रविवार, 14 जून 2015

'योग: जिनके लिए योग की सर्जरी कर दी जाए ?सूर्य नमस्कार छोड़ दिया जाए किंतु वे अपनी हठ नहीं छोड़ सकते !ये कैसा भाईचारा !

    हर जगह समझौता हिन्दू ही क्यों करें ! हिन्दुओं के साथ मिलजुल कर चलने का मतलब ये तो नहीं होता!मुस्लिम बंधुओ की कोई जिम्मेदारी नहीं है क्या ?कि वो भी हिन्दुओं के साथ मिलजुलकर चलें! 
      यदि अपने धर्म के साथ कुछ समझौते हिन्दू कर सकते हैं तो कुछ समझौते मुस्लिम बंधुओं को भी देशकाल परिस्थिति के अनुशार करने चाहिए !देश के सभी वर्गों को मिलाकर चलने की भावना से ही सूर्य नमस्कार विहीन ,मंत्र विहीन 'योग' भी स्वीकार करेगा हिन्दू समाज !
    मेरे प्यारे बहन भाइयो ! जिस भावना से कभी मंदिर खंडित किए गए थे आज योग के साथ भी तो वही हो रहा है किंतु देश वासियों को धैर्य का परिचय देना है और विश्व को सन्देश देना है कि हम सवा सौ करोड़ भारतीय  योग भावना के साथ समर्पित हैं!
       बंधुओ ! जो लोग कह रहे हैं कि प्राणायाम से ॐ को और योग से सूर्य नमस्कार को हटा दो फिर हमें योग से कोई आपत्ति नहीं हैं ! किंतु मित्रो !यदि ये अपने को नहीं बदल सकते तो अनंत कालीन योग की शास्त्रीय परम्पराओं को क्यों और कैसे बदल दिया जाए !और कैसे हटा दिया जाए योग से ॐ और  सूर्य नमस्कार!आखिर योग को व्यायाम बनाने की उनकी जिद क्यों मान ली जाए ?
     प्यारे देश वासियो ! तुम्हें अपने प्रभु श्री राम का सन्देश याद है न ! उन्होंने हम लोगों के लिए ही कहा था कि प्यारे देशवासियो !हमेंशा देश को धर्म से ऊपर रखना क्योंकि देश बचेगा तो धर्म बचेगा !   
        श्री राम ने हम सबको  शिक्षा दी है कि धर्म का पालन स्वर्ग पाने के लिए करते हो किंतु याद रखना जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी अर्थात अपना देश स्वर्ग से भी बढ़कर है !इसलिए हमें मंत्र विहीन प्राणायाम और सूर्य नमस्कार विहीन योग में भी समझौता करना चाहिए !
    बंधुओ !प्रभु श्री राम का यही आदेश पालन करने वाले अपने पूर्वजों ने
अपने हृदयों पर पत्थर रखकर मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनते देखीं हैं किंतु कोई मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाने की कभी जिद नहीं की है !तब भी ऐसी ही जिद पूरी करने के लिए बनाई गई होंगी मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर !आखिर हर जगह हिन्दू ही समझौता क्यों करें ! हिन्दुओं के साथ मिलजुल कर चलने का मतलब ये तो नहीं होता!मुस्लिम बंधुओ की कोई जिम्मेदारी नहीं है क्या ?कि वो भी हिन्दुओं से मिलकर चलें और हिंदुस्तान को अपना समझें !
       मंदिर तोड़कर मस्जिदें तो बनाई गई हैं किंतु मस्जिदें  तोड़कर मंदिर भी बनें हैं क्या ?
    संस्कृत के ग्रंथों में उर्दू के शब्द तो सम्मिलित किए गए हैं किंतु उर्दू के ग्रंथों में संस्कृत के शब्द भी हैं क्या !
    संस्कृत व्याकरण में श्री 'राम' के साथ ही 'अल्ल' शब्द को भी जोड़ा गया है किंतु उर्दू में भी ऐसे उदाहरण है क्या ?
    संस्कृत ग्रंथों के नाम उर्दू  मिश्रित रखे गए हैं किंतु उर्दू ग्रंथों के नाम संस्कृत मिश्रित हैं क्या ?  यथा 'ताजिक नीलकंठी' 'ताजिकभूषण 'आदि !
  बढ़ती  जनसंख्या सारे देश की समस्या है केवल हिंंदुओं की नहीं किंतु परिवार नियोजन केवल हिंदुओं ने अपनाया मुस्लिमों ने क्यों नहीं ?बात धर्म की है तो हिन्दू धर्म में भी परिवार नियोजन की निंदा की गई है फिर भी हिंदुओं ने देश को ऊपर रखा और धर्म से समझौता किया किंतु मुस्लिम बंधुओं ने ऐसा नहीं किया आखिर कैसे और कब  तक चल पाएगा ये केर बेर का संग !
   बंधुओ ! योग को यदि विश्व में विस्तारित करना है तो, देश में सबको मिलकर चलना होगा तभी भारतीयता की विरोधी गतिविधियों को कुचल पाना संभव होगा  किंतु कुछ लोग विकास के हर प्रयास में टाँग फँसाकर खड़े हो जाने वाले हैं हर बात में उनका धर्म आड़े आ जाता है न जाने क्यों उन्हें परेशानी होने लगती है !
          प्रधानमंत्री मोदी जी ! देश को समझावें विदेश को मनावें,हाथ धोकर खाना खाना सिखावें ,स्वच्छता अभियान के माध्यम से स्वच्छ रहना सिखावें,'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' के माध्यम से बेटियों का मान बढ़ावें,'जन धन योजना' से सबको धन जोड़ना सिखावें ,बीमा करावें !
   बंधुओ ! विश्व के इतने देशों को योग के लिए तैयार करना मामूली बात नहीं है किंतु वो करके आए हैं मोदी जी ! अब कुछ लोग देश में ही उस अभियान की हवा निकालने को तैयार दिख रहे हैं किंतु देश के प्रति समर्पित भारतीय ऐसा होने नहीं देंगे और वो खड़े हैं मोदी जी की भावनाओं के साथ !यहाँ संतोष इतना है कि मोदी जी धर्म संस्कृति के विषय सोचते तो हैं ये क्या कम है !
     ऐसे लोगों को खुश करने के लिए ही बनाई योग को योग की तरह ही रहने दिया जाए ! सब कुछ  किया जाए ! जिसे करना है करे न करे तो न करे !बनाई गईं अब बारी योग की !योग की सर्जरी क्यों ?प्राणायाम और सूर्य नमस्कार  योग सनाधर्म की शान है प्राणायाम और सूर्य नमस्कार उसकी जान है अन्यथा व्यायाम है !योग संस्कृत और हिंदी का शब्द है हिंदुओं की साधना पद्धति का अभिन्न अंग है और हिंदुओं का ही रहेगा !
इसी विषय में पढ़ें ये लेख -
  •  योग में अड़ंगा लगाने वाला समाज नमाज करते समय जिस धरती पर सिर झुकाता है वो धरती खुदा होती है क्या ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_53.html 
  •   मुस्लिम नेताओं को योग पर एतराज आखिर क्यों ?यदि 'योग' शब्द से आपत्ति है तो योग को 'निरोग' कह लें कुछ और कह लें जिसमें संतोष हो वो कह लें किंतु see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_77.html 
  •  नमाज करते समय 'धरती' की ओर शिर झुका सकते हैं तो 'योग' करते समय सूर्य की ओर क्यों नहीं झुका सकते ?'धरती' भी तो 'खुदा' नहीं होती !see more... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_68.htm
  •  'योग : जिनके लिए योग की सर्जरी कर दी जाए ?सूर्य नमस्कार छोड़ दिया जाए किंतु वे अपनी हठ नहीं छोड़ सकते !ये कैसा भाईचारा !    see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_14.html
  • योग से प्राप्त होती हैं ये आठ सिद्धियाँ और अनेकों  दिव्य शक्तियाँ ! जानिए कौन कौन सी -- -see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_29.html

कोई टिप्पणी नहीं: