सुंदर दिखने के लिए ब्यूटीपार्लरों में की जाने वाली पेंट पोताई आखिर कैसे करती है नुक्सान !
ब्यूटीपार्लरों में पेंट पोताई करवाकर जो आर्टीफीशियल सुंदरता पैदा की जाती
है वो एक्सपायरी होती है अर्थात उसे छूट जाने का एक निश्चित समय तो होता ही है
इसलिए उसे देख कर किए जाने वाले विवाह भी आखिर कब तक चल पाएँगे ! जब तक
पेंट का कलर रहेगा तबतक या कुछ आगे तक ,खैर , अर्थात जब तक वो तथाकथित
सुंदरता टिकेगी तबतक ही उसे देखकर किया जाने वाला विवाह टिकेगा इसके बाद
जैसे जैसे डेंटिंग पेंटिंग छूटने लगेगी वैसे वैसे विवाह के बंधन भी ढीले
पड़ने लगेंगे , फिर उन्हें ठीक करवाने के लिए जाना पड़ता है ब्यूटी पार्लर !
इस प्रकार से आजकल ब्यूटीपार्लरों के सहारे निभ रही हैं जिंदगियां ! और
मेकअप की एक्सपायरी डेट बीतते ही वैवाहिक संबंधों की भी अवधि पूरी जैसी
होने लगती है !
इसीलिए पुष्पबाटिका में श्री राम के प्रथम दर्शन के समय सीता जी ने अपना सहज श्रंगार भी वहीँ सरोवर में ही धुल दिया था !
" करि मज्जन सिय सखिन्ह समेता ।"
इसका तात्पर्य अपना वास्तविक स्वरूप श्री राम जी के सामने प्रस्तुत करना
है ताकि ऐसी सुंदरता जो हमेंशा बनी रहे उसे ही स्थापित करना था ,और श्री
राम प्रभु ने पसंद भी उसे ही किया था !
वहीँ दूसरी और बहुत बन ठन कर अति श्रृंगारित सूर्पनखा श्री राम जी के पास
पहुँच कर बहुत मुस्कुराई किन्तु श्री राम ने उसे न केवल मुख लगाया अपितु
कह दिया कि तुमने इतना अधिक मेकअप कर रखा है कि राक्षसी लगती हो -
"त्वं हि तावन्मनोज्ञांगी राक्षसी प्रतिभासि मे" ।
इसलिए सुंदरता पैदा नहीं की जा सकती सुंदरता तो प्राकृतिक होती है -
"क्षणे क्षणे यन्नवतामुपैति तदैव रूपं रमणीयतायाः"
आदि आदि !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें