शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

कानपुर ज्योति मर्डर केस में ज्योतिष शास्त्र को कटघरे में खड़ा करना कतई ठीक नहीं है !

    "सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि ज्योति की शादी पीयूष से कुंडली मिलाकर की गई थी। जबकि इससे पहले कुण्डली नहीं मिलने की वजह से पीयूष की शादी उस लड़की से नहीं हो सकी थी जिससे पीयूष के संबंध थे।ज्योति की हत्या के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि कुण्डली मिलने के बाद भी ऐसा क्या हुआ कि पीयूष को ज्योति में वह बात नजर क्यों नहीं आई जिससे वह ज्योति से प्यार कर पाता।" -अमर उजाला

    इस प्रकरण में अखवार का मैं धन्यवाद करता हूँ जो उसने इस विषय को उठाया है-अखवार को चाहिए कि इस बात की जाँच करे कि जिस ज्योतिषी ने इस कुंडली को मिलाया है वो क्वालीफाइड अर्थात डिग्री होल्डर ज्योतिषी था या झोला छाप ! यदि झोलाछाप था तो उससे ज्योतिष शास्त्र का कोई लेना देना ही नहीं है जैसे कोई व्यक्ति यदि किसी हार्ट सर्जन की जगह किसी मोची से हार्ट सर्जरी करा लेता है तो चिकित्सा शास्त्र इसके लिए जवाबदेय नहीं है ये कराने वाले की गलती है उसने योग्य चिकित्सक क्यों नहीं चुना ? 

दूसरी बात यदि क्वालीफाइड अर्थात डिग्री होल्डर ज्योतिषी था तो उसे कानूनी कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए कि उससे कहाँ ऐसी चूक हुई जिससे घटी ये घटना ! यदि कोई कारण था तो ये बात उन्होंने बताई नहीं या उन्होंने मानी नहीं ये बात भी स्पष्ट की जानी चाहिए !

    मीडिया को भी चाहिए कि किसी को ज्योतिषी कहने से पूर्व उस ज्योतिषी की ज्योतिषीय क्वालीफिकेशन अवश्य चेक की जानी चाहिए कि वह पढ़ लिख कर ज्योतिष का काम कर रहा है या बिना पढ़े लिखे ही आखिर संस्कृत विश्व विद्यालय बने किस लिए गए हैं !बिना जाँच पड़ताल किए ज्योतिष शास्त्र को कटघरे में नहीं खड़ा करना चाहिए क्योंकि आजकल हर चालाक बेरोजगार अपने नाम के साथ ज्योतिषी लिखने लगा है मीडिया को इतनी जिम्मेदारी तो निभानी ही चाहिए ! अधिक जानने के लिए इस लिंक को पढ़ें -

ज्योतिष और चिकित्सा दोनों की ही शिक्षा प्रक्रिया जब एक जैसी तो फिर एक विज्ञान और दूसरा अंधविश्वास कैसे ? see more...http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2014/07/blog-post_17.html

   

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