मंगलवार, 10 जून 2014

ऐसे सरकारी कर्मचारियों को आखिर कैसे सुधारेगी सरकार ?

    जिन कर्मचारियों के भरण पोषण की सारी जिम्मेदारी जनता के पैसे से सरकार उठाती है क्या उस जनता के प्रति इनका कोई कर्तव्य नहीं है !कहीं तो वो लापरवाह होते हैं कहीं वो भ्रष्टाचार में सम्मिलित होते हैं कहीं कहीं तो वो स्वयं अपराध में सम्मिलित पाए जाते हैं आखिर इन्हें कैसे ठीक किया जाए ये ठीक हों तो समाज ठीक है क्योंकि सरकार के हाथ तो सरकारी कर्मचारी  ही होते हैं ये बात ये समझने को तैयार ही नहीं हैं !

     ऐसे गैर जिम्मेदार कर्मचारियों की लापरवाही से व्यास नदी में बह गए न  24 छात्र छात्राएँ आखिर पानी छोड़ने के पूर्व क्यों नहीं दी गई कोई सूचना !यदि जिम्मेदारी पूर्वक काम करने की भावना होती तो क्या ये बच्चे बच्चियाँ बचाए नहीं जा सकते थे !

   जनता के द्वारा टैक्स रूप में प्राप्त धन से जिन सरकारी कर्मचारियों को पचास हजार या एक लाख रुपए अथवा उससे अधिक सैलरी दी जा जाती है उसके बाद समय समय पर वो  बढ़ाते  भी  रही जाती है और भी सुविधाएँ समय समय पर मिलती रहती हैं रिटायर होने पर भारी भरकम पेंशन भी दी जाती है आखिर क्यों जब इन कर्मचारियों के बश का काम करना है ही नहीं !सरकार के कई विभाग ऐसे होते हैं जहाँ कोई काम नहीं होता है केवल विभाग या आफिस होने के नाते वहाँ कर्मचारी रखना सरकार की  मजबूरी होती है और सरकारी होते ही चार  चाँद तो लग ही जाते हैं ।कई विभागों में काम है किन्तु करने की इच्छा ही नहीं है ,कई विभागों में काम करवाने वाला अधिकारी ही लापरवाह है वो अंकुश ही नहीं लगाना चाहता है क्योंकि उसकी अपनी कमजोरियाँ हैं और सरकारी आदमी बिना अंकुश  चले कैसे !इसकी तो आशा ही करना बहुत कठिन है! ईमानदारी का आचरण करने के प्रति जिन  लोगों की आत्मा ही मर चुकी हो उनसे नैतिकता की अपेक्षा करना ये नैतिकता के साथ  अन्याय है !

       कहावत है "काम चोर आदमी के काम न करने के सौ बहाने" जिसे कहीं भी काम न करना हो वो ऐसे लापरवाह कर्मचारियों को बना ले अपना गुरू ! मैं बड़े विश्वास से एक बात कह सकता हूँ कि ऐसे किसी सरकारी कर्मचारी को यदि बीच सर्विस से बिना कुछ दिए ही निकाल दिया जाए तो वो अपने परिश्रम के बलपर अपने घरवालों को रोटी तो नहीं ही खिला सकते हैं अपितु खरीदकर पानी भी नहीं पिला सकते !इतनी बड़ी सैलरी में इतना कम काम करते हैं वो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जनता के पैसे का दुरूपयोग कैसे कैसे हो रहा है!दूसरी ओर गरीबों का जीवन है शर्दी  गरमी बर्षात में खुले आकाश के नीचे गुजार देते हैं दिन रात क्या इस आजादी पर उनका कोई अधिकार नहीं है? जब ऐसे  ही गैर जिम्मेदारों को देना है सैलरी तो क्यों न दी जाए उन्हें जो मर मर कर दिन रात काम करते हैं !

    इनके पास काम न करने के सैकड़ों बहाने होते हैं जैसे एक आफिस में मैं तीन बजे दोपहर में गया तो मौज मस्ती चल रही थी वहाँ , काम के लिए आने वाला हर व्यक्ति मंडे को बुलाया जा रहा था मैंने जब पूछा कि काम आखिर आज क्यों नहीं हो सकता है अभी तो तीन ही बजे हैं तो उन्होंने साफ साफ कहा कि ढाई बजे के बाद हमें तो चाय चाहिए ही, नहीं तो काम हमारे बश का नहीं है तो मैंने कहा चाय पीना है तो पियो लेकिन काम तो करो ! तब उन्होंने बताया की तीन दिन पहले दो कप टूट गए थे तब से चाय नहीं मिल रही है अब वो मंडे को आएँगे इसलिए आप लोगों को मंडे को बुला रहे हैं!खैर! इसी प्रकार से दिल्ली के एक दूरसंचार विभाग में डुप्ली केट बिल लेने गया तो पता लगा कि पिछले 6 महीने से प्रिंटर ख़राब होने के कारण कोई काम नहीं हो पा रहा है !आप सोचिए पूरे कर्मचारियों की 6 महीने से फ्री में सैलरी दी जा रही है किन्तु प्रिंटर के कारण काम नहीं हो पा रहा है !ऐसे लापरवाह कामचोरों से जूझना तो जनता को पड़ता है जो गिड़गिड़ाकर काम करवाती है या घूस देकर सरकारी सैलरी पाना तो वो जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं काम करें या न करें !जनता आखिर शिकायत भी करे तो किससे प्रधान मंत्री मुख्यमंत्री तक उसकी पहुँच नहीं होती है और कोई सरकारी कर्मचारी किसी दूसरे कर्मचारी की बुराई सुनेगा क्यों ?जनता तो कभी कभी मिलती है अपना कर्मचारी तो रोज अपने काम आता है तो वो आफिस का काम करे न करे किसी को क्या लेना देना !इसलिए जनता शिकायत भी करे तो किससे सुनता आखिर कौन है पता सबको है ! मजे की बात तो यह है कि हर अधिकारी विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री आदि सबको पता है सरकारी कर्मचारियों की यह लापरवाही किन्तु या तो वो रोकना नहीं चाहते हैं या रोकना उनके बश का नहीं है और यदि वास्तव में ऐसा ही है तो क्यों बर्बाद की जा रही है जनता की टैक्स रूपी गाढ़ी कमाई ऐसे लापरवाह लोगों की सैलरी में ! जब सरकार के बश का काम करवाना है ही  नहीं तो आखिर ये काम करवाना सरकार बंद क्यों नही कर देती है सरकार ?

      सरकार से ज्यादा अच्छे और विश्वसनीय  ढंग से प्राइवेट लोग कर लेते हैं ! सरकारी कर्मचारियों की अपेक्षा प्राइवेट वालों का तो काम भी अच्छा होता है जनता के प्रति व्यवहार भी अच्छा होता है जिम्मेदारी और जवाब देही भी अधिक होती है और वैचारिक आदान प्रदान की भाषा भी सरल और मधुर होती है !इतना सब कुछ ही नहीं एक सबसे विशिष्ट बात ये है  कि सरकार और सरकारी कर्मचारी वर्ग भी ऐसे सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही से परिचित है इसीलिए वो भी अपने काम सरकारी विभागों में कराने बचता  है उन पर विश्वास  भी नहीं करता है इसलिए वो लोग भी  बहुत सारे सरकारी विभागों को केवल शो पीस ही समझते हैं वहाँ से काम की आशा ही नहीं करते हैं जैसे - सरकार में सम्मिलित हर नेता या सरकारी कर्मचारी अपने बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाता है यहाँ तक कि सरकारी स्कूलों के अध्यापक भी अपने स्कूलों में नहीं पढ़ाते हैं अपने बच्चे ! प्राइवेट में ही पढ़ाते हैं पूरे ठाठ से ! फिर भी शिक्षा विभाग से जुड़े कर्मचारियों  की सैलरी बाँटे जा रही है सरकार आखिर क्यों ?जनता का पैसा है इसलिए !

      यही स्थिति सरकार  के डाक विभाग और दूर संचार विभाग की है डाक विभाग के कर्मचारी भी  उनसे बहुत कम सैलरी पर काम करने वाले कोरियर पर अधिक भरोसा करते हैं यही दूर संचार विभाग में है यहाँ के कर्मचारी प्राइवेट कंपनियों के मोबाईल लिए घूम रहे हैं !यही स्थिति  सरकारी  अस्पतालों की है उनकी भी सेवाएँ प्राइवेट के मुकाबले बहुत फीकी हैं जब कि सरकार का खर्च अधिक है और जो काम केवल  सरकारी विभागों के आधीन है वहाँ तो गजब की थू थू हो रही है जैसे पुलिस विभाग ! भ्रष्टाचार तो सरकार के हर विभाग की तरह ही यहाँ भी है किन्तु  लापरवाही गैर जिम्मेदारी भी सरकारी कर्मचारियों की तरह ही है और पुलिस जैसे विभागों में प्राइवेट का विकल्प  तो होता  नहीं है जिससे पूरे देश में कानून व्यवस्था को लेकर हमेंशा हाहाकार मचा रहता है !

     इसपर सरकार को सोचना चाहिए कि आखिर ऐसे लापरवाह सरकारी कर्मचारियों पर व्यय हो रही जनता की खून पसीने की कमाई का या तो सदुपयोग हो और या फिर इनसे या इन्हें हटाकर नई भर्ती की जाए उन नए लोगों से जिनके मन में जनता के इस पैसे की कदर हो उनसे उचित सेवाएँ ली जाएँ इससे लापरवाह और गैर जिम्मेदार लोगों को काम से मुक्ति मिलेगी और जरूरत वालों को काम मिलेगा । ऐसे तो ये लोग सोचते हैं कि हमारा कोई कर  क्या लेगा ?       

इसी विषय में पढ़ें हमारे  ये लेख भी-

केवल सरकारी कर्मचारियों के लिए सब कुछ ! बाक़ी लोगों का देश की आजादी में कोई योगदान नहीं है क्या ?  see  more...http://snvajpayee.blogspot.in/2014/02/blog-post_20.html 

  दूसरा लेख -
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