  पहुंचते ही अपनी औकात पता लग जाती है !
    अब बात भाजपा के जेपीगाँधी बाबा जी की जिन्होंने इस विजय का श्रेय अपने शिर समेट रखा है अपना संकल्प पूरा होने पर खूब हवन पूजन किया एवं अपनी प्रशंसा में लोगों को बुला बुलाकर खूब भाषण करवाए उन्हें भी लगता होगा कि भाजपा को मिला प्रचंड बहुमत उन्हीं के 'हनीमून' का कमाल है!किन्तु जहाँ तक बाबा जी के योगदान के मूल्यांकन की बात है तो ये बहुत स्पष्ट है कि बाबालोगों  के साथ जुड़ी भीड़ें कभी भी राजनैतिक आन्दोलनों में सहभागिता नहीं निभा पाती हैं ये भजन, योग, कथा और कीर्तन आदि के नाम पर इकट्ठी जरूर हो जाती हैं किन्तु ये भंडारा और भोजन या प्रसाद तक ही सीमित रहती हैं यदि ऐसा न होता तो जब बाबा जी पिछली बार औरतों के कपड़े पहनकर राम लीला मैदान से भागे थे तब उन्हें वहाँ रुकना चाहिए था और वीरता पूर्वक सरकार के विरुद्ध एक कड़ा सन्देश दिया जाना चाहिए था किन्तु समर्थकों के साथ इस बहादुरी से बाबा जी चूक गए ! दूसरी बात बाबा जी के अनुयायिओं की है कि वो यदि वास्तव में कोई संकल्प लेकर अपने घर से निकले थे तो उन्हें चाहिए था कि पुलिस वालों का विरोध करते !यदि अधिक और कुछ उनके बश का नहीं था तो कहीं दूर हटकर धरना प्रदर्शन तो कर ही सकते थे किंतु उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया बल्कि पता ही नहीं चला कि वो सब चेला चेली कहाँ भाग गए ! 
    वैसे भी बाबाओं का समाज पर कितना असर होता है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि आशाराम जी जैसे लोगों के अनुयायी पता लगता है कि चार करोड़ हैं किन्तु जब आशाराम जी पकड़ कर जेल में डाल दिए गए और अभी तक जमानत नहीं मिल पाई है किन्तु उन चार करोड़ में से यदि एक करोड़ भी रोडों पर उतरकर आंदोलन करते तो परिणाम कुछ और ही होता किन्तु बाबाओं की भीड़ आंदोलन के लिए होती  ही नहीं है । इसलिए बाबा जी के आंदोलनों का समाज पर कोई विशेष प्रभाव पड़ा होगा और उससे भाजपा की इतनी प्रभावी विजय हुई होगी ऐसा मानना उचित ही नहीं है !यह सत्ता परिवर्तन जनता का अपना संकल्प ही फलीभूत हुआ है न कि जेपीगाँधी बाबा जी का !see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html

   

 क्या  N.D.A. के किसी सामूहिक प्रयास से प्रभावित होकर जनता ने N.D.A. को है दिया प्रचंड बहुमत ?
   U.P.A. के समय में बड़े बड़े घोटाले हुए ,भ्रष्टाचार के अत्याचारों से आहत होकर जनता ने किया है यह सत्ता परिवर्तन ,बलात्कार आदि  के केस भी सुनाई पड़ते रहे ,उधर सरकार के नगीने ए राजा ,कलमाड़ी ,टू जी, थ्री जी,कॉमन बेल्थ, कोयला घोटाला,दामाद घोटाला आदि आदि इनकी निरंकुश उपलब्धियाँ जनता ने देखीं,  महँगाई ,भ्रष्टाचार,बलात्कार जैसे और भी बहुत सारे जनता से सीधे जुड़े मुद्दे जिनकी पीड़ा से जनता को प्रतिदिन जूझना पड़ता था यहाँ तक कि जनता के हिस्से के गैस सिलेंडर तक काटे गए, इस प्रकार से समाज U.P.A. से बहुत तंग हो गया था। यदि कहा जाए कि U.P.A.अपने कुशासन से समाज को  रौंदता रहा तो सहायता के लिए हाथ N.D.A. ने भी नहीं लगाया वो भी दूर खड़े देखता रहा ,किन्तु जब देश में N.D.A. और U.P.A. दो ही प्रमुख गठबंधन हैं वर्तमान परिस्थिति में जिनके बिना कोई और सरकार बनाई ही नहीं जा सकती। इसलिए इतने लम्बे समय तक जब U.P.A. के अत्याचारों  से आहत होकर U.P.A.को हटाने का निश्चय जनता कर ही चुकी थी तो N.D.A. को लाना जनता की मजबूरी थी जनता के सामने और कोई विकल्प था ही नहीं इसलिए U.P.A.को हटाने के लिए जनता ने N.D.A. को स्वतः सत्ता सौंपी है इसमें किसी और का महिमामंडन  कतई उचित ही नहीं है ।see more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/05/blog-post_19.html

 
  आँगन के नाम लिखे गमले भर फूल,
      सावनी नदी के धूप चाँदनी  दुकूल । 
बारिश विराम व्योम चुपके से देख ,
तारों में लिखता है खुशियों के लेख ॥
   आपने सजाई दिव्य झाँकी शेष 
पूर्णिमा जी आपको बधाई है विशेष ॥




कोई टिप्पणी नहीं: