बुधवार, 3 सितंबर 2014

बिना पढ़े लिखे लोगों का धर्म क्षेत्र में बेकार में चोंच लड़ाना ठीक नहीं !

 साईं पूजा का समर्थन करने वाला कोई व्यक्ति यदि योग्य है तो शास्त्रार्थ करे अयोग्य है तो चुप बैठे !
    साईं पूजा के समर्थन में हर किसी ऐरे गैरे व्यक्ति के काल्पनिक तर्क प्रमाण कैसे माने जा सकते हैं इस विषय में हम हर उस शिक्षित समझदार व्यक्ति की सलाह मानने को तैयार हैं जिसने किसी भी संस्कृत यूनिवर्सिटी से धर्मं शास्त्रों के विषय में कोई अध्ययन किया हो और जो शिक्षित होगा उसे यह बात अपने आप समझ में आ जाएगी कि साईं को भगवान मानकर क्यों नहीं पूजा जा सकता और जिन्होंने किसी संस्कृत यूनिवर्सिटी से न भी पढ़ा हो फिर भी उन्हें प्रूफ तो करना होगा कि उनकी धार्मिक विषयों में अपनी योग्यता क्या है अन्यथा साईँ  के विषय में फ़ोकट की सलाह देने वाले एवं पण्डे पुजारियों की निराधार आलोचना करने वाली  बीमार मानसिकता  से चोंच लड़ना अपना स्तर नहीं है हम किसी भी ऐसे व्यक्ति के कुतर्कों के जवाब देने के लिए बाध्य नहीं हैं जो धार्मिक दृष्टि से अशिक्षित हो ! जिसको जो कुछ समझना हो समझे !किन्तु शिक्षित व्यक्ति से किसी भी मंच पर खुली बहस के लिए तैयार हैं कि साईं पूजा अशास्त्रीय है इसलिए नहीं की जा सकती !

                  श्री राम को मानने वाले अपने माता पिता का सम्मान करते हैं किन्तु साईं वाले नहीं ! 
    सनातन धर्मियों  के बच्चे संस्कारवान  होते हैं श्री राम माता पिता का सम्मान करते थे इसलिए उन्हें मानने वाले अपने माता पिता का सम्मान आज भी करते हैं उन्हें संस्कारों को मानने में दिक्कत नहीं होती है ,हाँ साईं अधर्म वालों के लिए माता पिता पर विश्वास कर पाना वास्तव में उतना आसान नहीं होता है क्योंकि ऐसी  प्रेरणा उन बेचारों को मिले कहाँ से क्योंकि साईं को माता पिता का सम्मान करते किसी ने कभी देखा नहीं है इसीलिए साईं का पूजा प्रचार जैसे जैसे बढ़ रहा है वैसे वैसे सामाजिक पापाचार  बढ़ता  रहा है इसे मिलजुलकर रोकना तो पड़ेगा ही इसलिए क्यों न अभी ही प्रयास कर लिया जाए !

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