अंध विश्वास को समाप्त करने के लिए फर्जी ज्योतिषियों तांत्रिकों के विरुद्ध की जाए कानूनी कार्यवाही !
कुछ लोग अंधविश्वास का विरोध करने के नाम पर हिन्दू धर्म को ही पाखंड
बताने लगते हैं मूर्ति पूजा का विरोध करने लगते हैं हवन यज्ञों का विरोध
करने लगते हैं किन्तु ये अपराध है किसी के धार्मिक विश्वासों को चुनौती
आखिर कैसे दी जा सकती है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अर्थात बोलने की आजादी
का मतलब यह तो कटी नहीं है कि कोई किसी के माता पिता को गाली देने लगे ऊपर
से तर्क दे कि आपके लिए ये सम्माननीय क्यों हैं उन्होंने तो सेक्स किया था
उससे यदि बच्चे का जन्म हो ही गया तो वो पूज्य कैसे हो गए आखिर उनका सम्मान
क्यों किया जाए ये तो नेचर है ऐसा करने से ऐसा होना ही था यही तो साइंस है
!किंतु कोई भारतीय संस्कारों में पला बढ़ा अपनी संस्कृति के प्रति समर्पित
व्यक्ति अपने माता पिता के प्रति श्रद्धावान कोई लायक संतान इन थोथे तर्कों
को कैसे पचा पाएगी !वो तो मरने मारने पर उतारू हो जाएगी !
इसलिए हमारा निवेदन मात्र इतना है कि अंध विश्वास हो या अंधश्रद्धा इनका समूल उन्मूलन होना ही चाहिए क्योंकि जबतक ये रहेंगे तब तक धार्मिक समाज को न केवल खोखला करते रहेंगे अपितु बदनाम भी करते रहेंगे किंतु हमें इस बात का ध्यान रखना भी उतना ही आवश्यक है
कि हमें धार्मिक विषयों में शास्त्रीय और सरकारी जानकारी भी होनीचाहिए और
किसी भी कीमत में शास्त्रीय मर्यादाओ का अतिक्रमण नहीं किया जाना चाहिए
अन्यथा इसे हिन्दू समाज किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं कर पाएगा !एक
निवेदन हिन्दू समाज से भी है कि यदि किसी की कोई धर्म विरुद्ध टिप्पणी आ भी
जाती है तो उसका सामना धैर्य एवं तर्कों से किया जाना चाहिए किंतु हिंसा से नहीं क्योंकि हिंसा का समर्थन हमारे शास्त्र किसी भी कीमत में नहीं कर सकते !
फर्जी डिग्रियों के मामले में भेद भाव क्यों ?अपराध तो अपराध है उसमें पक्षपात कैसा ?
सरकार को केवल अपनी वाणी से नहीं अपितु अपने आचार व्यवहार से
प्रमाणित करना चाहिए कि वो वास्तव में भ्रष्टाचार के विरुद्ध है आदर्श शासक
को प्रजा प्रजा में भेद शोभा नहीं देता !
फर्जीडिग्री यदि अपराध है तो ज्योतिषी और तांत्रिक तो खुले आम कानून को
दिखा रहे हैं ठेंगा !देखो टीवी चैनलों पर फेंकते हैं कितनी लंबी लंबी !
क्या पढ़े लिखे होते हैं !चैनल वालों को पैसे देकर बकने लगते हैं जो मन आता
है सो ,और भविष्य का भय दिखाकर बेचते हैं नग,नगीने यंत्र तंत्र ताबीज कवच
कुण्डल और भी बहुत कुछ ! उनके कैसे कैसे नाम रख लेते हैं जो शास्त्रों में
कहीं हैं ही नहीं ! जो दैनिक राशिफल दिनभर बकते हैं वो सौ प्रतिशत जूठ होता
है !ऐसी संपूर्ण धोखाधड़ी कोई डिग्री होल्डर ज्योतिष शास्त्रीय विद्वान कभी
नहीं कर सकता और यदि भारत सरकार इनसे निपटने में सक्षम नहीं है तो
संस्कृत विश्वविद्यालय बंद करे सरकार!अन्यथा उनकी दी हुई डिग्रियों की
गरिमा की रक्षा करे !पहले ज्योतिष और आयुर्वेद विश्वास और ईमानदारी पर चलते
थे किंतु इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए ही तो BHU जैसे सरकारी संस्कृत विश्व
विद्यालयों में ज्योतिष और आयुर्वेद जैसे विषयों में भी डिग्रियों की
व्यवस्था की गई थी आखिर सरकार की उस भावना का सम्मान क्यों न किया जाए !और
जिस कानून का पालन सरकार करवा नहीं सकती उसे बनाने का क्या लाभ ? क्यों
खर्च की जा रही है इसके अध्ययन अध्यापन पर भारी भरकम धनराशि ?टीवी चैनलों
पर सुबह से ज्योतिषीय भविष्य बताने वालों के पास क्या होती हैं ज्योतिष
डिग्रियाँ !उनकी बातें ज्योतिष शास्त्र से कहीं मेल नहीं खातीं,सरकार उनकी
डिग्रियों की जाँच क्यों नहीं करती !see
more....http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/06/blog-post_9.html
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