मंगलवार, 15 सितंबर 2015

माथे पर माँग ठेंगे पर सुहाग !


   शिर से माथे पर क्यों खिसराई जा रही है माँग क्या सरकार बचा लेगी सोहाग! 
         याद रखिए कि महिलाओं की सुरक्षा यदि पति नहीं कर सकता तो राष्ट्रपति भी नहीं ही कर सकेगा !महिलाओं की सुरक्षा में सबसे बड़ी समस्या यह  है कि इनकी सुरक्षा के लिए किसी को समर्पित होना और समर्पित दिखना भी पड़ता है  और कई बार इसी समर्पण के कारण मरना भी पड़ता है ! यह सर्वाधिक कठिन काम पिता पति तथा पुत्र के अलावा कोई और नहीं कर सकता है !अर्थात क्यों कोई मरेगा किसी और के लिए वो राजा या राष्ट्रपति ही क्यों न हो !
        महिलाओं को सुरक्षा आखिर चाहिए ही क्यों ? हमें इसपर गंभीरता से सोचना ही होगा और महिलाओं में ऐसा क्या है कि आम समाज की सुरक्षा के लिए  सरकार जो व्यवस्था करती है उसमें पुरुष तो सुरक्षित हैं किन्तु महिलाएँ नहीं हैं ! बंधुओ !बाकी सारी  सुरक्षा सभी  स्त्री पुरुषों की एक जैसी ही होती है किन्तु स्त्रियों के शील की रक्षा स्त्रियाँ नहीं कर सकती हैं क्योंकि बड़े बड़े पदों पर  बैठी हुई महिलाएँ भी शील हरण की शिकार होती देखी जा रही हैं इसलिए महिलाओं की सुरक्षा तो किसी पुरुष से ही करवानी पड़ेगी !यह काम पिता  पुत्र  तथा पति ही कर सकता है ! इसके अलावा नैतिक वर्ग ,ब्रह्मचारी आदि एक सीमा तक ही कर सकते हैं इनसे इससे अधिक उम्मीद और विश्वास दोनों ही नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि ये सदाचरण का अभ्यास कर रहे होते हैं जो टूट भी सकता है जिसके लिए वो दुबारा शुरू कर सकते हैं अभ्यास किन्तु महिला का तो एक बार शील हरण हुआ तो सब  कुछ गया उसकी भरपाई कैसे की जा सकती है !

    महिलाएँ  पुरुषों के बराबर कभी हो ही नहीं सकती हैं और यदि हो सकतीं तो उनकी अलग से सुरक्षा की आवश्यकता ही क्यों ? आखिर कुछ तो ऐसा होगा जिस कारण महिलाएँ अपने को असुरक्षित महसूस करती हैं अन्यथा पुरुषों को तो नहीं दी जाती है अलग से सुरक्षा महिलाएँ भी अपने को यदि पुरुषों के बराबर मानतीं हैं तो छोड़ें  अलग से सुरक्षा प्राप्त करने का मोह और निर्भीक विचरण करें सरकार जो सबको सुरक्षा देगी वो उन्हें भी मिलेगी फिर अलग से सुरक्षा क्यों ! 

          बंधुओ ! आज पति एवं ससुराल वालों से लड़ने का फैशन सा बनता जा रहा है जो महिला आपने पति को शराबी कबाबी आदि कहकर उसे मारे या पुलिस के बलपर अपने ससुराल वालों को दहेज़ माँगने का आरोप लगाकर जेल में डलवा दे पति की पिटाई करे , बारात लेकर आए हुए दूल्हे को बारात समेत बेइज्जत करके वापस लौटा दे ऐसी लड़कियों को मीडिया ऐसे हाथों हाथ लेता है कि मानो  उनकी मुराद पूरी हो गई हो !फिर उनके ऐसे इंटरव्यू  छापे   दिखाए जाते हैं मानों देश की सीमाओं पर लड़ते हुए विजय पाकर आई हों ! किन्तु इन सब बातों के साथ हमें यह भी सोचना होगा कि आज तो जो करना था वो कर दिया किन्तु कल जीवन व्यवस्थित कहाँ और कैसे होगा !इसलिए ऐसी लड़कियों एवं महिलाओं को भी सहनशीलता के लिए कोई सीमा तो बनानी ही चाहिए !लड़कियों की असहनशीलता के कारण ससुराल पक्ष में हमेंशा कलह या असंतोष रहता है आज लड़कियाँ बहुएँ बनाकर ससुराल में राजी नहीं हैं और जो रहती भी हैं वो अपने ससुराल के ही घर में ससुराल वालों को ठिकाने लगाकर वहां अपने मायके वालों को फिट किया  करती हैं जो होना बिलकुल असंभव है इसलिए वो तो हो नहीं पाता है अपितु कलह हो जाता है !इस प्रकार से ससुराल वालों का जीना दूभर करके अपने मायके में ये खुश खबरी देने के लिए फोन लगाती हैं किन्तु बहन उनकी भाभियों ने भी उनके माता पिता को ठिकाने लगा रखा है तो वो रोते कराहते फोन उठाते हैं जिनके साथ वो अपनी खुशी शेयर भी नहीं कर पाती है  इस प्रकार से ये ससुराल वालों का उत्पीड़न अब बंद होना चाहिए बहुत दिन हो महिलाओं एवं बहुओं का पक्ष लेते लेते अब कोई पुरुषों और ससुराल वालों की भी सुने !
       आज लड़कियों पार्कों पार्किंगों मेट्रो आदि सार्वजनिक स्थलों में सबके सामने लड़कों की अश्लील हरकतों में इतना बढ़ चढ़ कर साथ देती हैं कि देखने वाला शर्मा जाए किन्तु उन्हें शर्म नहीं होती है ऐसे लड़के तो बेशर्म होते ही हैं किन्तु लड़कियां उनसे पीछे नहीं होती हैं । इसी प्रकार से  ऐसे तथाकथित प्रेमजाल  में फँसी लड़कियाँ लड़कों की अश्लील इच्छओं की पूर्ति करने के लिए बस आदि सूनी सवारियों में एकांत जगहें देखकर बैठ जाते हैं फिर चालू होती हैं अश्लील हरकतें !ऐसी परिस्थिति में देखने वाले से ही अपनी आँखें फोड़ लेने अर्थात न देखने की अपेक्षा क्यों की जा रही है ! इसी प्रकार से प्रेमीजोड़े ऑटो में बैठकर यही सबकुछ करते हैं जो ऑटो ड्राइवर सीसे में देखते रहते हैं !उन्हें यद्यपि संयमित रहना चाहिए किन्तु  लड़कियों की कोई जिम्मेदारी नहीं है क्या ?
        लड़कियों की सुरक्षा पुलिस को करनी ही चाहिए किन्तु सारी उम्मींद पुलिस से ही क्यों ?
   आज कुछ ब्यूटीपार्लरों ने भी अपने यहाँ सेक्स सुविधा दे  रखी है जहाँ अपनी फोटो और फोन नम्बर देकर रजिस्ट्रेशन करवाना होता है बाकी अपने घर में रहना होता है जब जो ग्राहक जिसे पसंद करता है उसे फोन करके उतनी देर के लिए बुला लिया जाता है जिनके ब्यूटीपार्लर जाने में किसी को कोई शंका ही नहीं होती है और जब कभी जहाँ कहीं लेनदेन या हिसाब आदि में विवाद हुआ तो बलात्कार का आरोप लगेगा !ऐसे में  पुलिस अकेले क्या करे ?
     आज कुछ सेक्स आपूर्ति करने वाली छद्म संस्थाएँ अपने यहाँ से घंटों के हिसाब से लड़कियाँ बुक करते सुनी जाती हैं  जिसमें बुक करने वाला उतने समय तक के लिए उन्हें मन चाहे स्थानों पर ले जाता है क्योंकि कमरे की चाहत में ऐसे लड़के घनी एवं उपेक्षित बस्तियों के लिए रुख करते हैं दिक्कत तब होती है जब ऐसे स्थानों पर लड़की को लेकर वह लड़का पहुँचता है तो पता चलता है कि पहले से किराए पर लिए गए उस कमरे में चार लडके पहले से विद्यमान हैं जिन सभी लोगों ने आपसी चंदे से उस लड़की की बुकिंग का पैसा दिया था अंततः उनके धोखा  धड़ी का शिकार हुई वह लड़की वहाँ से बाहर लेकर छोड़ दी जाती है जहाँ वो कानून का सहा लेकर दुबारा पहुँचना भी चाहे तो पहुँच ही नहीं सकती है !अंततः कानून का सहारा लेकर बलात्कार का केस किया जाता है चिकित्सकीय रिपोर्ट में वो प्रूफ भी हो जाता है नहीं पहुँचा ऐसी पारितशीतियों में
   
   


बैठ जाते केवल सुनी कि





मीडिया उसे को पाति रक्षतीति पतिः अर्थात जो सभी प्रकार से सुरक्षा कर सकता हो वही पति होता है इसीलिए महिलाएँ जब तक सौभाग्यवती  रहती  हैं तभी तक माँग भरती है अविवाहिता लड़कियाँ  माँग नहीं भरती है इसी प्रकार से सुरक्षा का बचन देने वाला पति जब साथ छोड़ चुका होता है या पति के न रहने पर महिलाएँ माँग भरना छोड़ देती हैं !क्योंकि  महिलाएँ हमारे देश में महिलाओं की माँग  भरने की परंपरा अनंत काल से चली आ रही है ।
     पहले महिलाओं को पति के न रहने पर जब पति की सुरक्षा का सहारा टूट जाता है तब राष्ट्रपति अर्थात कानून के और समाज के सहारे जीवन यापन करना पड़ता है और समाज एवं कानून इसके लिए अपना नैतिक दायित्व निभाता भी था ।  
      यदि किस बात की दी जाए महिलाओं की सुरक्षा हर युग में


  माँग भरने का मतलब ही पहले था किऔर कर लेगी सुरक्षा !



जहाँ तक महिला सुरक्षा के विषय की बात है।  मैंने एक कथानक सुना है कि श्री राम के राज्य में हाथी और सिंह एक घाट पर पानी पीते थे किसी को किसी से कोई भय नहीं होता था फिर भी वो हाथी एक घाट पर पानी  भले पीते थे किन्तु सिंह के स्वभाव में चूँकि हिंसा है इसलिए उसके साथ निश्चित दूरी बनाकर रहते थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि अहिंसा या हिंसा का निर्णय तो सिंह के ऊपर है वह हिंसा का पालन करे या अहिंसा का व्रत ले! अथवा अहिंसा का व्रती सिंह अपना व्रत कब तोड़ दे।ये उसी को पता है।ऐसी परिस्थिति में व्रती सिंह अपना व्रत कब तोड़ दे तो हाथी की जान पर बन आएगी। इसलिए सिंह जैसे चाहे वैसे रहे किन्तु हाथी को अपनी ओर से  सावधानी तो रखनी ही चाहिए। ये उदाहरण अहिंसक समाज का है।



बढ़ते बलात्कारों का एक और बड़ा कारण यह भी कि जैसी शिक्षा वैसे संस्कार नैतिक शिक्षा से नैतिक लोग होंगे। सामान्य शिक्षा से सामान्य विचारधारा के लोग होंगे और सेक्स एजुकेशन से सेक्सुअल लोग होंगे इस प्रकार के सरकारी प्रयासों के परिणाम भी सामने आने लगे हैं जिनसे सारा विश्व चिंतित दिखने लगा है ।     

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