गुरुवार, 11 दिसंबर 2014

भाजपा के दुर्बयान बली सैनिकों को याद रहे कि जनता केवल काम देखती है !

   मोदीमद में मस्त भाजपा कहीं भूल तो नहीं गई है कि मोदी सरकार के इस कार्यकाल के अब मात्र साढ़े चार साल बचे हैं !

     मोदी जी जरा सँभल के ! देश बड़ी आशा से आपकी ओर देख रहा है उस विश्वास को बचा कर रखना बहुत बहुत कठिन एवं बहुत जरूरी है ! 

    आज विवादित बयान भाजपा के लोग दे रहे हैं जिन्हें शांतिपूर्ण ढंग से सरकार चलाने की जिम्मेदारी जनता ने सौंपी है इस समय जो भी विवाद बढ़ेगा माना कि पूर्ण बहुमत की सरकार है गिरेगी नहीं किन्तु हमें याद ये भी रखना  चाहिए कि विवादित बयानों की तलाश में खाली बैठे विपक्ष को हर विवादित बयान अमृत जैसा लगता है जिसके सहारे वो सरकार का समय नष्ट करने में सफल हो जाता है !क्या भाजपा को भी इसकी चिंता नहीं होनी चाहिए ! 

    मोदी सरकार बने 6 महीने बीत चुके हैं इस कार्यकाल के मात्र साढ़े चार वर्ष बचे हैं किंतु मेरी समझ में कोई काम अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है जो सरकारी आंकड़ों से अलग जनता के जीवन को सरल कर सका हो ! डीजल तेल की कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार से गिरी हैं उसमें सरकार तटस्थ है किन्तु तेल की कीमतों के गिरने के साथ जिन अन्य वस्तुओं की कीमतें जिस तरह से गिरनी चाहिए वैसी नहीं गिर सकी हैं सरकार की  भूमिका यहाँ ठीक नहीं है, सब्जियों का प्रमुख सीजन होने के कारण उनकी कीमतें घटनी स्वाभाविक ही हैं इससे मोदी सरकार को सँभलने का मौका मिल गया है यह है दूसरी बात जनता के मन में अभी भी U.P.A. के प्रति आक्रोश थमा नहीं है   प्रदेशों में भाजपा की बढ़ती विजय का प्रमुख कारण  वही है इसलिए अभी तक जनता भाजपा से हिसाब नहीं माँग रही है जब माँगेगी तो बाबा जी की सिक्योरिटी के आलावा ऐसा क्या बताया जाएगा जो जनता के जीवन से जुड़ा हो उसमे भी सिक्योरिटी केवल बाबा जी की ही क्यों ?उन्हें इनाम दिया गया है क्या जनता से वोट दिलाने का !आखिर भाजपा ऐसा क्यों समझ रही है कि बाबा जी की मोहर मारे बिना जनता उन पर भरोसा नहीं करती है !खैर,और अधिक क्या कहना किन्तु भाजपा को इतना तो सोचना ही होगा कि आम जनता को सरकारी आंकड़े समझ में नहीं आते हैं और न ही उसे अधिक दिनों तक भटकाया जा सकता है इसलिए भाजपा यदि सरकार महोत्सव मना चुकी हो तो अब उसे विजय खुमारी से बाहर निकल कर घुसना चाहिए सरकारी कार्यालयों में जहाँ कर्मचारियों की लापरवाही से त्रस्त जनता आज भी बाबुओं से गिड़गिड़ाकर अपना काम करने पर मजबूर है यही पहली सरकारों में हो रहा था तो बदल क्या है केवल बड़ी बड़ी बातें यही न ! भाजपा को ऐसी गलत फहमी क्यों है कि मनमोहन सिंह जी बोलते नहीं थे इसलिए जनता परेशान थी इसलिए हमें केवल बोलना ही चाहिए !यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि जनता जितना उनके न बोलने से परेशान थी कहीं उतना आपके अधिक बोलने से न हो जाए !अभी तक बोल बोलकर इतने वायदे किए गए हैं जिनका पूरा हो पाना कठिन ही नहीं असंभव भी है फिर भी यदि मान ही लिया जाए कि परिश्रम पूर्वक किए जा सकते हैं तो अच्छी बात है किंतु अभी तक सरकार के कार्यकाल का दशवाँ भाग बीत चुका है हालातों में कोई बदलाव नहीं है !आज भी सरकारी या निगम स्कूलों में बच्चों की भविष्य रचना पर  किसी प्रकार की कोई हलचल नहीं है सरकारी चिकित्सा के क्षेत्र में भी पहले जैसी लापरवाही ही है ,डाक कर्मी उनके द्वारा हुए किसी नुक्सान की कम्प्लेन का जवाब तक देना जरूरी नहीं समझते क्यों जिम्मेदारी निभा रहे होंगे ये लोग!सरकारी फोन और इंटरनेट में जो हो जाए सो हो जाए किन्तु दूर संचार विभाग ही नहीं सरकार का हर विभाग पहले भी जिम्मेदारी मुक्त था आज भी है जिम्मेदारी किसी की नहीं है जो काम आराम आराम से हो जाए वो उसका भाग्य !बलात्कार पहले भी हो रहे थे आज भी हो रहे हैं !कुल मिलाकर देश की जनता को ये लगता ही नहीं है कि जिन सरकारी कर्मचारियों पर जनता का काम करने की जिम्मेदारी छोड़ी गई है उन्हें बेतन भी दिया जाता होगा क्योंकि काम करने का उनमें उत्साह नहीं होता  है इसी उत्साह को भरने के लिए जनता धन दिखाती है जिसे देखते ही वो लहलहा उठते हैं किन्तु जिनके पास इन्हें देने को धन नहीं है वो क्या करें और इनसे कैसे कराएँ अपने जरूरी काम ?घुस का रिवाज सरकार की अकर्मण्यता से प्रारम्भ हुआ है !

    मैंने सुना है कि विभिन्न आफिसों में यदि सरकार के जिम्मेदार लोग पहुंचते भी हैं तो केवल फोटो खिंचवा कर फेस बुक पर डालने के लिए उन्हें भय है कि यदि कोई काम करेंगे तो गलती होने की संभावना रहेगी ही इसलिए काम करना ही क्यों फोटो खिंचवा कर डालते रहो फेसबुक पर !

     अभी मध्य प्रदेश के कुछ बड़े भाजपाइयों के जनरल नॉलेज की पोल मीडिया ने जिस तरह खोली वो चिंता का विषय है बौद्धिक संपत्तिवान माने जाने वाली पार्टी में लोगों की शिक्षा का स्तर इस प्रकार से गिरा हुआ है !   

     मोदी जी !चुनावों के समय आपके मुख से जनता ने महँगाई को भगाने की बात सुनी है किन्तु अब रेल किराया बढ़ाने की बात !कुछ कीजिए और बचा लीजिए भाजपा पर किए गए जनता के भारी विश्वास को ,यही परीक्षा की घड़ी है जिसमें केजरीवाल जनता का विश्वास बचा पाने में असफल रहे जिसकी भरपाई वो आज तक नहीं कर सके हैं इसलिए दूसरे कई काम रोककर महँगाई पर शीघ्र नियंत्रण बहुत आवश्यक है ।

     इस विषय में " स्वामी अखंडानंद जी ने भक्ति सूत्र   की टीका करते हुए लिखा है कि "किसी जंगल में एक  पेड़ के नीचे एक व्यक्ति अपने मित्र की गोद में शिर रख कर सो रहा था इसी बीच एक सर्प उस सोते हुए व्यक्ति को काटने आया तो मित्र के मना करने पर सर्प ने कहा कि इसने पूर्व जन्म में मुझे मारा था इसलिए मैंने इसके गले का रक्त पीने  की प्रतिज्ञा की है यदि आप इसके गले का रक्त हमें वैसे ही दे दें तो मैं इसे नहीं काटूँगा तो मित्र ने कहा कि ठीक है और उसने चाकू से हल्का सा कट मार कर सर्प को रक्त दे दिया सर्प चला गया किन्तु इससे वह सोता हुआ मित्र जाग गया  देखा कि मित्र के हाथ में चाकू है  और चाकू में खून लगा हुआ है उसने गले को काटा  है उससे खून बह रहा है यह सब कुछ देख कर वह फिर सो गया तो जिसकी गोद में लेटा  था उसे बड़ा आश्चर्य हुआ उसने पूछा तक नहीं कि क्या हुआ है !तो उसने अपने मित्र को फिर से जगाया और पूछा कि  तुमने देखा कि तुम्हारा गला काटा गया है और मित्र के हाथ में चाकू है  और चाकू में खून लगा हुआ है गले से खून बह रहा है यह सब कुछ देख कर भी तू सो गया क्यों ? तुझे कुछ पूछना नहीं चाहिए था क्या तो उसने हँसते हुए कहा कि मित्र यह सब कुछ तो डरावना था किन्तु चाकू मित्र के हाथ में था बस इसी विश्वास पर निश्चिन्त होकर दुबारा सो गया था कि मित्र से अनिष्ट नहीं हो सकता !"

      इसलिए नरेंद्र मोदी जी ! सब कुछ करना देशवासी यह समझकर सह जाएँगे कि अपने मोदी जी कर रहे हैं तो अच्छा ही होगा ! किन्तु इसकी इतनी सीमा जरूर बनाए रखना कि भारतीय जनता का आप पर बना विश्वास बचा रहे ! क्योंकि विश्वास टूटते ही आदमी केजरीवाल हो जाता है !यदि किसी मजबूरी से विश्वास बचते न  दिखे तो देस वासियों को बता जरूर देना  कि अब मैं विवश हूँ शायद तब भी आपके प्रिय देशवासी आपको क्षमा कर दें किन्तु विश्वास  मत तोड़ देना जो आपके सारे जीवन की साधना है और देश वासियों की महान संपत्ति है !आपके प्रिय देशवासी कभी अगर यह सुनेंगे कि मोदी जी अपने मुद्दों से भटक गए हैं या बदल गए हैं या सत्ता लोलुप हो गए हैं तो सह नहीं पाएँगे !

 

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