माँसभक्षी लोगों का पूजन करने वाले लोग दयावान होंगे ऐसी आशा ही क्यों करनी ?
जो लोग कहते हैं कि गउएँ मारी जा रहीं हैं उस पर कोई कुछ नहीं बोलता और न जाने क्यों साईं के पीछे पड़े हैं शंकराचार्य जी ?
बंधुओ !मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूँ कि श्री कृष्ण का सम्बन्ध गायों से है वो
गउएँ चराते थे श्री राम गायों की पूजा करते थे यह सोचकर श्री राम और श्री कृष्ण
के भक्त भी वैसा ही किया करते थे जो जिसे पूजता है उसी के अनुशार उसकी
बुद्धि बनती है और वैसा ही आचरण करता है ।
दूसरी ओर साईं पूजा की बात है तो साईं को न गायों को चराते हुए देखा गया और न ही गायों को पूजते हुए बल्कि यह जरूर सुना गया है कि साईं माँस खाते थे,
हो सकता है वह माँस गायों का न हो किसी और का हो या
गायों का ही हो किंतु माँस पेड़ों पौधों से तो मिलता नहीं है उसके लिए किसी
को मारना पड़ता है और किसी को मारने वाला या माँस खाने के बहाने किसी को
मारने का कारण बनने वाला ऐसे दोनों ही प्रकार के लोग इंसानियत के पवित्र पद से पतित हो जाते हैं किन्तु जब इनका सम्मान होने लगे तो समझो की पतितों की संख्या बढ़ रही है और ऐसी संख्या गायों की रक्षा में अपना सहयोग क्यों देगी !उन्हें आखिर माँस तो चाहिए ही और वो पेड़पौधों से तो नहीं ही मिलेगा
इसलिए आवश्यक है कि मांसाहारी समाज शाकाहारी बने और मांसाहारियों की पूजा
बंद हो और गोभक्त श्री राम और श्री कृष्ण जी की पूजा का प्रचार प्रसार बढ़ाया जा सके
और बचाई जा सके अपने देश की गो सम्पदा ।
इस बात की पुष्टि इससे भी होती है
कि साईं की पूजा का प्रचार प्रसार जब इतना अधिक नहीं था तब गो हत्याएँ भी इतनी अधिक नहीं होती थीं अब जैसे जैसे साईं पूजा का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है वैसे वैसे गो हत्या की घटनाएँ भी पहले की अपेक्षा दिनोंदिन बढ़ती जा रही हैं यदि यह अनुमान सही है तो साईं पूजा बंद होने के साथ ही साथ गो हत्या भी बंद हो सकती है !इसीलिए साईं पूजा का विरोध किया जाना जरूरी है और हो भी रहा है ताकि गायों का बहुमूल्य जीवन बचाया जा सके !
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