शुक्रवार, 12 जून 2015

भूकंपों का अध्ययन भारत के प्राचीन ज्ञान विज्ञान के आधार पर ! जानिए कैसे ?

    आधुनिक भूकंपविज्ञान  विभाग पर खर्च की जाने वाली धन राशि का दशवाँ भाग भी प्राचीन ज्ञान विज्ञान पर खर्च किया जाए तो भावी भूकंपों के अध्ययन में विशेष सहयोग मिल सकता है जानिए कैसे -

ध्यान से पढ़ें पहले आगे की यह भविष्यवाणी -
      "नेपाल में भूकंप संबंधी आफ्टर शॉक्स 11 जून के बाद धीरे धीरे रुक जाएँगे इसके बाद इस भूकंप के दुष्प्रभावों से पीछा छूटने लगेगा !स्वतंत्र भूकंप तो कहीं भी कभी भी आ सकते हैं किंतु आफ्टर शॉक्स की लास्ट  डेट  अधिक से अधिक दस जून थी किंतु ये अनुमान है इसलिए दस पाँच  दिन आगे पीछे हो सकता है बस अधिक नहीं होना चाहिए !इसके बाद उसी भूकम्प के दुष्प्रभाव स्वरूप ही नेपाल और भारत के शासकों के लिए 22-10 -2015 तक के लिए समय अच्छा नहीं होगा इनका अपयश होगा स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के संबंध में विशेष सतर्कता बरती जानी चाहिए साथ ही इस बीच इनके अच्छे कामों का श्रेय भी इन्हें नहीं मिलेगा !अपयश संभव है । " 
    बंधुओ ! आपको याद होगा कि 25-4-2015 को भारत समेत नेपाल में आए भयानक भूकंप के बाद जब सारा समाज भयभीत था -
   उस समय भारत के प्राचीन विज्ञान के आधार पर भूकंप से संबंधित ये भविष्यवाणी हमने अपने ब्लॉग के कई लेखों में की थी कि  "8 -6 -2015 से 10 -6 -2015 के बीच विशेष ऑफ्टर शॉक्स की संभावना है !' इससे संबंधित लेख फेसबुक और गूगल प्लस पर भिन्न भिन्न नामों से शेयर किए जाते रहे हैं  जो हमारे नाम से अभी भी खोजे जा सकते हैं । आप में से जो लोग हमसे जुड़े हैं वे स्वयं भी पढ़ते रहे होंगे मूल लेख एवं उसका सम्बंधित अंश इस प्रकार है जो बिना किसी एडिटिंग के यहाँ उद्धृत किया जा रहा है -
पहले की भविष्यवाणी -
     " अब आप स्वयं देखें कि 21-4-2015 को बिहार में तवाही मचाने वाला भयंकर  तूफान आया वो भी चूँकि नेपाल से ही उठा था इसीलिए 25-4-2015 को आए भयंकर  भूकंप का केंद्र भी ज्योतिषीय संकेतों के अनुशार नेपाल को ही बनना था । चूँकि 25-4-2015 को भूकंप आया था इसलिए10 -6 -2015 तक ऑफ्टर शॉक्स आने ही होते हैं जिसमें भी 24-5-2015 से 26 -5-2015 एवं 8 -6 -2015 से 10 -6 -2015 के बीच विशेष ऑफ्टर शॉक्स की संभावना रहती है !"

    बंधुओ यही है उस लेख का मुख्य अंश !यदि आप वो पूरा लेख देखना चाहें तो बिना किसी एडिटिंग के  वहाँ उपलब्ध हैं जिनमें प्रमाण पर स्वरूप  ये दो लेख और उनके लिंक यहाँ दिये जा रहे हैं आशा है कि आप अवश्य पढ़ेंगे !
  • 17 -5-2015 को प्रकाशित लेख' भूकंपज्योतिष ' नेपाल में भूकंप आने के विषय में क्या कहता है भारत का प्राचीन विज्ञान ?का लिंक -http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/05/blog-post_17.html
          इन लेखों में सबसे महत्त्व पूर्ण बात ये है कि प्राचीन विज्ञान से प्राप्त प्रमाण पूर्वक शास्त्रीय संकेतों के आधार पर मैंने लिखा  था कि चूँकि  "21-4-2015 को बिहार में तवाही मचाने वाला  तूफान भी नेपाल से ही उठा था इस  तूफान के कारण ही भूकंप आया और 25-4-2015 को आए भूकंप का केंद्र भी नेपाल ही बना ऐसा ज्योतिष शास्त्र का मानना है !यह भूकंप वायु देवता के प्रकोप से आने के कारण शास्त्रों में वर्णित 'वायव्य' नाम का 'भूकम्प' था ।"चूँकि 25-4-2015 को नेपाल में भूकंप आया था  इसलिए 8 - 10 जून के बीच आ सकते हैं विशेष भूकम्प कुछ लेखों में तूफान आदि प्राकृतिक उपद्रवों के विषय में भी कहा गया है आदि आदि !" 
              बंधुओ दस और ग्यारह जून को नेपाल में भूकम्प भी आया भूस्खलन भी हुआ जिसमें कुछ गाँव दब गए और भारी जन हानि भी हुई see more... http://news24online.com/55-killed-in-nepal-landslides-31
    आधुनिक वैज्ञानिकों का विभिन्न भूकंपों के बारे में लगभग एक जैसे वक्तव्य होते हैं देखिए कुछ ऐसे -
         "आधुनिक वैज्ञानिकों  ने वही पुरानी चार पाँच बातें जैसे कि भूकंप की गति इतनी थी ,भूकंप का केंद्र अमुक स्थान एवं इतनी गहराई पर था और जमीन के अंदर संचित ऊर्जा गैसें निकल रही हैं जमीन  के नीचे की प्लेटें हिल रही हैं कौन प्लेटें कहाँ तक फैली हैं कौन कौन शहर कितने डेंजर जोन में हैं और वहाँ यदि भूकंप आवे तो कितना विनाश होगा "आदि आदि !
       लगभग यही बातें हर बार भूकंप आने के समय की जाती हैं जो टीवी वाले बिना वैज्ञानिकों के अपने आप से ही बोलना शुरू कर देते हैं उन्हें पता होता है कि इस विषय में वैज्ञानिक लोग क्या बोलेंगे इसके बाद टीवी वाले तवाही की तस्वीरें दिखाने लगते हैं !और सायंकाल पैनल बैठाकर कुछ पिष्टपेषण जैसे वही पुराने रीति  रिवाज निभाए जाते हैं !और मिलाजुलाकर बाद में यह कह दिया जाता है कि भूकंपों के विषय में निश्चित तौर पर हम कुछ नहीं कह सकते हैं !इन सब बातों का मतलब ये हुआ कि भूकंप विज्ञान पर देश की भारी भरकम धनराशि खर्च होने के बाद भी भूकंप वैज्ञानिक अभी तक खाली हाथ हैं ! फिर भी मैंने सच्चाई जानने के लिए  भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में RTI  डाली जिसका जो उत्तर आया वो यहाँ संलग्न है जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप  स्वीकार किया है कि "भूकंप विज्ञान की भविष्य वाणी के विषय में वो अभी तक निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकते हैं हाँ प्रयास किए जा रहे हैं"  
             बंधुओ ! मेरा निजी अनुमान यह है कि उनके  अभी तक के प्रयास एक ही अक्षांश देशान्तर पर टिके हुए हैं निश्चित दिशा में कोई खास प्रगति नहीं है कब तक कुछ हो पाएगा या नहीं हो पाएगा अभी तक इस विषय में भी कुछ नहीं कहा गया है !
              बंधुओ !मुझे पीड़ा इस बात की है भूकंप के विषय में भविष्य संबंधी कोई जानकारी दे सकने में आधुनिक वैज्ञानिक यदि  केवल प्रयासरत और परिणाम शून्य हैं !
        बंधुओ !ऐसी परिस्थिति में भारत के प्राचीन ज्ञान विज्ञान की ऐसे  प्राकृतिक विषयों के अध्ययन की उपेक्षा क्यों की जा रही है !बंधुओ !  मेरा अनुमान है कि भारत के प्राचीन विज्ञान पर आधुनिक विज्ञान की अपेक्षा केवल दस प्रतिशत धन भी खर्च किया जाए तो सफलता के विषय में अभी निश्चित तौर पर कुछ कह पाना मेरे लिए भी भले संभव न हो किंतु अभी तक आए भूकम्पों के ज्योतिषीय अनुभव एवं अनुमान के आधार पर  कहा जा सकता है कि शीघ्र ही अच्छे परिणाम  देखने को मिलेंगे !
       इसके लिए हमें अतीत में आए विश्व के बड़े भूकम्पों का अध्ययन करना होगा जिसमें कुछ समय साधन और धन लग सकता है जिसके लिए सरकार से निवेदन है कि हमारे संस्थान का सहयोग करे समाज से निवेदन है कि इस विषय में आर्थिक सहयोग करें संभव है कि शीघ्र ही अच्छे परिणाम देखने को मिलें ! आगे और भी अधिक आशा की जानी चाहिए !   
           बंधुओ ! यदि आधुनिक भूकंपविज्ञान  विभाग पर खर्च की जाने वाली धन राशि का दशवाँ भाग भी प्राचीन विज्ञान विभाग पर खर्च किया जाए तो मुझे विश्वास है कि परिणाम यदि संतोष जनक नहीं तो सफलता की ओर बढ़ते हुए जरूर दिखेंगे !

                                  भूकंप के विषय में दी गई RTI का सरकारी  उत्तर -










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