शुक्रवार, 12 जून 2015

योगदिवस पर योग भी होगा या केवल कसरत बर्जिस और व्यायाम ही होगा !

    राम और राम मंदिर की बातें करते करते जैसे श्री राम मंदिर का विरोध करने लगे नेता लोग कहीं योग के प्रति भी ऐसे ही अरुचि न होने लगे !

             (आज सुबह पूर्वी दिल्ली के एक पार्क में कुछ प्रबुद्ध वृद्ध लोग योगदिवस पर चर्चा करते हुए !) 


    योगीलोग पहले कैसे होते थे अब कैसे कैसे लोग अपने को योगी कहने लगे हैं !योग के नाम पर क्या क्या होने लगा है अब !  कसरत करने को यदि योग कहा जाए तो बर्जिस और व्यायाम आदि किसे कहा जाए !फिर कहते हैं प्राणायाम होगा किंतु ॐ नहीं होगा फिर प्राणायाम किस बात का !फिर कहते हैं योग होगा किंतु सूर्य नमस्कार नहीं होगा ! फिर कहते हैं योग तो सभी धर्मों का है अरे !योग संस्कृत शब्द है सनातन हिन्दू धर्म शास्त्रों में इसका वर्णन  मिलता है और किसी के धर्म ग्रंथों में तो है नहीं !ये नेता लोग तो आज योग को भी धर्म निरपेक्ष बनाए दे रहे हैं सबसे जबरदस्ती कहते घूम रहे हैं कि योग तुम्हारा भी  तुम्हारा भी है अरे !योग सनातन धर्मियों का है उन्हीं का रहेगा करे कोई उसकी मर्जी !आदि आदि !!
            बंधुओ !योग को लेकर उन  लोगों में भारी भ्रम दिखा किंतु इसका निराकरण  करे कौन?
  योग को लेकर उन लोगों का कहना था कि योग तो अपनी प्राचीन विद्या है बड़े बड़े योगियों ऋषियों तपस्वियों के नाम सुने गए हैं समय समय पर जिन्होंने  योग विद्या के द्वारा बड़े बड़े चमत्कार भी किए हैं !
    पहले जंगलों में योगियों को देखकर सिंह जैसे हिंसक जीव स्वयं शिर झुका लिया करते थे सर्प बिच्छू अपना विष वमन करने लगते थे उन योगियों के चरणों में नत मस्तक होकर बड़े बड़े सम्राट अपनी सुरक्षा का आशीर्वाद माँगने के लिए जंगलों में उन आश्रमों की ख़ाक छाना करते थे जिन योगियों के आशीर्वाद में ब्रह्मांड की बड़ी शक्तियाँ समाहित थीं !
     बंधुओ !आज किसी का दोष क्या दिया जाए ये कलियुग का ही प्रभाव है कि अब साधना करने वाले असली योग साधकों की संख्या अब बहुत कम होती जा रही है जो हैं भी वे भी दिनों दिन घटते जा रहे हैं उनमें भी अधिकांश योग साधक लोग गुप्त  विधि से सांसारिक प्रपंचों से दूर किसी एकांत निर्जन स्थल में साधना कर रहे हैं उन्हें दीन दुनियां से क्या लेना देना !वैसे भी भीड़भाड़ में योग साधना हो भी नहीं सकती है । 
    बंधुओ ! मुझे याद है कि बनारस में योग के दिव्य साधक योगिराज सूखानंद जी महाराज ने खेचरी दर्शन की हमारी इच्छा पूरी करते हुए जैसे ही अपने  आसन को छोड़कर धरती से एक फुट ऊपर उठे तो बाल्य स्वभावात हमें हँसी आ गई तब उतनी समझ थी नहीं इसके बाद उन्हें सामान्य अवस्था में आने में करीब बीस मिनट लगे थे और जैसे ही उन्होंने आँखें खोलीं तो हमें हँसने के लिए बहुत डाटा और तुरंत वहां से भगा दिया !कुछ दिनों बाद जब मैं पुनः गया तब उन्होंने बताया कि उस अवस्था में मेरा शरीर भी छूट सकता था इसीलिए गुरु या किसी अन्य योग साधक के अलावा किसी और के सामने योगिक क्रियाएँ नहीं की जा सकती हैं इसीलिए योग साधक सामाजिक प्रपंचों से दूर रहते हैं । 
   मित्रो !वहीँ पार्क में बैठे एक सेवामुक्त शिक्षक ने कहा कि आज वो तपस्वी योगसिद्ध लोग कहाँ रहे जो मुसीबत में औरों की रक्षा कर लिया करते थे आजकल के योगी तो खुद इतने डरपोक होते हैं कि अपनी सुरक्षा के लिए सरकारों से मदद माँगते हैं ! इसीप्रकार पहले योग सिद्ध लोग प्रकृति विप्लव बाढ़ आँधी तूफान आदि में समाज की रक्षा करते देखे जाते थे कुछ नहीं तो अपने तपोबल के द्वारा ऐसी दुर्घटनाओं के संकेत समाज को पहले ही दे दिया करते थे उससे समाज यथा संभव अपना बचाव कर लिया करता था वे योगी वास्तव में दिव्य दृष्टा होते थे उन्हें भूत भविष्य वर्तमान तीनों काल पता हुआ करते थे ! 
   अब तो नेपाल में अभी भीषण भूकंप आया किंतु किसी योगसाधक ने कोई कृपा नहीं की और इतनी विशाल संख्या में लोग काल कवलित हुए मारे गए उन्हें बचाया नहीं जा सका ऐसी घटनाओं से लगता है कि अब तो अपने को योग साधक कहने वाले लोग भी आम लोगों की तरह ही होते जा रहे हैं अब  तो उन्हें भी भूकंप का पता तभी  लगता है जब पास की दीवारें हिलने लगती हैं क्या कहा जाए ! पहले सिद्ध योगी आशीर्वाद से समाज की रक्षा कर लिया करते थे अब तो अपने को योगी कहने वाले लोग भी सेठों साहूकारों की तरह खाने पीने वाली चीजें बाँटने निकल पड़ते हैं यद्यपि अच्छी बात है फिर भी मित्रो !कभी कभी लगता है कि ये सब इन्तिजाम तो सरकार या संपत्तिवान लोग भी कर सकते थे किंतु यदि कुछ लोग तक योग सिद्ध होते और उनका आशीर्वाद समाज को मिला होता तो सनातन धर्म का गौरव आज दुनियाँ देख रही होती ! अब तो ठहरे आधुनिक योगी जो व्यायाम को ही योग मान बैठे हैं ऐसे समय में किसी से क्या आशा !
      आज व्यायाम करने वाले लोग अपने को योगी या योग गुरु कहने लगे, तो योग साधक लोग  मौन हो गए उन्हें प्रचार की क्या जरूरत !उन्हें टीवी पर बोलने की चाहत तो होती भी नहीं है ! इसीलिए अब कहाँ दिखाई पड़ते हैं वे योगी अर्थात योगसिद्ध लोग ?
   बंधुओ ! उन वृद्ध लोगों का कहना था कि योग के साथ ऐसा बुरा मजाक पहले कभी नहीं हुआ था जैसा इधर कुछ वर्षों से होने लगा है ! फिल्मी हीरोइनें भी करती तो कसरत हैं किंतु अपने को योगिनी कहने लगी हैं ।
   व्यायाम को ही लोग फैशन में योग  कहने लगे हैं !उसी योग के दिव्य क्षेत्र में आज तो श्रेय लेने की हुड़दंग सी मची हुई है एक से एक शराबी कबाबी गँजेड़ी भँगेड़ी निकल आए हैं अपने अपने दरबों से कह रहे हैं साहब हम तो माँ के गर्भ से ही योगी हैं ,अभी तक किसी ने कदर नहीं की इसलिए सामने नहीं आते थे ! किसी ने कहा तुम तो शराब गाँजा पीते हो तो कहने लगे अच्छा शंकर जी भी तो पीते थे तो क्या वो योगी नहीं थे !किसी ने कहा कि यार तुमतो झूठ बोलते हो बोले झूठ तो भगवान कृष्ण भी बोलते थे फिर भी उन्हें योगेश्वर भी कहा जाता है ! वो तो चोरी भी करते थे 'तस्कराणां पतये नमः' तभी तो उन्हें कहा गया है बोले योगी तो योगी है उसमें दोष नहीं देखे जाते ! 
    एक ने कहा कि कल तो हमारे साथी संगी सब लोग पार्कों में दरी बिछाए योग सिखाते मिलेंगे,हमारे परिचित सब्जी व्यापारी ,दवा व्यापारी,सफाई कर्मचारी या और भी बहुत सारे लोग उछल कूद कर कला करने वाले या रस्सी पर चलकर या और भी कई प्रकार से अपने अंगों को मोड़ मरोड़ लेने वाले नट  नर्तकों जैसे लोग भी अब तो योग ही सिखाएँगे उसमें करना क्या होता है अपने पेट पिचका पिचका कर लोगों को दिखाना होता है उनके पेट पहले से ही पिचके होते हैं आधुनिक योगकला की यही मुख्य पहचान है कि पेट पिचक जाए क्योंकि बढ़े पेट वाले बड़े लोग अपने पेटों से ही परेशान हैं । 
    बंधुओ ! उनका कहना था कि अब समझ में नहीं आ रहा  है कि ऐसे सभी कसरत कलाकारों को योगी कैसे कहा जाए !क्योंकि योग इतना आसान भी नहीं होता है कि हर कोई बिना किसी नियम कानून संयम साधना अभ्यास तपस्या या गुरू की शरण में गए योग करने लगे !आखिर योग अपने देश के प्राचीन दिव्य गौरव से जुड़ा हुआ है किन्तु कैसा उपहास हो रहा है योग का !
    टी.वी.पर राशिफल बताने वाले बता रहे हैं कि योग करते समय किस राशिवाले कौन सी टाँग पहले उठावें और किस राशि वाले नाक के किस छिद्र से पहले हवा लें और किससे छोड़ें !एक टीवी चैनल तो दिखा रहा है कि "सेक्स पॉवर बढ़ाने वाले योग के ये हैं रामबाण आसन see more..."http://zeenews.india.com/…/7-fabulous-yoga-poses-to-…/261014 "
   बंधुओ !आज जो बैठ कर उठ जा रहा है वो समझ रहा है कि वो योग कर रहा है जो बैठे बैठे हाँफ लेता है वो समझ रहा है कि योग कर रहा है !किसानों  मजदूरों के लिए क्या है ये सब जिन्हें दिनभर फरुहा भाँजना वजन उठाना पड़ता है छै आठ रोटी खाते हैं तो पता ही नहीं चलता है कि कब पच गईं !यहाँ शारीरिक रूप से अपरिश्रमी लोगों को तो दो रोटी खाकर भी पचाने के लिए चूर्ण चटनी लेनी होती है ऊपर से यह टाँग हिलावन मुख मटकावन व्यायाम भी करना पड़ता है !
    यह सुनकर एक वृद्ध ने कहा कि वस्तुतः रोटियों में परिश्रम किसानों मजदूरों का लगा होता है इसलिए रोटियाँ  भी उन्हें ही पहचानती हैं उनके पेट में पहुँचते ही अपने आप से ख़ुशी ख़ुशी पच जाती है और बाकी लोगों के पेट में जाती हैं तो वे भी साथ नहीं देती हैं कंकर पत्थर की मानो जम जाती हैं !ऐसा कहते हुए उन्होंने बताया  कि इससे अच्छा है कि लोग कसरत तो करें ही साथ ही साथ अपना काम भी स्वयं करने का अभ्यास करें !यदि वो आनाज नहीं कमा सकते तो अपने घर की साफ सफाई करें आखिर जो काम करनेवाली  आती हैं उनके कौन पेट निकले होते हैं वो तो व्यायाम भी कभी  नहीं करती हैं न किसान मजदूर करते हैं कसरत !उनके भी पेट नहीं निकलते हैं फिर भी स्वस्थ रहते हैं इसलिए हम लोग भी कम से कम घर के अपने काम काज तो कर ही सकते हैं अपने कमरे या घर की साफ सफाई स्वयं करें तो कसरत भी उसके साथ साथ होती जाती है ! उन्होंने सबको समझाया कि आजकल कसरत व्यायाम और योग एक ही हैं
   पहले के वैराग्य समर्पित दिव्य साधकों की दुनियाँ ही निराली होती है योगियों के दर्शन तो आज दुर्लभ हैं !
       पहले  योगियों ने समय समय पर समाज की बहुत मदद की है हमारी संस्कृति में ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि योगी लोग अपने योग बल से त्रिकाल में घटित होने वाली घटनाओं को न केवल जान लिया करते थे अपितु उन्हें एक सीमा तक टाल सकने की क्षमता  भी रखते थे !किंतु आज वे योगी तो दिखाई ही नहीं पड़ते ईश्वर ही कृपा करे तभी उन योगियों के दर्शन सुलभ हो सकेंगे !आदि !
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