सोमवार, 8 दिसंबर 2014

मैंने काशी हिन्दू विश्व विद्यालय से ज्योतिष सम्बंधित विषय में पीएच. डी. की है इसलिए एक और सच्चाई सामने आई है कि पूर्व जन्म के कर्मानुशार  जिसके भाग्य में पत्नी या पति से सेक्स  का सुख नहीं बदा होता है वही सेक्स की तलाश में बचपन से भटकने लगते हैं वो इस पर उतारू होते हैं कि कहीं मिले किसी से मिले कैसे भी मिले कितना भी झूठ बोलकर मिले बच्चे से मिले बूढ़े से मिले,सेक्स के लिए ये बिलकुल पशुओं जैसा व्यवहार करने लगते जैसे कुत्ते बन्दर आदि कहीं किसी सार्वजनिक स्थान पर टाँग फँसा कर खड़े हो जाते हैं ठीक इसी प्रकार से ऐसे लड़के लड़की  भी सामाजिक शर्म की भावना छोड़ चुके होते हैं ये अपने घर से पड़ोस से नाते रिश्तेदारी या स्कूल तक  में किसी से भी कहीं भी  टाँगें फँसाना शूरू कर देते हैं।पार्कों, मैट्रोस्टेशनों, पर्किंगों,  रेस्टोरेंटों,  बसों  जैसी  सार्वजनिक  जगहों  पर ही दोनों एक दूसरे को चिपटने चाटने लगते हैं।खैर! मरता क्या न करता वाली स्थिति होती है।ये अर्द्धनग्न कपड़े,माथे पर बाल आदि ऐसी वेष भूषा बना लेते हैं ताकि समाज के आम लोगों की अपेक्षा ये कुछ अलग और उस तरह के लगें जिन्हें वो लोग आसानी से पहचान कर कमेंट मार सकें और लीला आगे बढ़ सके! ऐसे लोग छोटे छोटे बच्चों , पागलों,एवं अपाहिजों को भी अपनी हबस का शिकार बना लेते हैं।यदि इनके भाग्य में ही सेक्स को लेकर अपमान सहना न लिखा होता तो सेक्स सुख तो वैसे भी विवाह हो जाने पर भी मिलता किन्तु सामाजिक प्रतिष्ठा भी बनी रहती जो इनके ग्रहों को  मंजूर नहीं था।इसलिए हित चाहने वालों को चाहिए कि ऐसी ऊटपटांग  वेषभूषा  बनाकर  रहने वालों से  अपने बच्चों को बचाकर रखना चाहिए।

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