गंगा नदी में थूकने या कूड़ा फेंकने पर जेल भी हो सकेगी - आज तक
गंगा
जी की सफाई के लिए बेचैन वर्ग ही सबसे अधिक गंगा जी को गन्दा करता है या
फिर गंदे नाले !किन्तु सफाई की मांग करने वाले लोग नाले हटवाना चाहते हैं
और पानी छोड़वाना चाहते हैं किन्तु ब्रस और दातून तो गंगा जी के किनारे ही
करते हैं और थूकते तो गंगा जी में डुबकी लगाकर भी हैं और कपड़े निचोड़ते हैं
गंगा जी में ये सब रोकेगा कौन और रुकेगा कैसे और यदि रोकने की कोशिश सरकार
करेगी तो अपने नाक थूक को भी परं पवित्र मानने वाले धार्मिक लोग धर्म की
दुहाई देकर ऐसी सफाई से अलग हो सकते हैं क्योंकि वो सब कुछ सह सकते हैं
अपने देवी देवताओं की बुराई सह सकते हैं शास्त्रों का अपमान सह सकते हैं
किन्तु अपनी गन्दगी का अपमान कदापि नहीं बर्दाश्त कर सकते हैं , मजाल क्या
कोई बोले !अपने धर्म सम्प्रदायों की बनी मर्यादाएं टूटना सह सकते हैं
किन्तु अपने द्वारा फैलाई जा रही गन्दगी की निंदा नहीं सह सकते हैं !
हमारे देश में उत्पन्न हुआ चरित्र संकट इसी बात का प्रमाण है कि अपने को
चरित्र के ठेकेदार मानने वाले लोगों ने कभी अपने चारित्रिक प्रदूषण को गिना
ही नहीं !आज फर्जी जगद्गुरु हैं व्यापारी साधू हैं और झूठ बोलने वाले
पंडित हैं नचैया गवैया कथाबाचक हैं कालसर्प दोष बता कर झूठ बोलने वाले
ज्योतिष व्यापारी हैं आखिर क्यों ? क्या ये सब प्रदूषण नहीं है! क्या आज के
चालीस वर्ष पहले ऐसा होता था किन्तु आज होता है पर अपनी अपनी गन्दगी किसी को दिखाई कब पड़ती है और यदि अपनी गन्दगी दिखाई पड़ जाती तो गंगा जी में गंदगी डालता कौन और उन्हें साफ करने की जरूरत क्यों पड़ती ! देखो
बात साफ सी है हमारा धार्मिक वर्ग अपने को राजा महाराजाओं से ऊपर समझता है
इसलिए उसकी सोच में है कि हम गन्दा करते रहें और सरकार साफ करती रहे
किन्तु सरकार साफ करे और हमें गन्दा करने से रोके ये नहीं चलेगा ! इसके लिए
धर्म एवं धर्म शास्त्रों की दुहाई दे देकर मारा मारी कर देंगे !मानेंगे
नहीं !
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