अब सी.बी.आई.की जाँच इस बात के लिए हो कि जनता U.P. सरकार की नियत पर शक क्यों करती है ?
सरकार पर इतना बड़ा अविश्वास कि किसी का साबुन भी खोता है तो वो कहता है कि सी. बी. आई.की जाँच कराई जाए जनता को लगता है कि या तो सरकार अपराधियों से मिली है या अपराधी सरकार में मिले हैं तथा जाँच एजेंसियाँ पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर काम करती हैं ! सरकार से जनता का भरोसा टूटना या अपनी ही सरकार पर अविश्वास हो जाना लोकतंत्र के लिए क्या छोटी घटना है इसे पुनर्बहाली के लिए सरकार कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती !
सपा सरकार में उत्तर प्रदेश पुलिस पर लोगों को हमेंशा शक बना रहता है कि पुलिस न्याय करेगी क्योंकि अन्य पार्टियों की अपेक्षा दबंग लोग इस पारी में अधिक होते हैं और जो जितना दबंग यहाँ उसका उतना वजूद होता है ऐसा दबंग आदमी सपा ज्वाइन ही इसलिए करता है कि मैं जो भी करूँगा पार्टी नेतृत्व हमारा साथ देगा और वो देता भी है इसमें भी कोई शक नहीं है ! किसी कार्यकर्ता ने यदि कोई गलत काम किया है तो उसे बचाने के लिए सपा सरकार की पहली कोशिश तो यही होती है कि अपराधी पकड़ा न जाए दूसरी कोशिश होती है कि समाज का यदि बहुत दबाव पड़े तो अपने कार्यकर्ता को बचाने के लिए उसकी जगह किसी और को पकड़ा जाता है वो सजा भुगतता है तब तक वास्तविक अपराधी दूसरी वारदात को जन्म दे देता है इसका मूल कारण मूल अपराधी को या तो पकड़ा न जाए या और यदि पकड़ा भी जाए तो उसका माथा चूमा जाए आदि आदि ऐसे कैसे रुक सकते हैं अपराध ?
अभी कुछ दिन पहले ही कानपुर की एक घटना आपने देखी होगी जहाँ एक प्रेमिका को पाने के लिए एक पति पर अपनी पत्नी की हत्या करवाने के आरोप लगे हैं ऐसे अक्षम्य अपराधी का माता चूमते हुए एक पुलिस कर्मी को आपने देखा होगा !आखिर क्या कहा जाए ऐसी उप्र पुलिस के लिए !
इस विषय पर हमारा यह लेख अवश्य पढ़ें
समाजवादी पार्टी के सत्ता में आते ही अफसर क्यों भूल जाते हैं अपनी जिम्मेदारी ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें